Royal Enfield kaha ki company hai [पढ़िए कंपनी की दिलचस्प कहानी]
भारत में मोटर साइकिल का बहुत क्रेज है। हीरो हांडा, टीवीएस, बजाज, रॉयल एनफील्ड, सुजुकी, जावा और हीरो इलेक्ट्रिक कंपनियों की बाइक यानी मोटर साइकिल की पूरे देश में धूम है। इसके अलावा आजकल युवाओ के दिलों पर अपाचे व हार्ले डेविडसन मोटर साइकिल भले ही राज कर रही हो लेकिन युवाओं और प्रेमी युगल के बीच रॉयल एनफील्ड कंपनी की बुलेट मोटर साइकिल का क्रेज है, वो किसी भी दूसरी कंपनी की मोटर साइकिल का नहीं है।
दमदार आवाज के लिए मशहूर है बुलेट
अपने शानदार लुक और अपनी दमदार आवाज के लिए युवाओं के बीच बुलेट मोटर साइकिल जितनी लोकप्रिय है,उतनी कोई दूसरी मोटर साइकिल नहीं है। जहां भारतीय सेना और पुलिस कर्मियों की पहली पसंद बनी हुई है बुलेट मोटर साइकिल वहीं पंजाब में लाल बुलेट का अपना अलग ही अंदाज है। बुलेट मोटर साइकिल बनाने वाली रॉयल एनफील्ड कंपनी की कहानी भी बहुत ही रोचक है। यह कंपनी कहां से कैसे शुरू हुई और पहले क्या उत्पादन करती थी और धीरे-धीरे कहां और कैसे मोड़ आते गये, कितनी उथल-पुथल के बाद रॉयल एनफील्ड कंपनी की बुलेट मोटर साइकिल सामने आयी। ब्रिटिश मूल की कंपनी रॉयल एनफील्ड कैसे भारतीय कंपनी बन पायी, इसकी दिलचस्प दास्तान जानते हैं।
1851 में सुई बनाने वाले कंपनी से हुई थी शुरुआत
सन् 1851 में जार्ज टाउनसेन्ड ने ब्रिटिश के वारसेस्टरशायर के रेडिच में सिलाई करने वाले सुई बनाने का बिजनेस शुरू किया था। यह कारखाना 1882 तक चलता रहा। इसके बाद उनके बेटे जिनका भी नाम जार्ज था, उन्होंने साइकिल के कलपुर्जे बनाने का काम शुरू किया। इसके चार साल बाद कंपनी की ओर से पूरी तरह से साइकिल बनाने का काम शुरू किया गया। यह साइकिल टाउनसेन्ड एण्ड इकोसेस कंपनी के बैनर तले बेची जाने लगी। 1891 में वित्तीय संकट के कारण साइकिल बनाने का कारोबार बंद करना पड़ा।
साइकिल पुर्जे बनाने कंपनी बनी और बंद भी हो गयी
इसके बाद बर्मिंघम की पेरी एण्ड कंपनी लि. जो पेन बनाती थी, उसके सेल्स मैनेजर एल्बर्ट एडी ने साइकिल के कलपुर्जे की सप्लाई का काम शुरू किया। इसके अलावा डी रूज एण्ड कंपनी में इंजीनियर पद पर काम करने वाले रॉबर्ट वाकर को टाउनसेन्ड के बैंकरों द्वारा व्यवसाय करने के लिए चुना गया था।
नयी कंपनी बनानी पड़ी
सन् 1892 में कंपनी का नये सिरे से गठन हुआ और इसका नाम एडी मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड रखा गया। यह बर्मिंघम के स्नो हिल में शुरू की गयी। उस समय कंपनी ने चार पहियों वाली क्वाडरिसाइकिल का निर्माण करना शुरू किया। जिसमें डी डियोन इंजन को लगाया गया। इसको आप मिनी कार भी कह सकते हैं। यह केवल एक व्यक्ति की कार के रूप में शुरू की गयी थी।
1901 में पहली मोटर साइकिल बनी
इस तरह के प्रयोग के बाद कंपनी ने भारी मोटर साइकिल के निर्माण की ओर कदम बढ़ाया और मिनर्वा इंजन के साथ एक बाइक बनायी। यह बाइक सन् 1901 में एनफील्ड बुलेट के नाम से 239 सीसी की बनकर तैयार हुई। उस समय एनफील्ड कंपनी के इस प्रयोग का जबर्दस्त धमाका हुआ और लोग इस बाइक के दीवाने हो गये।
कंपनी ने लाइट कार भी बनायी
