भारत से वस्तुओं के निर्यात करने के लिए सरकारी नियम व अन्य जानकारियां

कैसे शुरू करें निर्यात का व्यापार?

आयात निर्यात करना थोड़ा सा पेंचीदा काम है। इसके लिए व्यापारियों को सरकार द्वारा निर्धारित किये गये अनेक नियमों का सख्ती से पालन करते हुए अच्छा-खास मुनाफा कमाया जा सकता है। इसके अलावा आयात व निर्यात करने वाले के विश्व के कई देशों के लोगों से संबंध हो जाते हैं। इसका लाभ व्यापार के दौरान मिलता है। विदेशों से व्यापार करने में व्यापारी को काफी अच्छा मुनाफा मिलता है। भले ही लाख कंपटीशन हो फिर भी निर्यात का व्यापार करने वाले बिजनेस मैन की स्किल पर निर्भर करता है कि वह इंटरनेशनल मार्केट से कितना अधिक कमा सकता है।

विदेश व्यापार नीति के तहत तय होते हैं निर्यात के नियम

भारतीय विदेश व्यापार यानी आयात-निर्यात के लिए सरकार ने कई आवश्यक नियम बनाये हैं। इन सारे नियमों का पालन करके कोई भी व्यक्ति आयात-निर्यात करके अपनी आय बढ़ा सकता है। ये नियम संविधान में दी गयी विदेश व्यापार (विकास एवं विनियमन) एक्ट 1992 की धारा 5 के उल्लिखित भारतीय विदेश व्यापार नीति के तहत लागू किये गये हैं। वर्तमान समय में विदेश व्यापार नीति 2015-20 पहली अप्रैल 2015 से लागू है। हालांकि 2020 से 2025 की विदेश व्यापार नीति का 1 अप्रैल 2021 को जारी किया जाना था लेकिन कोविड-19 की महामारी के प्रकोप के चलते सरकार ने 2015-20 की विदेश व्यापार नीति को अगले छह माह के लिए बढ़ा दिया है। इस तरह से अब यह विदेश व्यापार नीति 30 सितम्बर 2021 तक लागू रहेगी। इसके बाद की परिस्थितियों को देखने के बाद सरकार इस बारे में अगला फैसला लेगी।

क्या है निर्यात का व्यापार ?

भारतीय नियमों के अनुसार भारत से सड़क परिवहन, जल परिवहन या वायु परिवहन यानी सड़क के रास्ते ट्रक आदि , समुद्र के रास्ते पानी के जहाज यानी शिप के रास्ते या  विमान अथवा हवाई जहाज के रास्ते कोई भी सामान दूसरे देश भेजने और उसके बदले उचित तरीके से पैसे का लेन देन करने के व्यापार को निर्यात व्यापार कहा गया है। इसके लिए अनेक नियम व शर्तें लागू कीं गयीं हैं।

कैसे शुरू करें निर्यात का व्यवसाय ?

एक्सपोर्ट यानी निर्यात का व्यवसाय अपने आप में बहुत बड़ा कॉन्सेप्ट है। निर्यात का व्यापार शुरू करने के  लिए एक्सपोर्टर को अनेक तैयारियां करने की आवश्यकता होती है। आइये जानते हैं कि कौन-कौन से कदम उठाने के साथ निर्यात का व्यापार शुरू कर सकते हैं, उनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:-

स्टेप 1. व्यापारिक संगठन बनायें

एक्सपोर्ट का बिजनेस शुरू करने के लिए व्यक्ति को एक व्यापारिक संगठन बनाना जरूरी होता है। यह संगठन सिंगल बिजनेसमैन प्रापर्टी वाला हो सकता है, पार्टनरशिप फर्म हो सकती है, या फिर कोई अच्छा सा नाम चुन कर कंपनी को विधिवत रूप से बनाया जा सकता है। इसके बाद ही आपका निर्यात व्यापार शुरू हो सकता है।

स्टेप 2.  इंटरनेशनल लेन-देन के लिए बैंक अकाउंट खोलना होगा

एक्सपोर्ट बिजनेस के लिए एक्सपोर्ट द्वारा दूसरे देशों को माल भेजने के बदले में पैसे लेने होते हैं। ये पैसे जिस देश को माल भेजा जाता है, उस देश में चलने वाली करेंसी में हो सकते हैं। आपको बैंक में ऐसा करंट अकाउंट खुलवाना होगा जिसमें विदेशी मुद्रा में भी लेन-देन किया जा सके।

