घर के बने साबुन का बिजनेस कैसे शुरू करें?

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घर के बने साबुन का बिजनेस कैसे शुरू करें?

साबुन यानी सोप तो प्रत्येक घर की आवश्यकता है। इसका बहुत बड़ा मार्केट है। भारत की इतनी बड़ी आबादी को देखते हुए साबुन निर्माताओं की बहुत भारी कमी है। पूरे देश में नेशनल व इंटरनेशनल कंपनियों के साबुनों की भरमार के बावजूद लोकल लेबल पर साबुन फैक्ट्रियां आये दिन खुलतीं रहतीं हैं। इसके बावजूद देश के 70 फीसदी लोग अच्छे साबुन का इस्तेमाल कर पाते हैं। वैसे तो बात की जाये तो एक अनुमान के अनुसार 25-35 प्रतिशत ही लोग ऐसे हैं जो नेशनल और इंटरनेशनल कंपनियों द्वारा बनाये गये स्टैण्डर्ड वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर पाते हैं। इसका कारण यह है कि ये प्रोडक्ट  ग्राहक के पास तक पहुंचते-पहुंचते इतने महंगे हो जाते हैं कि इनको उच्च मध्यम वर्ग का व्यक्ति ही खरीद पाता है। इसके बाद मीडियम मध्यम वर्ग का व्यक्ति भी इन्हें खरीदने की हिम्मत भी नहीं कर पाता है। इसका लाभ उठाते हुए लोकल कंपनियां सस्ते प्रोडक्ट को लेकर बाजार में आ जातीं हैं। इन प्रोडक्ट को लेकर अच्छे ग्राहकों के मन में अनेक तरह की शंकायें उठतीं हैं। वे अपने शरीर व कपड़ों की सुरक्षित सफाई के लिए कोई विकल्प तलाशते रहते हैं। उसके लिए होम मेड सोप का सबसे अच्छा विकल्प बनकर सामने आ रहा है।

आर्थिक विषमता से गरीबों की है संख्या ज्यादा

भारत के आर्थिक ढांचे को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यहां पर आबादी और उसकी आर्थिम क्षमता में बहुत अधिक विषमता है। 2019 की ऑक्सफेम की  रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि देश के 9 अमीरों के पास देश के 50 प्रतिशत गरीबों की आबादी की संपत्ति के बराबरकी सम्पत्ति है। कहने का मतलब यह है कि यहां पर गरीबों की संख्या अधिक है और अमीरों की संख्या कम है। यहां की अर्थव्यवस्था ऐसी है कि गरीब गरीब होता चला जाता है और अमीर होता चला जाता है।

क्या होता है लोकल व ब्रांडेड प्रोडक्ट में अंतर

इसलिये आबादी के बहुत बड़े हिस्से के लोगों की खरीदने की क्षमता काफी कम है। इस कारण अन्य वस्तुओं के साथ अच्छे स्तर का साबुन भी ये गरीब लोग नहीं खरीद पाते हैं। अपनी पॉकेट के हिसाब से लोकल कंपनियों का साबुन खरीद कर अपना काम चलाते हैं। लोकल कंपनियां अच्छी क्वालिटी वाला साबुन सस्ते से सस्ते रेट पर मार्केट में बेचने के लिए विवश हैं। अच्छी क्वालिटी का कच्चा इस्तेमाल करके साबुन बनाने वाली कंपनियां जिस रेट में अपना प्रोडक्ट तैयार करतीं हैं, उतने ही रेट में प्रोडक्ट तैयार होता है लेकिन लोकल कंपनियों को ब्रांडेड साबुन से आधे से भी कम दाम में अपना प्रोडक्ट मार्केट में बेचना होता है। ऐसी स्थिति में वे महंगे केमिकल की जगह उनके वैकल्पिक केमिकलों का इस्तेमाल करतीं हैं।

