क्या पेपर कप और पेपर प्लेट बिजनेस मुनाफेवाला है?

कभी होटलों, रेस्टोरेंटों, छोटे होटलों व चाय की दुकानों में मिट्टी के कुल्हड़ व पेड़ों के पत्तों के दोने ही चाय-नाश्ते के काम में आते थे। धीरे-धीरे महंगाई बढ़ने के साथ ही चाय-नाश्ते में इस्तेमाल किये जाने वाले ये दोनों ही सामान बिजनेसमैन को काफी महंगे साबित होने लगे क्योंकि ये दोनों सामान यूज एण्ड थ्रो वाले थे। इससे बिजनेसमैन ने तौबा कर ली। इसके बाद इसका विकल्प बनकर  कांच के ग्लास व चीनी मिट्टी के कप और प्लेट सामने आ गये। इनको बार-बार धोकर इस्तेमाल किया जाने लगा। लेकिन इस्तेमाल के दौरान कांच के ग्लास और चीनी मिट्टी की कप, प्लेटें काफी नाजुक होने के कारण रोजाना टूट-फूट जातीं थीं। इसके अलावा साफ सफाई यानी हाईजैनिक पसंद लोगों द्वारा इन कांच के ग्लासों व चीनी मिट्टी केकप और प्लेट में चाय-नाश्ता करने में अरुचि दिखाई जाने लगी। साथ ही एक कर्मचारी को इस ग्लास, कप-प्लेट को धोने में लगाना होता था, जिसकी सैलरी भी देनी होती थी, जो बिजनेसमैन को धीरे-धीरे अखरने लगी। कांच के ग्लास व कप प्लेट की टूट-फूट भी चाय नाश्ता करने वाले व्यापारियों को महंगी पड़ने लगी। इन सब कारणों से से चाय-नाश्ता उद्योग से जुड़े व्यवसायियों पर एक तरह से अजीबोगरीब संकट आ गया। सभी लोग इसका कोई अच्छा विकल्प तलाशने लगे। तभी प्लास्टिक के कप व ग्लास मार्केट में आ गये। ये ऐसे प्रोडक्ट थे जो पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे थे। इन प्लास्टिक के कप प्लेटों का पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा सख्त विरोध होने लगा। उस समय एक और नया संकट सामने आ गया। कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है। जब इस ब्रेकफास्ट इंडस्ट्री में आया यह संकट उस समय दूर हो गया जब ये पेपर कप और पेपर प्लेट आ गया। इससे इस बिजनेस से जुड़े व्यवसायियों को काफी लाभ हुआ।

पूरी दुनिया ने पेपर कप, प्लेट व ग्लास को हाथोंहाथ लिया

पेपर कप प्लेट सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में तेजी से प्रचलन में आते जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि इनका पर्यावरण के अनुकूल होना है। इससे प्रकृति को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। इन पेपर कप-प्लेट को उपयोग में लाने से खाद्य पदार्थ पूरी तरह से सुरक्षित रहते हैं, इनके इस्तेमाल से किसी तरह का खाद्य प्रदूषण फैलने की आशंका नहीं रहती है। मौजूदा समय में भारत में तो लगभग सभी औद्योगिक संस्थानों में कर्मचारियों को और आने वाले आगंतुकों को चाय, काफी, सूप, कोल्ड ड्रिंक आदि पेय पदार्थ की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा कई आईटी व बीपीओ कंपनियां अपने कर्मचारियों को खाने-पीने का प्रबंध करतीं हैं। साथ ही शादी-पार्टी, या छोटे-मोटे सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रमों में भी इन्हीं पेपर कप प्लेट का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही सभी प्रकार की कैंटीनों, चाय की दुकानों, फास्ट फूड की दुकानों, बेकरी प्रोडक्ट की दुकानों, में भी पेपर कप प्लेट आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इससे इसका बिजनेस करने का बहुत अच्छा स्कोप है। साथ ही इस बिजनेस में काफी फायदा है, बस इसमें नयी तरह से कुछ करने की आवश्यकता है।

