जीएसटी: कितने प्रकार के होते हैं जीएसटी और इनसे जुड़ी जानकारी
GST और इसके प्रकार
जीएसटी लागू होने के बाद अब जब ग्राहक कोई वस्तु लेता है तो उसके बिल में एसजीएसटी, सीजीएसटी की पूरी डिटेल होती है जिससे ग्राहक भ्रमित हो रहे हैं की केवल एक जीएसटी जब लागू हो गयी है तो इसमें इतने टैक्स क्यों ? और ऐसे में ये सवाल उठना की आखिर जीएसटी कितने प्रकार के होते हैं लाजमी है। आइये बात करते हैं जीएसटी के प्रकारों की और वह कैसे किसी माल और उसकी सेवा पर लगता हैं लेकिन उसके पहले हमे यह जानना जरूरी है की जीएसटी है क्या?
जीएसटी का मतलब इसके नाम से ही निकल रहा है जैसा की आप समझ सकते हैं की यह गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) है। यह देश की कर व्यवस्था को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका में है। इससे उत्पादों की लागत में कमी आ रही है साथ ही पूरे देश का बाजार एक आम बाजार हो गया है जहाँ व्यवसायी एक ही कर पर पूरे देश में कहीं भी अपना व्यापर कर सकता है और उसको भली भांति बढ़ा भी सकता है। उसके लिए उसको अलग अलग दस्तावेज़ों की जरुरत नहीं होगी कर भुगतान के लिए।
यह वैट, सीएसटी, सेवा कर, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, उत्पाद शुल्क, मनोरंजन और लक्जरी कर इत्यादि कई करों को एकीकृत कर वास्तु और सेवाओं में लगने वाले लागत और प्रयास को समाप्त करने में मदद की है। यूँ तो जीएसटी की शुरुआत करने की पहल बहुत समय से हो रही थी पर इसका अनुपालन जुलाई 2017 से हुआ जब सदन में मार्च 2017 को इसका बिल पूर्ण सहमति से पास हुआ। इसके लागू होने के बाद कई बार इसमें संसोधन भी करना पड़ा क्योंकि किसी भी नयी सेवा को लाने में और उसे लागू करने में समस्या तो आती ही है।
जीएसटी ने केंद्रीय और राज्य सरकार को माल और सेवा की खपत पर कर लगाने का अधिकार दिया जिससे बाकि के अन्य 17 कर जो अप्रत्यक्ष रूप से लगते थे उनका समायोजन कर केवल एक कर दिया गया। अन्य करों का जिक्र हमने ऊपर वाले पैराग्राफ में भी किया है आप देख सकते है की पहले कैसे बहुत ज्यादा कर होने के कारण उत्पादों पर लागत ज्यादा आती थी। सरकार और जीएसटी परिषद् ने देश की संघीय प्रकृति को देखते हुए कनाडा में सफलतापूर्वक लागू किये गए "दोहरे जीएसटी मॉडल" को अपनाया है।
देश में सरकार जिस तेजी से आर्थिक क्षेत्रों में सुधार को प्रमुखता दे रही है वह अन्य दशकों से काफी ज्यादा है और इस गति से भारत 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ा तीसरा अर्थव्यवस्था बन सकता है। सरकार सभी बड़ी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील है। और इन सब में महत्वपूर्ण है जीएसटी का होना।
आइये जानते हैं जीएसटी कितने प्रकार की होती है :
- सीजीएसटी CGST (केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर ) : इसके द्वारा वसूला गया कर केंद्र को जायेगा।
- एसजीएसटी SGST ( राज्य वस्तु एवं सेवा कर ) : इसके द्वारा वसूला गया कर राज्य को जायेगा।
- आईजीएसटी IGST ( एकीकृत वास्तु एवं सेवा कर ) : यह कर केंद्र द्वारा वसूला जायेगा पर यह केवल एक राज्य से दुसरे राज्य में माल या सेवाएँ भेजने पर ही लगेगा, या फिर विदेशों से व्यापार करने पर।
- यूटीजीएसटी UTGST ( यूनियन टेरिटरी वस्तु एवं सेवा कर ) : यह टैक्स देश के 7 केंद्र शासित राज्यों में लागू है।
जीएसटी माल और सेवा पर लिया गया कर (टैक्स) है। इस उदाहरण से हम समझते हैं की सभी जीएसटी के बारे में कहाँ कितना कर लगता है:
कोई व्यापारी केवल एक ही राज्य में व्यापर करता है तो उस पर राज्य के अंतर्गत होने वाले व्यापारों के लिए सीजीएसटी (CGST) और एसजीएसटी (SGST) कर लगाया जाता है।
कोई व्यापारी राज्य के बहार की कंपनियों के साथ व्यापर करता है तो उस पर आयजीएसटी (IGST) लगाया जाता है।
उदहारण : पटना (बिहार) की एक कंपनी दरभंगा के एक ग्राहक को माल बेचती है ऐसे में बेचे गए माल और सेवा पर सीजीएसटी और एसजीएसटी लगाया जायेंगा।
अब मान लीजिये की पटना बिहार से इंदौर मध्य प्रदेश में माल बेचा जा रहा है ऐसे व्यापर में आयजीएसटी लगाया जायेगा।
कितना प्रतिशत : मान लीजिये किसी माल पर 5 % जीएसटी है तो
राज्य के अंतर्गत व्यापर पर :
सीजीएसटी 2.5 %
एसजीएसटी 2.5 % होगी वहीँ
दो राज्यों के बीच के व्यापर पर :
आयजीएसटी : 5 % होगा।
1. केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST)
सीजीएसटी (CGST) क्या है?
