मंदी में बिजनेस को बनाये रखने के उपाय
व्यापार में उतार चढ़ाव तो आते ही रहते हैं। जो बुद्धिमान व्यवसायी हैं, वे अपने बुद्धिकौशल से अपने व्यापार को इन विषम परिस्थितियों में न सिर्फ बचाये रखते हैं बल्कि उसे आगे बढ़ाने का भी प्रयत्न करते हैं, जिसमें वो कामयाब भी हो जाते हैं। ऐसे बुद्धिमान एवं चतुर व्यवसायी व्यापार जगत के लिए प्रेरणा का काम करते हैं। ऐसे व्यवसायियों से उन लोगोंं प्रेरणा लेनी चाहिये जिनके व्यापार विषम परिस्थितियों के कारण संकटग्रस्त हो रहे हैं। ऐसे संकटग्रस्त व्यापारियों को इन बुद्धिमान व्यापारियों से बातचीत करके उनसे सलाह-मशविरा करना चाहिये, उनके लिये काफी लाभदायक साबित होगा। इसके अलावा विषम परिस्थितियों में व्यापार को बचाने के उपाय करना ही बिजनेस मैन का परम कर्तव्य हो जाता है।
आर्थिक मंदी आने के प्रमुख कारण
आर्थिक मंदी के आने के कई कारण हो सकते हैं। किसी देश की जीडीपी उसकी अर्थव्यवस्था का आइना होता है। उस देश की जीडीपी में लगातार गिरावट आने के मतलब वह देश आर्थिक मंदी का शिकार है। आर्थिक मंदी के शिकार देश का व्यापार भी मंदी की गिरफ्त में होता है। इसके अलावा आर्थिक मंदी आने के प्रमुख कारणों में से कुछ इस प्रकार हैं:-
- व्यापारिक कारण: अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में लगातार कमी होने के कारण आर्थिक मंदी आती है। इससे लगभग सभी देश प्रभावित होते हैं।
- शासकीय कारण: व्यापारिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले देशों द्वारा अपने देश की वस्तुओं और सेवाओं पर अनायास ही बहुत अधिक टैक्स लगाने के कारण वस्तुओं के दाम बढ़ जाते हैं , जो लोगों की पहुंच के बाहर हो जाते हैं। लोग उन्हें खरीदने से असमर्थ हो जाते हैं। जब खरीद फरोख्त की दर गिर जाती है तो उससे आर्थिक मंदी का आना स्वाभाविक है।
- प्राकृतिक आपदाएं: प्राकृतिक आपदाएं आर्थिक मंदी लाने में बहुत बड़ी भूमिका निभातीं हैं। बाढ़, भूकम्प, तूफान, हिमपात, सूखा, जैसी प्राकृतिक आपदाओं के चलते वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन बहुत गिर जाता है अथवा कुछ समय के लिये ठप भी हो जाता है। इससे व्यापारिक गतिविधियां पूरी तरह से डावांडोल हो जातीं हैं। इससे भी आर्थिक मंदी आ जाती है।
- ट्रेड वार यानी व्यापारिक युद्ध: किन्हीं दो महाशक्तियों के बीच किन्हीं कारणों से मनमुटाव होने के कारण सबसे पहले व्यापारिक गतिविधियां ही प्रभावित होतीं हैं। इन देशों के बीच व्यापारिक युद्ध शुरू हो जाता है। दोनों ही देश अपने-अपने यहां आयात होने वाले सामान पर बहुत अधिक कर लगा देते हैं अथवा उन्हें प्रतिबंधित कर देते हैं। यही नहीं उनके देशों में पाये जाने वाले कच्चे माल को भी इसी तरह महंगा कर दिया जाता है। कभी कभी तो इस कच्चे माल का निर्यात रोक दिया जाता है। इस तरह की अफरा तफरी से इन देशों के अलावा उन देशों के व्यापार भी प्रभावित होते हैं जो इन देशों से अपना व्यापार करते हैं या उनसे कच्चा माल मंगाते हैं।
