जेनरेशन-Z के लिए पैसे बचाने की बेस्ट टिप्स
आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में आदमी को पल भर सोचने की फुर्सत नहीं मिलती है। वो यह सोच ही नहीं पाता है कि उसे किस तरह से जिंदगी में खर्च करने चाहिये। क्या-क्या करना चाहिये और क्या-क्या नहीं करने चाहिये। कौन-कौन से जरूरी खर्च हैं और कौन-कौन से जरूरी खर्च नहीं हैं। इसलिये जिंदगी में जितनी आमदनी आती है उसे इंसान बिना सोचे ही खर्च करता चला जाता है। फिलहाल यदि उसका खर्चा माइनस-प्लस के बिना चलता रहता है तो उसे किसी तरह की टेंशन नहीं होती है । जब उसे अपने जीवन में अचानक कोई ऐसा जरूरी खर्चा आ जाता है जो वह उस समय उसे पूरा नहीं कर पाता है, तब उसे अपनी गलती का अहसास होता है। तब वह सोचता है कि काश हमने अपनी आमदनी में से कुछ पैसे बचा लिये होते तो अच्छा होता, वो बचत आज कम से कम हमारे इस अचानक आई विपदा/जरूरत के वक्त काम तो आ जाती।
बहुत स्मार्ट है जेनरेशन जेड
बचत तो हर व्यक्ति के जीवन में काम आती है। बचत हर कोई करना भी चाहता है लेकिन जानकारी के अभाव में व्यक्ति कर नहीं पाता है। यह बात पुरानी पीढ़ी के लिए हो सकती है लेकिन जेनरेशन जेड के लिए यह बात सही नहीं है, क्योंकि यह पीढ़ी आज के इंटरनेट युग में स्मार्ट फोन और इंटरनेट के ज्ञान से वाकिफ है। आज की पीढ़ी को दुनिया भर की हर तरह की जानकारी पलक झपकाते हुए मिल जाती है। इससे इस पीढ़ी का युवा दुनिया भर की आर्थिक, राजनीतिक, मनोरंजन, व्यापारिक सहित जीवन से जुड़े सभी विषयों की जानकारी से हमेशा अपडेट रहता है। इसके बावजूद आज का युवा जीवन के अनुभवों की कमी के कारण खर्च करने के तरीके और बचत करने के बारे में अच्छी तरह से नहीं जान सकता है। इसके लिए इन युवाओं को अपने लाइफस्टाइल के हिसाब से प्लान बनाना होगा। प्लान के बाद ही बचत के बारे में अच्छी तरह से सोचा जा सकता है।
क्या है जेनरेशन जेड?
हमें सबसे पहले यह जानने की जरूरत है कि ये जेनरेशन जेड क्या चीज है? इस जेनरेशन जेड की कमाई क्या है, खर्च क्या है, जरूरतें क्या हैं, और बचत करने की जरूरत क्या है? इन सभी बातों को जानते हैं।
आपने अक्सर बोलचाल की भाषा में जेनरेशन गैप शब्द अवश्य सुना होगा। दो पीढ़ियों के अंतर को जेनरेशन गैप कहा जाता है। जब किसी माता-पिता और उसकी संतान के बीच विचारधाराओं में अंतर को लेकर विवाद उत्पन्न होते हैं तो कहा जाता है कि ये जेनरेशन गैप के कारण होते है। दोनों में से कोई इस गैप को समझने की कोशिश नहीं करता है। इसके साथ ही सवाल उठता है कि जेनरेशन यानी पीढ़ी कितने प्रकार की हो सकती है। जनसंख्या विशेषज्ञों द्वारा स्टडी करने के लिए जेनरेशन का इस्तेमाल किया जाता है। इन विशेषज्ञों के अनुसार जेनरेशन को निम्न प्रकार से विभाजित किया गया है:-
1. वेटरन्स (बुजुर्ग): डेमोग्राफर्स ने इस श्रेणी की पीढ़ी में उन व्यक्तियों को रखा है जिनकी उम्र 64 साल से ज्यादा हो चुकी है।
