इंटरप्रेनरशिप को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कौन सी स्कीम शुरू की हैं

आज हम जानेंगे इंटरप्रेनरशिप को बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार के द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में पर उससे पहले हम जानते हैं कि आखिर इंटरप्रेनरशिप होती क्या है?

यदि हम संकरे रूप से देखें तो इसका तात्पर्य होता है किसी भी नए बिजनेस को अलग तरीके से डिजाइन करना और उसे लॉन्च करके एक निरंतर रूप से संचालित बिजनेस के रूप में उद्यमिता प्रदान करना ही इंटरप्रेनरशिप कहलाता है, साथ ही उस व्यक्ति की रिस्क टेकिंग एबिलिटी भी कंपनी के लिए लाभकारी होती है।

इंटरप्रेनरशिप के लिए हिंदी भाषा में उद्यमिता शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।

इंटरप्रेनरशिप शब्द का सर्वप्रथम इस्तेमाल फ्रेंच भाषा के जानकार लोगों ने किया था, सबसे पहले यह शब्द फ्रेंच डिक्शनरी में ही मिला था।

छोटे उद्योग और उद्यमिता के बीच में संबंध:-

आपको यह तो पता ही होगा कि इंटरप्रेनरशिप शब्द का इस्तेमाल एक छोटे बिजनेस को मध्य नजर रखते हुए किया जाता है और यह भी पता होगा कि सभी छोटे बिजनेस लोगों की इंटरप्रेनरशिप एबिलिटी के माध्यम से ही संचालित होते हैं।

इंटरप्रेनरशिप के कई प्रकार होते हैं, जैसे कि-

संस्थागत उद्यमिता, कल्चर उद्यमिता और नैतिक उद्यमिता और सामाजिक उद्यमिता

पिछले कुछ वर्षों से जारी की जा रही विश्व बैंक की इज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस रेटिंग किसी भी देश में आने वाले विदेशी निवेश को प्रभावित करने के लिए काफी है।

इसी को मद्देनजर रखते हुए भारत ने भी अपनी इज ऑफ डूइंग बिजनेस रेटिंग को सुधारने का प्रयास किया है और 2015 में जो कि भारत की रेटिंग बहुत दूर थी वहीं 2019 में काफी सुधार होते हुए भारत 63वें स्थान पर पहुंच चुका है,इन 5 वर्षों के दौरान भारत ने कुल 79 स्थान का सुधार किया है।

भारत के पूर्व वित्त मंत्री और वर्तमान वित्त मंत्री भी कई बार कह चुके हैं कि यदि भारत नई जॉब और नौकरियां पैदा करना चाहता है तो उसे अपना निवेश सुधारना होगा साथ ही लोगों में उद्यमिता की सोच का विकास करना होगा। आज हम आपके साथ शेयर करेंगे भारत सरकार के द्वारा जारी की गई ऐसी ही कुछ स्कीमों के बारे में।

1. कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय

यह मंत्रालय मुख्य तौर पर भारत में उद्यमशीलता को विकसित करने का काम देखता है। इस मंत्रालय को 2014 के बाद ही अलग से बनाया गया है। 2022 तक भारत कौशल विकास के लिए लगभग 500 मिलियन लोगों को शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित कर चुका है।

2. स्टार्टअप इंडिया मिशन :-

इसके तहत लांच किया गया सेल्फ एंप्लॉयमेंट एंड टैलेंट यूटिलाइजेशन स्कीम एक तरीके से ऐसी वित्तीय तकनीकी स्कीम है जो कि किसी भी नए बिजनेस को शुरू करने के लिए उद्यमियों को रिस्क लेने की सोच को विकसित करने में मददगार साबित हो रहा है।

3. निगम कर को घटाया जाना :-

आपकी जानकारी के लिए बता दे की पिछले कुछ वर्षों में बिजनेस फ्रेंडली पॉलिसी बनाने के कारण सरकार को कॉरपोरेट टैक्स को भी घटाना पड़ा है।पिछले कुछ समय में ही इसे 30% से घटाकर 25% तक ला दिया गया है