- व्यापारिक प्रतिद्वन्द्विता: व्यापारिक प्रतिद्वन्द्विता से भी आर्थिक महामंदी आती है। किसी देश मेंं कोई वस्तु बहुत ही सस्ते दाम पर तैयार हो जाती है और दूसरे देश में वही वस्तु काफी ऊंचे दाम पर तैयार होती है। सस्ते दाम वाला देश कमाई करने के उद्देश्य से ऊंचे दाम वाले देश में अपनी वस्तु की आपूर्ति बढ़ा देता है तो ऊंचे दाम वाले देश का व्यापार चौपट हो जाता है। इससे भी आर्थिक मंदी आती है।
- महामारी आदि: महामारी भी ऐसा प्रमुख कारण है जिससे आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित होतीं हैं, कभी कभी तो पूरी तरह से ठप हो जातीं हैं। पिछले एक साल से कोविड-19 की महामारी के कारणा जिस तरह से पूरे विश्व में महीनों लॉकडाउन लगाया गया। उससे तो पूरी तरह से कारोबार ठप हो गये हैं। और अभी आने वाले दिनों में यह व्यापार कब तक ऐसे ही रहेंगे कोई नहीं जान सकता है।
मंदी के दौर में व्यापार जगत में मचा है हाहाकार
वर्तमान समय में पूरा विश्व कोविड-19 की महामारी से त्राहि-त्राहि कर रहा है। वैश्विक व्यापार जगत में हाहाकार मचा हुआ है। पूरे विश्व में लाखों करोड़ों छोटे व्यवसाय इस महामंदी की भेंट चढ़ चुके हैं और अनेक व्यवसाय बंदी की कगार पर पहुंच गये हैं। जो व्यवसाय डूब चुके हैं और उन बिजनेस के व्यापारियों की हिम्मत पस्त हो गयी है तो उनके लिए भी संभावनाएं जगायी जा सकतीं हैं लेकिन जो व्यवसाय डूबने की कगार पर पहुंच गये हैं, उन्हें बचाने की कोशिश की जा सकती है। उसके लिए उन्हें कुछ खास उपाय करने होंगे। इन उपायों में कुछ खास इस प्रकार से हैं:-
1. संस्थान के किराये में कटौती करें
2. सस्ता से सस्ता माल देने वाले वेंडरों को खोजें
3. फिजूलखर्ची को तत्काल रोकें
4. जरूरत की कुछ चीजें सेकेंड हैंड खरीदे
5. भुगतान करने का स्मार्ट तरीका अपनायें
6. अधिक से अधिक वसूली करने के उपाय करें
7. अपने ग्राहकों की संख्या कम न होने दें
8. ग्राहकों से अपने सम्बन्ध और मजबूत करें
9. गैरजरूरी वस्तुओं को हटाएं
10. अपना प्राफिट/मार्जिन कम करें
1. संस्थान के किराये में कटौती करें
मंदी के समय में सबसे पहले अपने संस्थान का किराया कम करें। यदि किसी वजह से आपने फालतू जगह ले रखी हो तो उसे खाली कर दें। उसके अलावा अपने स्टोर मालिक से स्पष्ट कह दें कि मंदी चल रही है, व्यापार चल नहीं पा रहा है। आपके द्वारा तय किया गया किराया अब अधिक लग रहा है, जिसे दे पाने में असमर्थ महसूस कर रहा हूं। मंदी के समय तक आप अपना किराया कम कर लें तो काफी राहत होगी। यदि वो आपकी बात मान जाता है और किराया कम कर देता है तो ठीक है, वरना आस-पास के इलाके में उचित लोकेशन पर दूसरी कम जगह और कम किराये वाली शॉप लेकर उसे खाली कर दें। इससे आपके किराये में बचत होगी, जिसे आप किसी अन्य जरूरी काम में इस्तेमाल करके उससे लाभ उठा सकते हैं।
2. सस्ता से सस्ता माल देने वाले वेंडरों को खोजें
