पशु चारा उत्पादन का व्यवसाय कितना लाभदायक है? जानिये
भारत खेतिहर प्रधान देश है। इस देश की 70 प्रतिशत आबादी आज भी गांवों में रहकर खेती का मुख्य व्यवसाय करती है। खेतिहर किसान खेती से होने वाली कम आय को बढ़ाने के लिए अथवा अतिरिक्त आय हासिल करने के लिए पशुओं को पालते हैं। इसके अलावा पूरे देश में डेयरी उद्योग, पोल्ट्री फार्म उद्योग आदि का तेजी से विस्तार हो रहा है। देश के सभी शहरों में डेयरी उद्योग काफी तेजी से फल-फूल रहा है। शहरों में दूध,दही, घी, मक्खन, पनीर क्रीम आदि दुग्ध पदार्थों की बढ़ती मांग को देखते हुए जगह-जगह डेयरी फार्म खुल रहे हैं। इन डेयरी में अधिक दूध देने वाली विदेशी नस्लों की गाय भैंसों को भारी संख्या में पाला जाता है। लेकिन गांव और शहरों के पशुपालन के तरीके में जमीन-आसमान का अन्तर होता है। गांव में जहां किसान के पास अपने खेतों का भूसा होता है। वहीं चूरी आदि का प्रबंध भी किसान अपने घर से ही कर लेता है। इसके अलावा खल आदि की व्यवस्था भी खेतों में पैदा होने वाली उपज के माध्यम से कर लेता है। इसके अलावा किसानों में खुली जगह में जानवरों को चराया भी जाता है। बस इन्हीं साधनों से गांवों में पशुओं का पालन साधारण तरीके से होता है। इसका कारण यह होता है कि किसान अपने पशु बिजनेस के लिए नहीं बल्कि अपने परिवार की जरूरतों के लिए पालता है। यदि पशु ने उसकी जरूरत से अधिक दूध दे दिया तो उसे बेच लेता है वरना वो अपने घर का काम चलाता है। इसके अलावा महानगरों व मेट्रो सिटी से लगे हुए गांवों में पशुपालन बिजनेस के लिए किया जाता है, वहां की स्थिति काफी अलग होती है। वहां पर शहरों की डेयरियों से भी अच्छी पशुओं की देखभाल की जाती है।
शहरों में पशुपालन का उद्देश्य अलग ही होता है
शहरों में पशुओं का पालन-पोषण पूरी तरह से बिजनेस को लेकर किया जाता है। शहरों में घनी बस्तियों के बीच दूध की डेयरियां होती है। जहां पर जानवरों को घूमने फिरने की ऐसी कोई जगह नहीं होती है, जहां पर उन्हें चराया जा सके। शहरों की बिजनेस वाली डेयरी के संचालक अपने पशुओं को उत्तम से उत्तम आहार देकर उनसे अधिक से अधिक दूध का उत्पादन करना चाहते हैं क्योंकि दूध नकदी उत्पाद है, जिससे डेयरी संचालक को प्रतिदिन दोनों समय नकद आमदनी होती है। ये डेयरी संचालक अपनी इस नकद आमदनी को किसी भी कीमत पर कम नहीं होने देना चाहते है। इसके लिये वह अपने जानवरों की देखभाल बहुत अच्छे तरीके से करते है। आपने भी शहरों की अनेक डेयरियों में गर्मी के मौसम में पशुओं के लिए कूलर और एयरकंडीशन तक लगे देखे होंगे। इससे आप सहज ही यह अनुमान लगा सकते हैं कि ये डेयरी संचालक अपने पशुओं का कितना अधिक ध्यान रखते हैं। ये डेयरी संचालक अपने पशुओं को अच्छे से अच्छा चारा खिलाना चाहते हैं। पहले तो यह इस चारे को वह स्वयं अपने हाथों से तैयार कराते थे। लेकिन अब डेयरी उद्योग की बढ़ती पशु चारे की मांग को देखते हुए कई कंपनियों ने पशु चारे का उत्पादन और उनकी बड़े पैमाने पर