जीएसटी से जुड़ी कुछ अहम बातें जो हर व्यापारी को पता होनी चाहिए

जीएसटी क्या है?

जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स, वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार पर लगने वाला एक अप्रत्यक्ष कर है। यह 2017 से पूरे देश में लागू की गयी एक नयी कर-प्रणाली है जिसमें पूर्व-काल के कई टैक्स जैसे सर्विस टैक्स, सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, स्टेट लेवल वैट आदि कई टैक्सों को हटाकर मात्र एक टैक्स जीएसटी लाया गया है।

जीएसटी के कितने प्रकार होते हैं?

उपभोग और पूर्ति के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा तीन प्रकार के जीएसटी चार्ज किए जाते हैं, जो इस प्रकार हैं  -

  • एसजीएसटी - स्टेट जीएसटी, राज्य सरकार द्वारा वसूल किया जाता है।
  • सीजीएसटी - सेंट्रल जीएसटी, केंद्र सरकार द्वारा वसूल किया जाता है।
  • आईजीएसटी - इंटीग्रेटेड जीएसटी, केंद्र सरकार द्वारा वसूल किया जाता है।

क्या जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करना जरूरी है?

निम्न बिज़नेस और कंपनी को जीएसटी में रजिस्टर करना बेहद आवश्यक है -

  • बिज़नेस जिनका टर्नओवर 40 लाख रूपए के ऊपर है।
  • ऐसी सर्विस कंपनी जिनका टर्नओवर 20 लाख के ऊपर है।
  • ऐसे लोग जो जीएसटी पूर्व कानूनों रजिस्टर्ड थे।
  • कंपनियां जो ई-कॉमर्स के ज़रिये सप्लाई करती हैं।
  • सभी ई -कॉमर्स कंपनियां।
  • ऐसे बिज़नेस जो दो या दो से अधिक राज्यों के बीच होते हैं।

कैसे होता है जीएसटी के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन?

  • रजिस्ट्रेशन करने के  लिए सबसे पहले जीएसटी की वेबसाइट (https://www.gst.gov.in/) पर जाएं।
  • Taxpayers सेक्शन में जाकर 'Register Now' पर क्लिक करें।
  • Part A में मांगी गयीं डिटेल्स भरें, फिर मोबाइल नंबर और ईमेल पर भेजा गए OTP भरें।
  • आपको अपने मोबाइल और ईमेल पर एक टेम्पररी रिफरेन्स नंबर (टीआरएन) प्राप्त होगा।
  • इसके बाद Section-B में मांगी गयी डिटेल्स भरें।
  • आपको सभी उपयुक्त डाक्यूमेंट्स के साथ बिज़नेस अड्रेस प्रूफ, बैंक डिटेल्स, और प्राधिकरण फॉर्म जमा करना होगा।
  • फॉर्म सही तरह से भरकर जमा करने पर आपको आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ईमेल पर एक सक्सेस मैसेज और एप्लिकेशन रिफरेन्स नंबर (एआरएन) भेजा जाता है।

क्या एक पैन कार्ड पर दो जीएसटी रजिस्ट्रेशन हो सकते हैं?

एक पैन कार्ड धारक को एक राज्य में एक ही रजिस्ट्रेशन मिलता है। हालाँकि उसके पास अलग-अलग बिज़नेस कार्यक्षेत्रों के लिए अलग अलग पंजीकरण करने का विकल्प होता है।

कितने समय में रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है?

एक अपंजीकृत व्यक्ति को पंजीकरण सम्बंधित औपचारिकताएं पूरी करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाता है। यह 30 दिन उस दिन से गिने जाते हैं, जिस दिन से पंजीकृत होने के लिए उसकी देयता की पहचान की जाती है।

जीएसटी की स्लैब्स क्या हैं?

वस्तुओं और सेवाओं को टैक्स वसूली के लिए 5 अलग-अलग टैक्स स्लैब में बांटा गया है - 5 %, 12%, 18% और  28%  पेट्रोलियम उत्पाद, शराब  और बिजली पर जीएसटी के अंतर्गत टैक्स नहीं लिया जाता। इन उत्पादों पर हर राज्य सरकार पुरानी टैक्स प्रणाली के मुताबिक़ अपने-अपने टैक्स लगाती है।

कौन तय करता है जीएसटी के रेट?