क्यों लोकप्रिय हो गये पेपर कप और पेपर प्लेट

ब्रेक फास्ट इंडस्ट्री के काम आने वाले ये पेपर कप और पेपर प्लेट इतनी जल्दी इतने अधिक लोकप्रिय हो गये हैं कि आज इनके बिना इस इंडस्ट्री की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। इसके कई प्रमुख कारण हैं। ये पेपर कप, पेपर ग्लास और पेपर प्लेट की सभी जगह बहुत भारी डिमांड है। 45 एमएल के छोटे कप से लेकर 200 एमएल तक के ग्लास बनने लगे हैं। यही नहीं पेपर प्लेट अनेक तरह की इस्तेमाल की जा रहीं हैं। ये प्लेटें सड़क के किनारे लगाने वाले छोटे खोमचे से लेकर बीकानेर व हल्दीराम के रेस्टोरेंट में इस्तेमाल की जातीं हैं। इन पेपर कप, पेपर प्लेट और पेपर ग्लास के इस्तेमाल किये जाने की कुछ खास बातें इस प्रकार हैं:-

  1. छोटे व बड़े सभी साइजों में उपलब्ध
  2. हल्के व भारी कागजों में उपलब्ध
  3. पेपर कप व पेपर प्लेट को लाने-लेजाने में काफी सुविधा जनक
  4. वजन में हल्के होने के कारण कहीं भी आसानी से ले जाये जा सकते हैं
  5. इन पेपर कप व पेपर प्लेट को रखने के लिए विशेष जगह नहीं चाहिये
  6. धोने-धुलाने का झंझट खत्म
  7. पर्यावरण अनुकूल होने के कारण इनकी डिमांड ज्यादा
  8. बिजनेस मैन के बर्तन धोने वाले कर्मचारी का खर्चा बचा
  9. भारी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिला
  10. गरम व ठंडे पेय पदार्थों में किये जाते हैं इस्तेमाल

बिजनेस शुरू करने से पहले क्या किया जाये

जैसा सर्कस में बहुत ऊंचे मंच से नीचे पानी में छलांग कर हैरतंगेज करतब दिखाने वाला गोताखोर कूदने से पहले अपने हाथ में लिये कुछ कागज को फाड़कर पहले हवा में उड़ाता है। आप जानते हैं कि वो क्या करता है, वो हवा का रुख जानता है, उसके हिसाब से अपने आपको कंट्रोल करके फिर छलांग लगाता है तो वो कामयाब होता है। उसी प्रकार से आप चाहे जो बिजनेस शुरू करने जा रहे हों उसकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करेंगे तो आपका बिजनेस कामयाब होगा वरना आप गच्चा भी खा सकते हैं। इसलिये पेपर कप, पेपर प्लेट तथा पेपर ग्लास का बिजनेस शुरू करने से पहले रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट का काम करें।

सबसे पहले करें एरिया का सर्वे

आपको जिस एरिया में पेपर कप और पेपर प्लेट का बिजनेस शुरू करना है उस बिजनेस एरिया का सर्वे करें और पता करें कि वहां पर  होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे,कॉलेज, स्कूल, कैन्टीन, कोचिंग इंस्टीट्यूट, चाय की दुकान, नाश्ते की दुकानें, ठेले कितने हैं  व खोमचे पर नाश्ते का व्यवसाय करने वाले कितने लोग उस क्षेत्र में हैं। इसके साथ इस एरिया में पेपर कप व पेपर प्लेट बेचने वाली कितनी दुकानें हैं। क्या वहां कोई होलसेल व्यापारी भी है या नहीं। इसके अलावा आसपास के एरिया में कोई पेपर कप, पेपर प्लेट व पेपर ग्लास का मैन्यूफैक्चरर है या नहीं।

आपके टारगेटेड बिजनेस एरिया में किस तरह के पेपर कप, पेपर प्लेट, पेपर ग्लास आदि बिकते हैं। उनका भी हिसाब-किताब लगाना जरूरी है। ऐसा तो नहीं वहां पर केवल चाय व चाट की दुकानों के अलावा कोल्ड ड्रिंक, लस्सी आदि की दुकाने नहीं हैं। ऐसी जगहों पर केवल चाय वाले कप और चाट वाली प्लेटें ही बिक सकेंगी।

