ऑनलाइन फ़्रॉड (online frauds) और इससे बचाव के तरीक़े
डिजिटल इंडिया की शुरुआत के साथ ही भारत में डिजिटल लेन-देन के दौर ने तेज़ी पकड़ी है। वहीँ इस कोरोना काल में जहाँ हर तरफ सोशल डिस्टन्सिंग की बात की जा रही है ,हमारी दुनिया पहले से अधिक डिजिटल हो रही है। आज 'नो-टच' का दौर है, इसलिए कैशलेस पैम्नेट भी ज़ोरों पर है। इंटरनेट की मदद से आज बैंकिंग से लेकर बिज़नेस तक कई ज़रूरी काम किये जा रहे हैं। हालाँकि आज कोरोना से लड़ते और ऑनलाइन होते समाज में लोगों के सामने स्वास्थ्य रक्षा के साथ ऑनलाइन रक्षा की भी चुनौती है। डिजिटल दुनिया में ऑनलाइन फ्रॉड (धोखाधड़ी) काफी तेज़ी से अपने पैर पसार रहा है। दुनिया की सभी ईकॉमर्स कंपनियां या लगभग हर व्यक्ति कभी न कभी इसका शिकार हो चुके हैं । फेक कॉल्स, ई-मेल्स आदि के माध्यम से आए दिन लोगों को ठगा जा रहा है। जहाँ पेमेंट और कम्पनियाँ अपने ग्राहकों को सुरक्षा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं, वहीँ ग्राहक भी अपनी सुरक्षा को लेकर जागरूक हुए हैं। हालाँकि सिर्फ उपभोक्ता ही नहीं, खुदरा विक्रेता और अन्य व्यवसाय भी इस फ्रॉड की दुनिया के शिकार हैं। हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ फ्रॉड इमेल्स आदि से व्यवसायों की ख़ुफ़िया जानकारी हैक कर उन्हें लूटा गया है।
ऐसे में यह बेहद ज़रूरी है कि आप ऑनलाइन फ्रॉड कितने तरह से किये जा सकते हैं, इसकी जानकारी रखें। फ़िशिंग, स्पूफिंग, पॉप-अप फ्रॉड - यह व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाने वाले ऑनलाइन धोखाधड़ी के प्रकार हैं । इसमें फ्रॉड करने वाले किसी संस्थान या व्यक्ति की पहचान चुराकर आपको फेक मैसेज करते हैं और आपकी संवेदनशील जानकारियां मांगते हैं।
ट्रोजन हॉर्स - यह वायरस आपके कीस्ट्रोक्स को रिकॉर्ड कर सकता है। यह किसी अटैचमेंट में भेजा सकता है या किसी ईमेल, वेबसाइट या पॉप-अप विंडो में आए लिंक के माध्यम से आपके सिस्टम में पहुँचाया जा सकता है।
कैसे पहचाने असली-नक़ली का फ़र्क़?
नकली वेबसाइटें - कई ऐसे URL होते हैं जो आपको गलत साइट्स पर रिडाइरेक्ट करते हैं। ऐसी साइट्स पर पहुंचकर आप धोखाधड़ी के शिकार हो सकते हैं।
स्पाइवेयर आपके सिस्टम पर आपकी गतिविधियों की निगरानी करता है और पॉप-अप भेजकर आपको गलत साइट्स पर पहुंचा देता है।
यही नहीं, आजकल फ्रॉड करने वाले लोग भी कई अन्य तरीकों से आपको ठगने की फिराक में हैं। अभी हाल ही में एक मामला सामने आया था जहाँ एक व्यक्ति ने सार्वजनिक चार्जर से अपना फोन चार्ज पर लगाया और अगले ही पल उसके अकाउंट से पैसे फुर्र हो गए। जी हाँ, फ्रॉड ऐसे पब्लिक चार्जिंग कोर्ड्स में स्पेशल चिप लगाकर भी किया जा रहा है। जैसे ही आप ऐसे चिप वाले चार्जर पर अपना फोन लगाते हैं, आपके फोन की सभी जानकारियां हैकर्स तक पहुँच जाती है। इसलिए ज़रा सावधान रहें। सुरक्षा के लिहाज़ से पब्लिक चार्जर्स से अपना फोन/लैपटॉप आदि चार्जिंग पर ना ही लगाएं तो बेहतर है।
बरतें पूरी सावधानी
उचित सावधानियों के साथ ऑनलाइन थोड़ी सी सावधानी बरतकर न सिर्फ उपभोक्ता, बल्कि व्यवसाय भी अपनी सुरक्षा कर सकते हैं। उपभोक्ताओं के लिए काम करने वाले तरीके व्यवसायों के लिए भी बराबर काम करते हैं।
