TDS kya hai और कैसे होती है कटौती ?

हमारी आमदनी के अलग-अलग तरीके होते हैं और हर व्यक्ति की आय भी अलग ही रहती है. आमदनी एक निश्चित सीमा से ज्यादा है तो पहले से तय किए गए नियम कानूनों के जरिए सरकार उसपर टैक्स रोपण करती है. सरकार ने जीवन यापन के अनुसार आमदनी की एक तय सीमा निर्धारित की है और अगर आप उससे ज्यादा कमाई कर रहे हैं तो आपको टैक्स के तौर पर अपनी आमदनी का एक हिस्सा है सरकार को देना पड़ता हैं.

टैक्स के बारे में लगभग सभी लोग जानते हैं लेकिन बात जब विस्तार से चीजों को लेकर सझने की आती है तो हम कहीं ना कहीं उलझ जाते हैं. कई बार हम इस बात को लेकर जरा चिंता में पड़ जाते हैं कि टैक्स कितने प्रकार का है और कितना टैक्स सरकार आपसे लेती है. इसके अलावा किस समय और कितनी आमदनी पर कितना टैक्स कटना चाहिए ये भी हमे समझने में परेशानी हो जाती है.

सरल शब्दों में समझें तो टैक्स दो तरह का होता है;

  • डायरेक्ट या प्रत्यक्ष कर
  • इनडायरेक्ट या अप्रत्यक्ष कर

इनके नाम में ही इनका अर्थ भी छुपा है. जैसा कि हम नाम से ही जान सकते हैं कि डायरेक्ट टैक्स का उदाहरण इनकम टैक्स है जो आपको अपनी आमदनी के अनुसार देना पड़ता हैं और वहीं टीडीएस एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है जो सीधा सरकार द्वारा काट लिया जाता है.. यह भी काफी ज़रूरी टैक्स है जो कर चोरी को बचाने के लिए सरकार का एक बहुत ही बेहतरीन कदम है.

TDS kya hai | टीडीएस क्या है?

टीडीएस को लेकर हमारे मन में कई सवाल होते हैं और हम परेशान तब होते हैं जब आपकी सैलरी का एक हिस्सा कट कर आपके अकाउंट में डाला जाता है. तो आइए जानते हैं टीडीएस है क्या ?

जैसा कि आपको बताया गया कि TDS है “स्त्रोत पर की गई टैक्स (कर) कटौती” . यह टैक्स आपकी आमदनी के हिसाब से कटता है. यहां पर अहम् बात ये है कि  आपको इनकम देने वाली कंपनी द्वारा ही इस टैक्स को काट लिया जाता है. हालांकि और भी बहुत से फैक्टर हैं जो इस टैक्स को प्रभावित करते हैं इसके लिए आपको अलग से किसी भी तरह की परेशानी उठाने या कागजी कार्यवाही करने की जरुरत नहीं पड़ती है.

उसके बाद कंपनी स्वयं ही ये पैसा सरकारी खाते में जमा करवा देती है. अगर हम थोड़ी लीगल भाषा में इसी समझने की कोशिश करें तो आमदनी देने वाली संस्था को यहां पेयर के नाम से जाना जाता है.

TDS टैक्स चोरी में कमी तो लाता ही है साथ ही साथ ये भरने के बाद आपको साल के अंत में साथ बहुत ज्यादा पैसा टैक्स के रूप में नहीं भरना पड़ता है.

TDS ke niyam | क्या है टीडीएस के नियम कानून

यह बात हम जानते हैं कि इनकम टैक्स रिटर्न देने के लिए हम कुछ नियमों का पालन करते हैं और उसी के अनुसार ये प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है. ये नियल लीगल होते हैं और इनका पालन करना बेहद ज़रूरी है. इसी तरह से टीडीएस के लिए भी रूल्स दिए गए हैं. अगर कोई भी व्यक्ति या कम्पनी इन नियमों का सही तरह से पालन नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है. इनका पालन करने वाले लोग ही दंड, फाइन या फिर इंटरेस्ट रेट को टाल सकते हैं.आईए जानते हैं  TDS से जुड़े कुछ अहम् नियम क्या हैं :