बुलेट बाइक बनाने के बाद कंपनी ने लाइट कार बनाने का काम 1903 में शुरू किया। इस कार में फ्रेंच एडर वी ट्विन या डी डियोन सिलेंडर इंजन का च्इस्तेमाल किया गया था। सन् 1906 में कार निर्माण का काम रेडिच के हन्ट एण्ड परिसर में बनी एनफील्ड आटोकार लिमिटेड कंपनी को सौंप दिया गया।
चलता रहा उलटफेर का दौर
यह कंपनी 1908 तक चली और इसे आलडेज एण्ड ओनियन्स कंपनी ने खरीद लिया। सन् 1907 में एनफील्ड कंपनी का बर्मिंघम की आलडेज एण्ड ओनियन्स न्यूमेटिक इंजीनियरिंग कंपनी में विलय हो गया। यह कंपनी एनफील्ड-आलडे आटोमोबाइल के नाम से अपना प्रोडक्शन करने लगी।
कार कंपनी में भी लगा भारी घाटा
सन् 1907 में ही कंपनी का ऑटो कार बनाने के बिजनेस भारी घाटा आ गया। एडी मैन्यूफैक्चरिंग और इसके पैडल साइकिल बिजनेस को बर्मिंघम स्माल आर्म्स कंपनी (बीएसए) ने अपनी गिरफ्त में ले लिया। कई वर्षों के बाद बीएसए के चेयरमैन ने अपने शेयरहोल्डर्स को बताया कि अधिग्रहण ने साइकिल विभाग के लिए चमत्कार किया है। सन् 1957 में जब रैले बीएसए साकिल के हितों को खरीदा तब भी एडी ने अपनी अलग पहचान बनाये रखी।
हथियारों की भी सप्लाई की
इसके बाद एडी ने सरकार की मिडिलसेक्स के एनफील्ड में लम्बे समय से स्थापित रॉयल स्माल आर्म्स फैक्ट्री को हथियारों की सप्लाई का कॉन्ट्रेक्ट हासिल कर लिया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी कंपनी का नाम रॉयल एनफील्ड कर लिया। 1896 में उन्होंने द न्यू एनफील्ड साइकिल कंपनी लिमिटेड को भी शामिल किया जो साइकिल का पूरा कांम संभालती थी। 1897 में एनफील्ड ने पूरी साइकिल बनाने के साथ ही अन्य असेम्बलरों के लिए एडी से साइकिल का पूरा काम ले लिया।
कंपनी में आये नये-नये बदलाव
एनफील्ड ने 1901 में मोटर साइकिल और 1902 में मोटर कारों का काम अलग-अलग किया। मोटर विभाग को एक अलग सहायक कंपनी एनफील्ड ऑटोकार कंपनी लिमिटेड के तहत रखा गया। बाद इस कंपनी को 1906 मेंं कारपोरेशन मेंं बदल दिया गया और इसे रेडडिच के हंट एंड परिसर में स्थापित किया गया। यह कंपनी मात्र 19 महीने ही चल सकी और भारी नुकसान के बाद बैठ गयी। इसके बाद एडी और अन्य शेयर धारकों ने अपने-अपने हिस्से बीएसए कंपनी को बेच दिये। कंपनी ने अल्बर्ट एडी और रॉबर्ट वॉकर स्मिथ को बीएसए का डायरेक्टर नियुक्त किया गया था।
एक बार फिर कंपनी का स्वरूप बदला
अब नई संयुक्त रूप से बीएसए और एडी बिजनेस मैन्यूफैक्चर्ड ने मिलेट्री व स्पोर्ट राइफल बनाने के साथ साइकिल व साइकिलों के कल पुर्जे, मोटर कार इत्यादि बनाने का काम शुरू किया। लेकिन एडी 1957 में भी एडी शेयर धारक बने रहे लेकिन उनके पास बहुत कम शेयर हुआ करते थे। एनफील्ड ऑटोकार का बिजनेस और प्लांट तथा स्टॉक बर्मिंघम की आलडेज एण्ड ओनियन्स इंजीनियरिंग कोबेच दिया गया था। एनफील्ड साइकिल कंपनी ने हंट एंड परिसर पर कब्जा कर लिया था।
1955 में भारतीय कंपनी से हाथ मिलाया
