इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट बिज़नेस, किसमें है फ़ायदा और किसमें नुक़सान
इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट बिज़नेस, और हिंदी में कहें तो आयात-निर्यात व्यवसाय एक ऐसी कंपनी है जो घरेलू और विदेशी कंपनियों के बीच वस्तुओं और वस्तुओं के व्यापार की सुविधा प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह एक ऐसी कंपनी है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सामान की खरीद और बिक्री करवाती है। वैश्वीकरण के इस दौर में देश की सीमाएं आपको आपका बिज़नेस बढ़ाने से नहीं रोक सकती। देश में उदारीकरण को लगभग 30 साल हो गए हैं और एक्सपोर्ट- इम्पोर्ट बिज़नेस तब से बढ़ता ही जा रहा है। जहाँ भारत अपने विशिष्ट उत्पाद और सेवाएं दुनिया भर में निर्यात कर रहा है,वहीँ दुनिया भर से भारत में भी कई तरह की चीज़ें आयात की जा रही हैं, ताकि भारतीय ग्राहकों को भी वैश्विक स्तर के उत्पाद उपलब्ध कराए जा सकें।
आज की दुनिया में जहाँ सब कुछ तेज़ी से एक दुसरे से जुड़ता जा रहा है, अंतर्राष्ट्रीय खरीद -फरोख्त करना बेहद आसान हो गया है। खान-पान की चीज़ें या तकनीक जैसी चीज़ें तो हमेशा से ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अहम रही हैं, परन्तु अब दुनिया की हर छोटी से छोटी चीज़ भी सभी लोगों के लिए उपलब्ध है। चाहे बड़ी कम्पनियाँ हो या फिर अपनी कंप्यूटर स्क्रीन के पीछे बैठा एक आम आदमी ,हर कोई अब वैश्विक व्यापार से किसी न किसी रूप में जुड़ गया है। एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट कम्पनीज़ कस्टमर्स तक सामान पहुंचाने के लिए नित नए तरीके निकाल रही हैं। इससे अब ग्राहकों के इंतज़ार का समय भी कम हुआ है।
आजकल लोगों के पास बिज़नेस के ढेरों आइडियाज हैं पर सफलता की गारंटी किसी में नहीं। एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट एक ऐसा बिज़नेस है जिसमें आपकी डिग्री, बैकग्राउंड आदि का कोई लेना देना नहीं है। कोई भी इसमें अपना करियर बनाने की सोच सकता है। इस बिज़नेस की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें सफल होने के लिए आपको बड़े-बड़े ऑफिसेस, बिल्डिंग्स या फैक्ट्री आदि से कोई मतलब नहीं है। इस बिज़नेस में बस आपके प्रोडक्ट की तूती बोलती है। जितना अच्छा माल, उतना अच्छा प्रॉफिट। आप अपने बिज़नेस का विस्तार सिर्फ अपने उत्पाद की क्वालिटी पर ही कर सकते हैं। साथ ही आपके अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों और बिज़नेस की समझ, मेल-जोल का स्वभाव, आपके कॉन्टेक्ट्स आदि कुछ ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु हैं जो आपकी सक्सेस को निर्धारित करते हैं।
क्या यह लाभकारी है?
इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट बिज़नेस में लाभ कमाने के मौके काफी ज़्यादा हैं ।जितना भी पैसा आप कमिशन के रूप में कमाते हैं, उसका अधिकतर हिस्सा आपके पास ही रहता है क्योंकि इस बिज़नेस की ओवरहेड कॉस्ट काफी कम होती है। ओवरहेड कॉस्ट वो कॉस्ट होती है जो बिज़नेस को सुचारु रूप से चलाने में सहायक होती है, जैसे की शोरूम का किराया, ऑफिस की बिजली का बिल आदि।
सरकार की निरंतर कोशिश रहती है की एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बिज़नेस को बढ़ावा दिया जाए। हालाँकि गैर कानूनी गतिविधियों के डर से इससे जुडी प्रक्रियाएं जटिल रखी गयीं हैं। काफी सारी डॉक्यूमेंटेशन की भी आवश्यकता होती है। यही सब इस बिज़नेस को थोड़ा जटिल बनाता है।
इक्कीसवीं सदी में इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का बिज़नेस फायदा का सौदा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आपके प्रॉफिट कमाने के अवसर बढ़ जाते हैं, क्योंकि यहाँ हर उत्पाद पर प्रॉफिट मार्जिन घरेलु मार्किट के मुकाबले कहीं अधिक होता है। हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कदम रखने से पहले आपको अपने प्रोडक्ट और अपने मार्किट की पूरी जानकारी होना अति आवश्यक है।
क्या इसमें किसी तरह का पूँजी निवेश आवश्यक होगा?