बिजनेस मैन को चाहिये कि वह अपने संस्थान में माल सप्लाई करने आ रहे वेंडर के रेट को जांचें-परखें। साथ ही कई अन्य वेंडरों से भी बातचीत करें, उनमें से जो वेंडर कम से कम रेट पर माल सप्लाई करने को तैयार हो , उसी से माल खरीदें। माल खरीदते समय वेंडर को यह स्पष्ट कर दें कि मंदी का दौर चल रहा है। ऐसे समय में भुगतान में देरी भी हो सकती है। उसके लिए उसे तैयार रहना होगा। बाद में किसी तरह का विवाद की जरूरत नहीं है। यदि वो तैयार हो जाता है तो उससे माल खरीदना शुरू कर दें। इससे आपको काफी बचत होगी। कम रेट पर माल मिलने के कारण आपका मुनाफा बढ़ जायेगा। इस तरह से आपकी व्यापारिक अस्थिरता को रोकने में काफी मदद मिलेगी।
3. फिजूलखर्ची को तत्काल रोकें
मंदी के दौर में एक-एक पैसा बचाना बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि कहा जाता है कि बूंद-बंूद से घड़ा भरता है तो बूंद-बूंद से घड़ा खाली भी हो जाता है। इस बात का बहुत ध्यान रखें। मंदी के दौर में एक भी पैसा बर्बाद न होनें यानी कोई ऐसा खर्च न करें जिसके बिना भी काम चल सकता है। सबसे पहले तो आप अपने संस्थान का निरीक्षण करें और वहां फालतू खर्च बढ़ाने वाले उपकरण कम से कम इस्तेमाल करें, संस्थान की बिजली का खर्च कम करें, एसी, कूलर व पंखे आदि का उस समय इस्तेमाल करें जब अधिक जरूरत हो, अन्यथा बंद रखें। वाहनों का इस्तेमाल कम करें। कम दूरी के लिए बिना वाहन से काम करें। आजकल इंटरनेट का जमाना है, संदेश, पैसा, भेजने के लिए वाहनों की भागदौड़ न करें। संस्थान में चार-पांच कर्मचारी हों और एक या दो कर्मचारी से काम चल सकता है तो उसमें भी कटौती करें। मंदी के दौर में घर पर किसी तरह के जश्न का आयोजन न करें। शान-शौकत में किये जा रहे खर्चों को भी रोकें। संकट के इस काल में अपने शौक पर होने वाले खर्चो में भी अंकुश लगायें। मनोरंजन पर होने वाले खर्चों में भी कटौती करें। सैर-सपाटा, टूर प्रोग्राम जैसे महंगे खर्च करने को तो मंदी के काल में भूल ही जायें तो आपके लिए बेहतर होगा। इनसे काफी बचत होगी। आपके बिजनेस को काफी मदद मिलेगी। संकट की इस घड़ी में इन बचतों से आपके कारोबार को ताकत मिलेगी, जिससे व्यवसाय पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।
4. जरूरत की कुछ चीजें सेकेंड हैंड खरीदे
संस्थान में जरूरत की बहुत सी ऐसी चीजें हैं जिन्हे नया खरीदना होता है, उसे नया ही खरीदना चाहिये लेकिन कुछ ऐसी भी चीजें होतीं है जिन्हें इस्तेमाल किया हुआ अच्छी कंडीशन वाला भी खरीद कर काम किया जा सकता है। उन्हें नया खरीद कर उन पर पैसे को बर्बाद न करें। इन चीजों में दुकान का फर्नीचर, कम्प्यूटर, लैपटाप, प्रिंटर, बिल मशीन, कांटा-बांट, तराजू आदि शामिल हैं। इन सभी को यदि सेंकेड हैंड खरीदेंगे तो आपकी काफी बचत होगी क्योंकि ये सारी वस्तुएं सेकेंड हैंड में आधे से भी कम दामों पर आसानी से मिल सकती हैं। यह आपकी स्किल पर निर्भर करता है। आपको हाल में बंद हुए संस्थानों का पता करना चाहिये जो इस तरह का अपना सामान बेचना चाहते हैं, उनसे यह सामान और भी सस्ता मिल सकता है। साथ ही अच्छी कंडीशन वाला भी हो सकता है।