होममेड सोप के बिजनेस की जरूरत क्यों

बाजार में बिकने वाले साबुन को देखने पर आम उपभोक्ता उस साबुन की क्वालिटी का पता केवल कपड़े साफ करने से ही लगा सकता है लेकिन उसमें पड़े केमिकल का लम्बे समय तक इस्तेमाल करने पर क्या असर पड़ता है, वो काफी समय के बाद ही इस्तेमाल करने वाले को पता लग पाता है। आपने भी बहुत से लोगों को चर्म रोग, हाथों में जलन, आंखों में जलन आदि की शिकायत करते सुनी होगी। साथ ही यह भी सुना होगा कि जब से ये साबुन इस्तेमाल कर रहे हैं तब से हाथों की चमड़ी झुलस गयी है या चर्म रोग हो गये हैं, अथवा आंखों में जलन होने लगी है। इसके अलावा अन्च कई तरह के साइड इफेक्ट होने लगे हैं। इसके अलावा साबुन में केमिकल की जगह पशुओं की चर्बी के इस्तेमाल किये जाने की भी आशंका व्यक्त की जाती है। इन तमाम आशंकाओं के बीच मध्यम वर्ग का उपभोक्ता बड़ी दुविधा में रहता है क्योंकि वह महंगे साबुन खरीदने में सक्षम नहीं है और सस्ते साबुन में पता नहीं क्या-क्या मिला रहता है। इन सब आशंकाओं को दूर करने के लिए बीच का एक रास्ता निकाला गया है कि घरेलू साबुन यानी घर का बना साबुन का बिजनेस शुरू किया जाये।

शुद्ध, सुरक्षित व मनपसंद होममेड सोप की है अच्छी डिमांड

घर के बने साबुन की आज अच्छी खासी डिमांड है। उसका कारण यह है कि उपभोक्ता को इस बात का विश्वास रहता है कि इस तरह के साबुन में किसी तरह के घातक व हानिकारक केमिकल तो इस्तेमाल नहीं किये जा रहे हैं। वह इस बात से निश्चिन्त रहता है कि घर का बना हुआ साबुन इस्तेमाल करने में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हो सकता है। महिलाओं व बच्चों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाला यह होम मेड सोप पूरी तरह से सुरक्षित है। यदि इस तरह का साबुन लोकल साबुन से थोड़ा महंगा भी है तो वह उसे खरीदने में कोई संकोच नहीं करता है।

अब यह बिजनेस शुरू कैसे किया जाये

सबसे पहले आपको साबुन बनाना आता है या नहीं। यदि साबुन बनाना आता है तो ठीक है वरना आपको साबुन बनाने की ट्रेनिंग लेनी होंगी। इसके लिए सरकार की ओर से और निजी संस्थानों की ओर से साबुन बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है। वहां पर आपको नहाने, धोने, के डिटर्जेंट, ग्लिसरीन व हर्बल साबुन बनाने की ट्रेनिंग तो दी जाती है, साथ ही आपको डिटर्जेंट पाउडर व लिक्विड सोप बनाने व मार्केटिंग आदि की भी ट्रेनिंग दी जाती है। सबसे पहले आपको सरकार के कौशल विकास कार्यक्रम, खादी ग्रामोद्योग व लघु व मध्यम उद्योग से साबुन बनाने की ट्रेनिंग लेनी चाहिये। उसके बाद आपको घरेलू साबुन बिजनेस के बारे में सोचना चाहिये।

Hands of two young women cutting hard soap mass into cubes on wooden boards

शौकीन व हुनरमंद लोगों के लिए यह बिजनेस वरदान है

1. यदि आपको घरेलू उत्पाद तैयार करने का शौक है और आपमें साबुन बनाने का हुनर भी है तो आपके लिये यह बिजनेस बहुत ही अच्छा है। आप इसको आसानी से शुरू कर सकते हैं। यदि आपमें नई-नई खोज करने और कुछ नया करने का जज्बा है तो आपके लिये यह बिजनेस एक तरह का वरदान भी साबित हो सकता है।

2. इस तरह के साबुन बनाने से आपको यह तो अच्छी तरह से मालूम हो जायेगा कि आप साबुन बनाने में कौन-कौन सी गुणकारी वस्तुओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो बाजार के हानिकारक साबुन से अलग हैं। इसमें आप अपनी सुविधा और पसंद के हिसाब से रंग, परफ्यूम आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।

