Apni Dukan Ka License Kaise Banwaye? [यहाँ पढ़ें अपने बिज़नेस का रजिस्ट्रेशन कैसे करें ]
जब से कोरोना काल में लॉकडाउन लगाया गया है। पूरा देश अपने घरों में कैद हो गया था। लोगों की नौकरियां छूट गयीं थी। अप्रवासी श्रमिकों के देशभर से पलायन की स्थिति को देखते हुए सभी के समक्ष रोज़ी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया था। अब अनलॉक होने के बाद भी कोरोना की तीसरी लहर की आशंका मंडराती रहती है। तब सभी लोगों के समक्ष एक नया सवाल सामने आ गया है कि रोज़ी रोटी कमाने का एक सुरक्षित तरीका क्या होना चाहिये? इस पर विचार करते समय प्रत्येक व्यक्ति की कोशिश यही होती है कि छोटी-मोटी दुकान खोल कर अपना काम अपने घर में या घर के आसपास करना चाहिये। घर के आसपास दुकान करने का आइडिया बहुत अच्छा है।
लाइसेंस न बनवाना पड़ सकता है महंगा
वैसे तो आम तौर पर लोग घर में बनी दुकान या आसपास की दुकान को किराये पर लेकर अपना काम शुरू कर देते हैं। उन्हें दुकान का रजिस्ट्रेशन कराने या लाइसेंस लेने आदि की जरूरत महसूस नहीं होती है। उनकी मानसिकता यही होती है कि हम दुकान खोल कर अपना पैसा लगा रहे हैं। हम दुकान खोल कर व्यापार कर रहे हैं, व्यापार करना कोई चोरी तो नहीं है। यह बात तो आपकी ठीक है लेकिन यह आपका व्यापार पूरी तरह से असुरक्षित है और अवैध भी है। ये बात उस समय पता चलती है जब कोई विवाद हो जाता है या चेकिंग के दौरान पकड़ा-धकड़ी होती है। उन पर जुर्माना या केस हो जाता है। यदि किसी से लेन-देन का विवाद हो जाता है उस समय आप जब किसी तरह की कानूनी कार्रवाई करने के लिए जाते हैं तो सबसे पहले आपसे लाइसेंस पूछा जाता है। उस समय ऐसे दुकानदारों को यह बात समझ में आती है कि यदि पहले से लाइसेंस बनवाया होता तो हमें इसका फायदा मिलता। अब यदि आपकी समझ में आ गया हो तो आपको अपनी दुकान का लाइसेंस बनवा लेना चाहिये।
दुकान का लाइसेंस कब बनवाना चाहिये
मान लीजिये कि आपने अपनी जरूरत के हिसाब से आनन-फानन में दुकान खोल ली और उसका लाइसेंस नहीं बनवाया। इस बारे में आपने यही सोचा कि पहले दुकान चलने लगे फिर लाइसेंस बनवा लेंगे। इस तरह का विचार करना ठीक नहीं हैं। क्योंकि आप बिजनेस करने जा रहे हैं वो भी लम्बे समय के लिए। इस तरह का निर्णय काफी सोच समझ कर और गंभीरता से विचार करने के बाद ही लेना चाहिये। इसके अलावा आपको अपनी दुकान या बिजनेस करने के बारे में एक अच्छी सी योजना भी बनानी चाहिये। क्योंकि दुकान या बिजनेस आप फायदे के लिए करने जा रहे हैं। इन सारी बातों का विचार करने के बाद यदि आप दुकान खोलने जा रहे हैं तो आपको सरकारी विभागों से संरक्षण प्राप्त करने के लिए लाइसेंस बनवा लेंगे तो आपको अनेक फायदे भी मिलने लगेंगे।
क्या है नियम?