इसके अलावा दूसरे ऐसे भी एरिया हो सकते हैं जहां पर कॉफी, दूध, शरबत, शिकंजी, लस्सी, जूस,कोल्ड ड्रिंक आदि अधिक बिकते हैं और वहां पर हाइजैनिक पसंद वाले होटलों की संख्या अधिक है तो वहां पर उस तरह के पेपर ग्लास व प्लेट अधिक बिकेंगी।

कहने का मतलब यह है कि आपको सर्वे करके इस बात का निष्कर्ष निकालना होगा कि टारगेटेड एरिया में किस तरह के ग्राहक मिलने वाले हैं और उनकी क्या डिमांड हो सकती है। इन सब बातों पर अच्छी तरह से सोच कर आपको  अपने बिजनेस की जमीन आपको तैयार करनी होगी।

प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करें

अब आपको यह बिजनेस किस लेबल से शुरू करना है, उसकी एक खूबसूरत और अच्छी प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करें। जो आपके बिजनेस चलाने में सहायक हो। यदि आप होलसेल से माल लेकर फुटकर दुकानदारों को बेचना चाहें तो उस हिसाब से प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करें। यदि आपको पेपर कप, पेपर प्लेट या पेपर ग्लास को मैन्युफैक्चर करके बिजनेस शुरू करना हो तो उस तरह की प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनायें।

इस तरह से बनाना होगा बिजनेस प्लान

यदि होलसेलर से माल लेकर रिटेलर्स को बेचना है तो यह बिजनेस आसान है लेकिन इसमें कंपटीशन अधिक होने के कारण काफी उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा। इस तरह के बिजनेस में पूंजी कम लगानी होगी लेकिन माल बेचने की कला आनी चाहिये। इस तरह का बिजनेस शुरू करने के लिए आपको एक गोदाम, कुछ कर्मचारी, ट्रांसपोर्टेशन आदि को अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट में शामिल करना होगा।

यदि आपको मैन्यूफैक्चर करना है यानी आपको पेपर कप और पेपर प्लेट का निर्माण भी करना है और उसे बेचना भी है तो आपको उस तरह की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इस तरह की प्रोजेक्ट रिपोर्ट में आपको पहले कारखाना यानी फैक्ट्री शुरू करने के लिए अच्छी खासी जमीन चाहिये। फिर मशीनों की व्यवस्था करनी होगी। मशीनों को चलाने के लिए थ्री फेस की बिजली यानी पॉवर चाहिये। फैक्ट्री लगाने की जगह इंडस्ट्रियल एरिया में होना चाहिये जिससे वहां आने-जाने के साधन आसानी से आ जा सकें। इसके अलावा फैक्ट्री वाली जमीन पर बिजली व पानी की भी सुविधा मिल सके। इसके बाद मशीनों को लगाना होगा, मशीनों को चलाने के लिए कुशल और सहायता के लिए अकुशल कर्मचारियों की भी जरूरत होगी। उसके बाद कच्चा माल, मार्केर्टिंग टीम आदि के खर्चों को अपने प्रोजेक्ट में शामिल करें।

कुल कितनी लागत आयेगी

पेपर कप और पेपर प्लेट का बिजनेस शुरू करने के लिए कितनी लागत आयेगी, यह बिजनेस मैन के बिजनेस प्लान पर निर्भर करता है। क्योंकि यह बिजनेस दो तरीके से किया जा सकता है। इसमें पहली तरह से तो होलसेलर्स के माल लेकर रिटेलर को सप्लाई करके बिजनेस किया जा सकता है और दूसरी तरह से स्वयं का प्लांट लगाकर बिजनेस किया जा सकता है।

