लॉन और बागवानी सेवाओं का बिजनेस कैसे शुरू करें?

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लॉन और बागवानी सेवाओं का बिजनेस कैसे शुरू करें?

पर्यावरण प्रदूषण आज सबसे बड़ी चिंता का विषय है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से न सिर्फ भारत बल्कि पूरा विश्व परेशान है। बढ़ते औद्योगिकीकरण एवं आवागमन के अनेक संसाधनों से निकलने वाली प्रदूषण युक्त गैसों से पूरा वातावरण इतना दूषित हो गया है कि लगभग 90 प्रतिशत लोग किसी न किसी बीमारी से ग्रसित हैं। इसके अलावा तेजी से बढ़ती आबादी और शहरीकरण के फैशन के चलते भी लोग प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं। लगभग प्रत्येक व्यक्ति प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है और वह राहत पाने के लिए बेचैन है, वह कुछ भी करने के लिए तैयार है। राहत पाने के लिए अधिकांशलोग इस विकट समस्या के समाधान की खोज में भी हैं। समाधान की दिशा में एक छोटी सी आशा की किरण दिखाई दे रही है। वो यह है कि अपने आसपास जितना हो सके अधिक से अधिक पौधारोपण करके प्रदूषण को कम किया जा सके। इसको देखते हुए लॉन और बागवानी सेवाओं का बिजनेस बहुत अच्छा आइडिया है, और इससे काफी लाभ मिल सकता है। लेकिन ये लाभ भी आपको आसानी से मिलने वाला नहीं है जितना आप सोच रहे हैं। इसके लिए आपको दिमागी व शारीरिक दोनों तरह की मेहनत करनी पड़ेगी। यह बिजनेस वर्तमान समय में शहरों, नगरों, महानगरों और मेट्रो सिटी में करने से काफी फायदा हो सकता है।

लॉकडाउन ने हमें प्रदूषण नियंत्रण का नमूना दिखा दिया

यदि हम प्रदूषण नियंत्रण की बात करें तो हमने हाल ही में देखा जब कोविड-19 के बचाव के उपायों में जब पूरे विश्व में लॉकडाउन लगाया गया था। सारे कल कारखाने, सभी तरह के वाहनों के इस्तेमाल पर कई महीनों तक रोक लगा दी गयी थी। पूरे संसार के लोग अपने-अपने घरों में कैद हो गये थे। उस समय व्यापारिक गतिविधियां भी बंद हो गयीं थी। उस समय  आकाश नीला हो गया था, जो पक्षी प्रदूषण के कारण शहरों से दूर चले गये थे, वे सारे शहर को लौट कर चहचहाने लगे थे, नदियों का जल अरबों रुपये की सरकारी योजनाओं से जो साफ नहीं हो पा रहा था, उस समय अपने आप साफ हो गया था, पर्वत जो राख के ढेर दिखते वे भी स्पष्ट रूप से धुले-धुले हुए पत्थर की तरह दिखाई देने लगे थे, यही नहीं भारत में तो जालंधर से हिमालय पर्वत की श्रंखला स्पष्ट दिखाई देने लगी थी जो प्रदूषण के गुबार से हमेशा ढकी रहती थी।

प्रदूषण नियंत्रण का एकमात्र उपाय बागवानी

लेकिन प्रदूषण के मुक्ति पाने का लॉकडाउन का तरीका किसी तरह से उचित नहीं है। जब मानव जीवन है तो उससे जुड़ी सारी गतिविधियों का संचालन भी जरूरी है चाहे वे कितना ही प्रदूषण क्यों न फैलायें। हमें उस पर नियंत्रण करना है तो उसके लिये बागवानी से अच्छा कोई और उपाय नहीं हो सकता। अब ये बागवानी कहां की जाये, इस पर विचार करने की आवश्यकता है।

