भारत की 10 ऐतिहासिक सबसे पुरानी छोटी मार्केट, छोटे व्यवसायों के लिए सीख
भारत का इतिहास अनेक शक्तिशाली राजाओं-महाराजाओं के विशाल शासन की अमूल्य संस्कृति, परम्पराओं से भरा पड़ा है। इनका प्रभाव आज भी हमारे जीवन में स्पष्ट दिखाई देता है। शताब्दियों में आये अनेक परिवर्तन के बाद भी कुछ चीजें ऐसी मौजूद हैं जिनमें कोई बदलाव नहीं आया है। इसके लिए ऐतिहासिक बाजारों का उदाहरण लिया जा सकता है। कई मार्केट तो 500 साल पुरानी हो चुकी हैं, इनमें भौतिक बदलाव भी हुए हैं लेकिन ये परम्परागत बाज़ार 500 साल पहले वाली वस्तुओं के लिए आज भी मशहूर हैं। जमाने में आये बदलाव के बावजूद वहां पर इन बाजारों में हो रहे व्यवसाय आज भी पुरानी यादों को ताजा करते हैं। इन बाजारों में आज भी पारंपरिक वस्तुएं बिक रहीं हैं और लोगों को इन बाजारों से काफी लाभ भी मिल रहा है। इनमें से 10 प्रमुख ऐतिहासिक बाज़ार इस प्रकार हैं, जहां पर छोटे कारोबारी आज भी व्यापार करके लाभ कमा सकते हैं:-
1. दिल्ली का मीना बाजार
दिल्ली का मीना बाजार को सबसे पुराना बाजार माना जाता है। इस बाजार की चर्चा मुगल काल के अनेक सम्राटों के शासनकाल में होती रही है। विशेषकर बादशाह अकबर के कार्यकाल में इस बाजार का जिक्र इतिहास में कई बार आया है। इस बाजार में प्राचीन काल में शादी-ब्याह से जुड़े सामान का कारोबार होता था। यह मार्केट नई दिल्ली के जामा मस्जिद कलां और दालान के बीच स्थित है। इस बाजार में आज भी शादी-ब्याह से जुड़ा सामान मिलता है जो पुरानी याद को ताजा करता है। मीना बाजार में साड़ी, सूट की अनगिनत वैरायटियां मिलतीं हैं। इसके अलावा यहां पर ज्वैलरी की अनगिनत वैरायटियां भी मिलतीं हैं। यहां की साड़ियां, सूट, गले के हार, जंजीर, मंगलसूत्र, कानों की बालियां, टॉप्स, झुमके के अलावा अनेक तरह की ज्वैलरी दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। सबसे खास बात यह है कि इस बाजार में बड़ी-बड़ी दुकानों के अलावा थोक की अनेक दुकाने हैं, जहां से छोटा कारोबार करने वाले अपनी मनपसंद की चीजें ले जाकर उनका फुटकर व्यवसाय कर सकते हैं।
2. चेन्नई का जार्ज टाउन मार्केट
चेन्नई का जार्ज टाउन मार्केट बहुत पुराना है। पहले इस मार्केट को ब्लैक टाउन के नाम से जाना जाता था। इस मार्केट को सेंट जार्ज द्वारा 16 वीं शताब्दी में स्थापित किया गया था। इस मार्केट का नाम ब्लैक टाउन से जार्ज टाउन उस समय रखा गया जब 19 वीं शताब्दी में किंग जार्ज भारत के दौरे पर आये थे तो उन्होंने इस मार्केट का भी दौरा किया था। जार्ज टाउन की मार्केट प्राचीन समय में भी प्रत्येक चीज के लिए जानी जाती थी। यहां पर हर तरह के सामान, कपड़ा, ज्वेलरी, गृहस्थी का सारा सामान व सब्जियां आदि भी बेची जातीं थी। यहां पर बने प्राचीन ब्रिटिशकालीन इमारतों को आज भी देखा जा सकता है। जहां ये पहले अंग्रेजों के आवास हुआ करते थे अब वे सरकारी इमारतों में तबदील हो गये हैं। इस मार्केट की सबसे खास बात यह है कि आज भी प्राचीन काल की तरह गृहस्थी में काम आने