3. साथ ही आप अपने प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने वालों को अपनी ओर से प्रयोग की जाने वाली साबुन निर्माण सामग्री की गारंटी भी दे सकते हैं। यही नहीं इस तरह का प्रोडक्ट तैयार करने वालों के प्रति उपभोक्ताओं में अधिक विश्वास भी रहता है। इस पर आप यदि अपनी ओर से उन्हें अपने प्रोडक्ट की खूबियों को प्रमाण सहित बतायेंगे तो लोग आप पर अधिक विश्वास करेंगे और आपके प्रोडक्ट को खुद तो खरीदेंगे ही और अपने इष्ट मित्रों, परिचितों व रिश्तेदारों तथा पड़ोसियों में उसका प्रचार भी करेंगे।

घर से ही शुरू कर सकते हैं साबुन बनाना

घर पर साबुन को बहुत ही आसानी से बनाया जा सकता है। इसके बनाने में वो प्राकृतिक उत्पाद का इस्तेमाल होता है जो अधिकांश आपकी रसोई में ही मिल सकते हैं। इसलिये ये घरेलू साबुन बहुत अच्छी तरह से बनाकर इसका बिजनेस शुरू किया जा सकता है।

इसके लिए आपको सबसे पहले प्रयोग के तरह पर बहुत ही कम मात्रा में साबुन बनाना चाहिये। उस साबुन को स्वयं तो इस्तेमाल करें ही साथ ही उसके नमूने को अपने रिश्तेदारों, परिचितों व पड़ोसियों को उपहार स्वरूप दें। जब वह उसका इस्तेमाल कर चुके तो आप उनसे फीडबैक लें, जो कमियां बतायें उन्हें दूर कर फिर उसे तैयार करें और उसे दूसरे रिश्तेदारों व परिचितों को दें ताकि वे नये तरीके से आपको अपना फीडबैक दे सकें।

इस तरह से कई बार आपको अपने प्रोडक्ट को लोगों तक पहुंचाना होगा और उनसे फीड बैक लेना होगा। Ñइस तरह से काम करने के बाद एक समय ऐसी स्थिति आ जायेगी कि आपका फार्मूला हिट हो जायेगा और आपके प्रोडक्ट को सभी लोग पसंद करने लगेंगे और फीडबैक में आपके प्रोडक्ट की तारीफ करने लगेंगे। उस समय आपको यह मालूम हो जायेगा कि आपका फार्मूला हिट हो गया है और अब इसको मार्केट में बेचा जा सकता है।

कितनी वैरायटी बना सकते हैं आजमायें

इस तरह से आप घर पर ही शुद्ध और हानिरहित प्राकृतिक एवं गुणकारी वस्तुओं से सुरक्षित साबुन तैयार कर सकते हैं। इसके साथ आप यह आजमा लें कि आप कितनी तरह के साबुन बना सकते हैं। कितने तरह से मतलब नहाने, धोने के काम आने वाले आर्गेनिक, हर्बल, आयुर्वेदिक, अनेक फ्लेवर वाले साबुन तैयार कर सकते हैं। जितनी अधिक वैरायटी होंगी उतना ही अधिक व्यापार करना आसान होगा क्योकि प्रत्येक व्यक्ति की अलग-अलग पसंद होती है।

बिजनेस प्लान बनायें

आपका बिजनेस का ढांचा, बुनियाद, नींव या फाउंडेशन जो भी कहना चाहें कहें, वो तैयार हो गया। बस आपको इस परअपने बिजनेस की इमारत बुलंद करनी है। इस इमारत को तैयार करने के लिए उसका नक्शा बनाना होगा। इस नक्शे को व्यापारिक भाषा में प्रोजेक्ट रिपोर्ट या बिजनेस प्लान कहते हैं। यदि सुनियोजित तरीके से कोई बिजनेस शुरू किया जाता है तो वह बिजनेस बहुत आसानी से सफलता की ओर बढ़ता है। बिजनेस मैन को इस तरह के बिजनेस शुरू करने से लेकर चलाने तक में कोई परेशानी भी नहीं होती है।