एक बड़ा मिथक है कि आयात-निर्यात सेवा शुरू करने के लिए बड़ी मात्रा में पूंजी की आवश्यकता होती है। यह सभी मामलों में सही नहीं है, अमूमन यह बिज़नेस न्यूनतम निवेश के साथ भी शुरू किया जा सकता है। सबसे ज़रूरी बात यह है कि निर्यात-आयात व्यवसाय शुरू करने वाले व्यक्ति को इस बिज़नेस से जुड़े जोखिमों के बारे में जानकारी हो ताकि वे अच्छी तरह से सूचित और तैयार रहकर जोखिमों को रोक सकें। दुर्भाग्य से, अधिकांश नए निर्यातकों और आयातकों को यह जानकारी कम है ।
आयत-निर्यात कंपनियों को काफी वित्तीय चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। अगर सही तरीके से निपटा नहीं गया तो ये चुनौतियां कंपनियों को कारोबार से बाहर कर सकती हैं। चूँकि लोकल और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी भारी मात्रा में व्यवसाय चल रहा होता है, गलतियां होने के अवसर भी उतने ही होते हैं। यदि एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट इंडस्ट्री में वित्त ठीक तरीके से मैनेज नहीं किया जाए, तो कंपनी काफी घाटे में जा सकती है। जब हम बहुत सारे देशों के साथ व्यापार करते हैं तो ध्यान देने की बातें भी और बढ़ जाती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में हर देश की अपनी एक नीति होती है। ऐसे में ये जानना ज़रूरी है आपका प्रोडक्ट किसी देश की नीति के कितने अनुरूप है। कई बार उत्पादन बढ़ जाने और मांग गिर जाने के कारण उद्यमी अपना सामान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेचने में असफल रहते हैं। इंटरनेशनल मार्किट में तेज़ी से बदलाव आते रहते हैं , ऐसे में इन बदलावों का नेगेटिव असर आपके बिज़नेस पर पड़ सकता है और बिज़नेस को हानि पहुंचा सकता है।देशों की मुद्रा विनिमय दर यानि करेंसी एक्सचेंज रेट भी घटती बढ़ती रहती है। ऐसे में अगर किसी देश की मुद्रा गिरती है तो आपका प्रॉफिट भी उसी अनुसार गिर सकता है।देश अक्सर आयात शुल्क बढ़ाते हैं। ईंधन की कीमतें अक्सर बदलती रहती हैं, जिससे परिवहन की लागत बढ़ जाती है। जिन देशों में आप काम कर रहे हैं, उनकी कीमतों को प्रभावित करने वाले अन्य कारक परिवहन और माल की लागत बढ़ा सकते हैं। ये ऐसे कारक हैं जिन पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है।
एक सीमा से दूसरी सीमा तक जाने में सामान काफी सारे पड़ावों से होकर गुज़रता है। यदि आप पानी के जहाजों के माध्यम से एक्सपोर्ट इम्पोर्ट कर रहे हैं, तो डैमेज का खतरा बढ़ जाता है। सफर के दौरान कोई भी अनहोनी घटना आपके सामान को नुकसान पहुंचाकर आपका भारी नुकसान करा सकती है। ऐसे लॉस से बचने के लिए आप अपना सामान इंश्यूर ज़रूर करवाएं।
एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट एक ऐसा बिज़नेस है जिसकी ज़रूरत कभी खत्म नहीं होगी। जबसे कारोबारियों ने सफर करना शुरू किया, यह बिज़नेस तभी से चला आ रहा है। और आज, वैश्वीकरण और परिवहन से आसान होते तरीकों के साथ ही यह भी बढ़ता ही जा रहा है। लाखों लोग और कंपनियाँ इस बिज़नेस के जोखिमों से जूझी हैं और पहले से कई ज़्यादा मज़बूत होकर बहार निकली हैं। यह निश्चित ही आपके लिए एक राहत का सन्देश होना चाहिए, कि आप कोई ऐसी लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं जिसमें हार की संभावना अधिक हो। अपनी राह पर भरोसे के साथ निकलें, सही सोच और कॉन्टेक्ट्स के साथ शुरू करें। लाभ के अवसर आपके इंतज़ार में हैं।
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