माल एवं सेवा कर अधिनियम के 2016 के अनुसार यह जीएसटी का हिस्सा है जो केंद्रीय कर का राजस्वा लेता है। जिसमे केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर, केंद्रीय बिक्री, शौचालय निर्माण, कर, चिकित्सा के तहत उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी एवं अन्य केंद्रीकृत कर शामिल हैं।
केंद्रीय माल एवं सेवा कर, वस्तुओं की सेवाओं की खपत पर लगाया जाता है। जिसे केंद्र सरकार एवं जीएसटी परिषद समय - समय पर संसोधित करती रहती है। सीजीएसटी के तहत इनपुट कर क्रेडिट राज्य सरकार को देती है एवं एकत्रित राजस्व केंद्र सरकार रखती है। इनपुट टैक्स क्रेडिट का उपयोग केवल सीजीएसटी के भुगतान के खिलाफ कर सकते हैं और किसी के लिए नहीं।
2. राज्य माल और सेवा कर (SGST)
एसजीएसटी (SGST) क्या है?
राज्य वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी (GST) का एक मुख्या हिस्सा है। जो की 2016 अधिनियम के अनुसार राज्य प्राधिकरण के तहत राज्य कर का राजस्वा लेता है। जिसमे एंट्री टैक्स, लक्जरी टैक्स, लेवीज़ ऑन लॉटरी, राज्य बिक्री कर, ऑक्ट्रोई, मनोरंजन कर व अन्य कर शामिल हैं।
राज्य राशि निकाय की निगरानी व संसोधन केंद्र सरकार द्वारा ही की जाती है और इस कर का राजस्व राज्य सरकार को जाता है। इस कर को एकत्र करने के लिए राज्यों ने खुद का राज्य प्राधिकरण बनाया हुआ है।
3. एकीकृत माल और सेवा कर (IGST)
आइजीएसटी (IGST) क्या है?
जीएसटी का एकीकरण एक राष्ट्र की अवधारणा पर केंद्रित है। मतलब "एक बाजार एक कर"। जब एक राज्य से दूसरे राज्य में माल और सेवाओं की आपूर्ति की जाती है तब यह एकीकृत माल और सेवा कर (IGST) लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के बीच वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति करते है, तो IGST लागू होता है।
संविधान के अनुच्छेद 269 ए के तहत अंतर-राज्य व्यापार और वाणिज्य गति विधि जिसमे माल और सेवा की आवाजाही की जा रही है उस पर एकीकृत माल और सेवा कर (IGST) लगाया जायेगा ऐसा प्रावधान है। इसमें अगर कोई बदलाव होता है तो वह केवल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स काउंसिल ऑफ इंडिया ही कर सकती है।
4. केंद्र शासित प्रदेश वस्तु और सेवा कर (UTGST)
केंद्र शासित प्रदेश कर (UTGST) क्या है?
अब जब हमने CGST और SGST के बारे में जान लिया है तो बात करते है UTGST की। जीएसटी अधिनियम 2016 के अनुसार केंद्रशासित प्रदेशों को एक विशेष कराधान के तहत कर लगाया जाता है जिसमे केंद्र शासित प्रदेश एक सामान कर के साथ विभिन्न कराधान, लेवी और कर्तव्यों का निर्वाह करता है।
भारत की राजधानी दिल्ली, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप और पांडुचेरी इन केंद्र शासित प्रदेश में यूटीजीएसटी लागू है। अगर इन प्रदेशों में जीएसटी के के अधिनियम में बदलाव लाना होगा तो उसके लिए भारत सरकार और जीएसटी परिषद् को संसद में बिल पास करना होगा वह सीधे-सीधे इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
जीएसटी का CGST, SGST और IGST में विभाजन क्यों?
भारत एक संघीय देश होने के कारण केंद्र और राज्य दोनों के पास ही संविधान के अनुसार अलग -अलग जिम्मेदारियां है जिसके लिए इन्हे राजस्व की जरुरत होती है इसलिए कर वसूलने के लिए दोनों को ही अधिकार है। पहले अलग अलग कर लेने में काफी माथापच्ची होती थी जिसके लिए “एक राष्ट्र, एक कर” सुनिश्चित हुआ। कर वसूलना कठिन न हो इसलिए जीएसटी परिषद के अनुसार ही वस्तु एवं सेवा कर को तीन भागो में विभाजित किया है। जिससे सरकार को राजस्व आसानी से प्राप्त हो सके। कर वसूलने के बाद बराबर रूप में केंद्र व राज्य सरकार आपस में बाँट लेती है। इससे राजस्व भी बढ़ता है और आम नागरिकों को अलग अलग टैक्स नहीं भरना पड़ता।
जीएसटी के प्रकार से क्या निर्धारित होता है?
जीएसटी के प्रकार (CGST, SGST, IGST और UTGST) यह निर्धारित करता है कि लेन-देन एक राज्यान्तरिक आपूर्ति है या अंतरराज्यीय आपूर्ति।
वस्तुओं और सेवाओं की राजकीय आपूर्ति - जब आपूर्तिकर्ता का स्थान और आपूर्ति का स्थान एक ही जगह में होता है। इस लेनदेन में, विक्रेता को खरीदार से CGST और SGST दोनों एकत्र करते है। जिसमे CGST केंद्र सरकार के पास एवं SGST राज्य सरकार के पास जमा हो जाता है।
वस्तुओं और सेवाओं की अंतर-राज्य आपूर्ति - जब आपूर्तिकर्ता का स्थान और आपूर्ति का स्थान विभिन्न राज्यों में होता है। इस प्रकार के व्यापर में विक्रेता को खरीदार से IGST ली जाती है।
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