वाले प्रत्येक चीज की खरीद-फरोख्त होती है। यहां पर कपड़ा, राशन, सब्जी, फल, किचेन के बर्तन, साफ-सफाई के सामान, खेलकूद का सामान, आधुनिक सुविधा के सामान फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि प्रत्येक चीज आज भी मिलती है। इस मार्केट में जहां बड़े बड़े शोरूम और शॉप व मिनी मार्ट हैं वहीं यहां पर सड़क के किनारे पटरी पर व्यवसाय करने वाले लोग भी आते हैं। इसके अलावा यहां की थोक मार्केट से सामान लेकर छोटे कारोबारी अपना व्यवसाय करते हैं। आज भी छोटे व्यवसायियों के लिए यह मार्केट काफी अच्छी है।
3. हैदराबाद का लाड बाजार
हैदराबाद निजाम के नवाबों का शहर है। इस शहर का लाड बाजार प्राचीन काल से अपनी परम्परागत वस्तुओं के लिए आज भी मशहूर है। इस बाजार में सभी तरह की उपयोगी वस्तुएं आपको मिल जायेंगी। लेकिन यहां की परफ्यूम, साड़ियां, कढ़ाई-कशीदाकारी का सारा सामान व मोती बहुत मशहूर हैं। लोग इन वस्तुओं को लेने के लिए बहुत दूर-दूर से आते हैं। प्राचीन काल में यह मार्केट शौकीन नवाबों के लिए बनायी गयी थी। उस समय भी यहां की मार्केट में मोती, माणिक्य, मुक्ता व इनके बने सामान हार वगैरह बिकते थे। आज हार वगैरह पुराने जैसे तो नहीं बिकते हैं लेकिन मोती व उनसे बनी ज्वैलरी अवश्य ही आकर्षण की वस्तुएं हैं, जो आज भी यहां बिकतीं हैं। चूंकि यहां पर फैशन और शौक की वस्तुएं बिकतीं हैं। इसलिये इस बाजार के दुकानदार अपने यहां आने वाले ग्राहकों को शौकीनमिजाज ग्राहक समझते हैं। इसलिये लाड बाजार के ये दुकानदार अपने ग्राहकों से मनमाने दाम मांगते हैं। यहां आने वाले ग्राहकों को जितना अधिक मोलभाव या सौदेबाजी करना आता होगा वो उतने ही फायदे में सामान ले जा सकते हैं । यहां के दुकानदार तो किसी भी चीज के दिल्ली की पालिका बाजार के जैसे दो गुने या उससे भी अधिक दाम बताते हैं और मोलभाव करने में वे काफी कम पैसे में अपना सामान बेच देते हैं। हैदराबाद में लाड बाजार विश्व प्रसिद्ध चार मीनार के ठीक बगल में ही स्थित है।
4. जयपुर का जौहरी बाजार
जयपुर ऐतिहासिक नगरी है। आजादी से पहले यहां पर राजाओं और महाराजाओं का राज्य हमेशा रहा है। राजाओं और महाराजाओं को खुश करने के लिए यह बाजार यहां के स्थानीय जौहरियों यानी आभूषण बनाने वालों ने प्राचीन काल में लगाया था। उस समय यहां पर तरह-तरह के आभूषण एवं कपड़े आदि सामान बेचा जाता था। काफी जमाने के बाद भी आज यह बाजार अपनी पुरानी परम्पराओं और संस्कृति को समेटे हुए हैं। प्राचीनकाल में यहां पर आभूषण, लहंगे, कपड़े, घर की साज सजावट का डिजाइनर सामान, लाख की चूड़ियां, चटख रंग वाले परम्परागत घाघरा आदि बिकता था। आज के नये जमाने में भी ये सारी चीजें तो बिकतीं हैं और इनमें से कुछ नई चीजें और जुड़ गयीं हैं। इन सब चीजों को बिकते देख यहां आने वाला ग्राहक पुराने जमाने की बाजार की याद ताजा कर सकता है। जौहरी बाजार के नाम से ही आप जान सकते हैं कि यह बाजार ज्वैलरी यानी आभूषण का बाजार हो सकता है। इस बाजार में पोल्की ज्वैलरी, कुन्दन ज्वैलरी, और