2. बेबी बूमर्स (अगली पीढ़ी): जनसंख्याविदों ने अपनी स्टडी में वेटरन्स की अगली पीढ़ी को बेबी बूमर्स का नाम दिया है। इस श्रेणी में उन व्यक्तियों को रखा गया है जिनकी उम्र 46 से 64 वर्ष तक है।
इसके बाद 1991 में डगलस कपलैंड ने अपने नॉवल जेनरेशन एक्स में जेनरेशन एक्स का इस्तेमाल किया है। जब जेनरेशन एक्स प्रचलन में आ गया तो उसके बाद जेनरेशन वाई और जेनरेशन जेड भी चलन में आ गया। आइये जानते हैं कि जेनरेशन एक्स, वाय और जेड के बारे में विशेषज्ञों की क्या राय है।
3. जेनरेशन एक्स: जनसंख्या विशेषज्ञों ने इस ग्रुप में उन लोगों को रखा है जिनकी उम्र 31 वर्ष से 45 वर्ष हो गयी है।
4. जेनरेशन वाय: इस श्रेणी में वो व्यक्ति आते हैं जिनकी उम्र 24 से 30 वर्ष है। और
5. जेनरेशन जेड: इस श्रेणी में वो युवा हैं जिनकी उम्र 15 से 24 वर्ष होती है।
जेनरेशन या पीढ़ी के बारे में तो ये बातें जनसंख्या विदों के हिसाब सामने आयीं हैं, जिसमें समय-समय पर परिवर्तन भी किये गये हैं। इससे यह मालूम हो सका कि जेनरेशन जेड किसे कहते हैं। इसके लिए हिंदी में उभरती पीढ़ी शब्द है। जिसका आशय वो युवा वर्ग जो अपनी नयी जिंदगी शुरुआत करने वाला है। जानकार लोगों ने इस तरह के लोगों को अपने हिसाब से छांटा है। वर्तमान समय के अनुसार जेनरेशन जेड में वो युवा आते हैं जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच हुआ है।
जेनरेशन जेड की खास बातें
आज के जेनरेशन जेड की खास बात यह है कि यह शुरू से ही स्मार्ट फोन और इंटरनेट के सम्पर्क में है। इससे ये युवा दुनिया भर में होने वाली गतिविधियों से जुड़ा रहता है। इस कारण ये युवा दुनिया भर की आर्थिक गतिविधियों की पूरी जानकारी रखता है। इस जेनरेशन जेड के बारे में मीडिया रिपोर्ट पर भरोसा करें तो 95 प्रतिशत इस युवा के पास अपना खुद का स्मार्ट फोन और इंटरनेट है। इसके अलावा ये युवा प्रतिदिन कम से कम चार घंटे तक इंटरनेट पर बिताकर खुद को अपडेट करता रहता है। देश की लगभग 135 करोड़ की आबादी में जेनरेशन जेड के युवा की संख्या लगभग 5 करोड़ है। चंकि जेनरेशन जेड के युवा अच्छी आर्थिक स्थिति के माहौल में बढ़े हुए हैं। इसलिये उन्हें बहुत अच्छी शिक्षा भी मिलती है। इस कारण वो अपनी पुरानी पीढ़ियों के ज्ञान और तकनीक से बहुत आगे हैं।
नए युवा की नई रोजी-रोजगार
जेनरेशन जेड का युवा वर्ग धीरे-धीरे रोजी-रोजगार की ओर बढ़ रहा है। इस युवा का काम करने का अपना अलग ही अंदाज है। नये जमाने का नया युवा उन गैर पारंपरिक एजूकेशन कोर्स करने को तरजीह दे रहा है जिसकी पढ़ाई पूरी करने के बाद शैक्षिक योग्यता के साथ-साथ वो स्किल डेवलप हो सके जिसके जरिये जॉब आसानी से मिल सके। इसके अलावा ये युवा उन कोर्सों को करने को प्राथमिकता देता है जिनसे रोजगार करके अच्छा खासा पैसा कमाया जा सकता है।
