महामारी के दौरान सुचारू रूप से बिजनेस चलाने के खास टिप्स

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महामारी के दौरान सुचारू रूप से बिजनेस चलाने के खास टिप्स

कोविड-19 की महामारी ने पूरी दुनिया के बिजनेस को हिला कर रख दिया है। छोटे-मोटे कारोबार व नये-नये कारोबार, कम पूंजी से खड़े होने वाले नये व्यापार को इस महामारी ने तहस-नहस करके रख दिया है। जहां इस महामारी से बिजनेस के डूबने-उतराने की स्थितियों से बिजनेस मैन को करारा झटका लगा है, वहीं इनमें काम करने वाले वेतनभोगी बड़े बड़े अधिकारियों से लेकर छोटे-छोटे कर्मचारियों के समक्ष भी भारी तबाही आयी है। महामारी के पहले भाग में बिजनेसमैन ने खुद को संभाला और अपने उन कर्मचारियों को भी संभालने की कोशिश की, जिनके दम पर कारोबार टिका हुआ था। जब तबाही का दौर लम्बा हो गया तो उन्हें भारी आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा। पहले तो कंपनियों ने अपने अधिकारियों व कर्मचारियों को कुछ दिन पूरा वेतन बिना काम के दिया, जब लगा कि महामारी के संकट से उबरने में वक्त अधिक लग जायेगा तो बिजनेसमैन ने अपने इन्हीं वेतनभोगी अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन में कटौती करनी  शुरू कर दी। जब इसके बाद भी संकट से उबरने के आसार नजर नहीं आये तो कंपनियों ने उससे भी पल्ला झाड़ते हुए जीवन रक्षक भत्ता देना शुरू कर दिया। छोटे स्तर के कर्मचारियों से कंपनियों ने तो पूरी तरह से ही पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद भी अनेक बिजनेस अपने को संभाल नही पाये और उनके शटर डाउन करने ही पड़े।

बहुत ही भयानक मंजर था कोविड-19 की महामारी का

कोविड-19 की महामारी वैसे तो नवम्बर-दिसम्बर-2019 में ही शुरू हो गयी थी लेकिन इसका बड़ा विनाशकारी रूप जनवरी 2020 और मार्च 2020 के बीच में नजर आया था। इसके बाद तो पूरा विश्व ही लॉकडाउन के घेरे में जकड़ गया था। पूरे विश्व का कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया था। मार्च से मई 2020 तक तो पूरी दुनिया पूरी तरह से ठहर कर रह गयी थी। दुनिया भर के कल-कारखाने, बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां, कंपनियां, बस ट्रक, ट्रेन, कार,बाइक, हेलीकॉप्टर,प्लेन आदि आने जाने के  साधन सब जहां थे वहीं ठहर कर रह गये। पूरी दुनिया एक तरह से इंसानों की जेलखाना बन कर रह गयी। चारों ओर केवल जान बचाने के लिये जंग चल रही थी। इसके अलावा पूरी दुनिया में कोई काम नही हो रहा था। हर कोई अपने-अपने घरों में कैद होकर रह गया था। लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग ने इंसान को इंसान से जुदा कर दिया था। हरएक व्यक्ति एकदूसरे को शक की निगाहों से देखता था। इमारतें भी कोरोना के भूत से ऐसी डरावनी बन गयीं थीं कि छूने से पहले सौ बार सोचते लोग थे यदि कोई धोखे से छू भी लेता था तो सैनेटाइजर से हाथों को अच्छी तरह से धोने के बाद घर पर पहुंचने से पहले बदन पर पहने पूरे कपडेÞे उतार कर धोने के बाद ही घर में जाता था। इसके बाद भी बाहर से आये व्यक्ति और उसके परिवार को तभी चैन मिलती थी, जब पूरी रात आराम से गुजर जाये और बाहर से आने वाले व्यक्ति के शरीर में किसी तरह के अप्रिय लक्षण न दिखें। कहने का मतलब यह है कि कोविड-19 के संकट के समय इतना भयंकर मंजर था कि सारे काम-धंधों के शटर ऐसे बंद हो गये थे कि लग रहा था ही ये शटर अब शायद ही खुलें।