1. यदि वह होलसेलर्स से माल लेकर रिटेलर्स को बेचना चाहता है तो उसे इस काम के लिए माल स्टोर करने और उसके सैम्पल दिखाने के लिए एक दुकान व एक स्टोर की जरूरत होगी। बिजनेस चलाने के लिए कम से कम दो सहायकों की आवश्यकता होगी। इसके अलावा माल लाने व आर्डर पर सप्लाई करने के लिए एक वाहन की भी आवश्यकता होगी। इस तरह का बिजनेस शुरू करने के लिए कोई फिक्स लागत नहीं बताई जा सकती है लेकिन जानकार लोगों का मानना है कि इस तरह का बिजनेस करने वालों को 3 से 5 लाख रुपये तक खर्च करने होंगे।

2. यदि अपना प्लांट लगाकर यह बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो यह काम पहले वाले काम से काफी बड़ा है। इसमें पूंजी भी काफी अधिक लगेगी। इसके लिए आपको फैक्ट्री लगाने के लिए बड़ी जगह चाहिये। आप अपने कारखाने में आटोमेटिक फैक्ट्री लगाने की प्लानिंग बना रहे हैं या सेमी आटो मशीन लगाने की योजना बना रहे हैं। सेमी आटो मशीनों में कई मशीनें लगानी होती हैं और इनकी कीमत 3-4 लाख रुपये आती है जबकि फुल आटोमेटिक मशीन 5 से 10 लाख रुपये में आयेगी। इसके अलावा कुशल-अकुशल कर्मचारियों की तनख्वाह, बिजली-पानी का खर्च, वाहन व फोन का खर्च, मार्केटिंग आदि के खर्च मिलाकर इस तरह के बिजनेस में कम से कम 20 से 25 लाख रुपये की लागत आयेगी।

कौन-कौन से लाइसेंसों की जरूरत होगी

यदि व्यवसायी होलसेलर्स से माल लेकर रिटेलर्स को बेचना चाहेगा तो उसके लिए बिजनेसमैन को सबसे पहले अपनी फर्म का नाम रजिस्टर्ड कराना होगा। उसके बाद उसका जीएसटी नंबर लेना होगा। यदि रिहायशी इलाके में बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो आपको लोकल अथॉरिटी से बिजनेस की परमीशन लेनी होगी।

यदि पूरा प्लांट लगाकर बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो उसके लिए सबसे पहले इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री या प्लाट लेने के लिए उद्योग विभाग में अपनी फर्म का नाम रजिस्टर्ड कराना होगा। उसके बाद फैक्ट्री में बिजली कनेक्शन के लिए बिजली विभाग में फर्म के नाम से सस्ती बिजली के लिए आवेदन करना होगा, जो उद्योग विभाग की सिफारिश से बिजली मिलेगी। इसके अलावा कर्मचारी आदि रखने होंगे तो श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन करना होगा। ईएसआई व ईपीएफ विभागों में भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा। पर्यावरण विभाग से भी परमीशन लेनी होगी। यदि आप अपने प्रोडक्ट में अपनी फर्म का नाम छापते हैं तो उसके लिए आपको ट्रेडमार्क से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। लघु उद्यमी के लिए उद्योग आधार कार्ड और पैन कार्ड की औपचारिकताएं भी पूरी करनी होंगी।

मुनाफा कितना मिलता है

गांवों में मुनाफा अधिक लेकिन बिक्री कम

इस बिजनेस में मुनाफा भी बिजनेस करने के तरीके पर निर्भर करता है। इसके अलावा यह बिजनेस कहां किया जा रहा है, जैसे गांव, शहर, कस्बे व नगर व महानगर आदि। इस बिजनेस की खास बात यह है कि महानगर और नगरों में तो बहुत अधिक कंपटीशन है। गांवों व कस्बों की बात करें तो वहां पर इस बिजनेस में कंपटीशन उतना नहीं है जितना शहरों व महानगरों में होता है। इसके अलावा पेपर कप व पेपर प्लेट के प्लांट भी शहरों व महानगरों में अधिक होते हैं। इसलिये वहां पर होलसेलर्स भी अधिक होते हैं। जबकि गांवों, कस्बों में इस तरह के होलसेलर्स एकाध ही मिलते हैं। वहां पर रिटेलर्स ही अधिकांश होलसेलर्स की भूमिका अदा करते हैं। शहरों व नगरों व महानगरों मे होलसेलर्स से माल लेकर रिटेलर्स को बेचने में 10 परसेंट तक का मुनाफा मिल जाता है जबकि गांवों में यही मुनाफा 15 से 20 परसेंट तक हो जाता है। अंतर इतना होता है कि शहरों में माल बिकने की मात्रा अधिक होती है जबकि गांवों में बिकने वाली माल की क्वांटिटी काफी कम होती है।

