रेडीमेड गारमेंट्स, कपड़े के बिजनेस आइडियाज और अवसर

आज के जमाने के रेडीमेड गारमेंट इंसान की दूसरी सबसे बड़ी जरूरत हैं। पहले जहां आम इंसान कपड़ों के बिना जीवित नहीं रह सकता था, वहीं आज रेडीमेड गारमेंट के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। भारत में ही नहीं अब पूरी दुनिया में रेडीमेट गारमेंट का जमाना है। हर देश में रेडीमेड गारमेंट का फैशन चल रहा है। इसलिये रेडीमेड गारमेंटस की डिमांड जबर्दस्त है। इस बिजनेस का आइडिया काफी अच्छा है। यह बिजनेस सदाबहार और अधिक मुनाफा देने वाला बिजनेस है। आइये कपड़े के इतिहास पर थोड़ी सी नजर डालें और देखें कि हम कहां से शुरू हुए थे और कहां पर पहुंच गये हैं।

इतिहास

वर्तमान के समय के बुजुर्गों के बचपन की याद ताजा करें तो उस समय कपड़ों का महत्व होता था लेकिन इतना नहीं होता था जितना कि आजकल होता है। जब किसी के घर नये मेहमान आने की संभावना होती थी तो उसके लिए कपड़ों की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। उसका कारण है कि उस समय आज के जमाने की तरह न तो मशीनें थीं और न ही आज की तरह की सोच वाले इंसान थे। दूसरा कारण यह भी है, उस जमाने में हम सब इतने सम्पन्न भी नहीं थे। यदि सम्पन्नता को किनारे रखकर बात करें तो उस जमाने में भी राजा-रजवाड़े हुआ करते थे, उसके बाद जमींदार और अधिकारी का भी समय आया। सभी के यहां नये मेहमानों के लिए कपड़ों का कोई अलग से इंतजाम नहीं होता था। फर्क यह होता था कि आम इंसान के घरों में घर की बुजुर्ग महिलाएं दादी, नानी, ताई, मौसी, मामी अपने हाथों से नये मेहमान की सुविधाजनक पहनने वाले कपड़े अपने हाथों से महीनों पहले बनाने लगतीं थीं। चाहे वह गर्मी के कपड़े हों या सर्दी के कपड़े, सब हाथ से बनाये जाते थे।  सम्पन्न लोगों के यहां इस तरह के कपड़े उनके यहां काम करने वाली महिलाएं ही बनाया करतीं थीं।

किस उम्र पर क्या था पहनावा?

ये तो हुई बात नये मेहमान की। इसके अलावा किशोर उम्र के बच्चों के लिए कोई खास कपड़े नहीं होते थे। आम इंसान के घरों में रहने वाले किशोर उम्र के बच्चों को अंडरगारमेंट यानी ढीली-ढाली पटरे वाली नेकर और बनियान पहननी होती थी। जब कहीं त्योहारों व शादी-ब्याह आदि अवसरों पर जब रिश्तेदारी मेंं जाना होता था तब कपड़े बनते थे। खास इंसान के घरों में भी आजकल की तरह जीन्स, लोअर, टीशर्ट, टॉप आदि नहीं चलते थे। लड़कों के लिए सूती हाफ पैंट, शर्ट तथा सम्पन्न घर के हुए तो टेरीकाट का हाफ पैंट और शर्ट चलता था। लड़कियों के लिए फ्रॉक और कुर्ता सलवार चलता था। जब किशोर उम्र को पार करने के बाद ही  कुर्ता पाजामा, धोती कुर्ता का चलन था। इस उम्र से लेकर बुजुर्गो तक यही लिबास था।

समय बदला

उसके बाद अंग्रेजों की नकल करके हमारे यहां कपड़ों को दर्जी से सिलवाने का सिलसिला शुरू हो गया तो फिर कुर्ता पाजामा, पैंट, शर्ट, टीशर्ट, बेल बॉटम, नैरो बॉटम, पेंसिल बॉटम आदि के पैंट बनने शुरू हो गये। लड़कियों के लिए स्कर्ट, ब्लाउज, सलवार कुर्ता, गरारा-सरारा सूट चलने लगा। महिलाओं के लिए साड़ी ब्लाउज की तो परम्परागत वेशभूषा है, जो बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है।

रेडीमेड गारमेंट्स है क्या?