आधा साल तक रहा महामारी के संकट का कहर

लगभग आधा साल बीतने के बाद धीरे-धीरे अनलॉक होना शुरू हुआ तो व्यापारियों ने भी राहत की सांस ली और अपने कारोबार को फिर से पटरी पर लाने की कवायद शुरू कर दी। लगभग छह-सात महीने का मौका मिला। इस बीच कारोबारियों ने अपने बिजनेस को रास्ते पर लाना शुरू ही किया था कि कोविड-19 की दूसरी लहर ने फिर से कोहराम मचाना शुरू कर दिया। सन् 2021 के दो महीने तो राहत लेकर आये लेकिन जैसे ही मार्च 2021 शुरू हुआ तभी कोविड-19 की दूसरी लहर ने फिर से लोगों को  काल का ग्रास बनाना शुरू कर दिया। इस बार  की कोविड-19 की यह लहर पहले से बहुत  अधिक घातक बनकर सामने आयी है। चारों ओर हंगामा मचा हुआ है। कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या पिछले साल के मुकाबले 20 गुनी अधिक है। इसके बावजूद पिछले वर्ष की आर्थिक महामंदी का घातक असर देखते हुए सरकार द्वारा पूरे देश में लॉकडाउन तो नहीं लगाया गया है लेकिन लगभग सभी राज्यों में लॉकडाउन जैसी स्थिति बनी हुई। इस लॉकडाउन की स्थिति में अपने बिजनेस को किस तरह से सुचारु रूप से चलाते रहें। इसके लिए क्या-क्या खास कदम उठाने होंगे। इन पर विचार किया जाये तो बिजनेस मैन को काफी राहत मिल सकती है। आइये देखते हैं कि बिजनेस मैन के लिए कौन-कौन से ऐसे टिप्स हैं, जिनका इस्तेमाल करने से उनके बिजनेस के लिए काफी लाभप्रद साबित हो सकते हैं।

1. सबसे पहले हमें ग्राहकों के साथ पारदर्शी होना होगा। क्योंकि महामारी की कठिन स्थितियों का जिस तरह से बिजनेस मैन सामना करता है और वह अपने ग्राहकोंं के साथ पारदर्शिता का व्यवहार करता है तो ग्राहक भी सहानुभूतिपूर्वक विचार करके कारोबारी के साथ जुड़ा रहता है। इसलिये बिजनेस मैन को अपने कारोबार में पारदर्शिता रखनी बहुत ही जरूरी होती है। इसका उसे बिजनेस में लाभ मिलता है। ग्राहक बदले समय की परिस्थिति और बिजनेस मैन की विवशता को देखने के बाद उसका साथ जल्दी नहीं छोड़ता है।

2. जब महामारी का दौर थमने लगे अथवा महामारी के संकट का असर कम होने लगे तो बिजनेस मैन को चाहिये कि वो आने वाले राजस्व के साथ ही कुछ बहुत जरूरी व कुछ गैरजरूरी खर्चों का आंकलन करे। इससे आपको अपने व्यवसाय, कारोबार या कंपनी की वास्तविक स्थिति मालूम हो जाती है। आपको यह भी पता लग जाता है कि मौजूदा समय में हमारी कंपनी कहां पर खड़ी है ओर इसमें और क्या-क्या गुंजाइश है। इससे बिजनेस मैन को बिजनेस से संबंधी योजनाएं बनाने में काफी आसानी होती है।