स्टेप 3. पैन कार्ड बनवाना होगा

आजकल सभी लोग पैन कार्ड से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। कैसे बनवाया जाता है, यह भी अधिकांश लोगों को मालूम है। एक्सपोर्ट बिजनेस शुरू करने से पहले एक्सपोर्टर को भारत के इनकम टैक्स विभाग से पैन कार्ड बनवाना जरूरी होता है। पैन कार्ड बनवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।

स्टेप 4. आईईसी नंबर हासिल करना होगा

किसी भी तरह का विदेश व्यापार करने के लिए आईईसी यानी इम्पोर्टर-एक्सपोर्टर कोड नंबर हासिल करना जरूरी होता है। इसके बिना एक्सपोर्ट का काम नहीं किया जा सकता है। यह आईसी किस तरह से हासिल किया जा सकता है, जानिये

1. भारतीय विदेश व्यापार नीति के तहत भारत से निर्यात करने के लिए निर्यातक यानी एक्सपोर्टर को आईईसी लेना अतिआवश्यक है। विदेश नीति 2015-20 के पारा 2.05 में आईईसी प्राप्त करने की प्रक्रिया की पूरी जानकारी दी गयी है। जिसके पास पैन कार्ड होगा वही यह आईईसी हासिल कर सकता है।

2. आईसीसी को हासिल करने के लिए विभाग की वेबसाइट डीजीएफटीडॉटजीओवीडॉटआईएन पर ऑनलाइन आवेदन किया जाता है। इसके साथ 500 रुपये निर्धारित फीस भी देनी होती है। यह फीस आप नेट बैंकिंग, के्रडिट कार्ड, डेबिट कार्ड से दे सकते हैं। इसके अलावा विभाग द्वारा मांगी गयी सारी जानकारी देनी होती है। साथ ही आवश्यक डॉक्यूमेंट भी देने होते हैं। डॉक्यूमेंट के साथ आवेदन जमा किया जाता है। उसके बाद सरकारी कार्यवाही पूर्ण होने के पश्चात आपको आईईसी कोड नंबर मिल जाता है। इसके बाद आप निर्यात यानी एक्सपोर्ट करने के लिये अधिकृत हो जाते हैं।

स्टेप 5. आरसीएमसी सर्टिफिकेट लेना है जरूरी

एक्सपोर्ट का अधिकार मिल जाने के बाद निर्यातक को रजिस्ट्रेशन कम मेम्बरशिप सर्टिफिकेट (आरसीएमसी) लेना होता है। यह आरसीएमसी सर्टिफिकेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल/एफआईईओ/कमोडिटी बोर्ड्स/अथॉरिटी से लिया जा सकता है। इस सर्टिफिकेट से विदेश व्यापार नीति के तहत आयात-निर्यात से जुड़े लाभ व छूट आदि की सुविधा मिलती है। इसके अलावा किसी तरह की सेवाएं या मार्गदर्शन निर्यातक को चाहिये होते हैं वे भी उपलब्ध कराये जाते हैं।

स्टेप 6. प्रोडक्ट का चुनाव करें

भारत से निर्यात करने के लिए कुछ प्रोडक्ट बिलकुल फ्री होती है, कुछ प्रोडक्ट नियमों व शर्तों के साथ निर्यात किये जा सकते है, और कुछ प्रोडक्ट ऐसे हैं जो पूरी तरह से प्रतिबंधित होते हैं। उनका निर्यात किया ही नहीं जा सकता है। यदि कोई उन वस्तुओं का निर्यात करने का प्रयास भी करता है, या चोरी छिपे निर्यात करता है तो पकड़े जाने पर दंडित किया जा सकता है।

1. कुछ प्रोडक्ट ऐसे होते हैं जिनका निर्यात करने के लिए आईईसी के अलावा कोई अन्य लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे प्रोडक्ट में सूती कपड़ा, आर्गेनिक केमिकल्स, प्लास्टिक, मीट आदि।

2. कुछ ऐसी वस्तुएं होतीं हैं जिनके निर्यात पर आंशिक प्रतिबंध होता है। इसका मतलब यह होता है कि इन वस्तुओं को कोई भी निर्यातक निर्यात नहीं कर सकता है बल्कि वो लोग ही उसका निर्यात कर सकते हैं जिनके पास इस तरह की वस्तुओं का निर्यात करने के लिए आवश्यक विशेष लाइसेंस अथवा विशेषाधिकार होते हैं। इनमें आलू, सोयाबीन, धनिया बीज,  संगमरमर, कपास, बाजरा जौ, अदरक आदि।