आज से दो से तीन दशक पहले लोग पहले कपड़े खरीदते थे और फिर उनको टेलर (दर्जी) के यहां अपने कपड़ों की नाप देकर सिलाया करते थे। जहां कपड़े सिलने में काफी समय लगता था। यदि टेलर अनाड़ी या नौसिखिया होता था तो वो कपड़े खराब कर देता था।  मतलब उसके साइज व फिटिंग गड़बड़ कर देता था। अक्सर कपड़ों को लेकर दर्जी और ग्राहकों के बीच झगड़े होते थे। लेकिन अब जमाना बदल गया है न तो आपको कपड़े खरीदने की जरूरत है और न ही टेलर के पास जाने की जरूरत है। इंतजार का तो सवाल ही नहीं। आप शोरूम जाइये अपनी मनपसंद के कपड़े छांटिये और चेंज रूम में पहन कर फिटिंग व साइज देखिये और खरीदिये।

रेडीमेड कपड़ों को आम बोलचाल की भाषा में सिलेसिलाये कपड़े कह सकते हैं। आज के रेडीमेड उद्योग ने जन्म लेने वाले नन्हें शिशु से लेकर बुजुर्गो तक के लिए इस्तेमाल होने वाले हर तरह के कपड़े तैयार करने शुरू कर दिये हैं। जो बहुत आसानी और सस्ती दरों पर सभी कहीं उपलब्ध हैं। इसलिये इस तरह के कपड़ों की डिमांड सभी जगहों पर है।

रेडीमेड गारमेंट में कौन-कौन से कपड़े आते हैं?

  • न्यूबोर्न बेबी (जन्म लेने वाले शिशु) के लिए रोम्पर्स, बेबी सूट, विन्टर सूट, समर सूट लड़कों और लड़कियों के लिए अलग तरह के सूट आते हैं।
  • अंडरगारमेंट्स  लड़कों व पुरुषों के लिए अंडरवियर, बनियान।
  • लड़कियों के लिए पैंटी, बनियान, समीज, बिकनी, ब्रा, मैक्सी, गाउन, नाइट गाउन, बाथिंग गाउन।
  • घरेलू इस्तेमाल के लिए लड़कों के लिए बरमूडा, हाफ पैंट,लोअर शर्ट, ट्रैक सूट।
  • घरेलू इस्तेमाल में लड़कियों के लिए स्कर्ट, बरमूडा, लोअर, लेगी टॉप, ब्लाउज, ट्रैक सूट।
  • बाहरी इस्तेमाल के लिए लड़कों व पुरुषों के लिए जीन्स, ट्राउजर्स, शर्ट, टीशर्ट, सर्दियों के लिए स्वेटर, कोट, वूलन सूट, हाफ व फुल जैकेट, जर्सी, हाईनेक वूलन अंडरगारमेंट।
  • बाहरी इस्तेमाल के लिए लड़कियों व महिलाओं के लिए जीन्स, लैगी, स्लैक्स, शर्ट, कुर्ती, सलवार सूट, साड़ी सूट, सर्दियों के लिये लेडीज कोट, स्वेटर, कार्डिगन, जर्सी व जैकेट आदि।

रेडीमेट कपड़ों को कितने प्रकार में बांटा गया है

रेडीमेड कपड़ों में अंडरगारमेंट और घरेलू इस्तेमाल के कपड़ों के अलावा बाहरी कपड़ों को प्रोफेशनल्स व नॉन प्रोफेशनल्स के बीच तीन भागों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं:-