सन् 1955 में एनफील्ड साइकिल कंपनी ने चेन्नई स्थित मद्रास मोटर्स के साथ हाथ मिलाकर एनफील्ड इंडिया कंपनी का निर्माण किया और चेन्नई में 350 सीसी की रॉयल एनफील्ड बुलेट मोटर साइकिल की असेम्बलिंग करनी शुरू कर दी। इस तरह से 1957 में ही पहली मोटर साइकिल इंग्लैंड से मंगाये गये पुर्जों से तैयार की गयी थी। एनफील्ड इंडिया ने भारत में ही कलपुर्जे बनाने वाली मशीनों का हासिल कर लिया और 1962 से सारे कलपुर्जे भी भारत में बनाये जाने लगे। इस तरह से 1962 में चेन्नई में ही रॉयल एनफील्ड मोटर साइकिल पूरी तरह से बनने लगी।
1971 में Royal Enfield कंपनी हो गयी बंद
तमाम उतार चढ़ाव के साथ यह कंपनी 1971 तक चली और उसके बाद यह कंपनी पूरी तरह से बंद कर दी गयी। दूसरी ओर एनफील्ड इंडिया ने अपना मोटर साइकिल के उत्पादन का काम जारी रखा।
1999 में भारतीय कंपनी बन गयी
सन् 1999 में एनफील्ड इंडिया ने अपनी मोटर साइकिल को रॉयल एनफील्ड के नाम से ब्रांडिंग शुरू की तो ट्रेडमार्क मालिक डेविड होल्डर ने रॉयल शब्द पर आपत्ति व्यक्त करते हुए मुकदमा दायर कर दिया। काफी समय तक मुकदमा चलता रहा और अंत में इस मुकदमें का फैसला एनफील्ड ऑफ इंडिया के पक्ष में हो गया। इसके बाद से भारत में रॉयल एनफील्ड का नये लुक में उत्पादन शुरू हो गया और अब यह भारतीय बाइक मार्केट में राज कर रही है।
तीन देशों की सेना को सप्लाई होती थी बुलेट
जहां तक बुलेट मोटर साइकिल की बात करें तो यह मोटर साइकिल ब्रिटिश आर्मी और रूस की सेना को भी सप्लाई की जाती थी। इस तरह से बुलेट मोटर साइकिल तीन देशों की सेनाओं के पास मौजूद है। अब जबसे भारत में बुलेट मोटर साइकिल का उत्पादन शुरू हुआ है तब से इसका भारत में तो इस्तेमाल होता ही है और ब्रिटेन सहित अनेक यूरोपीय देशों को इसका निर्यात किया जाता है।
भारतीय मूल की कंपनी बन गयी Royal Enfield
भारत में तैयार किये गये बुलेट मोटर साइकिल के मॉडलों में कैफे रेसर, क्रूजर, रेट्रो और एडवेंचर टूर शामिल हैं। ये सभी मॉडल भारतीय युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। वर्तमान समय में रॉयल एनफील्ड कंपनी भारत की कंपनी है, जो पहले कभी ब्रिटिश मूल की हुआ करती थी। इस कंपनी का मुख्यालय भारत के तमिलनाडु राज्य की राजधानी चेन्नई में है।
Eicher ग्रुप है कंपनी का असली मालिक
रॉयल एनफील्ड आफ इंडिया के मालिक आयशर ग्रुप है। आयशर ग्रुप के मालिक सिद्धार्थ लाल ही इस कंपनी के असली मालिक हैं। जिनकी देखरेख में बुलेट मोटरसाइकिल के उत्पादन और सेल्स तथा एक्सपोर्ट का काम होता है। इस कंपनी के कामकाज के संचालन के लिए सीईओ विनोद के दसारी को नियुक्त किया गया है। इन्होंने अप्रैल 2019 से अपना पदभार संभाला है। कंपनी ने 2018 में 9000 करोड़ रुपये की कमाई की थी। अब तक इसमें काफी इजाफा हो जाने की संभावना है। भारत के लिए यह गर्व की बात है कि जो मोटर साइकिल और उसके कलपुर्जे इंग्लैंड से आयात किये जाते थे वे अब इंग्लैंड ही नहीं बल्कि कई देशों में निर्यात किये जाते हैं।
आयशर कंपनी भारत की ट्रैक्टर और बस बनाने वाली मशहूर कंपनी है। इस कंपनी ने बुलेट मोटर साइकिल बनाकर पूरे विश्व में भारत के नाम को चमकाया है। भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में अपना सहयोग दे रही है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
प्रश्न. रॉयल एनफील्ड कंपनी की शुरुआत कैसे हुई थी?