ग्रामीण अंचल में तो इसकी जरूरत नही है क्योंकि वहां पहले से खेतीबाड़ी होती है। इस तरह के कदमों की उठाने की सबसे ज्यादा जरूरत महानगरों और मेट्रो सिटीज में हैं जहां जहरीली गैसों, रसायनों वाले कारखानों की भरमार है। वाहनों की रेलमपेल है, घनी बस्तियां हैं, कंक्रीट के जंगल है, जिनमें आदमी को हवा और धूप नहीं मिलती है। यहां पर यदि पौधारोपण अधिक से अधिक हो जाये तो यहां के लोगों को काफी राहत मिल सकती है। इसके लिए शहर, नगर, महानगर और मेट्रो सिटी ही बेहतर स्थान हैं।

प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार की ओर से अनेक जागरुकता अभियान चलाये जा रहे हैं। शहरों पौधारोपण के लिए तरह-तरह के आकर्षित कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। जनता को प्रदूषण से होने वाले नुकसान और पौधारोपण से होने वाले फायदे के बारे में बताया जा रहा है। इससे इस बिजनेस को काफी फायदा हो रहा है।

इसके अलावा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल समय-समय पर प्रदूषण नियंत्रण संबंधी गाइडलाइन व आवश्यक कानून जारी करके आम नागरिकों को सतर्क करता रहता है तथा कानून के पालन हेतु सख्ती भी करता रहता है। एनसीआर और उसके आसपास तो दिवाली के अवसर पर पटाखों पर प्रतिबंध प्रदूषण के कारण लगाया जाता है। इसके अलावा इस क्षेत्र के रियल स्टेट द्वारा किये जा रहे बिल्डिंग निर्माण पर भी समय-समय रोक लगा दी जाती है। बिल्डिंग मैटेरियल व कूड़े को लाने-ले ले जाने के लिए भी गाइडलाइन बनायी गयी है। यहां तक कि होटलों में लगने वाले तंदूर और कोयला व लकड़ी से जलने वाली भट्ठियों पर भी रोक लगा दी गयी है।

man trimming plant with scissor

पौधारोपण के लिए जागरुक हो रहे हैं लोग

पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ते खतरों और पौधारोपण अभियान से जनता में जागरुकता आयी है। अब लगभग प्रत्येक घर में लोग पौधे लगाना पसंद करते हैं। कुछ लोग अपनी छतों व टैरेस पर तो कुछ लोग अपने डाइनिंग रूम, किचेन, पूजा घर और बेड रूम तक पौधे लगाना पसंद करते हैं। इसलिये आजकल नर्सरी में एक बेडरूम पौधा मिलता है जो बिना धूप के ही बढ़ता रहता है। उस पौधे की खास बात यह है कि वो 24 घंटे आक्सीजन छोड़ता है।

बागवानी सेवा के बिजनेस की हकीकत क्या है

देखिये कहने को तो यह कहा जाता है कि यदि आपको बागवानी का शौक है तो उसे आप इसे बिजनेस में बदल कर लाखों रुपये कमा सकते हैं लेकिन यह हकीकत से काफी दूर है। किसी भी बिजनेस को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिये। आज के जमाने में किसी की जेब से पैसे निकलवाना बहुत ही टेढ़ा काम है। इसलिये किसी चीज का भी बिजनेस करें उसके लिये योग्यता और मेहनत और लगन जरूरी है। इसलिये आप बागवानी सेवा के बिजनेस को गांव-किसानी का बिजनेस मानकर चलेंगे तो फिर आपको वो लाभ नहीं मिल पायेगा जो एक बिजनेस के रूप में मिलना चाहिये। इसलिये आप इस बिजनेस की गंभीरता को समझें और इसके विशेषज्ञ बनें तो यह बिजनेस आपके लिए लाभकारी हो सकता है।  इस तरह के बिजनेस शुरू करने से पहले आपको इस बिजनेस की जानकारियां जुटाने के लिए खाक छाननी पड़ेगी, उसके बाद सफलता मिलेगी।

इस बिजनेस में क्या है मुश्किल काम?