4. आसानी से लाइसेंस लेने की सुविधा :-

इसके अंतर्गत सरकार ने केवल 6 इंडस्ट्री ऐसे निर्धारित की है जिन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने से पहले सरकार से लाइसेंस लेने की जरूरत पड़ती है,बाकी सभी इंडस्ट्री को इससे बाहर रखा गया है।इसके साथ ही लाइसेंस लेने के लिए जो प्रक्रिया की जाती है वह अत्यधिक ही सरल है और इंटरनेट की मदद से पूरी की जा सकती हैं।

5. उद्यमियों को बेहतर शिक्षा के लिए ट्रेनिंग का विकास :-

पिछले कुछ वर्षों में ही भारत सरकार के द्वारा तथा इसके साथ ही कई अन्य वित्तीय संस्थाओं के सहयोग से उद्यमियों की तार्किक शक्ति को विकसित करने के लिए नए-नए ट्रेनिंग संस्थाओं की स्थापना की गई है।

6. विज्ञान और तकनीकी पार्कों की स्थापना :-

कुछ समय पहले ही भारत सरकार के द्वारा विनिवेशित किया गया बैंक आईडीबीआई अलग-अलग क्षेत्रों में इंडस्ट्रियल और उद्यमिता पार्क स्थापित करने के लिए प्रयासरत है

7. उद्यमी के लिए राष्ट्रीय अवार्ड की घोषणा:-

इसका मुख्य उद्देश्य छोटे उद्यमियों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना और उन्हें पुरस्कार के माध्यम से प्रोत्साहन प्रदान करना है

8. मुद्रा योजना :-

मुद्रा योजना के अंतर्गत उद्यमियों को लोन लेने के लिए बहुत ही कम मेहनत करनी पड़ेगी इसके अंतर्गत ₹50000 से लेकर 10 लाख तक के लोन दिए जाते हैं, जिसे आगे तीन भागों में विभाजित किया गया है

9. स्टार्टअप इंडिया स्कीम :-

इस स्कीम के तहत नई कंपनियों को 10 साल तक के लिए कई विशेष प्रकार की छूट प्रदान की जाएगी,इसके माध्यम से उन्हें और बड़ी कंपनी बनने का प्रोत्साहन मिले और नए लोगों को नौकरी मिलने के आसार में सुधार हो

10. सब्सिडी की संख्या बढ़ाना :-

केंद्र सरकार और राज्य सरकार नए उद्यमियों को कई प्रकार की सब्सिडी प्रदान करती है जिनमें ब्याज पर दी जाने वाली सब्सिडी, परिवहन पर दी जाने वाली सब्सिडी और कच्चे माल पर दी जाने वाली सब्सिडी प्रमुख है। इसके साथ ही नगद में दी जाने वाली सब्सिडी भी नए उद्यमियों को प्रदान की जाती है, इसके अलावा भी छोटे बिजनेस के लिए कई अलग प्रकार की सब्सिडी या छोटे स्तर पर चलाई जाती है।

11. निर्यात में वृद्धि करने के लिए स्कीम :-

नए उद्यमियों को अपना नए व्यवसाय स्थापित करने के लिए एक आशा की किरण का होना जरूरी है और यदि सरकार आने वाले समय में अपना निर्यात को बढ़ा लेती है तो यह कई उद्यमियों के लिए नए व्यवसाय स्थापित करने में मददगार होगा, हालांकि आयात और निर्यात से संबंधित धन प्राप्ति के लिए भारत का एक्जिमबैंक 1982 से ही सक्रिय है, परंतु पिछले कुछ समय से उसकी पारदर्शिता बढ़ाकर उसे भ्रष्टाचार से दूर रखने की लिए भरसक प्रयास किए गए हैं।

12. महिला उद्यमियों के लिए व्यवसाय में विकास :-

आपने यह शब्द कई बार सुना होगा ग्लास सीलिंग इसका तात्पर्य होता है महिला कर्मचारियों को एक ही स्तर के बाद में कंपनियों में प्रमोशन नहीं दिया जाता है।यह प्रमोशन उसकी गुणवत्ता के आधार पर नहीं बल्कि एक पितृसत्तात्मक सोच के आधार पर रोका जाता है इसी को खत्म करने के लिए सरकार जल्द ही बड़ी कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टरेट बोर्ड में महिलाओं के लिए आरक्षित स्थान रखने के लिए भी बिल पास करने का विचार बना रखा है।