किसी जमाने में जल्दी-जल्दी आर्गनाइजेशन बदलना कारपोरेट जगत में खराब माना जाता था और ऐसा करने वाले व्यक्ति को अच्छे संस्थान अपने यहां जॉब देने से कतराते थे। संस्थानों के अनुभवी अधिकारियों का ऐसे व्यक्तियों के बारे में यह अनुमान होता था कि इस व्यक्ति में ही कोई ऐसी कमी है जो किसी संस्थान में लम्बे समय तक काम नहीं कर पाता है। जमाना बदलने के साथ यह ट्रेंड भी बदल गया है। अब बदले हुए जमाने में स्किल का पूरा लाभ मिलता है। स्किल्ड पर्सन जितना जम्प लगाता है उसको उतना ही अधिक फायदा होता है। जेनरेशन जेड वाले युवा इसलिए स्किल पर ज्यादा जोर देते हैं और किसी भी आर्गनाइजेशन में तभी तक काम करते हैं जब तक दूसरे आर्गनाइजेशन से अच्छा ऑफ़र नहीं मिलता। जैसे ही अच्छा ऑफ़र मिलता है पुराने संस्थान को छोड़ने में देर नहीं लगाते हैं। इस युवा को शुरू-शुरू के एक या दो साल काफी मुश्किल भरे जॉब से गुजरना होता है, अनुभव हाथ में आते ही युवाओं की उड़ान तेजी से शुरू हो जाती है। जेनरेशन जेड के अधिकांश युवाओं ने बदले जमाने के जॉब की पॉलिसी से अच्छी ट्यूनिंग मिला ली है और वे फ्रीलांसर के रूप में या शार्ट टर्म अथवा कॉन्ट्रेक्ट बेस्ड जाब कर रहे हैं। इससे उन्हें काफी फायदा भी मिल रहा है।
जॉब करने के अलावा बिजनेस करने वाले जेनरेशन जेड के युवा भी टेक्नालॉजी पर अधिक विश्वास करते हैं और वे इंटरनेट से जुड़ी सॉफ्टवेयर गतिविधियों से जुड़े काम जैसे सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, ग्राफिक डिजाइन और एनीमेशन, डिजिटल एडिटिंग करना अधिक पसंद करते हैं।
बदल गया है एजूकेशन पैटर्न
उभरती पीढ़ी का युवा बहुत ही टैलेंटेड और आत्म निर्भर होता है। इसका कारण यह है कि ये युवा पुराने लोगों की तरह केवल डिग्री वाली पढ़ाई नहीं करता बल्कि वो ऐसी पढ़ाई करता है जिसके दम पर कहीं भी अच्छे पैसे वाली जॉब आसानी से मिल जाये। यही नहीं ये युवा उस तरह की जॉब की तैयारी करता है जिसमें जल्दी-जल्दी तरक्की मिले। सरकारी नौकरी में तो तरक्की पाने में कई साल लग जाते हैं जबकि प्राइवेट या एमएनसी जॉब में प्रमोशन स्किल और एक्सपीरियंस के आधार पर जल्दी-जल्दी हो जाते हैं।
जेड जेनरेशन के खास गुण
1. बचत करना हर किसी की प्राथमिकता होती है। जेनरेशन जेड के युवा इस बात को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं।
2. लगातार इंटरनेट से जुड़े रहने के कारण इन युवाओं को आर्थिक मंदी, लोन डिफाल्ट और यहां तक कि रिटायरमेंट प्लान और परिवार अथवा व्यक्ति तौर पर आने वाले अनेक खर्चों के बारे में अच्छी जानकारी होती है।
3. यह कहा जाता है कि अच्छी तरह की सूचनाएं मिलने के बाद कोई व्यक्ति अच्छे निर्णय ले सकता है। यही कारण है कि आज का युवा पैसे के मामले में बहुत अच्छे और मैच्योर निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं।
4. कैरियर की शुरुआत में यदि कोई अच्छा पर्सनल फाइनेंशियल प्लान बना लेता है तो आगे की जिंदगी बहुत आरामदायक हो जाती है।
5. शार्ट टर्म या कॉन्ट्रेक्ट पर काम करने वाले जेनरेशन जेड के युवा जॉब शुरू करने के पहले दिन से ही बचत करना शुरू कर देते हैं क्योंकि उन्हें अपने जॉब की कोई गारंटी तो होती नहीं है। इसके अलावा वो यह सोचते हैं कि जब जॉब नहीं होती उस समय के लिए खर्च आदि के लिए ये बचत ही काम आयेगी।