व्यापार शुरू कर दिया है। इससे इन कंपनियों कोें काफी फायदा भी हुआ है। इसका परिणाम यह हुआ कि पशु चारा व्यवसाय का एक बड़ा सा नया उद्योग स्थापित हो गया और भारी संख्या में लोगों को रोजी-रोजगार व व्यवसाय भी मिल गया। पशु चारे का व्यवसाय चलाने वालों को काफी अच्छा मुनाफा भी मिलने लगा है। अच्छी क्वालिटी का पशु चारा मिलने से डेयरी संचालकों को भी काफी राहत मिली है। उनकी अनेक चीजों को जुटाने की भागदौड़ समाप्त हो गयी है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि पशु चारा उत्पादन का व्यवसाय बहुत ही फायदे वाला बिजनेस है।
पशु आहार क्या है और इसका उत्पादन कैसे किया जाता है
पशु आहार पशुओं को उत्तम स्वास्थ्य देने वाला तथा पशुओं में दूध का उत्पादन बढ़ाने वाला प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ है। यह आहार विशेषकर दूध देने वाले पशुओं को दिया जाता है। डेयरी उद्योग में इस तरह के पशु आहार की बहुत अधिक मांग है। इस मांग को पूरा करने के लिए इस पशु आहार का उत्पादन व्यावसायिक स्तर पर किया जाता है। इसका व्यवसाय भी किया जाता है, जिसमें व्यवसाय करने वालों को काफी अधिक मुनाफा भी प्राप्त होता है।
इस तरह तैयार किया जाता है पशु चारा
पशु आहार गेहू, चने की भूसी, बिनौला, मक्का, गुड़, चूरी, कई प्रोटीन व खनिज आदि मिला कर तैयार किया जाता है। इस काम को करने के लिए मशीनों की भी आवश्यकता होती है। छोटे व्यवसायी हाथ से चलने वाली पशु चारा उत्पादन की मशीनों से अपना बिजनेस करते हैं और बड़े व्यवसायी आधुनिक प्लांट में अनेक तरह की मशीनों को लगाकर बड़े पैमाने पर पशु आहार का उत्पादन करते हैं।
बिजनेस प्लान भी बनाना चाहिये
पशु चारे का व्यवसाय को शुरू करने से पहले बिजनेस मैन को एक अच्छा सा बिजनेस प्लान अवश्य बना लेना चाहिये। बिजनेस के लिए जमीन, काम आने वाली मशीनों, कई तरह का कच्चा माल, काम करने वाले श्रमिक, ट्रांसपोर्ट के साधन, पूंजी की व्यवस्था, मार्केटिंग आदि की व्यवस्था पर होने वाले खर्च का हिसाब-किताब लगा लेना चाहिये। पूंजी की व्यवस्था के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं का भी लाभ ले लेने का भी बिजनेस प्लान में जिक्र करना चाहिये। बिजनेस किस तरह से चलाया जायेगा और किस तरह से मुनाफा कमाया जायेगा। इन सारी बातों का लेखा-जोखा बिजनेस प्लान में कर लिया जाना आवश्यक है। इससे बिजनेस मैन को व्यापार चलाने में काफी सुविधा होती है तथा व्यवसाय चलाने की सारी जानकारियां मालूम हो जातीं हैं। सुनियोजित तरीके से शुरू किया गया कोई भी बिजनेस अच्छे मुकाम पर अवश्य ही पहुंचता है। इसलिये बिजनेस प्लान की जरूरत बतायी जाती है। बिना प्लान के हड़बड़ी में किया गया व्यापार हमेशा लड़खड़ाता रहता है।
व्यवसाय की शुरुआत कहां से की जाये