जयपुर की विश्व प्रसिद्ध इनैमल से बनी मीनाकारी की ज्वैलरी ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। वहीं यहां के चटख रंग वाले लहंगे, आकर्षक कढ़ाई वाले लहंगे, सोने-चांदी के तार वाले लहंगे, यहां की विश्व प्रसिद्ध चूड़ियां, कडे व कंगन आदि भी बाजार की मुख्य आकर्षण की वस्तुएं हैं। यह बाजार जयपुर की राजसी ठाट-बाट व शानोशौकत की याद दिलाता है। इस बाजार में प्राचीनकालीन मूर्तियां व अन्य वस्तुएं भी बिकतीं हैं। यहां पर कपड़ों और लाख की चूड़ियों के कारोबार में छोटे कारोबारी अपना भाग्य आजमा सकते हैं।
5. मुम्बई का चोर बाजार
मुम्बई के इस बाजार का नाम सुनकर लोग अवश्य चौंक सकते हैं कि क्या इस बाजार में हमेशा से ही चोरों का कब्जा रहा है? यदि कोई ऐसा सोच रहा है तो पूरी तरह से गलत भी नहीं तो पूरी तरह से सही भी नहीं है। दरअसल यह बाजार ब्रिटिश राज में बना है। उस समय इस बाजार में सामान खरीदने के लिए इतनी भीड़ रहती थी कि हमेशा ही शोर-शराबा होता रहता था। काफी शोर होने के कारण इस बाजार का नाम शोर बाजार रखा गया। इस बाजार में प्रत्येक चीज मिल जाती थी। बाद में इस बाजार का नाम चोर बाजार उस समय रख दिया गया जब इस मार्केट में कई बार चोरी का सामान बेचते हुए पकड़ा गया।
इस बाजार में दुनिया की ऐसी कोई चीज नहीं होगी जो यहां बिकती न हो। हां इस चोर बाजार की एक खास बात यह भी है कि यहां पर नया सामान तो बिकता ही है। साथ ही यहां पर इस्तेमाल किया हुआ सामान यानी सेकेंड हैंड सामान भी बेचा जाता है। इस बाजार की एक खास बात और है कि यह चोर बाजार पूरे दिन खुली रहती है। यहां पर ऐसी-ऐसी दुर्लभ चीजें बिकतीं मिल जायेंगी जो किसी भी बाजार में नहीं मिल सकतीं हैं। यहां मिलने वाली दुर्लभ कलाकृतियां बहुत मशहूर हैं। यहां लोग अपने घरों को सजाने वाली इन दुुर्लभ कलाकृतियों को खरीदने के लिए विशेष रूप से आते हैं। इस बाजार में बिकने वाली झुमकी दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं। इन झुमकियों के शौकीन लोगों की बाजार में हमेशा भीड़ रहती है। क्योंकि इस तरह की झुमकियां केवल यही मिलतीं हैं और कहीं भी नहीं मिल सकतीं। यहां पर छोटे कारोबारी कम पूंजी लगाकर अपना व्यापार कर सकते हैं। इसके अलावा सेकेंड हैंड के मार्केट में भी भाग्य आजमा सकते हैं।
6. जोधपुर का सरदार मार्केट
राजस्थान की राजपूती आन-बान-शान का प्रतीक है जोधपुर का सरदार मार्केट। राजस्थान में जयपुर के बाद जोधपुर ही सबसे बड़ा शहर है। राजस्थान के इस ऐतिहासिक मार्केट की स्थापना जोधपुर के महाराजा रहे सरदार सिंह ने ही करायी थी। इसलिये यह सरदार मार्केट महाराजा सरदार सिंह के नाम से विख्यात हुई है। प्राचीन काल में इस मार्केट में शादी-ब्याह के समस्त सामान की बिक्री होती थी। यह मार्केट अपनी उसी परम्परा को कायम रखे हुए है। अब जमाने में आये बदलाव के कारण इस मार्केट में शादी-ब्याह के सामान के साथ, किसी तरह के भव्य कार्यक्रम के आयोजन का सारा सामान आसानी से मिल जाता है। इस मार्केट में बिकने वाली