भारत में कॉटन बड्स बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें?

लागत, मुनाफा व अन्य जानकारियाँ

कॉटन बड़स की खोज एक छोटे से बच्चे के उन नाजुक अंगों की सफाई के लिए हुई थी, जहां पर इंसान की अंगुली नहीं जा सकती है और उन अंगों की सुरक्षित सफाई की जा सके। 20 वी शताब्दी की शुरुआत में ही अमेरिका में पोलिश अमेरिकन लोए गेर्स्टनजांग ने एक लकड़ी की तीली में रुई को अच्छी तरह से लपेट कर नवजात शिशु के कान, आंख, नाक आदि की सफाई के लिए इस्तेमाल किया था। उस समय इस अमेरिकी नागरिक ने ख्वाब में भी न सोचा होगा कि उसके द्वारा ईजाद की गई नन्हीं सी चीज आज विश्व में इतनी अधिक लोकप्रिय हो जायेगी कि उसका घर-घर में इस्तेमाल किया जाने लगेगा। यह कान की सफाई करने वाला छोटा सा यंत्र बड़े बड़े उद्योगों जैसे इलेक्ट्रानिक इंडस्ट्री, कॉस्मेटिक इंडस्ट्री, डीएनए सैम्पलिंग, पेंटिंग आदि में काम आयेगा। एक छोटी सी चीज के बड़े-बड़े उद्योग स्थापित करके अच्छी खासी कमायी की जा सकती है। यह रोजगार का साधन भी बन सकता है। आज कॉटन बड्स का व्यापार अनेक लोगों के सपने पूरे कर रहा है। इसका कारण यह है कि छोटी सी चीज सस्ती तो है ही और साथ ही एक बार यूज करके फेंक दी जाती है यानी कि हर बार प्रयोग करने के लिए नई कॉटन बड्स चाहिये। इसीलिये इस कॉटन बड्स की मार्केट में अच्छी डिमांड है।

कॉटन बड्स से जुड़े हैं अनेक सवाल

भारत में कॉटन बड्स या कॉटन स्वैब बनाने का बिजनेस किस तरह से शुरू किया जाये कि बिजनेस मैन को लाभ ही लाभ हो? सबसे पहले जानिये कि कॉटन बड्स है क्या चीज? इसका व्यापार कहां शुरू हो सकता है? इसके ग्राहक कहां मिल सकते हैं? इसका उपयोग कहां-कहां और किस-किस काम में होता है? इन सारे सवालों के जवाब ही हमें बता सकते हैं कि कॉटन बड्स का व्यवसाय कैसे शुरू किया जा सकता है और यह कितना उपयोगी है और इसका बिजनेस करके कितना कमाया जा सकता है। भारत में इस बिजनेस की क्या सम्भावनाएँ हैं।

भारत में कॉटन बड्स के बिजनेस की सम्भावनाएँ

दुनिया के दूसरे सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में कॉटन बड्स के बिजनेस की अच्छी सम्भावनाएँ हैं। भारत में भी साफ-सफाई का विशेष अभियान चलाया जा रहा है, जहां शहरों, गांव कस्बों की साफ सफाई पर जोर दिया जा रहा है वहीं अब व्यक्तिगत रूप से शारीरिक सफाई पर भी विशेष बल दिया जा रहा है। इस विशेष सफाई अभियान के कारण प्रत्येक भारतीय साफ सफाई के प्रति जागरुक हो गया है। इसको देखते हुए भारत में कॉटन बड्स का बहुत बड़ा मार्केट उत्पन्न हो गया है। वैसे भी आंख, कान, नाक गले की बीमारी के उपचार में कॉटन बड़स की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके अलावा चर्म रोग, एवं बड़े घाव आदि की साफ सफाई में भी कॉटन बड्स का इस्तेमाल किया जाता है। शुगर डायबिटीज वाले मरीज के घाव हो जाने पर यह कॉटन बड्स बहुत ही बड़ा सहायक साबित होता है। डीएनए का सैम्पल लेने में भी कॉटन बड्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा कास्मेटिक इंडस्ट्री में नेल पॉलिश के अलावा फेस शेडिंग सहित कई कामों में कॉटन बड्स का इस्तेमाल किया जाता है। इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रानिक वस्तुओं की साफ सफाई करने के लिए भी कॉटन बड्स का इस्तेमाल किया जाता है।