3. महामारी के संकट के समय मार्केट की गिरती हालत पर हफ्तेवार समीक्षा करनी चाहिये । साथ ही यह भी विचार करना चाहिये कि मौजूदा समय की स्थिति में  कारोबार लागत व राजस्व की दृष्टि से कहां पर खड़ा है। यही वह समय होता है जब आपको अपनी कंपनी की वित्तीय स्थिति और नकदी के आने-जाने वाले प्रवाह को बारीकी से परखना होता है। इसके साथ यह भी चेक करें कि आपका बिजनेस भविष्य में क्या कर सकता है, क्या-क्या संभावनाएं हैं आदि-आदि। यही वो समय होता है जब व्यवसाय की नई बिक्री, कलेक्शन, उधार खाता का लेखा-जोखा और ऋण आदि के बुरे प्रभाव को भी देखना होता है। इन सभी की अच्छी से देखभाल के बाद ही व्यापारी को सोच समझ का कोई अगला कदम उठाना चाहिये।

Word Tips written on a wooden block in a book

4. हालांकि किसी को यह तो मालूम नहीं होता है कि महामारी का संकट कितने समय तक चल सकता है। ये तीन महीने भी चल सकता है, छह महीने भी चल सकता है, नौ महीने से लेकर 18 महीने तक चल सकता है। इसके लिए बिजनेस मैन को अपनी अलग-अलग अवधि की अलग-अलग तैयारियां करनीं होंगी।

5. पहले तीन महीने की बिजनेस की रणनीति बनायें और उसके हिसाब से काम करें। इस अवधि में महामारी का संकट समाप्त न हो। यदि महामारी का संकट 6 माह में खत्म होने की संभावना हो तो तीन महीने वाली बिजनेस पॉलिसी में फिर से परिवर्तन करे। उसमें से गैरजरूरी खर्चों को कम करके नये सिरे से रणनीति बनाये। गैर जरूरी खर्चों में किराया, सैलरी, मार्केटिँग व सैर-सपाटा आदि शामिल हैं।इन गैर जरूरी खचोँ में कटौती करें। इससे आपको बिजनेस चलाने में सुविधा होगी।

6. इसके अलावा यदि महामारी का संकट नौ महीने से 12 महीने मेंं खत्म होने की संभावना हो तो बिजनेसमैन को गैर जरूरी खर्चो के अलावा जरूरी खर्चों को भी नये सिरे से तय करना होगा। गैर जरूरी खर्चो में किराया, सैलरी, उपकरण की खरीद, लीज पेमेंट आदि शामिल रहते हैं। इन गैर जरूरी  खर्चों में में ज्यादा से ज्यादा कटौती करनी होगी। उस समय केवल बिजनेस को बचाने और उसे चलाने के सभी बहुत जरूरी खर्चो पर ही पूरा ध्यान रखना होगा।

7. महामारी के लम्बे समय तक चलने की संभावनाएं हों तो अपनी बिक्री रणनीति का नये सिरे से आंकलन करें और इसके साथ ही ऑनलाइन बिक्री को बढ़ावा देने का काम शुरू करना होगा। ऐसे समय में आप अपना ऑनालाइन बिजनेस को चमकाने का पूरा प्रयास करना चाहिये। ऑनलाइन बिजनेस को बढ़ाने के लिए मार्केटिंग पर पूरा फोकस करना होगा।

8. अगर महामारी के 18 महीने के लम्बे समय तक चलने की संभावनाएं हों तो आपको अपने बिजनेस की मार्केट कास्ट का विश्लेषण करना चाहिये और उसमें जितनी संभावित कटौती या नया स्केल से बनाना हो तो उस पर भी विचार करें। इससे आपके बिजनेस करने की नयी रणनीति की शुरुआत होगी। ऐसी स्थिति में बिजनेसमैन को परिस्थिति को देखते हुए थोड़ी लचीली रणनीति बनानी होगी। ऐसे समय में बिजनेस मैन को नये ऑपरेशन प्लान के साथ सेल्स रेवेन्यू के लक्ष्यों और प्रोडक्ट टाइमलाइन में संशोधन करने की भी आवश्यकता होगी। ऐसी स्थिति में बिजनेसमैन को अपने इन्वेस्टर और इम्प्लायी के साथ जहां तक हो सके अपने संचार संपर्क पारदर्शी यानी टासंपेरेंट कम्युनिकेशन रखना होगा।