हस्तकला की वस्तुएं यानी हैंडीक्राफ्ट आर्टिकल्स, मसाले, दुर्लभ कलाकृतियां, कपड़े मुख्य आकर्षण की चीजें हैं। इस बाजार की सबसे खास बात यह है कि यहां पर सामान बेचने वाले विक्रेता यानी दुकानदार राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा में रहते हैं। इससे यहां का माहौल पूरी तरह से राजस्थानी रहता है, जो बाजार का मुख्य आकर्षण होता है। ग्राहक भी ऐसे दुकानदारों को देखकर उनके सामान के प्रति आकर्षित होते हैं। इन दुकानदारों का व्यवहार इतना अच्छा होता है कि कोई ग्राहक यदि बिना मन से ही कोई वस्तु का दाम पूछता तो ये दुकानदार उसको अपने व्यवहार से माल खरीदने को विवश कर देते हैं। इस मार्केट में यहां मिलने वाला राजस्थानी जूता देश-विदेश में मशहूर है। इस बाजार में आने वाला ग्राहक इन जूतों को तलाश कर खरीदता है। लोकल प्रोडक्ट की प्रमुख बाजार होने के कारण इस बाजार में छोटे कारोबारी के लिए व्यापार करने की संभावनाएं हमेशा बनी रहतीं हैं।
7. इम्फाल का इमा मार्केट
भारत के पूर्वोत्तर के पहाड़ी राज्य मणिपुर की राजधानी इम्फाल की यह इमा मार्केट ऐतिहासिक मार्केट है। इस मार्केट की सबसे आश्चर्यजनक व मजेदार बात यह है कि यह विश्व की पहली ऐसी मार्केट है जहां पर दुकानें सिर्फ महिलाएं ही चलातीं हैं। इसके मतलब यहां का सारा कारोबार महिलाओं के हाथ में ही रहता है। इस मार्केट में कोई पुरुष दुकानदार नहीं मिलेगा। यहां की महिलाएं आपको लंच पर सामाजिक व राजनीतिक बहस करती मिल जायेंगी। ये महिलाएं बहुत ही सभ्य तरीके से अपनी दुकानों को चलातीं हैं। वहां जाने वाला ग्राहक अपनी पसंद की चीज आसानी प्राप्त कर सकता है। इस मार्केट के बारे में यह बताया जाता है कि यहां पर सभी सामान फिक्स प्राइस पर मिलता है। मोलभाव नहीं किया जाता है। इमा मार्केट में लगभग 4000 महिला व्यवसायी अपनी दुकानें संचालित करतीं हैं। आप यहां पर मणिपुर के पारम्परिक वेशभूषा के कपड़े, मसाले, स्थानीय जड़ी-बूटी आदि खरीद सकते हैं। इस मार्केट का कोई लिखित इतिहास तो उपलब्ध नहीं है लेकिन कहा जाता है कि यह मार्केट सदियों से इसी तरह से चली आ रही है। यहां पर पारम्परिक वस्तुओं का व्यापार किया जाता है। अब जमाना बदलने के कारण कुछ नयी महिला व्यवसायियों ने नये ग्राहकों की पसंद को देखते हुए आधुनिक वस्तुओं की भी दुकानें खोल लीं हैं।
8. लखनऊ का अमीनाबाद
दिल्ली के मीना बाजार की तरह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का अमीनाबाद बाजार भी अपनी खास चीजों के लिए पूरे विश्व में मशहूर है। लखनऊ नवाबों का शहर रहा है। लखनऊ के नवाब अपनी अदाओं और शौक के लिए पूरी दुनिया में मशहूर रहे हैं। इन नवाबों के नवाबी शौक के किस्से इतिहास में भरे पड़े हैं। नवाबों के समय में स्थापित अमीनाबाद बाजार यहां के स्वादिष्ट व्यंजन, चिकन की कढ़ाई के कपड़े, परफ्यूम व अन्य जरूरत के सामान के लिए काफी चर्चित था। यहां के बाजार की खासियत की चर्चा उस समय के राजा-रजवाड़ों में अक्सर हुआ करती थी। अमीनाबाद बाजार में