आप बागवानी आसानी से कर सकते हैं। अच्छे-अच्छे पौधे उगा सकते हैं। उनके बारे में तमाम जानकारियां भी रख सकते हैं। लेकिन इस बिजनेस की सबसे खास बात यह है कि आपको बेचने की कला आती है तब तो यह बिजनेस आप कर सकते हैं वरना यह बिजनेस आपके लिये सही नहीं है।

आपको यह तो मालूम होगा कि आज के समय में कोई भी व्यक्ति बिना किसी खास जरूरत के 10 रुपये भी खर्च नहीं करना चाहता। पौधे खरीदने और उसके लगाने का काम तो ऐसा है कि यदि कोई न भी लगाये तो उसका काम रुकने वाला नहीं है।

इसलिये आपको अपने बिजनेस के चलाने के लिए वो गुण आने चाहिये जिनसे आप ग्राहक को अपनी ओर आकर्षित कर सकें। साथ ही बागवानी सेवा में पौधे और उनसे जुड़ी सारी सेवायें दें सकें और ग्राहकों को पौधों से भावनात्मक रूप से जोड़ सकेंगे तो आपका फायदा होगा।

इसके अलावा आप अपने टैलेंट से ग्राहकों को यह संतुष्ट करें कि आपका उद्देश्य केवल पैसा कमाना नहीं बल्कि सभी की हेल्थ का ध्यान रखना है और इसके लिए सभी को सामूहिक प्रयास करना होगा तभी कुछ कल्याण होगा।

आपको ग्राहकों के परिवार के सभी लोगों को बागवानी के प्रति शौक जगाना होगा। तभी आपका यह बिजनेस अच्छा चलेगा। कहने का मतलब यह है कि यह बिजनेस इतना सीधा सादा नहीं है जितना कि ऊपर से दिखता है। इस सीधे-सादे बिजनेस के लिए आपको साम-दाम-दण्ड- भेद सभी तरह के हथकंडे अपनाने होंगे।

कहने का मतलब कि आपको ग्राहक को प्रदूषण के खतरे से डराना भी होगा और उसे पौधों से होने वाले फायदों को बताना होगा। गा्रहकों की सुविधा के अनुसार उन्हें धूप वाले पौधे देने होंगे तो साये में उगने वाले पौधे भी देने होंगे। ग्राहकों की मनपसंद वाले फल, फूल, औषधि व शो वाले पौधे भी देने होंगे।

इस बिजनेस की संभावनाएं क्या हैं?

लॉन और गार्डनिंग सर्विस का ऐसा नया बिजनेस है, जिसमें अभी कोई खास कंपटीशन नहीं है। इस बिजनेस के लिए ग्राहकों की संख्या काफी अधिक है जबकि उनको सप्लाई करने वालों की संख्या काफी कम है। इस बिजनेस की कुछ ऐसी पेंचीदिगियां हैं जिनके कारण जल्दी से लोग इस बिजनेस में हाथ डालना नहीं चाहते हैं। जो लोग बिजनेस करते हैं वो माली के स्तर का बिजनेस करते हैं, इसके बाद भी वो अच्छी कमायी कर लेते हैं।

कैसे शुरू किया जाये बिजनेस?

सबसे पहले आपको मार्केटिंग आनी चाहिये। इसके बाद यदि आपको बागवानी की सेवा का अनुभव होना चाहिये। इसके बाद आप इस बिजनेस में नये-नये प्रयोग कर सकें तो ठीक है।

किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए जिस तरह से सिर खपाना पड़ता है। मार्केट और ग्राहक तलाशना पड़ता है। उसी तरह लॉन और बागवानी की सेवा के बिजनेस के लिए भी आपको मार्केट व ग्राहक तलाशने होंगे। इस बिजनेस की बारीकियां भी सीखनी होंगी।

यदि आपको इस बिजनेस की टेक्नीकली जानकारी नहीं है तो कोई बात नहीं, उसके लिए आप एक्सपर्ट को हायर कर सकते हैं, जिसे माली कहते हैं। इसके अलावा यदि कोई अनुभवी एक्सपर्ट  आपके साथ वर्किंग बिजनेस पार्टनर बनकर बिजनेस करना चाहता है तो उससे भी समझौता किया जा सकता है।