9. प्रत्येक बिजनेस को चलाने के लिए पूंजी की सख्त आवश्यकता होती है। महामारी के संकट के समय बिजनेसमैन का दिमाग पूंजी जुटाने के लिए चकरा जाता है लेकिन उसने पहले से संकट के समय के लिए कोई फंड की व्यवस्था की होगी तो उसे किस तरह इस्तेमाल करना है इस पर गंभीरता से सोचना होता है। यदि संकट थोड़े समय के लिए है तो उसे अपने धैर्य से काम लेना होगा। यदि संकट लंबे समय के लिए है तो उस पूंजी को किश्तों में इस्तेमाल करके अपने बिजनेस को चलाना चाहिये।

बिजनेस मैन के लिए कुछ खास टिप्स

यह वही समय होता है जब बिजनेस मैन को स्थिति की गंभीरता को अच्छी तरह से समझना होगा। इस कठिन समय में बिजनेस के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करने होते हैं। लॉकडाउन के दौरान बिजनेस को स्थिरता देने और आगे बढ़ाने के लिए कुछ खास टिप्स दिये जा रहे हैं, जिन पर अमल करने से बिजनेस मैन को काफी लाभ हो सकता है, उनमें से कुछ खास इस प्रकार हैं:-

ग्राहकों के साथ बिजनेस मैन का संचार संपर्क पारदर्शी होना चाहिये

कोई सा भी बिजनेस ग्राहकों से ही चलता है। बिजनेस मैन को हमेशा अपने ग्राहकों को विश्वास में लेना होगा। उनके विश्वास के लिए बिजनेस मैन को उनसे बात करते समय अपनी स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट रखनी होगी। उनके साथ महामारी के संकट के कारण बिजनेस में आने वाली सभी तरह की परिस्थितियों को ईमानदारी से साझा करना होगा। संकट के समय उत्पन्न होने वाली व्यवसायी की प्रत्येक नाजुक परिस्थितियों को ग्राहक अच्छी तरह समझता है। ग्राहक इन हालातों में बिजनेस मैन के साथ सहानुभूति भी रखता है। जब तक बिजनेस मैन का व्यवहार पारदर्शी होता है तभी तक ग्राहक उसके साथ रहता है। यदि कोई थोड़ी सी भी ऊंच-नीच हो गयी और उसका पता ग्राहक को पता चला तो वो तत्काल ही अपने संबंध तोड़ लेगा।  क्योंकि उसे इस बात का शक हो जायेगा कि बिजनेसमैन महामारी के संकट की आड़ में अवसर का लाभ उठा रहा है। जबकि वास्तविक स्थिति इतनी खराब नहीं है जितनी व्यवसायी बता रहा है।

महामारी के दौरान अपने वेंडरों व सप्लायरों के साथ अच्छे रिलेशन रखें

महामारी के संकट के दौरान आपके वेंडर और सप्लायर ही सबसे बड़े सहायक साबित होते हैं। वैसे तो हमेशा ही ये वेंडर और सप्लायर बिजनेस की जान होते हैं लेकिन संकट के समय इनकी भूमिका बिजनेसमैन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है। इस संकट के दौरान ऐसी परिस्थितियां अधिकांश आती हैं जब वेंडरों और सप्लायरों को उनका भुगतान समय पर किया जाना संभव नहीं होता है। ऐसे में बिजनेस मैन को चाहिये कि वो अपने सभी वेंडरों व सप्लायरों आदि से लगातार संपर्क बनाये रखे और उन्हें विश्वास में लेकर पल-पल की जानकारी देता रहे। इससे वेंडरों और सप्लायरों को भी अच्छी तरह से मालूम होता रहेगा कि उन्हें उनका पैसा कब मिलेगा, उसी तरह से वो अपनी अगली योजनाएं बनायेंगे। बिजनेस मैन का वेंडरों और सप्लायरों से हेल्दी रिलेशन इसी संकट के समय ही काम आता है। क्योंकि बिजनेस मैन भुगतान के बारे में वेंडरों और सप्लायरों को पहले सूचित करके उनको मानसिक रूप से भुगतान में देरी के लिए तैयार कर लेता है। इसका लाभ यह होता है कि बिजनेस मैन और सप्लायरों के बीच में भुगतान को लेकर किसी तरह के अप्रिय विवाद नहीं होते हैं।