चिकन, चाट, स्वादिस्ट व्यंजन, रेवड़ियां मुख्य आकर्षण हैं। यहां का चिकन का कुर्ता-पाजामा, चिकन की साड़ियां, दुपट्टा आदि दूर-दूर तक मशहूर है। हालांकि आज आधुनिकता और व्यापारिक होड़ के चलते इन पारंपरिक वस्तुओं के अलावा सभी तरह का सामान अब अमीनाबाद में मिलता है। चिकन के काम में भी अब काफी बदलाव आ गया है। पहले जहां पर केवल हाथ से ही कढ़ाई करके ही चिकन का काम किया जाता था। अब उसके लिए मशीनों का सहारा लिया जाता है लेकिन लखनऊ के पुराने वाशिंदे आज भी हाथ की चिकन की कढ़ाई वाला ही कपड़ा खरीदते हैं, चाहे कितना ही महंगा मिले। यहां का व्यापार काफी अच्छा है और छोटे कारोबारियों के लिए बहुत गुंजाइश है। वो यहां से काफी कुछ सीख सकते हैं।
9. अतर बाजार कन्नौज
पृथ्वीराज सिंह चौहान व हर्षवर्धन जैसे ऐतिहासिक सम्राटों के नाम सामने आते ही कन्नौज नगरी का नाम याद आ जाता है। इस ऐतिहासिक नगरी खासियत यहां के इत्र यानी परफ्यूम के बाजार की है। राजाओं और महाराजाओं के जमाने से यहां का इत्र बाजार पूरे विश्व में मशहूर है। यहां के इत्र का निर्माण यानी मैन्यूफैक्चरिंग अलग तरीके से होती है। यहां के इत्र के बारे में कहा जाता है कि मुगल काल में कई सम्राट यहां से प्रतिदिन अपने इस्तेमाल के लिए इत्र मंगाया करते थे। पहले यह नगर उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में आता था लेकिन अब कन्नौज खुद जिला बन गया है। इसके साथ ही यहां के इत्र के कारोबार में भी तरक्की हुई है। सबसे खास बात यह है कि यहां पर अतर बाजार के नाम से कोई खास मार्केट नहीं है बल्कि यहां पर इत्र बनाने वालों की अपनी-अपनी कोठियां हैं और उन्हीं कोठियों से थोक व फुटकर व्यापार किया जाता है। अब कन्नौज सिटी में कुछ इत्र की दुकानें लगने लगीं हैं। यहां आपको सभी तरह के इत्र मिल जाते हैं। कन्नौज से भारी मात्रा में इत्र विदेशों को निर्यात भी किया जाता है। छोटे व्यवसायी यहां पर इत्र के सहायक उद्योगों में काम करके लाभ कमा सकते हैं।
10. सूरत का महीधरपुरा डायमंड मार्केट
गुजरात के सूरत शहर में महीधरपुरा डायमंड मार्केट अपनी ऐतिहासिक पहचान के लिए मशहूर है। यहां का गणेश चतुर्थी उत्सव मुंबई तक चर्चित रहता है। यहां पर सजने वाली गणेश जी की मूर्तियां दूसरे शहरों के लिए प्रेरणा का काम करतीं हैं। महीधरपुरा डायमंड मार्केट में हीरों की कटाई, छंटाई व चमकाने का काम होता है। सूरत शहर के व्यापार दुनिया भर से बिना कटे हुए अर्थात खदानों से निकले हीरों का आयात करते हैं और फिर उन्हें तराश कर ऐसा निखारते हैं कि पूरी दुनिया के लोग चौंकते रह जाते हैं। इस बाजार की खासियत यह कि यहां करोड़ों के हीरों का कारोबार सड़कों पर ही होता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए कि दूसरे शहरों में जिस तरह से किराने की दुकाने होतीं हैं महीधरपुरा के डायमंड मार्केट में वैसे ही हीरें की दुकानें होती हैं। इसलिए इस मार्केट से छोटे कारोबारी बहुत कुछ सीख सकते हैं।
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