3. कुछ ऐसी वस्तुएं भी हैं जिन्हें किसी भी दूसरे देश को किसी भी कीमत पर निर्यात नहीं किया जा सकता है। इन वस्तुओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू होता है। इनमें टाइगर यानी चीते की खाल, जंगली पक्षियों, शार्क, फिन के शरीर का कोई भी पार्ट, आदि अनेक प्रोडक्ट शामिल हैं।

इन सभी वस्तुओं की लिस्ट में से निर्यात के लिए अपनी पसंद की उन वस्तुओं का चुनाव करें, जिनके लिये आप अधिकृत हों।

स्टेप 7. मार्केट का चयन करें

एक्सपोर्ट करने के लिए निर्यातक को अब अपनी मार्केट का चयन करना चाहिये। एक्सपोर्टर को अपनी क्षमता के अनुसार ही मार्केट का चयन करना चाहिये। मार्केट का चयन करते समय उसका आकार, कम्प्टीशन, आवश्यक क्वालिटी, पेमेंट के तौर-तरीकों का काफी अच्छे से अध्ययन करना चाहिये। विदेश व्यापार नीति के तहत कुछ देशों से मिलने वाले निर्यात लाभ को देखते हुए ऐसे निर्यात बाजारों को भी परख सकते हैं। वैसे बाजार का चयन करने में आपको एक्सपोर्ट प्रमोशन एजेंसियां, विदेशी भारतीय मिशन, आपके मित्र व रिश्तेदार पूरी जानकारी उपलब्ध कराकर  मदद कर सकते हैं।

स्टेप 8. अब ग्राहक तलाशें

अब निर्यातक को चाहिये अपनी चुनी हुई मार्केट में अपने ग्राहक तलाशें, जिन्हें अपना माल भेजना होगा। अब आपके समक्ष यह सवाल  उत्पन्न होगा कि विदेश में जहां कोई जान-पहचान नहीं है वहां पर किस तरह से अपने ग्राहक तलाशें। इसके लिए आपको कुछ खास प्रयास करने होंगे, जैसे ट्रेड फेयर (व्यापार मेले) में भाग लेना होगा, बायर-सेलर मीट यानी खरीददार और विक्रेता सम्मेलन में भाग लेना चाहिये। बिजनेस टू बिजनेस पोर्टल, वेब ब्राउजिंग यानी वेबसाइट के माध्यम से ग्राहकों को खोजना होगा। इसके अलावा आप अपनी आकर्षक वेबसाइट बनवाएं, उसमें अपने प्रोडक्ट की तस्वीरें और प्रोडक्ट से जुड़ी खूबियों के बारे में जानकारी देने वाले अच्छे कैटलॉग डिजाइन करवा कर डालें। जिसमें प्रोडक्ट की कीमत, पेमेन्ट की शर्तें तथा अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी जानी चाहिये। इससे भी ग्राहक आपकी ओर आकर्षित हो सकता है।

स्टेप 9. सैम्पल भेजने की तैयारी करें

जब आपको ग्राहक मिलने लगें और उनसे व्यापार की बातचीत होने लगे तो आपको अपने प्रोडक्ट के सैम्पल भेजने चाहिये। क्योंकि विदेशी ग्राहकों की पसंद वाले सैम्पल भेजने से निर्यात के ऑर्डर मिलने में काफी मदद मिलती है। विदेश व्यापार नीति के अनुसार निर्यातक को नमूने भेजने पर किसी तरह का का कोई प्रतिबंध नहीं है। यह नमूने कितने होंगे उसकी कोई सीमा भी तय नहीं है।

