जूट बैग का व्यापार कैसे शुरू करें? कैसे करें सही लोकेशन का चुनाव, कितनी होगी लागत और कितना होगा फ़ायदा?

हमारे घर में जरूरतमंद सामान को लाने ले जाने के लिए निरंतर रूप से जूट बैग का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन क्या आपने कभी यह भी सोचा है कि आप खुद भी जूट बैंक का व्यापार शुरू कर अच्छा खासा मुनाफा कर सकते हैं।जूट बैग में सामान्य जूट बैग के अलावा चित्रित और सज़ाएँ हुए जूट बैग एवम शॉपिंग बैग, लैपटॉप बैग और महिला तथा पुरुषों के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हैंडबैग भी शामिल होते हैं।

कोई भी व्यवसाय शुरू करने से पहले आपको उस व्यवसाय के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए इसी को मद्देनजर रखते हुए हम आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं कि आखिर जूट बैग होता क्या है :-

  • जूट बैग के निर्माण में काम आने वाला जूट अपने ही नाम के एक जूट प्लांट से प्राप्त किया गया एक प्राकृतिक रेशा होता है, जिसको गोल्डन फाइबर के नाम से भी जाना जाता है।इस के इस नाम के पीछे की वजह है कि इसका रंग जो कि स्वर्ण जैसा होता है और वर्तमान समय में बाजार की आवश्यकताओं के अनुसार यह काफी महंगा भी होता जा रहा है।
  • आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जूट को खाया भी जाता है, तो आपको बता दें कि अफ्रीका और फिलीपींस देश के कुछ भागों में जूट के वृक्ष की पत्तियों को गर्म करके खाया जाता है।

क्या आपको पता है आने वाले समय में जूट व्यवसाय का मार्केट पोटेंशियल कहां तक जा सकता है :-

  • आपको बताते हैं कि 2012 में जो मार्केट पोटेंशियल केवल 0.9 बिलियन डॉलर था,वही 2017 में बढ़कर 1.6 बिलियन तथा 2022 में बढ़कर 2.6 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
  • इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय जूट व्यापार एसोसिएशन काउंसिल ने यह भी अनुमान लगाया है कि 2027 तक जूट व्यवसाय विश्व के कुल व्यवसाय में 3.7 बिलियन डॉलर का सहयोग प्रदान करेगा।

कच्चे माल की आवश्यकता :-

कच्चा जूट :-

कच्चा जूट अर्थात् वह जूट तो सीधे पौधे से प्राप्त किया जाता है इसे आप जूट के खेतों से और उनके बागान मालिकों से खरीद सकते हैं।

बैग का हैंडल :-

जूट बैग का हैंडल लगाने के लिए आप स्वयं जूट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, नहीं तो बाजार में उपलब्ध कई प्रकार के नई डिजाइन के हैंडल भी प्रयोग में लाए जा सकते हैं।

बेहतरीन गुणवत्ता का धागा :-

जूट के इन बैग को सिलने के लिए आपको बहुत ही बेहतरीन गुणवत्ता का धागे की भी आवश्यकता होगी हालांकि यह कहना बहुत ही हास्यास्पद होगा कि बिना मशीन के इस्तेमाल के आप इतना बड़ा व्यवसाय शुरू कर पाए।

इसलिए जानते है ऐसी मशीनें जिनकी जरूरत होगी :-

इंडस्ट्रियल सेविंग मशीन :-

इस मशीन का इस्तेमाल जूट बेगो की सिलाई के लिए किया जाएगा यदि आप इस व्यवसाय को और अधिक बढ़ाना बड़ा बनाना चाहते हैं तो आपको अधिक मशीनों की आवश्यकता होगी।

वर्तमान समय में बाजार कीमत के अनुसार एक सेविंग मशीन की कीमत लगभग आठ से नौ हजार के बीच में है।

डाई पेस्ट स्टीनर :-

इसका इस्तेमाल जूट बैग के रंग को परिवर्तित करने के लिए किया जाएगा यदि आप साधारण जूट बैग बनाना चाहते हैं तो आपको इसकी कोई जरूरत नहीं लेकिन यदि आप हैंड बैग और नई डिजाइन के रंग-बिरंगे जूट बैग का निर्माण करना चाहते हैं तो यह जरूरी है।