जब आपको मार्केट व ग्राहक मिल जायें तो आपको नर्सरियों का निरीक्षण करके यह देखना चाहिये कि कौन-कौन से पौधे बेचे जाते हैं। कई नर्सरियों का निरीक्षण करने से आपको हर नर्सरी में आपको कुछ नया मिलेगा, उन सबकी लिस्ट बना लें। जो आपके बिजनेस के लिए भविष्य में काम आयेंगी।

आपको ग्राहकों पर प्रभाव जमाने के लिए पौधों की नसल, उनकी खूबी व ऐसी विशेषताओं को इस तरह बताना चाहिये, उनको अच्छी तरह से समझ में आ जाये और ऐसे बताना चाहिये जैसे उन्होंने पहले कभी सुना न हो। इससे आपको विशेषज्ञ मानकर आपकी बात को मानने में देर नहीं लगायेंगे।

गार्डनिंग कहां-कहां पर की जा सकती है

किसी भी चीज की सुंदरता प्रत्येक व्यक्ति का मन मोह लेती है। चाहे वो कोई शख्स हो, घर हो या कुछ और हो। यदि घर को सजाने की बात जाये तो बागवानी यानी गार्डनिंग से अच्छा कुछ और नहीं हो सकता। गार्डनिंग इन स्थानों पर की जा सकती है, जैसे

  1. घर की छत, आंगन
  2. डाइनिंग रूम, किचेन, बेडरूम
  3. आफिस की बॉलकनी
  4. होटल
  5. रेस्टोरेंट
  6. कंपनीज
  7. सड़क के किनारे
  8. पार्क
  9. घर के बाहर की ग्रिल्स

गार्डनिंग सर्विस के लिए क्या-क्या जरूरत होती है?

गार्डनिंग के लिए जमीन से जुड़ी अनेक चीजों की जरूरत होती है, जो पौधों के उगाने के काम आतीं हैं, जैसे

  1. पौधे लगाने के लिए लम्बी चौड़ी जगह, अपनी खुद की हो या किराये की हो
  2. पौधों के लिए आवश्यक मिट्टी, अलग-अलग पौधों के लिए अलग-अलग मिट्टी की जरूरत होती है
  3. पौधों के लिए सबसे जरूरी है पानी की सुविधा
  4. पौधों को उगाने और उन्हें बढ़ाने के काम आने वाली खाद
  5. पौधों को लगाने से पहले मिट्टी खोदने व उसे महीन करने के लिए फावड़ा, कुदाल, खुरपी, कैंची, फुहारा, लेबलर आदि चीजों की जरूरत होती है
  6. बल्लियां व जाली, पौधों को लगाने वाली जगह को घेरने के लिए बल्लियां और जाली की आवश्यकता होती है
  7. माली व सहायक, पौधों की रोजाना देखभाल करने के लिए एक माली व दो सहायकों की आवश्यकता होती है
  8. एक ट्रांसपोर्ट का साधन, सामान लाने-ले जाने और आर्डर पर सप्लाई करने के लिए वाहन की आवश्यकता होती है

बीज और पौध कहाँ मिलेंगे?

गार्डनिंग का बिजनेस करने वाले को बीज और पौधे सबसे अच्छे सरकारी नर्सरी में मिलते हैं। ये बीज और पौधे क्वालिटी की दृष्टि से अच्छे होते हैं और सस्ते भी होते हैं।

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कौन-कौन से लाइसेंस की जरूरत होती है?

वैसे तो गार्डनिंग की सर्विस के बिजनेस के लिए कोई लाइसेंस नहीं होता है। लेकिन जैसे आपको सरकारी संस्थानों व बिजनेस संस्थानों में थोक सप्लाई का काम करना होगा तो आपको आवश्यक लाइसेंस लेने होंगे क्योंकि आप प्रोफेशनली सर्विस देना शुरू करेंगे, उसके लिए ये प्रमुख लाइसेंस चाहिये

  1. सबसे पहले अपनी फर्म का अच्छा सा नाम रखें, जिसमें गार्डनिंग सर्विस या ग्रीन शब्द अवश्य शामिल होना चाहिये
  2. इस फर्म का रजिस्ट्रेशन कराना होगा
  3. सर्विस देने के लिए आपको जीएसटी नंबर लेना होगा
  4. यदि जमीन शहर में है तो आपको लोकल अथॉरिटी से बिजनेस की परमीशन लेनी होगी

कितनी लागत आती है?