  • सबसे पहले आपको टैक्स स्लैब की जानकारी होना ज़रूरी है और अगर सोर्स पर कटा जाने वाला टैक्स भुगतान देय हो यानि कि जब असल राशि दी जाती है,  तो कटौती की जानी अनिवार्य  है. इसी टीडीएस का पहला और सबसे अहम नियम माना जाता है.
  • टीडीएस ना भरने पर आपको ब्याज चुकाना पड़ सकता है. टीडीएस डिडक्शन (कटौती) में अगर देरी की जाती है तो  कर कटौती ना होने तक हर महीने 1% की दर से इंटरेस्ट भरना पड़ता है.
  • प्रत्येक व्यक्ति को अगले माह की 7 तारीख तक सरकार के खाते में टैक्स जमा करना अनिवार्य है, चाहे वह नियोक्ता हो या कोई और.

आमदनी में से कितना टैक्स काटना है ज़रूरी?

  • किसी के भी द्वारा भुगतान करने के सबसे सामान्य तरीकों  में से एक है किसी भी काम करने वाले व्यक्ति को दी जाने वाली आमदनी. अगर हाल ही की बात करें तो आयकर के लिए दिए गए नियमों में TDS को लेकर की जाने वाली कटौती के लिए कोई एक या निश्चित दर निर्धारित नहीं की गई है.
  • टीडीएस किसी भी कर्मचारी की आमदनी के टैक्स के अंदर आ रहे स्लैब पर निर्भर करता है. और इसे लेकर नियोक्ता यानि कि एम्प्लायर एक औसत आधार पर टैक्स लाएबिलिटी आपको बताता है.
  • यहां पर हम औसत दर इसलिए लेते हैं क्योंकि कोई भी कंपनी पहले आपसे आपके द्वारा किए गए सभी तरह के इन्वेस्टमेंट्स के बारे में जानती है. और जब आप अपने द्वारा किए गया लीगल इन्वेस्टमेंट्स की पूरी जानकारी कंपनी को देते हैं तो उसके बाद ही वो आपका टीडीएस निर्धारित करते हैं.
  • इसमें आपको बहुत से आधार पर छुट भी दी जाती है और अगर अनुमानित आमदनी बेसिक एक्ज़ेम्प्शन आधारभूत छूट सीमा से अधिक ना हो तो सोर्स पर कोई कर कटौती नहीं की जाती है.

क्या है छूट के लिए दिए जाने वाले भत्ते:

आपको अपनी कंपनी के दवा कई तरह की सुविधाएं दी जाती है. यह सुविधाएं आपके काम के अनुसार अलग अलग हो सकती हैं. जैसे कि ट्रेवल के लिए पैसा या फिर इन्टरनेट के चार्ज आदि. इसके अलावा कई कंपनी अपने कर्मचारियों को फ़ूड कूपन आदि भी देती है.

यात्रा अवकाश छूट, हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) / गृह किराया भत्ता, कन्वेयेंस / परिवहन, यात्रा जैसे भत्ते निर्धारित सीमा के अनुसार छूट प्राप्त (एक्ज़ेम्प्टेड) माने जाते हैं। इसके साथ ही, जो भी सुविधाएं कर्मचारी को दी जाती हैं जो उसके इनकम का हिस्सा नहीं है उन्हें कर योग्य आमदनी से हटा दिया जाता है. सरल शब्दों में समझे तो इस तरह की सुविधाओं पर टैक्स नहीं कटता है. आप हुड भी टीडीएस कैलकुलेट कर रहे हैं तो इन्हें अलग करना ना भूलें.

क्या टीडीएस के अमाउंट में हो सकता है बदलाव ?

टीडीएस को लेकर एक और बड़ा सवाल रहता है कि क्या टीडीएस के अमाउंट में बदलाव हो सकता है. यानि कि क्या कोई तरीका है जिससे आप अपनी टीडीएस कटौती कम कर सके? तो इस सवाल का जवाब हैं हां! आमतौर पर आपकी कंपनी उसी आमदनी पर टैक्स लगाती है जितना टैक्स देने योग्य स्लैब के अंदर आता है.