1. वर्क वियर यानी यूनिफॉर्म

2. स्पोर्ट्स वियर

3. लेजर वियर

  • वर्क वियर यानी यूनिफॉर्म : नाम के अनुरूप यह रेडीमेड गारमेंट वो गारमेंट है जो ऑफिस में काम करते समय पहने जाते हैं। कई संस्थानों व स्कूलों आदि में काम करने के दौरान पहने जाने वाले कपड़ों में कुछ खास तरह की ड्रेस का प्रयोग किया जाता है। उस तरह के कपड़ों को वर्कवियर रेडीमेड गारमेंट कहते हैं।
  • स्पोर्ट्स वियर : स्पोर्ट्स वियर को खेलकूद के अभ्यास व प्रतियोगिता के दौरान पहने जाने वाले कपड़ों को जाना जाता है। इन कपड़ों को क्लोथिंग फिटनेस रेडीमेड गारमेंट के नाम से भी जाना जाता है। क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस,कबड्डी, कुश्ती, हॉकी, जिम्नास्टिक आदि खेलों के दौरान अलग-अलग तरह के कपड़े पहने जाते हैं। इन्हें स्पोर्ट्स वियर कहते हैं। आजकल खेलों के अलावा योगा क्लासेज, जुम्बा क्लासेज और जिम एक्सरसाइज के दौरान भी स्पोर्ट्स वियर पहनने का प्रचलन है।
  • लेजर वियर : ये ऐसे रेडीमेड गारमेंट हैं जिन्हें उस समय पहना जाता है जब इंसान को अपने ऑफिस/बिजनेस में नहीं जाना होता है। वीकेंड या अन्य छुट्टियों में सैर सपाटा करने के दौरान आरामदायक कपड़ों को पहना जाता है। पुरुषों व महिलाओं दोनों के लिए ट्रैक सूट की तरह आरामदायक कपड़ों को लेजर वियर कहा जाता है।

रेडीमेड गारमेंट का बिजनेस किस प्रकार से शुरू करें

रेडीमेड गारमेंट का बिजनेस शुरू करने से पहले आप यह सोचें कि इस काम में कम से कम दस लाख रुपये का इन्वेस्ट मेंट करना है तो ये दस लाख रुपये किस तरह से वापस आयेंगे। इनकों कहां लगायें कि ये पैसे डूबे नहीं। इसके लिए आपको अपने सेलेक्टेड बिजनेस एरिया का सर्वे करना होगा। वहां की रेडीमेड गारमेंट की दुकानों का सर्वे करना होगा। वहां पर बिकने वाले रेडीमेड गारमेंड के प्रोडक्ट को देखना होगा। उसके साथ ही वहां के लोगों की कपड़ों के प्रति हॉबी देखनी होगी। आपको किस तरह का कंपटीशन फेस करना होगा इस बात का भी अनुमान लगायें। आप जिस एरिया में बिजनेस को करने जा रहे हैं वहां की रेडीमेड गारमेंट की दुकानों में उपलब्ध कपड़ों को देखने के बाद यह अनुमान लगायें कि इन दुकानों में कौन सी चीज नहीं बिक रही है या बहुत कम रखी गयी है जबकि उसकी डिमांड काफी है। ग्राहक पूछ कर वापस चला जाता है। उस कमी को पकड़ने के बाद उस चीज पर आप अपना दिमाग लगा सकते हैं। यानी कहने का मतलब यह है कि यदि आपके द्वारा चुने गये बिजनेस एरिया में जो दुकानदारों और ग्राहकों के बीच गैप हो उसे पूरी करने की योजना बनायें।

कामयाबी पाने के लिये क्या क्या करें

यह तो तय है कि आपको रेडीमेड गारमेंट का बिजनेस शुरू करना है। इसके लिए आपने अपना मन पक्का कर लिया है। आपके पास पूंजी भी है लेकिन जोखिम लेने से डर लग रहा है तो आपको कुछ ऐसे काम करने चाहिये जिससे आपका यह डर विश्वास में बदल जाये। जैसे एक्सपर्ट व्यवसायियों का कहना है कि जो भी व्यक्ति रेडीमेड गारमेंट का बिजनेस करना चाहता है तो उसे दो-तीन महीने इस बिजनेस की बारीकियां सीखने के लिए कोई ट्रेनिंग लेनी चाहिये। या तो आपने पहले कोई बिजनेस कोर्स कर रखा हो तो ठीक है उससे काफी मदद मिल सकती है। अन्यथा आप अपने किसी परिचित या व्यवहारी व रिश्तेदार की रेडीमेड गारमेंट शॉप पर दो से तीन महीने का समय दें। आपको बिजनेस करने की बारीकियां मालूम हो जायेंगेी ओर आपका विश्वास भी बढ़ जायेगा। इसके अलावा कहां से माल आता है, कितना मुनाफा लेना है, कैसे बेचना है, ग्राहक के साथ किस तरह का व्यवहार करना है, कहां दुकान खोलनी है, आदि सभी व्यापारिक जानकारियां आपको मालूम हो जायेंगी।

