स्टार्टप - कितना आसान है भारत में स्टार्टप शुरू करना?
आप ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों में कई बार स्टार्टप इंडिया स्कीम का नाम सुना होगा क्या आपको पता है वाकई स्टार्टप होता क्या है? स्टार्टप एक कंपनी या फिर एक नया प्रोजेक्ट होता है जिसे कोई एंटरप्रेन्योर व्यक्ति किसी भी इकोनामी में अपना सहयोग और विकास प्रदान करने के लिए शुरू करता है।
किसी भी नई स्टार्टप कंपनी में सफल होने के लिए रिस्क टेकिंग एबिलिटी का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि नई कंपनी में बेहतर गुणवत्ता की सेवा प्रदान करने के बाद भी ग्राहकों का विश्वास जीत पाना मुश्किल होता है, इसीलिए आपमें रिस्क लेने की क्षमता होनी चाहिए या तो आपका स्टार्टप बहुत अच्छे तरीके से सफल होगा या फिर बुरी तरीके से विफल भी हो सकता है।
स्टार्टप के तहत काम करने वाले व्यक्तियों में सेल्फ एंप्लॉयमेंट और बिजनेस की भावना तीव्र गति से बढ़ती है।
स्टार्टप के फायदे :-
- स्टार्टप का सबसे बड़ा फायदा होता है इसमें काम कर रहे हैं व्यक्तियों में एंटरप्रेन्योरशिप की एक ऊर्जावान क्षमता का विकास, क्योंकि मुख्यतया कोई भी स्टार्टप एक नई और अलग सोच के साथ शुरू किया जाता है।
- यदि उसे शुरू करने वाले व्यक्ति का विचार वर्तमान समाज की आवश्यकताओं से मेल खाता है तो बहुत जल्दी ही एक नया स्टार्टप, बड़ी कंपनी में तब्दील हो सकता है।
- वर्तमान सरकार का सकारात्मक रवैया भी स्टार्टप बिजनेस को शुरू करने में मदद कर रहा है।
- भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा भी सरकार के द्वारा नई स्टार्टप कंपनियों को उपलब्ध करवाए जाने वाले लोन में दिया जाने वाला सहयोग भी आने वाले समय में स्टार्टप कंपनियों के विकास के लिए सकारात्मक साबित हो सकता है।
- स्टार्टप कंपनी है हमेशा नए और ऊर्जावान इंजीनियर व्यक्तियों को जॉब प्रदान करती है, जोकि भारत की एक पूर्व निर्मित छवि जॉब्लेस ग्रोथ को बदलने में सहायक होती है।
- पिछले कुछ समय से सरकार के द्वारा एंजल इन्वेस्टर (यह ऐसे इन्वेस्टर होते हैं जो कि नई स्टार्टप कंपनी में इकोनॉमी को सहयोग देने के लिए निवेश करते हैं ना कि अपने फायदे के लिए) की संख्या को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए है।
स्टार्टप के नुकसान :-
- कोई भी स्टार्टप कंपनी एक अलग सोच और अलग क्षेत्र को सेवा देने के लिए बनाई जाती है, इस कारण उस कंपनी के असफल होने की संभावना बहुत अधिक रहती है।
- इसी वजह से बड़े इन्वेस्टर आसानी से स्टार्टप कंपनियों में निवेश नहीं कर पाते हैं, क्योंकि इसमें लगाए गए पैसे का रिटर्न आने की संभावना काफी कम रहती है।
- बहुत से विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों ने अपने देश में स्टार्टप कंपनी को शुरू करने के लिए बनाए गए प्रावधानों को काफी आसान बनाया हुआ है, इसी तरह अब हम जानते हैं कि भारत सरकार के द्वारा किए गए प्रावधान क्या है और भारत में स्टार्टप कंपनी खोलना कितना आसान है या मुश्किल, आइए जानते हैं :-
- पिछले कुछ समय से सर्विस सेक्टर में नई स्टार्टप कंपनियों का एक अंबार लग गया है, इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को सरल बनाने के लिए कई सुधार किए हैं, इसी कारण पिछले कुछ समय से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट (जो कि वर्ल्ड बैंक के द्वारा जारी की जाती है) में भारत की रैंकिंग में भी सुधार हुआ है।