कोटेज स्टीमर :-

हालांकि इसका मुख्य इस्तेमाल तो कपड़ा उद्योग के व्यवसाय में किया जाता है, लेकिन यहां भी आपको इसकी जरूरत पड़ेगी।

वर्तमान समय में बाजार कीमतों के अनुसार यह आपको पन्द्रह हज़ार से बीस हज़ार के बीच में मिल जाएगा।

इसके अलावा भी आपको कई छोटी-मोटी मशीनों की जरूरत पड़ेगी जो कि आप अपनी जरूरत के हिसाब से खरीद सकते हैं।

कितनी जगह की होगी जरूरत :-

यदि आप जूट के कारोबार को एक नियमित आय प्रदान करने वाला व्यवसाय बनाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए एक अच्छी जगह है पर वर्कशॉप भी बनानी पड़ेगी यहां पर अच्छी जगह से तात्पर्य है कि - एक ऐसी जगह जहां पर आपको आसानी से कच्चे जूट की प्राप्ति हो सके और वहां पर बिजली एवं परिवहन की उपयुक्त व्यवस्था हो।

यदि परिवहन की उपयुक्त व्यवस्था हो तो कच्चे माल को आपके वर्कशॉप तक पहुंचने में और तैयार माल को बाजार तक पहुंचाने में लगने वाला खर्च काफी कम हो जाता है और यह आपकी कंपनी के लिए अतिरिक्त नुकसान की संभावना को कम कर देता है।

इसके लिए आपको 750 स्क्वायर मीटर से लेकर 1000 स्क्वायर मीटर तक की जगह की आवश्यकता होगी, यदि आप उस जगह को खरीद सकते हैं तो अच्छा है नहीं तो आप उसे बीस से तीस हजार रुपया प्रति महीने के किराए पर भी ले सकते हैं।

कितनी होगी कुल लागत :-

इस प्रकार आपकी कुल लागत 80 हज़ार से 90 हज़ार के बीच में होगी और जो जगह आपने इस्तेमाल की है उसकी लागत है आपको प्रति महीने अलग से देनी पड़ेगी।

जानिए कितना हो सकता है मुनाफा :-

यदि आप अस्सी से लेकर नब्बे हज़ार के खर्चे के साथ इस व्यवसाय को शुरू करते हैं तो 1 साल तक व्यवसाय करने के बाद आप निम्न प्रकार के बैग बेच कर इतना पैसा बना सकते हैं देखिए खुद :-

1. जूट बैग :-

70 हज़ार से 80 हज़ार क्वांटिटी / साल

एक क्वांटिटी की कीमत - 35 रुपया

कुल अमाउंट :- 25 लाख से भी ज्यादा

2. डिज़ाइनर लेपटॉप बैग :-

कुल क्वांटिटी - 1500 से दो हज़ार हर साल

एक क्वांटिटी की कीमत - 30 रुपया

कुल कीमत - लगभग 6 लाख रुपया

3. प्रिंटेड और सजाए गए शॉपिंग बैग :-

कुल क्वांटिटी - 25 से 30 हज़ार

एक क्वांटिटी की कीमत - 60 से 65 रुपया

कुल कीमत :- लगभग 20 लाख रुपया

इतनी बड़ी राशि देखकर आपको लग रहा होगा कि यह संभव नहीं है, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह पूर्ण रूप से वेरीफाई किया गया डाटा है जो की बड़ी-बड़ी कंपनियां प्रतिवर्ष अपनी स्वयं की पैदावार के आधार पर बनाती है।

अब आपको बताते हैं सफलता की कुछ टिप्स :-

  • कभी भी ऐसी जगह पर अपने उद्योग को स्थापित ना करें जहां पर परिवहन और महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव हो।
  • मार्केट में चल रही मांग के मद्देनजर आपको अपना उत्पादन करना चाहिए जैसे की उदाहरण के तौर पर समझिए - यदि मार्केट में लैपटॉप और रंग-बिरंगे डिजाइनर तथा सजाए हुए जूट बैग की मांग चल रही है परंतु आप साधारण बैग का उत्पादन कर रहे हैं तो उस स्थिति में आपका सामान नहीं बिक पाएगा।