व्यापार को सफल बनाने के कुछ खास टिप्स

अक्सर लोग यह कहते हैं कि अभी बाजार में मंदा चल रहा है, व्यापार करने का समय ठीक नहीं है। लेकिन यह बात सही नहीं है। व्यापार करने का कोई शुभ मुहूर्त नहीं होता है बल्कि व्यापार करने का जोश और जज्बा जब भी आये तभी व्यापार शुरू कर देना चाहिये। रेडीमेड गारमेंट का व्यापार करने वाले अनुभवी व्यापारियों का कहना है कि बिजनेस को सफल बनाने के लिए व्यापारी को अपनी तरफ से रोज नित नये प्रयास करने होते हैं। उनका कहना है कि ग्राहक अपने आप नहीं आते हैं बल्कि व्यापारियों को उन्हें अपने पास बुलाना पड़ता है। कई सारे तरीके आजमाने पड़ते हैं।  जैसे:-

1. धूम-धड़ाके के साथ रेडीमेड गारमेंट की शॉप का उद्घाटन करने के लिए आसपास के इलाकों सहित कम से कम 5 किलोमीटर के एरिया में अपनी दुकान का जमकर प्रचार करना चाहिये। शोरूम के उद्घाटन की तारीख तय होने के बाद इन सभी एरिया में पोस्टर आदि चिपकवाने चाहिये और आम जनता को खुला आमंत्रण दिया जाना चाहिये।

2. उद्घाटन के अवसर पर ग्राहकों को विशेष ऑफर दिया जाना चाहिये। उद्घाटन के समय तीन दिन या एक सप्ताह के लिए विशेष ऑफर वाली सेल लगानी चाहिये।

3. शोरूम के उद्घाटन के समय और ऑफर के समय पर आने वाले ग्राहकों की मनपसंद चीजों की सबसे ज्यादा बिकने वाली चीजों पर ध्यान देना चाहिये और ग्राहकों की मांग के अनुरूप जो चीज आपके शोरूम में न हों उन्हें तुरन्त मंगाना चाहिये।

4. शुरू से ही आप अपने प्रोडक्ट की फिक्स प्राइस रखना होगा। इसका लाभ यह होगा कि कोई भी नया व्यक्ति आपके प्रोडक्ट पर चिपकी प्राइस स्लिप को देखकर आसानी से माल बेच सकता है।

5. फिक्स प्राइस का आपको शुरू-शुरू में नुकसान हो सकता है। हो सकता है कि मोलभाव करने वाले ग्राहक आपके यहां से वापस लौट जायें मगर आपको एक दिन के लिए बिजनेस नहीं करना है, लम्बे समय तक बिजनेस करने के लिए शुरू में थोड़ा बहुत गंवाना पड़े तो उसकी फिकर नहीं करनी है। अधिक से अधिक कुछ समय तक कम ग्राहक आयेंगे। जो ग्राहक आयेंगे वो आपके परमानेंट ग्राहक होंगे और यही ग्राहक अपने साथ अन्य ग्राहकों को लायेंगे।

6. मोलभाव करने में दुकानदार को ही नुकसान है। पहला तो यह है कि एक व्यक्ति को दुकान में बंधकर बैठना होगा क्योंकि मोलभाव करने का तरीका सबको तो मालूम नहीं होता है। दूसरा सभी को वो रेट नहीं मालूम होते हैं जिस रेट पर माल बेचना है। यदि मेन दुकानदार की अनुपस्थिति में कोई ग्राहक आकर यह कहता है कि सेठजी ने तो पहले तो हमें इस रेट में यह सामान दिया था, वो कहां हैं जबकि काम करने वाले को उसके असली रेट नहीं मालूम होंगे तो वह यही सोच कर दे देगा कि ग्राहक यदि सेठजी द्वारा दिये गये रेट की बात कह रहा है तो गलत तो नहीं कह रहा होगा वो उस रेट पर माल दे देता है। बाद में पता चलता है कि ग्राहक झूठ बोलकर दुकानदार को चूना लगा गया।