स्टेप 10. कीमत कैसे तय करें

इंटरनेशन कंपटीशन को देखते हुए किसी प्रोडक्ट का मूल्य निर्धारण करना बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय होता है। मूल्य तय करते समय निर्यातक को अपने माल की बिक्री बढ़ाने और विदेशी ग्राहक को अपने प्रोडक्ट के प्रति आकर्षित करने के बारे में भी सोचना पड़ता है। लेकिन खुद को घाटा न हो इसके लिये बिजनेसमैन को चाहिये कि निर्यात की जाने वाली वस्तु की बिक्री की शर्तों, सैम्पल भेजने से माल डिलीवरी तक होने वाले सभी तरह के खर्चों को जोड़ कर ही मूल्य यानी कीमत तय करनी चाहिये। कंपटीटिव प्राइज पर अधिक से अधिक माल बेचने के आइडिया को लेकर एक मूल्य रणनीति बनानी चाहिये। इस रणनीति के तहत बिजनेसमैन को चाहिये कि वह अपने अधिकतम मुनाफे को ध्यान में रखते हुए एक्सपोर्ट किये जाने वाले प्रत्येक प्रोडक्ट के मूल्य निर्धारण के लिए कास्ट शीट यानी लागत वाली सूची बना लेनी चाहिये। इससे आपको मूल्य तय करने में काफी आसानी होगी और किसी तरह के घाटे का जोखिम भी नहीं होगा।

स्टेप 11. मोलभाव व सौदेबाजी करें

अपने प्रोडक्ट में विदेशी ग्राहकों की रुचि और भविष्य में व्यापार की संभावनाओं को देखते हुए प्रोडक्ट के मूल्य में मोलभाव या सौदेबाजी भी कर सकते हैं। यदि लगता है कि ये ग्राहक प्रोडक्ट खरीदने के बाद लम्बे समय तक खरीददारी करेगा तो उसे मामूली रियायत व छूट दी जा सकती है।

स्टेप 12. ईसीजीसी के माध्यम से रिस्क कवर करें

एक्सपोर्ट के बिजनेस में कभी-कभी ऐसा भी होता है कि प्रोडक्ट खरीदने वाले ग्राहक को आप बिना किसी एडवांस पेमेंट के माल भेज देते हैं और उसके बाद वह ग्राहक दिवालिया हो जाये तब आपका पैसा फंस सकता है। ऐसी स्थिति आने से पहले ही आपको चाहिये कि एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन लिमिटेड (ईसीजीसी) के माध्यम से इस तरह के जोखिम को कवर कर लें। एडवांस के बिना केवल क्रेडिट लेटर पर माल भेजने के बाद होने वाली किसी तरह की अप्रिय स्थिति से होने वाले प्रत्येक जोखिम जोखिम से बचाने में ईसीजीसी की पॉलिसी पूरी मदद करती है।

अब ऐसे शुरू करें विदेश से मिले ऑर्डर को एक्सपोर्ट करने की प्रक्रिया

एक्सपोर्टर को किसी विदेशी ग्राहक से उसके प्रोडक्ट का ऑर्डर मिल जाये तब, उसे क्या क्या करना चाहिये। प्रोडक्ट को ग्राहक के पास भेजने से पहले कुछ आवश्यक प्रक्रिया अपनानी चाहिये, जो इस प्रकार है:-

1. कैसे करें ऑर्डर को कन्फर्म : जब निर्यातक को विदेशी ग्राहक से ऑर्डर मिल जाये तो प्रोडक्ट के बारे में व्यापारिक शर्तों को अच्छी तरह से देखना होगा। आर्डर में उल्लिखित प्रोडक्ट की विशेषता, पेमेंट की कंडीशन, पैकिंग, डिलीवरी शेड्यूल आदि को बहुत ही अच्छे तरीके से देखभाल के बाद ही उस आर्डर को कन्फर्म करना चाहिये। विदेश में ग्राहक को माल भेजना एक तरह से निर्यातक और विदेशी ग्राहक के बीच एक तरह का औपचारिक अनुबंध शुरू हो जाता है।

2. माल की खरीद: जब ऑर्डर की पुष्टि हो जाये तो तत्काल उस प्रोडक्ट की खरीद या मैन्यूफैक्चरिंग करवायें। इस बात को अच्छी तरह से ध्यान रखना होगा कि बहुत ही जबर्दस्त कंपटीशन और अनेक प्रयासों के बाद प्रोडक्ट का आर्डर मिला है। इसमें किसी तरह की कोई कमी न रह जाये । ग्राहक की सभी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रोडक्ट को पूरी तरह से परफेक्ट तैयार कराना चाहिये। यदि आपकी सर्विस अच्छी होगी और काम करने तरीका अच्छा होगा तो आपका विदेशी ग्राहक खुश होगा। भविष्य में भी आपसे ही माल खरीदना चाहेगा।