इस बिजनेस को शुरू करने में कितनी लागत आती है। ये दो चीजों पर निर्भर करती है। पहला कि बिजनेस मैन किस तरह बिजनेस शुरू करना चाहता है। दूसरा यह बिजनेस कहां पर शुरू किया जा रहा है, शहर, नगर, महानगर, मेट्रो सिटी, वहां की जमीन आदि के किराये में अंतर होता है। बिजनेस मैन के पास अपनी खुद की जगह है या नहीं। आम तौर पर यह माना जाता है कि एक अच्छे गार्डनिंग सर्विस सेंटर खोलने के लिए कम से कम 50 हजार से एक लाख रुपये तक की लागत आती है।

मुनाफा कितना मिलता है?

इस बिजनेस की खास बात यह है कि जगह के अनुसार मुनाफा घटता बढ़ता रहता है। यदि आप जहां पर बिजनेस कर रहे हैं और वहां पर आप अकेले सर्विस देने वाले हैं तो आपको काफी अच्छा मुनाफा मिल सकता है। दूसरा यदि आपने अपना बिजनेस सेंटर किसी पॉश कालोनी के पास खोला है तो वहां आपको अधिक मुनाफा मिल सकता है। आपने कहीं ऐसी जगह सेंटर खोला है जहां मध्यम वर्ग के लोग अधिक रहते हैं जो कम मुनाफा देंगे लेकिन उन ग्राहकों की संख्या पॉश कालोनी से अधिक है तो आपका एवरेज उससे भी अधिक हो सकता है। वैसे इस बिजनेस के बारे में कहा जाता है कि इसमें मुनाफा कम से कम 40 से 60 प्रतिशत तक मुनाफा मिल सकता है।

मार्केटिंग कैसे करें?

चूंकि यह जमीन से जुड़ा बिजनेस है और पौधों को दूर तक लाया ले जाया नहीं जा सकता है। इसलिये इसकी मार्केटिंग आफलाइन करनी काफी अच्छी होगी। आपको अपने एरिया में जगह, जगह पोस्टर चिपकाने होंगे। साथ ही कॉलोनियों में घर-घर पम्पलेट डलवाने होंगे। साथ ही पार्क व माकेट से पहले अपने होर्डिँग्स लगवाने होंगे। इसके अलावा आप चाहें तो आनलाइन में भी हाथ आजमा सकते हैं। आपको सोशल मीडिया के फ्री प्लेटफार्म का इस्तेमाल करना होगा। ब्लाग लिखना होगा जिसमें पेड़-पौधों से जुड़ी रोचक जानकारियां देकर लोगों को आकर्षित करना होगा।

अपना बिजनेस की ग्रोथ के लिए क्या करें?

अपने बिजनेस को ग्रोथ देने के लिए आपको कुछ खास करना होगा, जैसे

  1. पौधों को गिफ्ट में देने का चलन शुरू करायें
  2. बच्चों के जन्म दिन पर उनके लिए गिफ्ट पैक बनवायें जिसमें छोटे-छोटे गमले, बीज, क्ले, बागवानी के औजार, पौधों के बारे में जानकारियां और गार्डनिंग करने के टिप्स आदि लिखे आकर्षक कार्ड हों।
  3. किसी इवेंट की स्पांसरशिप करें
  4. ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए गिफ्ट स्कीम देना शुरू करें
  5. परेशानी होने पर ग्राहकों को उनके घरों में पौधे संबंधी कोई भी सर्विस दें
  6. घर के छोटे बगीचे की देखभाल की सर्विस के ठेके लें
  7. कोई ग्राहक इमरजेंसी में अपने घर में सर्विस मांगे तो उसकी व्यवस्था करायें
  8. बागवानी से जुड़े सहयोगी सामान का बिजनेस करें

कहने का मतलब यह है कि आप अपने बिजनेस को आधुनिक मॉडल का रूप दें। उसी के आधार पर आपके बिजनेस की रफ्तार तय होगी।

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