यदि आपको यह नहीं मालूम है कि दुकान खोलने के कितने दिन बाद लाइसेंस बनवाना जरूरी होता है। हम बताये देते हैं कि आप जब चाहें ऑनलाइन लाइसेंस बनवा सकते हैं नियमानुसार आपको दुकान खोलने के 30 दिन बाद तो लाइसेंस बनवाना जरूरी होता है। अन्यथा चेकिंग में पकड़े जाने पर आप पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। अब आप इस बात पर भी विचार करें कि आपने बिना लाइसेंस बनवाये दुकान खोल दी। आप दुकान को चलाने वाले अकेले ही व्यक्ति हैं। ईश्वर की कृपा से आपकी दुकान महीने भर में इतनी चलने लगी कि आपको एक पल की फुर्सत नहीं मिल पाती है। साथ ही आपके पास ऑनलाइन लाइसेंस बनवाने की जानकारी भी नहीं है या आपके आसपास इंटरनेट और एंड्रायड फोन आदि की भी सुविधा नहीं है। तब आप पहले बिजनेस की ओर ध्यान देंगे अथवा लाइसेंस बनवाने के लिए इधर-उधर भटकने में अपना समय बरबाद करेंगे। इसलिये पहले ही अपना लाइसेंस खुद बना लें अथवा किसी प्रोफेशनल्स से बनवा लें।
बदल गया है जमाना
दुकान का लाइसेंस बनवाने पहले बहुत मुश्किल का काम होता था। सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के नखरे देखने पड़ते थे। छोटे से काम के लिए महीनों सरकारी दफ्तरों की परिक्रमा करनी होती थी। सरकारी काम बिना रिश्वत के नहीं होते थे। दुकान खोलने वाला आम आदमी अपनी दुकान खोलकर बिजनेस करे या दुकान बंद करके लाइसेंस बनवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाये। इस वजह से लो दुकान तो खोल लेते थे और लाइसेंस नहीं बनवाते थे। उनका यही सोचना होता था कि कौन सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाये। जब कोई सरकारी अधिकारी पकड़ने आयेगा तो उसकी आवभगत करके थोड़ी बहुत रिश्वत देकर अपन काम चला लेंगे। यह स्थिति काफी समय से चली आ रही थी। पता चला कि एक मार्केट में यदि 150 दुकाने हैं तो वहां केवल 10-15 दुकानदारों के पास लाइसेंस हैं और बाद बाकी दुकानें बिना लाइसेंस के चल रहीं हैं। तभी किसी सरकारी अधिकारी के छापे मारने के दौरान दुकानो के शटर धड़ाधड़ गिरने लगते थे और पूरा बाजार सन्नाटे में तबदील हो जाता था। इसका कारण यह था कि लाइसेंस ऑफलाइन बनते थे और सरकारी अधिकारियों की मर्जी से बनते थे। उस समय दुकानदारों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे और सरकारी अधिकारियों की खुशामद करनी होती थी तथा रिश्वत भी देनी पड़ती थी। इस वजह से हर आदमी लाइसेंस बनवाने से बचता फिरता था।
अब जमाना बदल गया है, अब लाइसेंस बनवाना बहुत आसान हो गया है। अब आप अपने घर बैठे या संस्थान से ऑनलाइन लाइसेंस बनवा सकते हैं या खुद भी बना सकते हैं। अब आपको कहीं भागदौड़ भी नहीं करनी है और ना ही कहीं कोई आपको खुशामद करनी है या रिश्वत ही देनी है। लेकिन लाइसेंस बनवाने की प्रॉपर जानकारी आपके पास होनी चाहिये।
How to register your business in Hindi | अब जानते हैं कि लाइसेंस कैसे बनाया जा सकता है
केन्द्र सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के तहत एमएसएमई विभाग में दुकान का लाइसेंस कराया जाता है। दुकान का लाइसेंस बनवाने के लिए एमएसएमई रजिस्ट्रेशन एक्ट 2006 के तहत दुकान का रजिस्ट्रेशन कराना होता है। ये रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होता है।
- दुकान का लाइसेंस बनवाने के लिए एमएसएमई के पोर्टल पर जायें