3. क्वालिटी कंट्रोल: आज का जमाना बहुत ही जबर्दस्त कंपटीशन का जमाना है। इसके लिये यह बहुत ही आवश्यक है कि आपके निर्यात किये जाने वाले प्रोडक्ट की क्वालिटी पर विशेष ध्यान रखें। फूड एण्ड एग्रीकल्चर, मत्स्य उद्योग, कुछ केमिकल ऐसे प्रोडक्ट होते हैं जिनको शिपिंग यानी भेजने से पहले बहुत अच्छी तरह से चेक किया जाना चाहिये, ताकि किसी तरह की क्वालिटी में कमी न रह जाये। क्योंकि विदेशी ग्राहक भी अपनी ओर से क्वालिटी परखने के इंतजाम कर सकता है। वह इसके लिए किसी स्पेशलिस्ट कंपनी को भी हायर कर सकता है। इसलिये बिजनेस के भविष्य को देखते हुए अच्छी क्वालिटी की सख्त आवश्यकता होती है।

4. फाइनेंस की सुविधा प्राप्त करें: निर्यातक को चाहिये कि उसे अपने प्रोडक्ट को एक्सपोर्ट करने के लिए यदि फाइनेंस की जरूरत हो तो वो किसी भी कॉमर्शियल बैंक से छुट वाली ब्याज दरों पर लोन ले सकता है। इससे उसको अपने माल को विदेश भेजने में काफी सहूलियत होगी।

5. पैकिंग व लेबलिंग करायें: अब आप अपने प्रोडक्ट की अच्छी पैकिंग और लेबलिंग करायें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आपका ग्राहक किस तरह की पैकिंग व लेबलिंग, मार्किंग आदि पसंद करता है। अच्छी पैकिंग करने से ग्राहक खुश होता है। इसमें आपको इस बात का विशेष ध्यान देना है कि प्रोडक्ट की पैकिंग पर पता, पैकेज नंबर , बंदरगाह या हवाई अड्डा, ग्राहक का पता, वजन और लोड-अनलोड के निर्देश वगैरह अच्छी तरह से दर्ज होने चाहिये।

6. बीमा करायें: अपने प्रोडक्ट को विदेश भेजने से पहले उसके खराब होने या गायब हो जाने, चोरी हो जाने तथा उसके प्रोडक्ट के अन्य तरह के जोखिम को कवर करने के लिए बीमा करायें। इससे आप हमेशा टेंशन फ्री रह कर अपना एक्सपोर्ट का बिजनेस कर सकते हैं।

7. डिलीवरी यानी माल को पहुंचायें : आप यह प्रयास करें कि आपका प्रोडक्ट ग्राहक तक सही समय पर पहुंच जाये। यह भी निश्चित करें कि आपकी डिलीवरी में किसी तरह की बाधा उत्पन्न न हो।

8. डॉक्यूमेंट तैयार रखें: निर्यात बिजनेस के लिये जरूरी दस्तावेज तैयार रखें। इन दस्तावेजों में शिप की लोडिंग का बिल-एयरवे बिल,कॉमर्शियल चालान, पैकिंग लिस्ट, शिपिंग बिल/ एक्सपोर्ट बिल  आदि शामिल हैं। इसके अलावा अन्य दस्तावेजों में मूल निवास प्रमाण पत्र, निरीक्षण प्रमाण पत्र आदि को भी तैयार रखना होगा।

9. भुगतान के लिए बैंक में दस्तावेज पेश करें: प्रोडक्ट को डिलीवरी के लिए भेज देने के 21 दिन के भीतर ही विदेशी बैंक के समक्ष आवश्यक दस्तावेज भुगतान के लिए प्रस्तुत किये जाने चाहिये। इन दस्तावेजों में बिल ऑफ एक्सचेंज, लेटर ऑफ क्रेडिट, चालान, पैकिंग लिस्ट, एयरवे बिल या बिल ऑफ लैडिंग, डिक्लेयरेशन अंडर फॉरेन एक्सचेंज, मूल निवास प्रमाण पत्र, मांगे जाने पर निरीक्षण प्रमाण पत्र आदि शामिल हैं।

10. प्राप्ति की प्रक्रिया : विदेश व्यापार नीति के तहत सभी निर्यात अनुबंधों से मिलने वाली सभी तरह की विदेशी मुद्राओं को स्वीकार किया जायेगा। इसमें केवल ईरान की मुद्रा के साथ ऐसी व्यवस्था नहीं है,उनसे भारतीय मुद्रा में ही व्यापार किया जा सकता है। प्रोडक्ट के बदले मिलने वाली धनराशि की प्राप्ति की प्रक्रिया को नौ महीने में पूरा कर लिया जाना चाहिये।

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