5. भुगतान करने का स्मार्ट तरीका अपनायें
संस्थान को साधारण तौर पर चलाना बहुत आसान होता है। क्योंकि साधारण परिस्थितियों में नकदी का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन मंदी के काल में प्रत्येक व्यक्ति अपने पास अधिक से अधिक नकदी को रखने की कोशिश करता है। वह यही चाहता है कि इस संकट के समय उससे कोई पैसा न मांगे। शायद यही उस वक्त की सबसे जरूरी मांग होती है। इसलिये बिजनेसमैन को अपने पास अधिक से अधिक नकदी बनाये रखने के वो सारे काम करने चाहिये जो संभव हों। इसमें सबसे बड़ी समस्या भुगतान करना होता है। बिजनेस मैन को चाहिये कि संकट काल में भुगतान करने का स्मार्ट तरीका अपनाये। वेंडरों व अन्य भुगतान चाहने वालों से स्पष्ट कर दें कि यह मंदी का समय चल रहा है, बिजनेस ठप पड़े हुए हैं, पैसा कहीं से आ नहीं रहा है, इसलिये इस संकट के समय में थोड़ा धैर्य रखकर हमारा सहयोग करें। हम भुगतान करेंगे लेकिन अपनी सुविधा के अनुसार कर देंगे। ऐसी स्थिति मे आपकी बात सभी लोग मान लेंगे। आप जिसको महीने में 20 हजार रुपये का भुगतान करते थे उसको दस हजार रुपये का भुगतान कर दें। उसके बाद उससे एक माह का समय ले लें। एक समय बाद भुगतान को चेक के माध्यम से करें और चेक में 10 दिन बाद की डेट डालें। इस तरह से आपको 40 दिन का मौका मिल जायेगा। इन 40दिनों में आप अपने पैसे का सदुपयोग करके अधिक आय हासिल कर सकते हैं।
6. अधिक से अधिक वसूली करने के उपाय करें
मंदी के समय में हर कोई पैसा देने यानी भुगतान करने से कतराता है। प्रत्येक व्यक्ति यह सोचता है कि मैंने तो इसका भुगतान करके अपनी जेब खाली कर ली लेकिन जब मुझे पैसे की जरूरत होगी तो कौन देगा। मंदी के दौर में तो सभी अपने-अपने खर्च से ही परेशान रहते हैं तो कौन किसकी मदद करता है। इन विचारों को ध्यान में रखते हुए आपको मार्केट पर अपने बकाये की वसूली के विशेष प्रयास करने होंगे। पहले तो आपको प्यार से, सहानुभूति से या जोर दबाव से अपना पैसा वसूलना होगा। जब आपकी ये सारी कलाएं न चलें तो आपको फिर आपको छूट का ब्रह्मास्त्र चलाना होगा। भुगतान करने वाले को छूट का लालच देना होगा। आपको भुगतान करने वालों के पास संदेश भेजकर यह सूचित करना होगा कि यदि कोई अपना पूरा बकाया भुगतान इन दिनों में करना चाहता है तो उसे संस्थान की ओर से 1 या 2 प्रतिशत की छूट दी जायेगी। अब यदि किसी को इन 1 या 2 प्रतिशत में हजारों की बचत या बड़ा फायदा दिख रहा होगा और उनके पास भुगतान करने की क्षमता होगी तो वे तुरन्त आपको भुगतान करने को तैयार हो जायेंगे। इससे आपका का मार्केट में पड़ा पैसा नकदी के रूप में मिल जायेगा। इससे आपके बिजनेस को काफी शक्ति मिलेगी और आप आसानी से मंदी के संकट काल का सामना कर सकेंगे।