- इस वेबसाइट https://udyamregistration.gov.in/Government-India/Ministry-MSME-registration.htm पर जाकर आप अपना रजिस्ट्रेशन आसानी से कर सकते हैं।
- इसमें रजिस्ट्रेशन के लिए आपको लम्बे चौड़े कागज की भी जरूरत नहीं होती है। इसमें केवल आपसे आधार कार्ड का नंबर पूछा जायेगा।
- आधार कार्ड के आधार पर आपकी दूकान का रजिस्ट्रेशन हो जायेगा।
- रजिस्ट्रेशन पूर्ण होने के बाद सरकार की ओर से आपको एक ऑनलाइन प्रमाण पत्र भी दिया जायेगा
- इसके बाद आपके आय-व्यय और टैक्स भुगतान आदि की जानकारी सरकार आपके आधार कार्ड के बेस पर स्वयं कर लेगी।]
- इससे आपको सरकार से मिलने वाले अनेक फायदे हासिल कर सकते हैं।
ऑनलाइन लाइसेंस स्वयं कैसे बनायें
- सबसे पहले आपको एमएसएमई पोर्टल को अपने मोबाइल पर खोलें
- वहां आपको न्यू इन्टरप्राइजेज का बटन दिखाई देगा जिसको क्लिक करना होगा
- इसके बाद आधार नंबर मांगा जायेगा और उसके वैरिफिकेशन के लिए आपके द्वारा दिये गये फोन नंबर पर एक ओटीपी आयेगा। इस पेज पर आपको दो बॉक्स दिखायी देंगे। इनमें से पहले बॉक्स में आपसे आधार संख्या मांगी जायेगी, जिसके नाम से बिजनेस शुरू किया जाना है उसके नाम का आधार कार्ड नंबर भरना होगा। दूसरे बॉक्स में आधार कार्ड नंबर वाले व्यक्ति का नाम भरना होगा। इन दोनों बॉक्स के पास एक सही के निशान वाले बॉक्स पर टिक लगाकर वैलिडेट एण्ड जनरेट ओटीपी पर क्लिक कर दीजिये।
- इसे बाद आपके सामने एक नया पेज खुल कर सामने आयेगा। जहां आपसे ओटीपी के बारे मेंं पूछा जायेगा।
- इस आधार कार्ड के साथ जो मोबाइल फोन नंबर ऐड है उस पर ओटीपी आयेगा।
- उस ओटीपी नंबर को डाल कर आपको अगले स्टेप में जाना होगा।
- आपको इस पेज में बिजनेस से सम्बन्धी मांगी जानकारी भरनी होगी।
1. सोशल कैटेगिरी: जैसे आप किस जाति वर्ग से हैं, कहीं आप आरक्षित श्रेणी से तो नहीं आते हैं। यदि आते हैं तो उस पेज में दिये गये जनरल, एससी, एसटी, ओबीसी ऑप्शन में से आप जिस वर्ग में आते हैं उसके सामने क्लिक कर दीजिये।
2. जेन्डर यानी लिंग: आप महिला या पुरुष हैं तो मेल व फीमेल देखकर अपने जेंडर वाले बॉक्स पर क्लि करें।
3. फिजिकली हैंडीकैप्ड: आप दिव्यांग यानी विकलांग हैं तो क्लिक करें अन्यथा उसे यूं ही छोड़ दें।
4. इंटरप्राइज का नाम: अपनी दुकान का नाम डालिये।
5. आर्गनाइजेशन की श्रेणी: आप किस तरह की फर्म बनाकर बिजनेस चला रहे हैं,उसको भर दीजिये, जैसे सोल प्रोप्राइटर, वन मैन कंपनी, पार्टनरशिप, एलएलपी, कोआपरेटिव, पब्लिक लिमिटेड, प्राइवेट लिमिटेड आदि।
6. पैन कार्ड: दुकान के मालिक का पैनकार्ड नंबर की जानकारी दीजिये।
7. लोकेशन: आपको दुकान का पता डालना है।
8. ईमेल आईडी: दुकान के मालिक की ईमेल आईडी डालें। इसी पर आपका प्रमाण पत्र आयेगा।
9. मोबाइल नंबर: अपना वैध मोबाइल नंबर डालें।
10. बैंक डिटेल: आपको अपने बैंक खाते की सारी डिटेल भरनी होगी। जैसे आईएफएससी कोड, एकाउंट नंबर, अपनानाम, खाता की श्रेणी आदि डालें।
इसके बाद जैसे ही आप सबमिट बटन पर क्लि करके एप्लीकेशन पूरा करेंगे। उसके कुछ समय बाद आपकी ईमेल आईडी पर लाइसेंस आ जायेगा।
आप अपनी ईमेल खोल कर प्रमाण पत्र देख सकते हैं और उसको प्रिंट भी कर सकते हैं।
Benefits of business license in Hindi | दुकान का लाइसेंस बनवाने के कौन कौन से हैं फायदे