कैसे शुरू करें बचत करना
जेड जेनरेशन के बहुत से ऐसे भी युवा होते हैं जो आज की मौज मस्ती पर ध्यान देते हैं और यह सोचते हैं कि कल का कल देख लेंगे। कहने का मतलब यह है कि जितनी आमदनी होती है उसे खर्च करने में विश्वास रखते हैं, बचत करने के बारे में सोचते तक नहीं हैं। युवाओं की यह आदत अच्छी नहीं है, उनके लिए बचत करना जरूरी होता है।
जो युवा अपने जीवन को सुरक्षित और आरामदायक बनाना चाहते हैं तो उन्हें अपनी आमदनी के एक-एक पैसे का सही सदुपयोग करना चाहिये और भविष्य के अनिश्चितकाल के लिए थोड़ी बहुत बचत भी करनी चाहिये।
अक्सर लोगों को यह कहते सुना गया कि खर्च पूरा नहीं पड़ता है तो बचत कहां से की जाये। यहां पर यह बताया जाता है कि बचत के लिए दिमाग लगाना होता है, तो बचत होती है। कोई जरूरी नहीं कि लम्बी चौड़ी रकम की बचत की जाये। छोटी-छोटी बचत भी कभी कभी बहुत फायदेमंद होती है।
बचत करने के लिए सबसे पहले कहां से शुरुआत करें, आइये जानते हैं कुछ खास टिप्स:-
1. पर्सनल बजट बनायें: सबसे पहले आप अपनी आमदनी के हिसाब से पर्सनल बजट बनायें। इसमें बचत को को भी पहले से स्थान दें। बजट बनाने से पहले अपनी जरूरतों की सारी वस्तुओं और उन पर होने वाले खर्च का हिसाब लगायें। अपने प्लान में अपने सारे खर्चे जैसे मकान का किराया हो तो उसे, बिजली-पानी का खर्च, बीमा की किश्त, लोन लिया हो तो उसकी चुकाने वाली किश्त, कोई देय टैक्स हो तो उसकी रकम, किचेन में इस्तेमाल होने वाला खाने-पीने का सामान का खर्च, इसके अलावा यदि महीने में एक पिकनिक, सैरसपाटा व मनोरंजन पर होने वाले खर्च को भी जोड़ें। इन सबको अपनी आमदनी के हिसाब से बनायें और इसमें कोशिश करें कि जरूरी खर्च ही किये जायें और जहां पर बचत की जा सकती हो तो उसे करें। इस तरह से आप बचत की राशि निकाल सकते हैं।
2. बजट बनाने के बाद उसकी निगरानी भी करें कि कहीं कोई अधिक खर्च तो नहीं हो रहा है। इसके लिए आप टेक्नॉलाजी टूल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह के टूल का इस्तेमाल करने में तो जेड जेनरेशन के युवा एक्सपर्ट होते ही हैं।
3. अपनी आमदनी को सारे खर्चों को परसेन्टेज में बांटें। उसके बाद आमदनी के बहुत छोटे से हिस्से को बचत के रूप में भी रखें। इससे आपको बचत करने की आदत बन जायेगी। यह काम आमदनी शुरू होने के पहले दिन से करें तो बेहतर होगा।
4. बजट बनाने के बाद यह कोशिश करें कि आपका खर्च आपकी आमदनी से अधिक न हो। आप किसी तरह के बेफिजूल खर्च के जाल में फंसने से बचें। हमेशा कोई चीज खरीदने के लिए आनलाइन आर्डर करते हैं तो उसे पहले से सोच समझ कर दिमाग में बैठा लें क्योंकि आनलाइन आर्डर के समय कंपनियों के अनेक आकर्षक आफर वगैरह दिख जायेगे। यह कंपनी की आपकी जेब से अधिक अधिक पैसे निकालने की चाल होती है। कंपनियों के इस जाल में फंसने से बचें।