- एक समय ऐसा हुआ करता था कि भारत में एक छोटा रेस्टोरेंट खोलने के लिए भी लगभग पचास से ज्यादा फॉर्म भरने पड़ते हैं, जबकि एक बन्दूक लाइसेंस लेने के लिए सिर्फ दो फॉर्म भरने पड़ते हैं।
- परंतु वर्तमान में एक नया स्टार्टप शुरू करने के लिए और यदि आप उस में विफल रहते हैं तो उस व्यवसाय से बाहर निकलने के लिए लॉन्च की गई चक्रव्यूह स्कीम ने रजिस्ट्रेशन और डी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को बहुत ही आसान बना दिया है।
स्टार्टप इंडिया स्कीम :-
भारत सरकार के द्वारा नई स्टार्टप कंपनियों को सहयोग देने के लिए यह सबसे बड़े क्षेत्र पर चलाई जाने वाली स्कीम है, जिसे वर्ष 2016 में लांच किया गया था।
- इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य है नए और पृथक सोच रखने वाले व्यक्तियों को धन और रोजगार की उपलब्धि करवाना।
- इस स्कीम के अंतर्गत सरकार नई कंपनियों को कुछ समय तक टैक्स में फायदा देती है, हाल ही में इस टैक्स बेनिफिट को बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है।
- अर्थात नई स्टार्ट कंपनियों को अगले 10 वर्ष तक सरकार को बहुत ही कम टैक्स देना होगा।
- कुछ समय पहले ही सरकार ने नई स्टार्टप कंपनी को स्टार्टप इंडिया मिशन के साथ जुड़ने के लिए गाइडलाइन जारी की है, जिन्हें बहुत ही सरल बना दिया गया है, आइए जानते हैं उनमें से कुछ गाइडलाइंस :-
- सबसे पहले अपने बिजनेस को इनकॉरपोरेट करें अथार्त आप उसे एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाना चाहते हैं या फिर एक पार्टनरशिप फर्म की तौर पर रजिस्ट्रेशन करवाना चाहते हैं।
- यह तय करने के बाद आप उसे स्टार्टप इंडिया पोर्टल पर जाकर महत्वपूर्ण जानकारियां भरकर रजिस्टर करवा सकते हैं।
- यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपको एक वेरिफिकेशन कोड मिलेगा जिसे आप डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन एंड इंडस्ट्री पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
- इस डिपार्टमेंट का रिकॉग्निशन मिलने के बाद आप अपने रिकॉग्निशन नंबर को ई-बिजनेस पोर्टल पर रजिस्टर कर सकते हैं जहां से आप नए निवेशकों से निवेश प्राप्त कर सकते हैं।
- इन सब प्रावधानों के अतिरिक्त आप अपनी कंपनी के पेटेंट, ट्रेडमार्क और डिजाइन रजिस्ट्रेशन का पूरा ध्यान रखें, क्योंकि यह काम आपको पहले ही कर लेना होता है।
- इस प्रक्रिया में कुछ चीजों को अब हटा दिया गया है जिनमें से लेटर ऑफ फंडिंग, लेटर आफ रिकमेंडेशन, उद्योग आधार, एमएसएमई सर्टिफिकेट जैसी चीजों की रजिस्ट्रेशन करने के समय जरूरत नहीं पड़ेगी।
1. एस्पायर स्कीम :-
यह स्टार्टप इंडिया स्कीम की एक अगली कड़ी है,जोकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले एंतरप्रेन्योर व्यक्तियों को सामाजिक और इकोनामिक क्षेत्र में समानता प्रदान करने में सहयोग करती है।
इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य है रोजगार बढ़ाकर और ग्रामीण क्षेत्रों में नया इनोवेशन करने वाले व्यक्तियों को भारत की विकास की मुख्यधारा में शामिल करते हुए गरीबी को दूर करना। हालांकि इसका मुख्य प्रयास ग्रामीण एग्रो-बिजनेस इंडस्ट्री को प्रमोट करना है।
2. मुद्रा स्कीम :-
