Hyundai kahan ki company hai? [पूरी जानकारी]
दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक हुंडई मोटर्स के संस्थापक चुंग जू युंग ने 1967 में जब अपनी कंपनी की स्थापना की थी तो उनके दिमाग में दो बातें बहुत साफ थीं-पहला, बढ़िया कार बनाना है और दूसरा-मार्केटिंग स्ट्रेटजी बहुत ही उम्दा रखनी है। शुरुआती सालों में उन्होंने इसी आधार पर काम किया और कंपनी आगे बढ़ती चली गई। लेकिन, अब जबकि युंग नहीं रहे तो उनकी कंपनी नकारात्मक मार्केटिंग स्ट्रेटिजी में फंस गई। चूंकि 193 देशों में हुंडई का कारोबार फैला हुआ है, लिहाजा कंपनी को सभी देशों को देखना पड़ता है। इन्हीं 193 देशों में से एक है पाकिस्तान। 5 फरवरी को हुंडई पाकिस्तान की तरफ से एक ट्विट किया गया जिसने भारत में तूफान खड़ा कर दिया।
क्या था ट्विट में?
हुंडई, पाकिस्तान के उस ट्विट में लिखा था, हुंडई कंपनी कश्मीर को आजादी दिलाने में शहीद हुए तमाम भाइयों को याद करती है और उनके समर्थन में खड़ी होती है। कश्मीर में आजादी की जंग अभी भी चल रही है। हम इस जंग में बराबर उनके साथ हैं।
फिर क्या हुआ?
इधर हुंडई कंपनी की तरफ से यह ट्विट आया और उधर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने बेहद आक्रामक मुद्रा में हुंडई इंडिया के शीर्ष पदाधिकारियों को तलब कर जोरदार फटकार लगाई। फिर हुंडई इंडिया के तमाम आलाधिकारियों की बैठक हुई और हुंडई इंडिया की तरफ से आधिकारिक ट्विट कर लिखा गया, भारत हुंडई ब्रांड का दूसरा घर है। हम राष्ट्रवाद के प्रबल समर्थक हैं। सोशल मीडिया पर भारत के विरुद्ध जो पोस्ट किया गया है, वह हमारी प्रतिबद्धता और सेवा की भावना को ठेस पहुंचा रहा है।
हालांकि इस ट्विट से भारतीय प्रसन्न नहीं थे। शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने दो टूक पूछा कि आपको माफी मांगने में कैसी झिझक है? आप सीधे-सीधे माफी क्यों नहीं मांगते? लेकिन, हुंडई ने अब तक माफी नहीं मांगी है। बीते दो दिनों में सैकड़ों भारतीयों ने हुंडई की बुक की गई कारों को कैंसिल कर दिया है। वे बेहद नाराज हैं। उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है। उन्हें यह नागवार गुजरा है कि हुंडई जैसी कंपनी पाकिस्तान का समर्थन कर रही है जबकि पाकिस्तान से कई गुना कारें कंपनी भारत में भेजती है। यहां तक कि पाकिस्तान को भी जो कारें भेजी जाती हैं, वो भारत में ही बनती है।
पहले भी विवादों में रही है हुंडई?
अपनी विस्तारवादी नीतियों के कारण हुंडई पहले भी विवादों में रही है। आपको याद होगा, जून 2017 में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने कारों के लिए छूट प्रदान करने के संबंध में बेहद गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाने के लिए हुंडई पर 87 करोड़ का जुर्माना लगाया था। कंपनी को यह भुगतान करना भी पड़ा था। अनेक ऐसे भी मौके आए जब कंपनी ने लिखित में माफी मांगी। तो, भारत में हुंडई का विवादों से नाता कोई नया नहीं है। घोर अचरज की बात यह है कि ये बिजनेस क्लास के लोग जुर्माना देने के बाद भी नहीं सुधरते।
हुंडई सफाई देः FADA
फेडरेशन आफ आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ने ट्विट विवाद पर हुंडई को नोटिस जारी कर सफाई मांगी है। फाडा ने कहा हैः हम कश्मीर पर ट्वीट के लिए हुंडई पाकिस्तान और किआ पाकिस्तान की घोर निंदा करते हैं। हम अपनी मातृभूमि के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत में हुंडई और किआ मोटर्स को अपना रुख साफ करना चाहिए। गोल-मोल बातों से काम नहीं चलेगा। हमने भारी उद्योग मंत्रालय और सियाम इंडिया को हुंडई से स्पष्टीकरण मांगने को कहा है। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और अनंत काल तक रहेगा। जय हिंद।
भारत में हुंडई
भारत में हुंडई कंपनी को 26 साल हो गए। माना जाता है कि कंपनी का सफर बेहद शानदार रहा है। यह भारत में मारुति कंपनी के बाद सबसे ज्यादा कार बेचने वाली कंपनी है। भारतीयों को इस कंपनी के प्रोडक्ट्स बेहद पसंद हैं। एक सर्वे के अनुसार, भारत में हर तीसरी कार हुंडई की ही है।
प्रोडक्ट
भारत में हुंडई मोटर कंपनी के कई प्रोडक्ट बाजार में उपलब्ध हैं। इनमें सेडान, हैचबैक और स्पोर्ट्स की कारें शामिल हैं। अभी भारत में हुंडई के जो माडल चल रहे हैं, उनमें एक्सेंट-वेरना, असलन, एलांट्रा-एवेंटे-लेंट्रा, इओन, ई-20, आई-10, ग्रैंड आई-10, आई-30, आई-40, मिस्ट्रा, सोनाटा, वैलोस्टर प्रमुख हैं। सबसे ज्यादा लोकप्रिय क्रेटा का उत्पादन बंद कर दिया गया है। यह माडल कई बार कार आफ द ईयर प्रतियोगिता में अव्वल रहा था।
कुल कर्मचारी
कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, 2021 तक दुनिया भर में इस कंपनी के 79380 कर्मचारी थे। अकेले भारत में ही इसके 22000 कर्मचारी हैं।
कारों की बिक्री
अनेक बिजनेस पत्रिकाओं में प्रकाशित डाटा को पढ़ने के बाद यह पता चलता है कि हुंडई ने अब तक 90 लाख कारों की बिक्री की है। इसके साथ ही, हुंडई जो गाड़ियां भारत में बनाती है, उसे दुनिया के 88 देशों में निर्यात भी करती है। कंपनी अब तक 30 लाख कारों को निर्यात कर चुकी है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि वर्ष 2020 में हुंडई भारत में सबसे बड़ी एसयूवी ब्रांड रही। 6 मई 1996 को भारत में अपना सफर शुरू करने वाली इस कंपनी ने अपने सफलतम 26 साल पूरे कर लिए हैं। हालांकि, अब जिस तरह के विवाद में यह कंपनी पड़ रही है, उससे यही आशंका है कि अब इसके अच्छे दिन जाने वाले हैं। किसी राष्ट्र की संप्रभुता पर चोट करके आप कब तक अपनी कारें बेच सकेंगे?