इम्प्लाइ से संबंधित अच्छा मैनेजमेंट करने की जरूरत

महामारी के संकट के दौरान बड़ी कंपनियां अपने कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बनाती हैं। उन्हें ऐसा करने से पहले बड़े-बड़े अधिकारियों की सैलरी में कटौती करनी चाहिये और उन्हें अपने यहां बनाये रखने का प्रबंधन करना चाहिये। ताकि कभी भी महामारी के संकट के दौरान उनकी जरूरत पड़े तो वे आपके काम आ सकें। इसके अलावा छोटे कर्मचारियों को बिना किसी रुकावट के जारी रखें। इसके बारे में सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करें।

a business team working together

अपनी टीम को व्यस्त रखें

महामारी के संकट के समय अपनी टीम को पूरी तरह से अलर्ट रखें। चूंकि आपकी टीम आप पर निर्भर है इसलिये एक बिजनेस मैन होने के नाते अपनी टीम के सदस्यों के प्रमोटर बनें। एक प्रमोटर की भूमिका निभाते हुए अपनी टीम के सदस्यों को प्रत्येक गतिविधि से अवगत कराते रहें। इस तरह से अपनी टीम को प्रत्येक जानकारी से अपडेट रखें। आप यदि यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते रहेंगे तो आपकी टीम हमेशा आपके साथ अलर्ट रहेगी। इसके साथ आपको अपनी टीम के साथ हमेशा प्रत्यक्ष संपर्क भी बनाये रखना होगा। आमने-सामने मुलाकात संभव न हो तो  उनके साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के टूल्स के माध्यम से जुडे रहें ।  समय-समय पर उनका मार्गदर्शन करते रहे । उनके द्वारा किये जाये कार्यों की भी समीक्षा करते रहें। यह बात उन संस्थानों पर लागू होती है जिनकी अधिकांश टीमें कंपनी से दूर फील्ड में ग्राहकों की सेवा के लिए कार्यरत रहतीं हैं। संस्थान से दूर कार्य करने वालों की मनोदशा को समझना और उनको परिस्थितियों के अनुकूल तैयार रखना बहुत जरूरी होता है। आप अपनी टीम को जितना ज्यादा व्यस्त रखेंगे उतना अधिक कार्य होगा। जब अधिक कार्य होगा तो उससे अच्छा रिटर्न भी मिलेगा। जो आपके बिजनेस के लिए लाभकारी साबित होगा।

विशेषज्ञों से भी राय मशविरा करें

जब महामारी का घोर संकट हो तो बिजनेसमैन को अपना कम्युनिकेशन बहुत बढ़ा देना चाहिये। साथ ही सभी लोगों को विश्वास में लेना चाहिये। ताकि आपके बिजनेस में एक व्यावसायिक माहौल बना रहे। प्रत्येक व्यक्ति आपके साथ सहानुभूति रखे तथा सहायता करने को तैयार रहे।इसके लिये आपको चाहिये कि अपने इम्प्लायी, स्टेकहोल्डर और कस्टमर्स से अच्छे संचार संपर्क बनाने के लिए किसी विशेषज्ञ या इन्वेस्टर से सलाह मशविरा करना चाहिये। उनकी राय के मुताबिक इस बारे में नयी रणनीति बनानी चाहिये। इन लोगों से पूरी टीम व्यवसाय की स्थिति और उस पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से बातचीत करते रहें। यदि आपको अपनी ट्रांसपेरेंसी पॉलिसी के तहत किसी तरह की अप्रिय सूचना देनी भी पड़े तो उस सूचना को पूरी तरह से सहानुभूतिपूर्वक सूचित करें। ताकि उन पर नकारात्मक प्रभाव तो पड़े लेकिन आपका कोई नुकसान करने के बारे में वे सोचने से बचें।

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