घरेलू साबुन के बिजनेस के बिजनेस प्लान में आपको सबसे पहले साबुन बनाने व साबुन के कच्चे माल को स्टोर करने व तैयार माल को स्टोर करने के लिए एक ऐसी जगह की जरूरत होगी, जहां पर बिजली पानी केी सुविधाएं हों। जब आपने इस बिजनेस को व्यापारिक रूप देने का फैसला कर लिया है तो आपको बड़े पैमाने पर उत्पादन करना होगा। इसके लिए आपको कुशल अनुभवी कारीगरों व उनके सहायकों की भी आवश्यकता होगी।

प्रोडक्ट को तैयार करने के लिए आपको कुछ मशीनों की आवश्यकता होगी। कच्चे माल की भी आवश्यकता होगी। इस प्रोडक्ट को अपना नाम देने के लिए रैपर आदि की आवश्यकता होगी। माल को इधर-उधर ले जाने के लिए वाहन की भी आवश्यकता होगी।

माउथ पब्लिसिटी के अलावा प्रोडक्ट को मार्केट में ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए मार्केटिंग भी करनी होगी। इन सबकी एक-एक डिटेल आपको अपने बिजनेस प्लान यानी प्रोजेक्ट रिपोर्ट में दर्ज करनी होगी। फिर उसी के अनुरूप बिजनेस को स्थापित करना होगा। इससे आपको अपनी मंजिल मिलने में बहुत आसानी होगी।

कौन-कौन से लाइसेंस की जरूरत होगी

यदि घरेलू इस्तेमाल के लिए साबुन का निर्माण करते हैं और उसे अपने परिचितों, रिश्तेदारों व पड़ोसियों को ही बेचने तक सीमित रखते हैं तो उसके लिए आपको किसी तरह के लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है।

यदि इस प्रोडक्ट को बिजनेस का रूप देना चाहते हैं और बड़ा व्यापार शुरू करके व्यापारिक लाभ कमाना चाहते हैं तो आपको सरकारी नियमों, कानूनों व प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होगा।

  • सबसे पहले फर्म और प्रोडक्ट का नाम चुनना होगा।
  • दोनों को ही कंपनी रजिस्ट्रार और उद्योग विभाग में शॉप एण्ड इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में रजिस्टर्ड कराना होगा।
  • फैक्ट्री चलाने का भी लाइसेंस लेना होगा।
  • केन्द्र सरकार, राज्य सरकार के उद्योग विभाग की बिजनेस संबंधी सारी शर्ते पूरी करनी होगी।
  • लोकल अथॉरिटी जिला प्रशासन, नगर निगम, नगर पालिका परिषद, टाउन एरिया व ग्राम पंचायत से बिजनेस का लाइसेंस लेना होगा
  • फूड एण्ड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन विभाग से लाइसेंस लेना होगा। यह प्रोडक्ट ड्रग्स एण्ड कास्मेटिक एक्ट 1940 और नियम 1945 की धारा 3(एएए) के अन्तर्गत आता है।
  • यदि आपका साबुन आर्गेनिक उत्पाद में आता है तो आपको आर्गेनिक प्रमाण पत्र हासिल करना होगा।
  • यदि आपके प्रोडक्ट में केमिकल का इस्तेमाल होता है तो उसके लिए आपको केमिस्ट्री विषय से 12 कक्षा पास होना चाहिये तथा फार्मेसी में डिप्लोमा होना चाहिये। यदि ये दोनों आपके पास नहीं है तो आपको किसी फार्मेसिस्ट को अपने बिजनेस के लिए हायर यानी सैलरी पर रखना होगा और उसका प्रमाण पत्र आपके बिजनेस में लगाना होगा।
  • इसके बाद आपको गुडस एवं सर्विस टैक्स यानी जीएसटी में भी रजिस्ट्रेशन करा कर जीएसटी नंबर लेना होगा।
  • अपने प्रोडक्ट के ब्रांड नाम को सुरक्षित रखना चाहते हैं और यह चाहते हैं कि कोई इसकी नकल न कर सके तो आपको ट्रेडमार्क लेना होगा।
  • यदि ऑनलाइन बिजनेस करना है तो उसके लिए भी आपको निर्धारित नियमों का पालन करना होगा। इसके लिए आपको अपने बिजनेस या प्रोडक्ट के नाम का एक डोमेन लेना होगा। उसे नेशनल रजिस्ट्री में ट्रेडमार्क के रूप में रजिस्टर्ड कराना होगा। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 यानी आईटी एक्ट के तहत रजिस्टर कराना होगा। इससे आपकी वेबसाइट या उस पर पड़े आपके डेटा की प्राइवेसी बनी रहेगी और आपका डेटा यदि कोई चुराता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है।