कोविड-19 की महामारी ने बढ़ाई अनेक सम्भावनाएँ

कोविड-19 ने दुनिया के किसी भी देश को अपनी चपेट में लेने से नहीं छोड़ा है। इसके व्यापक प्रभाव से पूरा विश्व त्राहि-त्राहि कर रहा है। भारत ने कोविड-19 के परीक्षण के लिए स्वदेशी स्वैब या कॉडन बड्स का बड़े पैमाने पर निर्माण करना शुरू कर दिया है। कई बड़ी-बड़ी फर्मो ने आईसीएमआर यानी नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर वायरोलॉजी की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद अपना उत्पादन शुरू कर दिया है और उन्हें इस बिजनेस से भारी कमाई हो रही है। इन स्वदेशी फर्मों द्वारा बनायी जा रही पॉलिएस्टर स्पून स्वैब विदेश से आने वाली स्वैब से काफी सस्ती है। वैसे भी चीन से आयात पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद कोविड-19 के टेस्टिंग के लिए ये स्वैब काफी कमी थीं और इनकी मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही थी। इस तरह से अब कॉटन बड्स के बिजनेस की संभावनाएं कोविड-19 की महामारी के साथ जुड़ गयीं हैं।

कम पूंजी में अधिक कमाई करने वाला है ये बिजनेस

व्यावसायिक इस्तेमाल और जरूरतों को देखते हुए यह माना जा सकता है कि कॉटन बड्स का बिजनेस कम पूंजी का निवेश करके आसानी से अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सकता है। आप यह समझ लीजिये कि कम पैसे में अच्छे से अच्छा कॉटन बड्स का उत्पादन किया जा सकता है। भारत में इसका मार्केट भी बहुत अच्छा है और संभावनाएं भी बहुत अच्छी हैं। लेकिन बहुत ही आसान दिखने वाला यह बिजनेस बहुत अधिक मेहनत और स्मार्ट दिमाग मांगता है।

सबसे पहले अपना दिमाग कहाँ पर लगायें

कॉटन बड्स बनाने का बिजनेस शुरू करने से पहले आपको एक चीज अच्छी तरह आनी चाहिए वरना आपका बिजनेस के अच्छी तरह से चलने से पहले उस पर सवालिया निशान लग सकते हैं। यह चीज क्या है? इसे पहचानने की कोशिश करिये? नहीं समझ पाये तो हम बताते हैं कि आपको कॉटन बड्स जैसी छोटी और मामूली चीज को मार्केट में बेचने की अच्छी कला आनी चाहिये। दूसरे शब्दों में कहें कि आपको कॉटन बड्स की जबर्दस्त मार्केटिंग करनी आनी चाहिये। आप अपने प्रोडक्ट को ग्राहक के सामने ऐसे पेश करें कि वह इस चीज का महत्व जानकर इसे तुरन्त खरीदने के लिए तैयार हो जाये। कहने का मतलब यह है कि जमीनी स्तर पर आपको अपना मार्केट बनाना होगा, उसके बाद आपका प्रोडक्ट आसानी से बिकने लगेगा। आपकी मार्केटिंग अच्छी हो गयी तो आपका प्रोडक्ट हाथोंहाथ बिक जायेगा। विश्व की सारी बड़ी कंपनियां यही काम करतीं हैं और वो देखते ही देखते भारी कमायी कर जातीं हैं। पहला पाठ यही है कि सबसे पहले आप मार्केटिंग करके अपना अच्छा सा मार्केट बनायें।

कहाँ-कहाँ पर अपना माल बेच सकते हैं?