इस स्कीम का पूरा नाम है माइक्रो यूनिट डेवलपमेंट रिफाइनेंस एजेंसी, जो कि एक तरीके से बैंक की तरह कार्य करती हैं। ये बैंक मुख्य तया नई कंपनियों को ऋण उपलब्ध करवाते हैं, जो कि उनकी ग्रोथ को बढ़ाने में सहायक होता है।
वर्ष 2015 में सरकार ने इस स्कीम के लिए दस हजार करोड रुपए आवंटित किए थे। इस ऋण को तीन क्षेत्रों में बांटा गया है जिन्हें तरुण, किशोर और शिशु नाम से जाना जाता है। इस स्कीम की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें नई स्टार्टप कंपनी को अपनी तरफ से कोई कॉलेटरल सिक्योरिटी भी नहीं देनी होती है। पिछले कुछ समय से इस स्कीम का मुख्य ध्यान एमएसएमई क्षेत्र की तरफ केंद्रित किया जा रहा हूं
क्योंकि भारत का सेवा क्षेत्र, विकास दर की अच्छी गति से बढ़ रहा है परंतु विनिर्माण क्षेत्र अथार्त मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अभी भी अपनी विकास दर को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है।
3. अटल इन्नोवेशन मिशन :-
भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2015 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नाम से शुरू किया गया एक मिशन है, जिसके तहत नए प्रमोशनल प्लेटफार्म के अंतर्गत किसी भी क्षेत्र विशेष में सेवा के लिए विख्यात व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा और उन्हें इनोवेशन, अनुसंधान और विकास की कड़ी में शामिल किया जाता है।
इसके लिए वर्ल्ड बैंक के द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता से विदेशी एंटरप्रेन्योर व्यक्तियों को भी हायर किया जा रहा है।
4. ई-बिजनेस पोर्टल :-
यह एक कनेक्टिविटी के तौर पर काम करता है, जोकि ऐंजल निवेशक और नई स्टार्टप कंपनी को मिलाने का कार्य करता है। इस बिजनेस पोर्टल प्लेटफॉर्म पर स्टार्टप कंपनी अपना रजिस्ट्रेशन करवाती है, जिसके बाद उनकी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए कोई भी ऐंजल इनवेस्टर इन कंपनियों में निवेश कर सकता है। क्या आपको पता है भारत में एक नया बिजनेस खोलने के लिए दो से तीन महीने तक का समय लगता है जबकि न्यूजीलैंड में सिर्फ एक दिन लगता है, इसके पीछे मुख्य वजह है भारत सरकार में नई स्टार्टप कंपनी को लाइसेंस प्रदान करने की कठिन प्रक्रिया।
हालांकि पिछले कुछ समय से इसमें सुधार किए जा रहे हैं और ब्यूरोक्रेसी के लोगों में नई कंपनी के प्रति बेहतर सेवा प्रदान करने की सोच के विकास के साथ साथ लाइसेंस प्रदान करने की प्रक्रिया को भी सरल सरल बनाया जा रहा है।
इस प्रकार आपने देखा कि भारत सरकार के द्वारा लांच की गई इन नई योजनाओं के बाद आप आसानी से ऋण की प्राप्ति कर पाएंगे और अपना नया स्टार्टप बिजनेस शुरू कर सकते हैं। आपको अपने व्यवसाय में एंप्लोई लोगों को शामिल करवाने के लिए भी कई सरकारी पोर्टल है, जहां पर आप उन्हें आसानी से हायर कर सकते हैं।
इन सभी स्कीम को जानने के बाद आप खुद ही बताएं कि भारत में स्टार्टप बिजनेस करना आसान है या मुश्किल ?
हमारी राय के अनुसार अब पहले की तुलना में इसमें बहुत अधिक सुधार किया गया है और अभी के समय में नई स्टार्टप कम्पनी शुरू करना बहुत है आसान प्रकिया बना दी गई है।
वर्तमान सरकार का स्टार्टप व्यवसाय को प्रोत्साहन देने की सोच नई कंपनियों के विकास में सहायक होने के साथ-साथ भारत को एक विकासशील अर्थव्यवस्था से विकसित अर्थव्यवस्था की तरफ अग्रसर करेगी।
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