इसके लिए आपको अपनी ई-कॉमर्स पोर्टल पर एक टर्म्स एण्ड कंडीशन का पेज बनाना होगा। ताकि कोई उन नियमों का उल्लंघन न कर सके और उससे आपके पोर्टल को हानि न पहुंचा सके।

कितनी लागत आयेगी

होममेड सोप के बिजनेस को शुरू करने के लिए बिजनेस मैन की क्षमता और उसकी प्लानिंग के अनुसार ही लागत आती है। छोटे स्तर पर बिजनेस शुरू करने के लिए बिजनेस मैन अपनी क्षमता के अनुसार कच्चा माल ला कर उसे बना कर बेच सकता है। इसके लिए लागत कोई फिक्स नहीं होती है क्योंकि बहुत से लोग इस तरह के साबुन का निर्माण अपने किचेन या घर के कमरे से ही करते हैं।

यदि मीडियम व हाई लेबल के बिजनेस की बात की जाये तो उसमें आपको काम करने के लिए फैक्ट्री बनाने के लिए जगह की आवश्यकता होती है। इस जगह में बाकायदा कच्चे माल का स्टोर, बने बनाये माल का स्टोर, मशीनें लगाने की जगह, काम करने वालों के लिए अन्य तरह के काम करने की जगह, एक जनरल ऑफिस व एक बिजनेस मैन का केबिन आदि बनाने होते हैं। उसके बार कच्चा माल, कुशल अनुभवी व अकुशल श्रमिकों की सैलरी, कच्चा माल, मार्केटिंग व ट्रांसपोर्टेशन, बिजली-पानी व अन्य कई तरह के खर्चों की जरूरत होती है। इस बारे में यह अनुमान है कि इस बिजनेस को शुरू करने में आपको कम से कम 5-6 लाख रुपये इन्वेस्ट करने होंगे।

मार्केटिंग कैसे करें

होम मेड सोप के बिजनेस की मार्केटिंग आपको कई तरह से करनी होगी। पहली तो आपको अपने परिचितों, इष्ट मित्रों व रिश्तेदारों के बीच प्रोडक्ट पहुंचाकर उसका प्रचार करना होगा। क्योंकि ये प्रोडक्ट माउथ पब्लिसिटी पर अधिक बिकता है। उसके बाद आपको सोशल मार्केटिंग करनी होगी जैसे स्टॉल लगाकर, कोई सोशल इवेंट आयोजित करके या लोकल विज्ञापन देकर, पम्पलेट, पोस्टर, विजिटिँग कार्ड, बैनर व होडिंग आदि लगवा कर भी प्रचार करना होगा। ऑफलाइन प्रचार के साथ ही ऑनलाइन प्रचार करना लाभकारी होगा।

Natural handmade soap bars with organic medicinal plants and flowers

मुनाफा कितना मिल सकता है

होम मेड सोप सस्ते केमिकलों की जगह नेचुरल प्रोडक्ट व हर्बल प्रोडक्ट से बनाये जाते हैं, जो आम साबुनों से अधिक महंगे तैयार होते हैं। बिजनेस मैन को अपने सारे खर्चे जोड़ कर इेनका दाम तय करना होता है। इस बात का ध्यान रखना होता है कि दाम इतने हों कि लोग उसे आसानी से खरीद सकें। खरीदने के बाद इस प्रोडक्ट की अच्छाइयां जानने के बाद ही लोग इस प्रोडक्ट पर अधिक इन्वेस्ट करना चाहेंगे। इसलिय शुरू में तो इस बिजनेस मे काफी कम मुनाफा मिलता है। बाद में जैसे-जैसे आपका बिजनेस स्थापित होता जाता है आपको मुनाफा भी अधिक मिलने लगता है। वैसे जानकारों का अनुमान है कि आपको इस बिजनेस में कम से कम 25 से 30 प्रतिशत तक का मुनाफा अवश्य ही मिल सकता है।

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