अब आपके सामने एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आप मार्केट कहां तलाशें? कहां पर अपना माल बेचें। इस पर थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है और आपको संभावित मार्केट को टारगेट करना होगा। इन प्रमुख मार्केट में कुछ इस प्रकार हैं:-

  1. मेडिकल इक्विपमेंट की मार्केट
  2. अस्पताल, क्लीनिक
  3. मेडिकल स्टोर
  4. ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर की क्लीनिक
  5. टेस्टिंग लैब्स
  6. कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स की मार्केट
  7. ब्यूटी पॉर्लर सेंटर
  8. इलेक्ट्रानिक रिपेयरिंग मार्केट
  9. पेन्टिंग प्रोडक्ट मार्केट

इसके अलावा इन सभी उद्योगों से संबंधित फुटकर दुकानों में भी माल सप्लाई किया जा सकता है। आजकल मिनी स्टोर, जनरल स्टोर जहां पर बहुत से मेडिकल इक्विपमेंट आदि बिकते हैं, वहां पर भी कॉटन बड्स को बेचा जा सकता है।

कैसे शुरू किया जा सकता है कॉटन बड्स के निर्माण का कारोबार?

घर-घर में कई कई बार इस्तेमाल होने वाले इस कॉटन बड्स का निर्माण बहुत छोटे स्तर से लेकर बड़े उद्योग के रूप में शुरू किया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति बहुत ही छोटे स्तर से अपना बिजनेस शुरू करना चाहता है तो वह अपने घर के कमरे के एक कोने से अपने हाथों से ही बना कर आस पास के मेडिकल स्टोर व फुटकर दुकानों में बेच सकता है। हाथों से बना कर कोई व्यक्ति अपनी कॉटन बड्स की मार्केट की संभावनाएं तलाश सकता है। यदि डिमांड अधिक हो तो वह कॉटन बड्स का उत्पादन मशीन लगाकर  बढ़ा सकता है। इसके अलावा बिजनेस मैन चाहे तो अपने मनचाहे मार्केट का सर्वे करके यह पता लगा सकता है कि उसे कितना माल चाहिये। मनचाही क्वान्टिटी के अनुसार ही बिजनेस का आकार तय करे और उसमें मशीन आदि पर इन्वेस्ट करके अपना बिजनेस शुरू कर सकता है।

कॉटन बड्स का बिजनेस प्लान बनायें

जब किसी इमारत का निर्माण करना होता है तो उसका नक्शा बनाया जाता है। उस नक्शे में उस इमारत की नींव से लेकर कितने मंजिल की मजबूत इमारत बनानी होती है उसकी जानकारी होती है। उसके बाद ही इमारत मजबूत और बुलंद होती है। ठीक इसी प्रकार किसी भी तरह के बिजनेस के लिए बिजनेस प्लान बनाना जरूरी होता है। यदि बहुत ही छोटे स्तर पर कॉटन बड्स के निर्माण का बिजनेस शुरू करना है तो उसके लिए अधिक सोचने विचारने की जरूरत नहीं होती है। अपनी पॉकेट को देखकर बाजार में बिकने वाले बड्स यानी तीली थोक में खरीद लायें और उसमें रुई लपेट कर बड्स बनायें और उसे बेचना शुरू कर दें।

यदि मध्यम स्तर के बिजनेस के रूप में कॉटन बड्स का निर्माण शुरू करना चाहते हैं तो बाकायदा बिजनेस प्लान बनायें। इसके लिए कितनी जगह की जरूरत होगी। किस तरह की मशीन खरीदनी होगी। उसके लिए बिजली, पानी आदि की क्या सुविधाएं जरूरी होंगी। कितना मैनपॉवर या मार्केटिँग टीम की जरूरत होगी। कच्चा माल कहां से खरीदना होगा। इस काम को शुरू करने में कितनी पूंजी लगेगी। उस पूंजी की व्यवस्था कहां से करनी होगी। माल कहां और कैसे बेचना होगा, कितना मुनाफा होगा। इन सारी बातों को बिजनेस प्लान में शामिल करने के बाद विचार किया जायेगा तो आसानी से आपका बिजनेस स्थापित हो जायेगा और आपको निश्चित ही अपने बिजनेस में सफलता भी मिलेगी।

कौन-कौन से लाइसेंस की जरूरत होगी?

किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको फर्म का नाम रखना होता है। उस फर्म को कंपनी रजिस्ट्रार के यहां शॉपिंग इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्टर्ड कराना होता है। उसके बाद केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं स्थानीय प्रशासन के नियमों और कानूनों का पालन करना होता है। इसके अलावा आपका बिजनेस अच्छी प्रगति कर लेता है और उसका टर्नओवर गुड्स एण्ड सर्विट टैक्स (जीएसटी) के दायरे में आ जाता है तो आपको जीएसटी नंबर लेना होता है। यदि आपको सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ उठाना है तो आपको अपनी फर्म का रजिस्ट्रेशन एमएसएमई में कराकर उद्योग आधार लेना होता है। इसके अलावा यदि आप यह चाहते हैं कि भविष्य में आपका बिजनेस ब्रांड बन गया तो दूसरा कोई भी व्यक्ति आपके नाम वाले इस बिजनेस को अपने नाम से शुरू करके फायदा न उठा सके तो उसके लिए आपको ट्रेडमार्क लेना होगा।

कौन-कौन सी मशीनें और कौन-कौन सा कच्चा माल चाहिये?

कॉटन बड्स के उत्पादन के लिए कौन-कौन सा कच्चा माल और कौन-कौन सी मशीन चाहिये। इस काम के अनुभवी जानकारों के अनुसार कॉटन बड्स के बनाने के लिए निम्नलिखित मशीनें व कच्चा माल की जरूरत होती है:-

1. यदि आप बड्स का प्रोडक्शन करना चाहते हैं तो आपको तीन तरह की बड्स बनाने की मशीनों की आवश्यकता होगी। आप यदि मोटे कागज की बड्स बनाना चाहते हैं तो आपको इसकी मशीन चाहिये। यदि प्लास्टिक की तीली इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपको प्लास्टिक की मोल्डिंग डाई वाली मशीन की जरूरत होगी। यदि आप लकड़ी की तीली का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपको खराद मशीन की आवश्यकता होगी। आप इन तीनों में से एक प्रकार की तीली बनाने की मशीन का चयन करके उसे ले सकते हैं।

2. अब आप चाहें तो रेडीमेड तीलियां लें अथवा खुद बनायें । इसके बाद एक ऑटोमेटिक मशीन की मदद से उत्पादन कर सकते हैं जिसमें आपको तैयार माल मिलेगा। यदि आप चाहेंगे तो आपको इस मशीन से माल की पैकिंग भी कर सकते हैं।

3. सेमी आटोमेटिक मशीन से आपका प्रोडक्ट तो तैयार हो जायेगा। लेकिन उसके बाद आपको तीलियों की काउटिंग करके पैकिंग अलग से करनी होगी और उससे बड़ी पैकिंग बनाकर माल बेचना होगा।

4. हाथ से बनाने वाले माल के लिए आपको तीली बाजार से लानी होगी। चिपकाने वाला पदार्थ भी लाना होगा। कपास यानी रुई भी लानी होगी। फिर उससे कॉटन बड्स बनाना होगा।

5. कच्चा माल में लकड़ी, कागज व प्लास्टिक की तीलियां, चिपकाने वाला पदार्थ, कपास यानी रुई की ही जरूरत होती है। इसके बाद पैकिंग के लिए बॉक्स, पॉलीथिन या अन्य कोई भी आकर्षक पैकिंग के सामान की जरूरत होगी।

कॉटन बड्स के निर्माण के बिजनेस में कितनी लागत आती है

बहुत छोटे स्तर पर बिजनेस शुरू करने वाले बिजनेस मैन के लिए बहुत कम लागत आती है। वह यह काम हजारों में ही शुरू कर सकता है।  उसे अपने घर का एक कोना ही इस्तेमाल करना है। तीलियां मार्केट से लाकर अपने घर में हाथों से ही कॉटन बड्स तैयार करना है। उसमें कोई खास लागत नहीं आयेगी क्योंकि ऐसा बिजनेस मैन अपनी पॉकेट क्षमता के अनुसार थोड़ा-थोड़ा माल खरीदकर बेचता है।

मध्यम व बड़े दर्जे के कॉटन बड्स निर्माण के बिजनेस की लागत बिजनेस मैन की प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार आती है। इसमें बिजनेस शुरू करने वाली जगह, मशीन, कच्चा माल, काम करने वाले कर्मचारी, बिजली, पानी खर्च, मार्केटिंग आदि के खर्चे को जोड़ा जाये तो इसमें कम से कम 10 लाख रुपये की लागत आयेगी।

इस बिजनेस में मुनाफा कैसे और कितना मिलता है?