क्योंकि इनकम टैक्स की एवरेज रेट (औसत दर) का कैल्कुलेशन कर्मचारी द्वारा की गई घोषणाओं या आगामी अवधि के लिए कर्मचारी के पूर्वानुमानित सैलरी के आधार पर किया जाता है, इसमें  बदलाव के कई कारण हो सकते हैं जैसे;

  • अगर आपको कंपनी की तरफ से किसी तरह का बोनस या इन्क्रीमेंट दिया गया है तो इससे आपकी कर में की जाने वाली कटौती बढ़ जाती है.
  • अगर आपने अपनी इन्वेस्टमेंट ज्यादा दिखाई है और साल के अंत में आप उसको लेकर इन्वेस्टमेंट प्रूफ दिखाने में असफल रहते हैं तो आपका टैक्स कटा जाएगा. यहां आपको यह जानना ज़रूरी है कि फाइनेंसियल ईयर के अंत में आपको अपनी इन्वेस्टमेंट को लेकर सभी तरह के प्रूफ जमा करने होंगे.
  • अगर आप नौकरी बदलते हैं तो इस केस में भी ये  बदल सकता है क्योंकि यह आपकी आय पर असर करता है.

TDS refund kya hota hai | क्या है टीडीएस रिफंड

टीडीएस रिफंड को लेकर लोगों के पास कई तरह की जानकारी होती है जिनमें से कुछ गलत भी होती है. जैसे कि सामान्यत लोगों को लगता है कि टीडीएस का रिफंड इनकम टैक्स रिफंड से अलग होता है जबकि ऐसा नहीं है. टीडीएस रिफंड के लिए आपको केवल कुछ जानकारी साझा करनी रहती है.  

टीडीएस रिफंड करने के लिए आपको अपना अकाउंट नंबर और आईएफएससी कोड जैसी जानकारी देनी ज़रूरी है. इन्हीं के अनुसार आपकी एक फाइल बनाई जाएगी जो जानकारी के अभाव में संभव नहीं है.

इन सब के बाद अगर ये पाया जाता है कि आपके द्वारा जमा किया गया टैक्स लीगल अमाउंट से ज्यादा है तो उतनी ही धनराशि आपको रिफंड कर दी जाती है.  

उचित टीडीएस कटौती सुनिश्चित करें

इन सब के साथ यह भी सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि आपका टीडीएस सही तरह से कटा जा रहा है या नहीं. हालांकि कंपनी इसका पूरा ध्यान रखती है लेकिन यह आपकी खुद की भी जिम्म्मेदारी है कि आपके साथ किसी तरह का धोखा ना किया जाए.

हर कंपनी टीडीएस कैलकुलेट करती है लें साथ ही आपको भी टीडीएस कैलकुलेट करने की जानकारी होनी चाहिए. इसके अलावा आप अपना टैक्स स्टेटस ऑनलाइन भी चेक कर सकते हैं.

एसएमएस अलर्ट से जुडें.

आयकर विभाग करदाताओं को एसएमएस भेजता रहा है जिसमें आपके कर के बारे में जानकारी दी जाती है. एसएमएस अलर्ट में आपको आय और टीडीएस के बारे में जानकारी दी जाती है .

इसलिए इस पर खास ध्यान दें ताकि आप अपने टीडीएस को लेकर अपडेट रहें.

इस तरह से आप अपनी टीडीएस कटौती के बारे में सही से जान सकते हैं और उसी के अनुसार अपनी इन्वेस्टमेंट्स कर सकते हैं.

यह भी पढ़े :

1) खुद का इनकम टैक्स बिजनेस कैसे शुरू करें ?
2) संपत्ति की बिक्री पर ऑनलाइन टीडीएस कैसे दाखिल करें?
3) नये इन्कम टैक्स ई-पोर्टल से करदाताओं को मिलने वाले फायदे
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