भारत में कहां पाया जाता है सर्वाधिक जूट :-

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पूरे विश्व उत्पादन में बंगाल का डेल्टा मैदान और गंगा का डेल्टा मैदान जो कि बांग्लादेश और भारत में समाया हुआ है, सर्वाधिक जूट उत्पादन करता क्षेत्र है, क्योंकि जूट के प्लांट को बढ़ने के लिए अत्यधिक पानी की आवश्यकता होती है और उसे उच्च मात्रा में आर्द्रता की आवश्यकता होती है।

  • आने वाले समय में पर्यावरणीय प्रावधानों को ध्यान रखते हुए भी जूट उद्योग काफी अधिक प्रगति करेगा क्योंकि जूट को एक एनवायरमेंट फ्रेंडली रेशा माना जाता है, जोकि आसानी से पुनर्चक्रिय, विघटन कारी और बायोडिग्रेडेबल होता है।
  • अथार्त मिट्टी में पाए जाने वाले कीटाणुओं के द्वारा आसानी से गलाया जा सकता है, जबकि वहीं प्लास्टिक बैग धरती में पड़ा रहता है और जमीन की उर्वरा शक्ति को नष्ट करता रहता है।
  • इसके साथ ही जूट के पौधे की एक और विशेषता यह भी है कि इसके उत्पादन में किसी भी फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है।
  • 6 महीने के अंदर पूरी तरह से तैयार होने वाला जूट का पौधा पर्यावरण से अन्य पौधों की तुलना में अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का ग्रहण कर ऑक्सीजन का उत्पादन करता है।
  • जूट प्लांट की उत्पादन के लिए अलूवीयल  मृदा की आवश्यकता होती है और मानसून क्लाइमेट का काफी प्रभाव पड़ता है।इसके लिए तापमान 20 से 40 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच में रहना चाहिए।
  • जूट मुख्यतः दो प्रकार का होता है -  सफेद जूट और  टोसा जूट
  • आपको बता दें कि पुराने जमाने में जूट को गरीब लोगों की वस्तु समझा जाता था, क्योंकि उस समय गरीब गांव के लोग जूट से बने हुए वस्त्र पहना करते थे और अमीर लोग सिल्क के वस्त्र पहना करते थे।
  • सफेद जूट का इस्तेमाल मुख्य दिया धान और अन्य कृषि गत पदार्थों  के आदान-प्रदान में किया जाता है।
  • वहीं टोसा जूट का इस्तेमाल मुख्य जूट बैग बनाने में और बड़े उद्योग धंधों में किया जाता है।
  • सर्वाधिक जूट उत्पादन कर्ता देशों में वर्ष 2014-15 में भारत पहले स्थान पर था, जबकि बांग्लादेश द्वितीय स्थान पर, परंतु पिछले कुछ समय से बांग्लादेश का जूट
  • उद्योग भारतीय जूट उद्योग को कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहा है और इसी प्रतिस्पर्धा के चलते भारत सरकार आने वाले समय में जूट वि-निर्माताओं के लिए कई नई योजनाएँ लांच करने की बारे में सोच रही है।
  • आइए जानते हैं जूट का कुछ इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता में भी वस्त्र उद्योग में जूट के पाए जाने की बात साबित हो चुकी है।
  • आधुनिक भारत में ईस्ट बंगाल और वेस्ट बंगाल जूट उत्पादनकर्ता में सर्वश्रेष्ठ थे। 19वीं सदी के अंत तक बंगाल का जूट उद्योग स्कॉटलैंड के जूट उद्योग को पीछे छोड़ चुका था और इसी को ध्यान में रखते हुए प्रथम विश्वयुद्ध में अनेक देशों की सेनाओं ने भारतीय जूट उद्योग को प्राथमिकता प्रदान की गई।

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