कुछ और तथ्य
- हुंडई ने भारतीय बाजार में 4 अरब डालर का निवेश किया है।
- भारत में हुंडई के कुल 1154 आउटलेट्स हैं।
- भारत में हुंडई के 1298 सर्विस आउटलेट्स हैं।
- वर्ष 2020 में हुंडई ही भारत की सबसे बड़ी एसयूवी ब्रांड रही। क्रेटा, वेन्यू और ट्यूकसन जैसे ब्रांड्स और अन्य ब्रांड्स को मिलाकर कंपनी ने 180237 यूनिट्स बेचे।
- हुंडई ने भारत से 2008 में 5 लाख, 2010 में 10 लाख, 2014 में 20 लाख और 2020 में 30 लाख कारें निर्यात कीं। इससे पता चलता है कि दुनिया भर में हुंडई के ग्राहक किस कदर इन कारों को पसंद करते हैं।
अंगद की तरह पांव जमाए है हुंडई
बहुत पुरानी बात नहीं है। अभी हाल ही में अमरीकी कंपनी हार्ले डेविडसन ने तय किया कि वह भारत में अपनी बाइक यूनिट को बंद कर देगी। कंपनी भारत को नमस्ते कह कर अपना बोरिया-बिस्तर बांध रही है। 2017 में जीएम (जनरल मोटर्स) ने भी गुड बाय कर दिया था। फोर्ड मोटर्स भी यहां बिजनेस का इच्छुक नहीं। यही वजह है कि उसने महिंद्रा-एंड-महिंद्रा को एक र्वाइंट वेंचर देकर फोर्ड ने भारत में अपने सभी इंडिपेंडेंट आपरेशन्स को बंद कर दिया है। इन तमाम दिग्गज कंपनियों के एक के एक बाद भारत से अपना बोरिया बिस्तर समेटने के बाद हुंडई इकलौती कंपनी है जिसने अपने आपरेशन्स सिर्फ जारी रखे बल्कि उसे बढ़ाती भी चली गई।
एक्सपर्ट्स की राय है कि मारुति और हुंडई, ये दोनों ही कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने भारतीय मानस को और भारतीय बाजार को ठीक से समझा है। इसलिए, इनके बिजनेस में कोई कमी नहीं और ये लगातार यहां बने हुए हैं। अगर ऐसा न होता तो हुंडई का मार्केट शेयर 17 फीसदी होता कैसे।
हुंडई के पास क्या है चारा
भारत में मारुति कंपनी के बाद सबसे ज्यादा कार बेचने वाली कंपनी हुंडई जिस विवाद में फंसी है, उसमें सिवाय माफी मांगने के कोई चारा नहीं है। आप कार बना कर लोगों की भावनाओं के साथ खेलें, यह देश को मंजूर नहीं। यही कारण है कि इस विवाद के शुरू होने के बाद से कंपनी को करोड़ों का घाटा उठाना पड़ा है। यह कंपनी अब तक दो टूक माफी मांगने का फैसला नहीं कर सकी है और इसका घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। अब यह देखना होगा कि कंपनी दो टूक माफी मांगती है या नहीं। लोग इसे माफ करने के मू़ड में दिख भी नहीं रहे। संभव है, पाकिस्तान को जो कारें यहां से निर्यात की जा रही हैं, उन पर भी रोक लग जाए। ऐसा होने पर कंपनी की हालत और भी ज्यादा खराब हो सकती है। कुल मिलाकर, एक अच्छे बिजनेसमैन की तरह कंपनी को माफी मांग लेना चाहिए और भविष्य में इस तरह की बेवकूफियों के लिए उसके पास कोई स्थान नहीं होना चाहिए। वैसे भी, हुंडई को यह समझना चाहिए कि भारत में वह जितनी कारें बनाती है, जितनी कारें यहां खप जाती हैं, उतनी कारें तो पाकिस्तान कई दशकों में न खरीद सके।
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