7. अपने ग्राहकों की संख्या कम न होने दें
ग्राहक किसी भी संस्थान की जान होता है। ग्राहक बहुत मुश्किल ये बनाये जाते हैं। जो ग्राहक आपके साथ लम्बे समय से चले आ रहे हों वो तो आपके बिजनेस के लिए पूंजी के समान होते हैं। ऐसे ग्राहकों को अपने पास बनाये रखने के सारे प्रयास करने होंगे। मंदी के काल में आपको इन ग्राहकों का विशेष ध्यान रखना होगा। ऐसे प्रयास करने चाहिये कि वो आपके पास से अलग होने के बारे में सोच न सकें। यदि भरोसेमंद ग्राहकों की संख्या घटेगी तो निश्चित रूप से आपका कारोबार प्रभावित होगा। यदि आपके मौजूदा ग्राहक बने रहते हैं जो नियमित रूप से एक निश्चित धनराशि की खरीद करते हैं, उस पर मिलने वाला मुनाफा रिकरिंग डिपाजिट की तरह होता है। या यूं कहें कि ये आपके बिजनेस के आधार, नींव या फाउंडेशन होते हैं, इनके दम पर नये ग्राहकों से Ñमनमानी तरीके से डीलिंग कर सकते हैं।
8. ग्राहकों से अपने सम्बन्ध और मजबूत करें
ग्राहक देवो भवति अर्थात व्यापार के लिए ग्राहक ही देवता होता है। इसके मायने वो देवता नहीं होता है बल्कि वह देने वाला होता है इसलिये उसका अधिक से अधिक सम्मान करना चाहिये। सम्मान से आजकल हर कोई खुश हो जाता है। आपको अपने ग्राहक से मुनाफा कमाना होता है तो आपको उनकी भावनाओं की कद्र करनी चाहिये। मंदी के दौर में आपको अपने ग्राहकों से अधिक सम्पर्क बनाये रखना चाहिये। उनसे हालचाल पूछना चाहिये। महामारी आदि में उनके परिवार जनों के स्वास्थ्य का हाल चाल पूछना चाहिये। अपनापन दिखाना चाहिये। यही नहीं किसी तरह की आवश्यकता पड़ने पर मदद की पेशकश भी करनी चाहिये। इस तरह से उनके जितनी अधिक नजदीकी रखेंगे वे उतने ही अधिक आपके करीब रहेंगे। आपको इसका व्यापारिक लाभ मिलेगा।
9. गैरजरूरी वस्तुओं को हटाएं
यदि स्टोर में किसी काम के लिए एक वस्तु की जरूरत हैं और दो या तीन तक मौजूद हैं। ये चीजें काफी मंहगी भी हैं। इन चीजों को केवल जरूरत के लिए एक ही रखें बाकी दोनों अन्य को बेच कर नकद मुद्रा हाथ में रखें। नकद मुद्रा आपके हर समय काम आयेगी। लाखों की मशीन व अन्य उपकरण जो अचल मुद्रा में भले ही आपके पास मौजूद हों, वे नकद मुद्रा की तरह आड़े वक्त पर काम नहीं आ सकते।
10. अपना प्रॉफिट/मार्जिन कम करें
मंदी के समय व्यापार की रफ्तार तो कम हो ही जाती है। इसमें कोई दो राय नहीं है। इसके साथ ही ग्राहकों का भी पलायन शुरू हो जाता है। उस समय आपको सबसे ज्यादा जरूरत ग्राहकों की ही होती है। उस समय आपको थोड़ी बुद्धिमानी दिखानी चाहिये। घोर विपत्ति काल में आपको अपने प्राफिट या मुनाफे के कुछ हिस्से की कुर्बानी देनी होगी। अपने ग्राहकों को अधिक से अधिक माल बेचने वाली लाभकारी स्कीमें बतानी चाहिये। साधारण दिनों में यदि आप कम माल बेच कर अधिक मुनाफा कमाने की रणनीति बनाते हैं तो मंदी के समय मे आपको कम मुनाफे पर अधिक माल बेच कर अपना औसत बराबर करने की रणनीति बनानी चाहिये।
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