पहले तो ध्यान रखें कि जब भी आपसे कोई खातों से सम्बंधित गुप्त जानकारी मांगे, तो ज़रा सा भी शक होने पर आप तुरंत उस व्यक्ति या संस्थान को फोन करके कन्फर्म करें। पूरी तरह भरोसा होने के बाद ही कोई जानकारी दें। साथ ही यह ध्यान रखें कि बैंक आपको व्यक्तिगत जानकारी जैसे कि खाता और / या सामाजिक सुरक्षा नंबर आदि के लिए कभी ईमेल/कॉल या टेक्स्ट संदेश नहीं भेजते हैं। बैंकों को इस तरह से आपको खाता जानकारी सत्यापित करने की भी आवश्यकता नहीं होगी। कार्ड नंबर, समाप्ति तिथि, पिन, ओटीपी जैसी गोपनीय जानकारी आदि को किसी के साथ साझा नहीं करें । व्यक्तिगत जानकारी, विशेष रूप से सामाजिक सुरक्षा या टैक्स आईडी नंबर, खाता संख्या या लॉगिन और पासवर्ड की जानकारी ईमेल और मैसेज के माध्यम से साझा न करें। यदि आपको ईमेल के माध्यम से अपने बैंक के साथ संवेदनशील जानकारी शेयर करने की अधिक आवश्यकता हो, तो बैंक के सुरक्षित ऑनलाइन बैंकिंग प्लेटफॉर्म के भीतर सुरक्षित मेल का उपयोग करना सुनिश्चित करें।
किसी को ना दें निजी जानकारी
बैंक या किसी मोबाइल ऐप से अगर कोई आधिकारिक प्रतिनिधि होने का दिखावा करे तो और आपसे इस तरह की जानकारियों का विवरण देने के लिए कहे तो उन्हें एक आधिकारिक ईमेल भेजने के लिए कहें। अपनी ईमेल आईडी उन्हें न बताएं, अगर वे फ्रॉड नहीं हैं तो उनके रिकॉर्ड में आपकी ईमेल आईडी पहले से होगी। केवल बैंक/ऐप के आधिकारिक डोमेन से आने वाले ईमेल का ही जवाब दें। स्पैम चेतावनी की जाँच के लिए कई ऐप हैं जो स्पैम नंबर के बारे में चेतावनी देते हैं, उन्हें डाउनलोड करें। यदि आपको किसी अज्ञात खाते से कोई रिक्वेस्ट प्राप्त हो रही हैं, तो स्पैम चेतावनियों पर नज़र रखें। कुछ भी संदिग्ध दिखने पर अपने बैंक को रिपोर्ट करें और खाते को स्पैम मार्क करें। साथ ही कोई भी अटैचमेंट डाउनलोड करते समय या वेबसाइट, पॉपअप आदि पर क्लिक करते हुए भी सावधानी बरतें। यदि ईमेल का डोमेन विश्वासजनक नहीं है तो उसे न खोलें।
किसी URL की जांच करने के लिए, आप URL को एक नई वेब ब्राउज़र विंडो में टाइप या कट पेस्ट कर सकते हैं। यदि यह आपको एक वैध वेब साइट पर नहीं ले जाता है या आपको कोई त्रुटि संदेश मिलता है, तो यह शायद वह किसी जालसाज़ वेब साइट के लिए एक कवर था।
सावधानी बरतने के तरीक़े
पॉप-अप विंडो ब्लॉकर, एंटी-स्पैम सॉफ़्टवेयर, फ़ायरवॉल, एंटी-स्पाइवेयर सॉफ़्टवेयर, एंटी-वायरस आदि जैसे बचाव के सॉफ्टवेयर अपने फोन और कंप्यूटर में इंस्टाल रखें।हालाँकि यह सब भी सावधानी से डाउनलोड करें। किसी अज्ञात साइट से कुछ भी डाउनलोड करने से बचें। समय समय पर अपने सिस्टम के सॉफ्टवेयर अपडेट करते रहें। इससे आप अपने सिस्टम को सुरक्षित बना सकते हैं।
अपने सभी पासवर्ड स्ट्रांग बनाएं। सम्भव हो तो पासवर्ड अक्षरों, संख्याओं, और स्पेशल केरेक्टर्स को मिलाकर ही बनाएं, ताकि आपका पासवर्ड का कोई और अंदाजा न लगा पाए। साथ ही समय-समय पर पासवर्ड्स बदलते भी रहें।
अगर आपका व्यवसाय हो तो कोशिश करें कि बिज़नेस से सम्बंधित वित्तीय डाटा आप एक अलग सिस्टम में ही स्टोर करें और रूपए-पैसे, बैंकिंग आदि से जुड़ा सारा कामकाज भी उस अलग सिस्टम पर ही करें। जब वह कंप्यूटर खराब हो जाए तो उसे बेचने या फेंकने से पहले हार्ड ड्राइव से सारे डाटा का बैकअप लेकर उसे सही से खाली करना न भूलें। साथ ही आप अगर कोई बड़ी कम्पनी चलाते हैं तो अपने आईटी विभाग को हर सम्भव मदद दें ताकि आपके सभी कर्मचारियों की संवेदनशील जानकारियां सुरक्षित रह सकें।
एक ग्राहक के तौर पर आप ध्यान रखें की लेन -देन केवल विश्वसनीय और प्रमाणित व्यापारियों से ही करें।
यदि आपके साथ कोई भी ऑनलाइन फ्रॉड की घटना होती है तो सबसे पहले अपने नज़दीकी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में जाकर पुलिस को सारी डिटेल्स दें और प्राथमिकी यानी एफआईआर दर्ज कराएं।
हर सुविधा के साथ कुछ समस्याएं आती हैं। डिजिटल होते हमारे इस समाज में ऑनलाइन फ्रॉड की यह समस्या भी कुछ ऐसी ही है। हमें इससे डरना नहीं है, बल्कि थोड़ी सावधानी बरतकर इसे मात देनी है।
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