5. अपने ऊपर अंकुश लगायें और आरामदायक जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं पर ही खर्च करें। फैशन के लिए रोजाना बदलाव करने की आदत से बचें। अपनी लाइफस्टाइल की मांगों को अपने बजट में सीमित रखने की पूरी कोशिश करें। यही आपके लिए बेहतर होगा।
6. कैरियर के शुरुआत में बहुत ही चुनौतीपूर्ण समय होता है। उस समय आपको सबसे ज्यादा संभल कर चलना होता है क्योंकि भविष्य में कैसा समय आने वाला होता है,कोई नहीं जानता। हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई समस्या आती ही रहती है, उसका सामना करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को पहले से ही तैयारी करनी होती है।
लोन की किश्त, क्रेडिट कार्ड के बिल समय पर चुकायें
बजट बनाने समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप अपने लोन की किश्त, क्रेडिट कार्ड के बिल और बीमा आदि की किश्त अवश्य ही समय पर चुकाते रहें। इससे इन सब पर लगने वाले ब्याज के अतिरिक्त खर्च से आपको मुक्ति मिलेगी। यदि एक बार आपने इसमें ढिलाई बरत ली तो आपके लिए ये सारी चीजें सिरदर्द बनने लगेंगी। एक बार समय पर किश्त न चुकाने से दूसरी बार दो किश्ते हों जायेंगी। जब आप एक बार एक किश्त नहीं चुका पाये तो दो किश्ते एक साथ कैसे चुका पायेंगे। इससे आपका बोझ बढ़ता जायेगा और टेंशन भी बढ़ेगी। क्योंकि इस पर लगने वाला कंपाउंड ब्याज और लेट फीस आदि लगने लगेगी। जो आपके अन्य खर्चों को प्रभावित करेगा। इसलिये इस तरह के भुगतानों पर अवश्य ही सख्ती बरतते रहें।
इमरजेंसी फंड भी बनायें
आपको अपने परिवार में होने वाले शादी-ब्याह, तथा ब्याह, जन्मदिन जैसे कार्यक्रमों में गिफ्ट आदि देने, अचानक बीमारी व अन्य किसी तरह के अचानक विपदा से निपटने के लिए एक इमरजेंसी फंड अवश्य बनाना चाहिये। इससे आपके समक्ष किसी तरह का समय आने पर आपको पूरी मदद मिलेगी। अन्यथा यह भी एक बचत हो जायेगी। कोशिश करें कि इसके लिए आप अलग से खाता खुलवायें ।
जेड जेनरेशन के युवा जो फ्रीलांसर या कान्ट्रेक्ट पर काम करने वाले हों या स्वयं का बिजनेस करने वाले हों, इनका कैरियर हमेशा अनिश्चित रहता है, उनके लिए तो इमरजेंसी फंड बनाना बहुत ही अनिवार्य है।
रिटायरमेंट के लिए प्लान बनायेंजेड जेनरेशन के युवाओं को यह सोचना चाहिये कि जब जॉब शुरू की है तो एक न एक दिन रिटायर तो होना ही है। रिटायरमेंट के बाद क्या करेंगे, कैसे जीवन चलेगा, इसके लिए कैरियर शुरू करने के साथ ही प्लान बनाना होगा। इसके लिए आपको छोटी सी ही धनराशि को इन्वेस्ट भी करना होगा। इसके लिये ये युवा म्यूचुअल फंड, शेयर, सोना या प्रॉपर्टी पर इन्वेस्ट करें। इसके लिए आपको अपने लोन आदि इन्वेस्ट करें। इसके लिए आपको इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की मदद लेनी होगी। यदि सही समय पर सही जगह पर इन्वेस्ट किया गया तो उससे होने वाली आय से आपको अतिरिक्त मदद भी मिल सकती है।
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