यह बात तो स्पष्ट है कि इस छोटे से प्रोडक्ट के बिजनेस में मुनाफा प्रति इकाई काफी कम होता है। इसके लिए बिजनेसमैन को अलग से रणनीति बनानी होती है। मुनाफा कमाने के दो ही तरीके होते हैं। आप पहले अपनी मार्केट बनायें और उसे बाद अपना माल कम बेच कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैंं। इसके लिए आपको शुरू-शुरू में कुछ कुर्बानियां देनीं होतीं हैं। जैसे अपने ग्राहक को पहले विशेष ऑफर दें, गिफ्ट स्कीम दें और मार्केट जम जाने के बाद इन स्कीमों और ऑफरों को हटाकर मुनाफे को रिकवर कर सकते हैं। दूसरा तरीका यह होता है कि आप कम मुनाफे में अधिक से अधिक माल बेच कर अपना मुनाफा बढ़ायें। कॉटन बड्स के बिजनेस के साथ दूसरा तरीका ही सूट करता है। क्योंकि यह कम कीमत और यूज एंड थ्रो वाला प्रोडक्ट है। लोग इसे आसानी से खरीद कर इस्तेमाल करके फेंक देते हैं। इसलिये इस बिजनेस में मैराथन रेस वाले व्यापारी ही सफल हो पाते हैं। यही इस बिजनेस की पेंचीदगी है।  जिसको बिजनेस मैन को बिजनेस शुरू करने से पहले समझना चाहिये।

कारोबार को कैसे रफ्तार दें?

1. कॉटन बड्स के बिजनेस को रफ्तार देने के लिए ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन भी मार्केटिंग करनी चाहिये। आपको चाहिये कि अपने प्रोडक्ट को मार्केट में  हिट कराने के लिए अपने क्षेत्र के अस्पतालों व नर्सिंग होम में बच्चे के जन्म पर कॉटन बड्स का एक छोटा पैकेट मुफ्त में उपहार स्वरूप दें। इससे यूजर्स के पास आपका प्रोडक्ट पहुंच जायेगा और उसे अधिक माल की आवश्यकता होगी तो वह अवश्य खरीदेगा।

2. ऑफलाइन मार्केट प्लेस में कैनोपी लगाकर, पम्पलेट बंटवा कर, लोकल न्यूजपेपर, टीवी चैनल, एफएम रेडियों में विज्ञापन देकर अपने प्रोडक्ट का प्रचार कर सकते हैं। इसमें एक बात का ध्यान रखना होगा कि ये कैनोपी ऐसी जगह पर लगानी होगी जहां पर अस्पताल, नर्सिंग होम के साथ पॉश कॉलोनी हों। वहां पर इसका अच्छा असर पड़ सकता है।

3. इसके अलावा आप कॉटन बड्स के प्रोडक्ट को अधिक से अधिक मात्रा में बेचने के लिए गूगल माई बिजनेस, जस्ट डायल, सुलेखा डॉट कॉम, इंडिया मार्ट, अलीबाबा ग्रुप, ट्रेड इंडिया आदि से भी मदद ले सकते हैं।4. ऑनलाइन प्रचार में आपको पहले यह कोशिश करनी होगी कि सोशल मीडिया के फ्री प्लेटफार्म का इस्तेमाल करें। फेसबुक, व्हाट्सएप ग्रुप, इंस्टाग्राम, ट्विटर, लिंक्डइन आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं। इन प्लेटफार्मों पर अपने प्रोडक्ट की खास-खास बातें और एक्सपर्ट की राय, प्रोडक्ट की रेटिंग, रिव्यू आदि को पोस्ट कर ग्राहकों को आकर्षित कर सकते हैं।

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