मैन्युफैक्चरर्स को क्यों होता है कम मुनाफा

दूसरे तरह के बिजनेस यानी पूरा प्लांट लगाने वाले बिजनेस मैन को कितना मुनाफा होता है। उसकी बात करें तो बड़ा प्लांट लगाने के बाद उसे मुनाफा रिटेलर्स की अपेक्षा कम होता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि मैन्यूफैक्चरर्स होलसेलर्स को अपना माल बेचता है, किसी ग्राहक को नहीं। होलसेलर्स जो रिटेलर्स यानी फुटकर बेचने वाले व्यवसायियों को डील करता है तो उससे मैन्यूफैक्चरर्स किसी भी कीमत पर अधिक मुनाफा नहीं कमा सकता है। यहां पर बिजनेस मैन की अधिक माल बेचकर अधिक मुनाफा कमाने के रणनीति होती है। फिर भी इस बिजनेस के अनुभवी जानकार लोगों का कहना है कि इस बिजनेस में बिजनेसमैन को 20 से 35 प्रतिशत तक का मुनाफा मिल सकता है।

पेपर कप प्लेट की मार्केटिंग कैसे करें

जब आपने ने अपने बिजनेस की प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनायी होती तो उसमें अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग की रणनीति भी बनायी होगी।आप अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए कौन सी रणनीति अपनायेंगे ताकि आप अधिक से अधिक माल बेच कर अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकें। आपका बिजनेस नया-नया है तो आपको हर तरह से अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करनी होगी। आपको आफलाइन व ऑन लाइन प्रमोशनल कार्यक्रम चलाने होंगे।

1. स्थानीय स्तर पर अपने प्रोडक्ट का प्रचार करें, इसके लिए चाहें तो होर्डिंग्स लगवायें या पम्पलेट बंटवायें। यही नहीं धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रमों के दौरान शर्बत, ठंडा पानी आदि वितरण करायें तो उसमें बैनर लगवायें और उसमें अपने पेपर ग्लास आदि बांटें। ये ग्लास आपकी कंपनी के लोगो व संदेश वाले होने चाहिये। इससे आपका उस क्षेत्र में प्रचार होगा। लोग आपके प्रोडक्ट से सीधे जुड़ेंगे।

2. सोशल मीडिया पर फ्री प्लेटफार्म पर अपने प्रोडक्ट का प्रचार करें, लोकल अखबारों, रेडियो चैनलों व टीवी चैनलों पर विज्ञापन दें।

3. गूगल माई बिजनेस में अपनी कंपनी का रजिस्ट्रेशन करायें

4. वेबसाइट बनवा कर उसमें अपने प्रोडक्ट का प्रचार करायें

कुछ जरूरी काम ये भी करें

बिजनेस को  प्रमोट करने के लिए आपको लगातार अपने प्रोडक्ट की फीडबैक भी लेनी चाहिये। साथ ही समय-समय पर अपने बिजनेस के स्पीड की समीक्षा भी करते रहना चाहिये। अपने व्यवसाय की कमियों को दूर करने का प्रयास करते रहना चाहिये। अपने कर्मचारियों को प्रोत्साहित करते रहना चाहिये। अपने ग्राहकों की पसंद को सबसे ऊपर रखें। इससे आपके बिजनेस को काफी अच्छी रफ्तार मिलेगी। बिजनेस बढ़ने के कारण आपका लाभ भी तेजी से बढ़ेगा।

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