13. अनुसंधान और विकास में ज्यादा खर्च :-

वर्तमान में भारत सरकार अपने कुल जीडीपी का 2% से भी कम अनुसंधान और विकास कार्यों में खर्च करती है, परंतु सरकार की आने वाले भविष्य नीतियां इस खर्च को तीन परसेंट से 4 परसेंट के बीच में सुझाव दे रही है।

14. आसान प्रवेश और निकास स्कीम (चक्रव्यूह स्कीम):-

इस स्कीम के अंतर्गत किसी भी नए उद्यमी को नया व्यवसाय स्थापित करने के लिए बहुत ही कम फार्म भरने पड़ेंगे और उन्हें सरकार के द्वारा बहुत जल्दी अप्रूव किया जाएगा और यदि बिजनेस फेल होता है तो उस उद्यमी को अपना व्यवसाय बंद करने के लिए भी ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। वह आसानी से किसी भी व्यवसाय में प्रवेश कर सकता है और आसानी से ही बाहर निकल सकता है हालांकि पहले यह कानून बहुत ही पेचीदा हुआ करते थे और एक नई कंपनी स्थापित करने में 5 से 6 महीने का समय लग जाता था।

15. एंजल टैक्स को हटाया जाना :-

आपको बता दें कि एंजल टैक्स वह टैक्स होता है जो एक एंजल इन्वेस्टर्स यदि किसी कंपनी में निवेश करता है तो उसे सरकार को चुकाना पड़ता है, यह टैक्स किसी भी नए निवेशक को एक नई स्टार्टअप कंपनी में निवेश करने के लिए मानसिक बाधा प्रदान करता था।परंतु इस टैक्स को हटाए जाने के बाद अब कोई भी नया निवेशक अपने रिस्क के आधार पर किसी भी नहीं कंपनी में निवेश कर सकता है।

16. मेक इन इंडिया स्कीम :-

भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर लांच की गई है, इसकी आने वाले समय में भारत के निर्माण और विनिर्माण उद्योग को विश्व स्तर का बनाए जाने के लिए किए जा रहे प्रयासों में एक पहल है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मेक इन इंडिया 2013 में लांच की हुई स्कीम है।यह उस समय पैदा हुई इकोनामिक क्रिटिकल सिचुएशन का एक जवाब था जोकि मार्केट में एक बबल टूटने के बाद पैदा हुई थी और इंडिया की ग्रोथ रेट पूरे दशक में सबसे निचले स्तर पर आ चुकी थी।

17. लेबर मार्केट और शिक्षा के बीच में बेहतरीन संबंध :-

भारत सरकार के द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति इसी ओर इशारा करती है कि आने वाले समय में स्कूलों में सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं बल्कि ऐसा ज्ञान भी दिया जाएगा जो सही मायने में इंडस्ट्री में काम आ सके।

18. नई सूचना और तकनीकी साधनों का इस्तेमाल :-

भारत सरकार पहले से ही कंपनी अधिनियम 2013 में कई नई आईटी कंपनियों के लिए प्रावधानों को बहुत ही आसान बना चुकी है और उसके साथ ही नए टूल भी विकसित किए जा रहे हैं जो कि किसी भी बिजनेस को सफल बनाने के लिए अति आवश्यक होते हैं और इन्हें नए उद्यमियों के साथ शेयर करने के लिए सरकार के द्वारा उद्यमशीलता पोर्टल का भी निर्माण किया गया है।

इसके साथ ही भारत सरकार आने वाले समय में वर्ल्ड इकोनामिक फोरम के द्वारा सुझाये जा रहे कुछ प्रावधानों पर भी विचार कर रही है,जिनमें यह प्रावधान प्रमुख है - सरकार को अपनी नई पॉलिसी के निर्माण के लिए नए उद्यमियों और व्यवसाय की तरफ झुकाव रखना होगा इसके साथ ही लोगों को वास्तविक वृद्धि दर (बिना किसी छेड़छाड़ के दिखाई जानी चाहिए )जोकि उन्हें प्रमाणिक और वास्तविक स्थिति का आभास कराएं। इस प्रकार भारत सरकार के द्वारा किए जाने वाले प्रयास आने वाले समय में नए उद्यमियों के लिए एक बहुत ही अच्छी खबर साबित होने वाले हैं,जो कि भारत के विकास की एक नई गाथा लिखने के लिए प्रयासरत है।

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