उत्तर. रॉयल एनफील्ड कंपनी की शुरुआत बहुत ही अनूठे तरीके से हुई थी। इंग्लैंड के वारसेस्टरशायर के रेडिच में इस कंपनी की शुरुआत 1861 में एक सिलाई करने वाले सुई बनाने की फैक्ट्री के रूप में हुई थी।
प्रश्न. रॉयल एनफील्ड की बुलेट मोटर साइकिल बनाने से पहले क्या-क्या सामान बनाती थी?
उत्तर. रॉयल एनफील्ड कंपनी का पहले अलग-अलग नाम से कई कंपनियां रह चुकीं हैं। ये कंपनियां सुई, साइकिल के पार्ट, साइकिल, मोटर साइकिल, ऑटो कार, हथियार आदि भी बना चुकी है।
प्रश्न. रॉयल एनफील्ड कंपनी का नाम किस प्रकार रखा गया। इसकी पूरी कहानी क्या है?
उत्तर. रॉयल एनफील्ड कंपनी का नाम दो अलग-अलग शब्दों से मिला कर बना है रॉयल और एनफील्ड। इसमें एनफील्ड ब्रिटेन के मिडिलसेक्स में एक जगह यानी एक कस्बे का नाम है जबकि रॉयल शब्द ब्रिटेन की एक सरकारी रॉयल आर्म्स स्माल फैक्ट्री से लिया गया है। एनफील्ड कंपनी रॉयल आर्म्स स्माल फैक्ट्री के लिए हथियार सप्लाई करती थी। उसके बाद इस कंपनी का नाम रॉयल एनफील्ड रखा गया था।
प्रश्न. रॉयल एनफील्ड और एनफील्ड ऑफ इंडिया के बीच किस बात को लेकर मुकदमा चला था और उसका क्या फैसला हुआ?
उत्तर. रॉयल एनफील्ड ने अपने खराब समय में 1955 में भारत की मद्रास मोटर्स कंपनी से समझौता करके एनफील्ड ऑफ इंडिया कंपनी बनाया था। इस कंपनी में बुलेट मोटर साइकिल का निर्माण किया जाता था। रॉयल एनफील्डकंपनी अपने घाटे के चलते 1971 में दिवालिया होकर बंद हो गयी थी। जबकि एनफील्ड ऑफ इंडिया बुलेट मोटर साइकिल बनाती रही। जब एनफील्ड इंडिया ने मोटर साइकिल का नाम रॉयल एनफील्ड रखा तो इसकी ट्रेडमार्क कंपनी ने ऐतराज जाहिर करते हुए मुकदमा दर्ज कर दिया लेकिन कोर्ट से एनफील्ड ऑफ इंडिया के हक में फैसला हो गया।
प्रश्न. रॉयल एनफील्ड के बुलेट मोटर साइकिल के भारत में कितने मॉडल चल रहे हैं?
उत्तर. भारत में रॉयल एनफील्ड की बुलेट मोटर साइकिल के प्रमुख ब्रांड इस प्रकार हैं
1. कैफे रेसर
2. क्रूजर
3. रेट्रो
4. एडवेंचर टूर
5. रॉयल एनफील्ड स्क्रैम
6. बुलेट 350
7. रॉयल एनफील्ड हन्टर 350
8.रॉयल एनफील्ड शॉटगन
9. रॉयल एनफील्ड सुपर मीटोर 650
प्रश्न. रॉयल एनफील्ड की बुलेट मोटर साइकिल को बैंडिट क्वीन क्यों कहा जाता था?
उत्तर. बुलेट मोटर साइकिल अपने भारी बाइक होने के कारण और इसके दमदार फीचर्स की वजह से अन्य मोटरसाइकिल से अधिक खतरनाक मानी जाती है। लेकिन यही इसकी क्वालिटी इसे अन्य मोटरसाइकिल से अलग बनाती है। इसी वजह से लोग इसे अधिक पसंद करते हैं। 1950 में बुलेट के 700 सीसी वाले मॉडल ने दुनिया में अनेक रेस मुकाबले जीते तब इसे बैंडिट क्वीन कहा जाता था।