पशु चारे का व्यवसाय करने से पहले बिजनेसमैन को अपना मार्केट एरिया यानी कस्टमर और सस्ता कच्चा माल मिलने की जगह दोनों को ही तलाशना होगा। कच्चा माल और कस्टमर दोनों ही जहां पर उपलब्ध हों, वहां पर इस बिजनेस को शुरू करने की योजना बनानी चाहिये। बेहतर तो यही होगा कि बिजनेस मैन को अपने उस एरिया का सर्वे कर लेना चाहिये, जहां पर वह अपना पशु चारा का बिजनेस शुरू करना चाहता है। यह बिजनेस शहर या गांव कहीं भी किया जा सकता है क्योंकि गांव और शहरों में सभी जगह पशु पालन होता है। सभी जगह पशुओं के लिए प्रोटीन युक्त चारे की सख्त आवश्यकता होती है।
जब बिजनेसमैन को कस्टम और सस्ते कच्चे माल का ठिकाना मालूम हो जाये तो उसे एक ऐसी जगह लेनी चाहिये जहां पर पशु चारा को तैयार करने वाली मशीनें लगायी जा सकें। जगह गांव व शहर के अन्दर हो या गांव शहर के किनारे हो, चाहे कहीं भी हो लेकिन इसके लिए एक चीज आवश्यक होनी चाहिये कि प्लांट तक आने-जाने वाले वाहन सीधे आ जा सकें। कहने का मतलब यह है कि प्लांट की जगह सड़क के किनारे ही होनी चाहिये। जिससे कच्चे माल व तैयार माल से भरे वाहन आसानी से अपना काम सफलता पूर्वक कर सकें। इसके बाद इन मशीनों को खोजना चाहिये। मशीनों को लगाने के लिए प्लांट वाली जगह पर बिजली का होना अतिआवश्यक है। साथ ही पानी की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिये। इसके अलावा प्लांट में श्रमिकों के काम करने के दौरान भूलभूत आवश्यकताएं भी होनी चाहिये। हवादार हॉल और वाशरूम की भी व्यवस्था होनी चाहिये। इसके साथ ही प्लांट में काम करने वाले सस्ते श्रमिकों की भी तलाश कर लेनी चाहिये। ये सारा होमवर्क करने के बाद बिजनेस को शुरू करने की तैयारी करनी चाहिये।
कौन-कौन सी मशीन चाहिये
पशु चारा को तैयार करने के लिए अधिक मशीनों की आवश्यकता तो नही होती है लेकिन इनकी पिसाई व मिक्सिंग के काम आने वाली कई मशीनों की आवश्कता होती है। गेहूं, चने व चावल की भूसी, मक्का, खल, चूरी व गुड़ आदि को पीसने के लिए एक ग्राइंडिंग मशीन की जरूरत होती है। इसके साथ ही इन सबको अच्छी तरह से मिक्स करने के लिए एक मिक्सर मशीन की जरूरत होती है, जिसे हम कैटल फीड मेकिंग मशीन भी कहते हैं, फिर पल्वराइजर मशीन की आवश्यकता होती है। चूंकि यह जानवरों के स्वास्थ्य से जुड़ा उत्पाद है। इसका एक स्टैण्डर्ड बनाने और उसको मापने के लिए तथा प्रोडक्ट को लेबोरेटरी टेस्ट हेतु भेजने के लिए एक लेबोरेटरी इक्विपमेंट की भी आवश्यकता होती। इसके अलावा तैयार पशुचारा को तौलने के काम में आने वाली मशीन व बैग की सिलाई या पैकिंग करने वाली एक मशीन की भी आवश्यकता होती है।
कच्चे माल में क्या क्या जरूरी होता है और कहां-कहां मिल सकता है
पशु चारे में गेहूं, चना, चावल, मक्का की भूसी, जिसे चोकर भी कहा जाता है। उसकी आवश्यकता होती है। इसके अलावा बिनौला, मूंगफली की खल, सरसों की खल, गुड़, सोयाबीन, नमक आदि की जरूरत होती है। वैसे तो हर थोक मार्केट में इन चीजों के थोक व्यापारी होते हैं। इसके अलावा गांव देहात, कस्बों आदि में तो थोक व्यापारी भी ये कच्चा माल बेचते हैं। बिजनेस मैन लोकल थोक व्यापारियों की अपेक्षा सस्ता कच्चा माल खरीदना चाहते हैं उन्हें संबंधित पदार्थों की मिलों जैसे गेहू की भूसी के लिए फ्लोर मिल, चावल की भूसी के लिए राइस मिल, खल के लिए एक्सपेलर आदि स्थानों पर उनके संचालकों से सम्पर्क करके आसानी से हासिल सकते हैं। थोक व्यापारियों की अपेक्षा इन मिलों में आपको कच्चा माल सस्ता मिल सकता है।