यदि आप एमएसएमई अधिनियम के तहत अपने दुकान का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन कराते हें तो आपको सरकार की ओर से जारी होने वाली एमएसएमई से संबंधित योजनाओं का लाभ मिल सकता है। इससे मिलने वाले अन्य सभी लाभ इस प्रकार हैं:-
- आपको सबसे पहला लाभ यह होगा कि रजिस्ट्रेशन कराने से आपके पास अपने बिजनेस, दुकान या संस्थान के मालिकाना हक का सरकारी प्रमाण पत्र मिल जायेगा।
- व्यापार में लेन-देन के लिए आप जब बैंक में करेंट एकाउंट खोलते हैं तो आपके इस रजिस्ट्रेशन से खाता जल्दी खुल जाता है और उसके लिए भले ही अन्य दस्तावेज भी देने होते हैं लेकिन बिना लाइसेंस वाले व्यापारी व आम आदमी की अपेक्षा आपका खाता जल्दी खुल जाता है।
- सरकार द्वारा छोटे व्यापारियों को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं चलायी जातीं हैं। इन योजनाओं का सबसे पहले लाभ उन दुकानदारों को मिलता है जिन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन कराकर प्रमाण पत्र लिया होता है।
- एमएसएमई में रजिस्ट्रेशन एक बार ही करवाना होता है। यह रजिस्ट्रेशन लाइफ टाइम होता है यानी आजीवन होता है। आपको दुबारा न तो इसका रिन्युअल कराना होता है और न ही इसके लिए किसी और तरह की प्रक्रिया को पूरा करना होता है।
- आपका अपने बिजनेस के विस्तार के लिए किसी बैंक या वित्तीय संस्थाओं अथवा सरकारी संस्थाओं से लोन लेने की जरूरत होती है तो आपको यह लोन आसानी से मिल सकता है। कभी कभी तो सरकार द्वारा कम ब्याज दर पर लोन भी आपको आसानी से मिल सकता है।
- सबसे बड़ी बात यह है कि ये रजिस्ट्रेशन बिना किसी भाग-दौड़, किसी सरकारी अधिकारी की खुशामद या रिश्वत दिये बिना ही कुछ ही समय में हो जाता है।
- इसमें आपसे किसी तरह के कागजात को अपलोड करने को नहीं कहा जाता है।
- आपसे न तो पहचान पत्र ही मांगा जाता है और न ही पते का प्रूफ मांगा जाता है और न ही पैन कार्ड ही मांगा जाता है।
- आधार कार्ड नंबर से किये गये रजिस्ट्रेशन के आधार पर आपको जीएसटी और पैन कार्ड आदि को कनेक्ट भी नहीं करना होता है। एमएसएमई विभाग द्वारा ये सारी कार्यवाहियां अपने आप ही की जातीं हैं।
- बहुत से लोग सरकार द्वारा की जाने वाली इस तरह की कार्यवाही से डरते हैं,उनका कहना है कि वो सरकार से कुछ भी नहीं छिपा सकते । इससे उनकी प्राइवेसी या निजता भंग होती है। इस रजिस्ट्रेशन से सरकार द्वारा आपके संस्थान और बिजनेस की जानकारी मांगी जाती है।
इस प्रकार रजिस्ट्रेशन सभी दुकानदारों के लिये जरूरी होता है। इसके अलावा यदि आप अपनी दुकान थोड़ी बड़ी खोलते हें और उसमें काम करने के लिए कर्मचारी व सहायक आदि रखते हैं तो उसके लिए आपको शॉपिंग एण्ड इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के तहत भी रजिस्ट्रेशन कराना होता है। यह रजिस्ट्रेशन राज्य सरकार की व्यवस्थाओं के तहत कराना होता है। प्रत्येक राज्य में इस एक्ट में रजिस्ट्रेशन कराने के अलग-अलग नियम व प्रक्रिया अपनायी जाती है आपको अपने राज्य के सम्बंधित लेबर विभाग से सम्पर्क करके आपको अपने संस्थान का रजिस्ट्रेशन कराना होता है।इस तरह के रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आपको विभाग द्वारा मांगे गये कागजात पेश करने होते हैं। निर्धारित फार्म भरा जाता है और वहां से आपको आपकी दुकान या संस्थान के लिए एक सरकारी नंबर मिलता है।जिसके तहत आपके संस्थान व दुकान की समस्त सरकारी कार्यवाही की जाती है।
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