बिजनेस प्लान बनायें

किसी भी बिजनेस को शुरू करने से पहले हमें होम वर्क या रफ वर्क अवश्य कर लेना चाहिये। इस बिजनेस में कितनी पूंजी लगेगी, दुकान कितने किराये की होनी चाहिये, कितने लोग काम करने वाले रखने होंगे, कच्चा माल कहां से आयेगा, शोरूम में बिजली, पानी व अन्य कितने तरह के खर्चे होंगे, शुरू शुरू में ग्राहकों को दिये जाने वाले ऑफर कैसे रखने होंगे, मुनाफा भी इतना रखना आवश्यक होगा जिससे घर-परिवार का खर्च निकल सके तथा दुकान के खर्चे व दुकान में काम करने वालों की पगार भी निकल सके। साथ ही शोरूम के प्रचार के लिए कितना खर्च आयेगा। इन सब बातों का एक लेखा-जोखा बना लेने से काफी सहूलियत हो जाती है।

लागत कितनी आती है

देखिये इस तरह के बिजनेस करने के लिए दो तरह के बिजनेस शुरू किये जाते हैं। ये बिजनेस मैन की आर्थिक क्षमता व योग्यता पर निर्भर करता है कि वो किस तरह का बिजनेस शुरू करना चाहता है।

1. पहला तो यह कि आपके पास पर्याप्त पूंजी है और आप काफी बड़ा शोरूम खोलना चाहते हैं, जिसमे नये मेहमान से लेकर बुजुर्गों तक के सभी तरह के सभी वैरायिटयों के कपड़े बेचना चाहते हैं। इसके लिए आपको काम करने वालों की लम्बी चौड़ी फौज चाहिये तथा भारी भरकम राशि भी चाहिये। क्योंकि इस तरह का तरह का बिजनेस शुरू करने के लिए काफी लम्बी चौड़ी दुकान या शोरूम के लिए जगह चाहिये। ये जगह कपड़ा मार्केट के आसपास होनी चाहिये ताकि ग्राहकों को तलाशने के लिए विशेष प्रयास न करने पड़े। इसलिये ये जगह काफी महंगी पड़ेगी। फिर भी कोई इंसान इस तरह की रेडीमेड गारमेंट का शोरूम खोलना चाहता है तो उस शोरूम को शुरू करने में कम से कम 50 लाख रुपये की लागत आयेगी।

2. दूसरा यह है कि कम पूंजी वाले जो 6 से 10 लाख रुपये तक की पूंजी इन्वेस्ट कर सकते हैं। ऐसे बिजनेस मैन के लिए विशेषज्ञों की राय है कि उन्हें मेन मार्केट में या कपड़ा बाजार में एक औसतन दुकान लेनी चाहिये, उसे डेकोरेट करवा कर शोरूम में कनवर्ट करा लें। साथ ही आपको एक वर्ग के विशेष आइटम का बिजनेस शुरू करें। इससे आपको उस लाइन में विशेषज्ञता हासिल होगी। साथ ही आप एक तरह के कस्टमर को अच्छी तरह से डील करके अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हो। दूसरा यह है कि आपकी दूकान में आने वाला ग्राहक उस खास प्रोडक्ट को लेने आयेगा जो आपकी दूकान पर उपलब्ध है। साथ ही आपको अपने ग्राहक को संतुष्ट करने के लिए ब्रांडेड नान ब्रांडेड रेडीमेड कपड़े रखने चाहिये। ग्राहकों की पसंद के हिसाब से प्रत्येक रेंज के कपड़े रखने होंगे चाहे वह कितने महंगे हों। यह हो सकता है कि सस्ती रेंज वाले कपड़े अधिक संख्या में हों और महंगी रेंज वाले कपड़े कम हो।

मुनाफा कितना तक कमा सकते हैं

रेडीमेड गारमेंट के बिजनेस में मुनाफा मिलता है लेकिन एक साल के बाद मिलता है। पहले साल आपको ग्राहकों को बुलाने के लिए ऑफर व सेल कई बार लगानी होती है। फिक्स प्राइस के चक्कर में पहले साल ग्राहक भी कम आ सकता है। लेकिन एक साल की तपस्या के बाद आपकी सर्विस, प्रोडक्ट और आपका व्यवहार सबकुछ अच्छा होगा तो एक साल बाद आपके शोरूम में ग्राहकों की लाइन लग जायेगी। उस समय आपको अच्छा खासा मुनाफा मिलने लगेगा। अनुभवी लोगों का कहना है कि ब्रांडेड रेडीमेड गारमेंट में 20 प्रतिशत के आसपास आपको मुनाफा मिल सकता है जबकि नान ब्रांडेड कपड़ों में यह मुनाफा 25 से 40 प्रतिशत तक मुनाफा मिल सकता है।

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