छोटे जानवरों के लिए भी तैयार किया जाता है चारा
दुधारू जानवरों के अलावा अन्य पशुओं के लिए भी चारा तैयार करके बेचा जा सकता है। जैसे पोल्ट्री फार्म के लिए मुर्गियों का दाना, मछली के लिए चारा, भेड़ों, सुअरों, पालतू कुत्तों, खरगोश, ग्रास कटर एवं अन्य पालतू पशुओं के लिए भी पौष्टिक चारा तैयार करके मार्केट में बेचा जाता है। इस तरह के चारे की भी मार्केट में अच्छी खासी डिमांड है। इस तरह के चारे को बेचने के लिए दुधारू जानवरों की मार्केट से अलग हटकर मार्केट खोजनी होगी और उसके हिसाब से काम करना होगा। इन सभी जानवरों के लिए चारा बनाने की मशीन,कच्चा माल व बनाने की विधि दुधारू पशुओं के चारे के बनाने की विधि से अलग होती है।
नये व्यापारियों के लिए खास टिप्स
जो व्यक्ति पशु चारे के उत्पादन का व्यवसाय पहली बार करने जा रहे हों और वो यह चाहते हो तों कि कम पूंजी में बिजनेस शुरू करके मुनाफा कमा सकें तो उनके लिए कुछ खास टिप्स इस प्रकार हैं:-
1. नये बिजनेस मैन को चाहिये कि वह अपने घर के एक कमरे से यह बिजनेस शुरू करे।
2. कम से कम मशीनें लगायें, जो आवश्यक हों उन छोटी मशीनों को लगा कर काम शुरू करें, जो घर के बिजली कनेक्शन से आसानी से चल सकतीं हों।
3. कच्चा माल भी कम ही मात्रा में लायें और उससे अच्छी क्वालिटी वाला पशु चारा तैयार करें।
4. इस चारे को को तैयार करके आस-पास के पशु पालकों व डेयरी आदि को फुटकर में बेचकर मुनाफा कमायें
5. अपने प्रोडक्ट को सेल करने के बाद उसका रिजल्ट भी देखें तथा खरीदने वाले ग्राहकों से उस प्रोडक्ट का फीडबैक भी लें
6. यदि आपका प्रोडक्ट अच्छी क्वालिटी का हुआ और ग्राहक को पसंद आया तो वह खुद भी आपके प्रोडक्ट की और डिमांड करेगा। साथ ही अन्य डेयरी संचालकों से आपके प्रोडक्ट की तारीफ करेगा तथा उन्हें भी आपके प्रोडक्ट को खरीदने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
7. जब आपके प्रोडक्ट की उस एरिया में अच्छी डिमांड होने लगे तब उसे लोकल ब्रांड बनाने की कोशिश करें।
8. इसके बाद अपने प्रोडक्ट को बड़े पैमाने पर उत्पादन की तैयारियां करें।
लाइसेंस कौन-कौन से चाहिये
वैसे साधारण छोटा-मोटा व्यवसाय शुरू करने के लिए कोई लाइसेंस नहीं लगता है लेकिन यदि इस बिजनेस को बड़े बिजनेस के रूप में किया जाता है तो उसके लिए अनेक लाइसेंस की जरूरत पड़ती हैं। पहला तो आपको बिजनेस करने के लिए व्यापार के उन सभी नियमों का पालन करना होगा जो किसी भी व्यापार के लिए आवश्यक होते हैं, जैसे आपको अपनी फर्म का नाम चुनना होगा। उसका शॉपिंग एक्ट में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। लोकल अथॉरिटी के साथ ही पर्यावरण विभाग से भी परमीशन लेनी होगी। चूंकि पशुओं के खाने से जुड़ा व्यवसाय है तो एफएसएसएआई से फूड लाइसेंस लेना होगा। आईएसआई से भी प्रमाण लेना होगा। साथ ही पशुपालन विभाग से भी व्यवसाय करने का लाइसेंस लेना होगा। यदि आप अपने प्रोडक्ट को ब्रांड बनाना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि आपके नाम से दूसरा कोई व्यापार न कर सके तो उसके लिए आपको ट्रेडमार्क भी लेना होगा। आपका बिजनेस जीएसटी के दायरे में जब भी आ जाये तब आपको जीएसटी नंबर भी लेना होगा।
पशु चारे के व्यवसाय में लागत कितनी आती है
देखिये इस बिजनेस की लागत के बारे में ईमानदारी से कहा जाये तो यह बिजनेसमैन की क्षमता, और शहर-गांव, कस्बे की जगह पर बहुत कुछ निर्भर करता है।
बिजनेसमैन यदि छोटे लेबल से काम शुरू करना चाहता है और उसके पास घर में ही बिजनेस करने की जगह भी है तो उसे केवल मशीन व कच्चा माल तथा सस्ते श्रमिक हैं। इस बिजनेस में ऐसे बिजनेस मैन को अधिक लागत नहीं आयेगी। इस तरह के बिजनेस की शुरुआत में एक लाख से दो लाख रुपये की लागत आयेगी।
बड़े लेबल पर बिजनेस करने वाले बिजनेस मैन के लिए प्लांट लगाने के लिए जगह भी काफी बड़ी चाहिये और कई मशीनों की आवश्यकता होगी। कच्चा माल भी काफी मात्रा में आयेगा। छोटे बिजनेस में जहां दो-तीन श्रमिकों से काम चल जायेगा वहीं बड़े बिजनेस में 5-6 श्रमिकों की आवश्यकता होगी। बिजली, ट्रांसपोर्टेशन आदि में खर्च लगेगा। इस तरह के बिजनेस में कम से कम 10 से 15 लाख रुपये तक लगेंगे। यह राशि इससे भी अधिक भी हो सकती है क्योंकि शहर, व गांव की जमीन के रेटों में काफी अंतर होते हैं। साथ ही अच्छी लोकेशन वाली जगह में अच्छे दाम लगते हैं। इससे लागत घट बढ़ भी सकती है।
मुनाफा कितना मिलता है
पशु चारे के बिजनेस में मुनाफा कितना मिलता है। यह बात अवश्य ही महत्वपूर्ण है क्योंकि हर व्यक्ति अपनी पूंजी, समय और हुनर इस उम्मीद से लगाता है कि उसे आज नहीं तो कल अवश्य मुनाफा मिलना चाहिये। कुछ लोग मुनाफे को देखकर ही बिजनेस शुरू करते हैं। ऐसे लोगों से यही कहना है कि दूसरे के बिजनेस में हो रहे मुनाफे को देखकर बिजनेस करना सही नहीं हैं क्योंकि आपको उन बातों की जानकारी नही होती है कि उस बिजनेस मैन अपने बिजनेस को मुनाफे के लेबल पर लाने के लिये कितनी मेहनत की है और कितने पापड़ बेले हैं।वैसे भी बिजनेस काफी धैर्य मांगता है। सबसे पहले बिजनेस मैन को अपना मार्केट को स्थापित करने पर ध्यान देना चाहिये। मार्केट जब एक बार आपकी बन गयी फिर तो आपको मुनाफा मिलेगा ही। इसका मतलब यह भी नहीं है कि आपको शुरू में बिजनेस बिलकुल मिलेगा ही नहीं। पहले साल में बहुत कम मिलेगा। उसके बाद यह बिजनेस धीरे-धीरे बढ़ेगा और तीसरी साल में तो आपको बहुत अच्छा मुनाफा मिलेगा। जानकार लोगों का कहना है कि इस बिजनेस में शुरू में आपको 20 से 30 प्रतिशत मुनाफा मिल सकता है। जो बढ़ कर 40 प्रतिशत के आसपास तक पहुंच जायेगा।
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