सीजीएसटी और एसजीएसटी के रेट केंद्र और राज्य सरकार मिलकर तय करते हैं।  यह रेट्स जीएसटी कौंसिल के सुझावों के अनुसार अधिसूचित की जाती हैं। इन 33 सदस्यों में 2 सदस्य केंद्र के होते हैं, 28 सदस्य राज्यों के और बाकी 3 विधानसभा वाले केंद्र-शासित प्रदेशों के सदस्य होते  हैं। यह कौंसिल नियमित रूप से मीटिंग कर, भारत में वस्तुओं और सेवाओं से जुड़े नियम-कानूनों, दरों आदि में संशोधन, स्पष्टीकरण, परिवर्धन और अधिनियमन करती रहती है।

क्या है इनपुट टैक्स क्रेडिट?

जीएसटी अपने 'इनपुट टैक्स क्रेडिट' फीचर के कारण काफी बड़ा टैक्स-सुधार माना गया है। इस सुविधा के कारण व्यापारी 'टैक्स पर टैक्स' देने से बचते हैं।  हालाँकि इसको लेकर व्यापारियों में काफी शंकाएँ हैं।

आइये इस एक उदाहरण से इनपुट टैक्स क्रेडिट को समझें –

  • मान लीजिये एक व्यापारी है राजू जो हेयर आयल बनाकर मार्किट में बेचने का व्यवसाय करता है। राजू ने 100 रूपए का कच्चा माल खरीदा ,जिस पे 18% जीएसटी लगा। ऐसे में कच्चा माल राजू को 118 रूपए का पड़ा।
  • अब राजू 118 रूपए में खरीदे गए इस कच्चे माल से हेयर आयल बनाकर मार्किट में 200 रूपए में बेचेगा तो उस पर फिर 18% का जीएसटी लगेगा। ऐसे में राजू पर कुल 36 रूपए का टैक्स बनेगा।
  • जब राजू अपना जीएसटी रिटर्न फाइल करेगा तो उसे 36 रूपए का टैक्स भरना होगा। लेकिन इसमें से उसे 18 रूपए इनपुट क्रेडिट के रूप में मिलेंगे। इनपुट क्रेडिट यानि जो भी टैक्स व्यापारी को उत्पादक सामग्री खरीदते समय भरना पड़ता है, वह उसे मिल जाता है।
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट सिस्टम के कारण व्यापारियों को दोहरा टैक्स नहीं भरना पड़ता।

इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के लिए क्या है ज़रूरी?

इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा आप अपना जीएसटी रिटर्न भरते समय ही कर सकते हैं। आपके पास अपनी खरीद का पक्का बिल होना आवश्यक है। इसमें यह भी ज़रूरी है कि जिस डीलर से आपने सामान लिया है, उसने अपना जीएसटी रिटर्न समय से भरा हुआ हो।

जीएसटी रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया में क्या है ख़ास?

  • कॉमन रिटर्न राज्य और केंद्र दोनों सरकारों के लिए काम करता है।
  • जीएसटी बिज़नेस प्रक्रिया में रिटर्न फाइल करने के लिए कुल 8 फॉर्म उपलब्ध कराए गए हैं। हालाँकि ज़्यादातर सामान्य करदाता अपने बिज़नेस रिटर्न फाइल करने के लिए सिर्फ 4 तरह के फॉर्म का ही उपयोग करते हैं। इन चार फॉर्म में रिटर्न फॉर सप्लाइज, रिटर्न फॉर पर्चेसेज़, मासिक रिटर्न और सालाना रिटर्न के फॉर्म होते हैं।
  • छोटे करदाताओं के लिए कम्पोजीशन स्कीम है, जिसमें उन्हें हर तीन महीने पर रिटर्न फाइल करना होता है।
  • यह रिटर्न पूरी तरह ऑनलाइन फाइल किए जाते हैं। सभी तरह के टैक्स भी ऑनलाइन अदा किये जा सकते हैं।

जीएसटी सिस्टम में क्या है अपराध?

जीएसटी प्रणाली में 21 तरह के अपराधों का ज़िक्र है जिसमें पात्रता होने के बावजूद रजिस्ट्रेशन न कराना, बिना पक्के बिल के वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार करना, जीएसटी रजिस्ट्रेशन में गलत जानकारियां देना, देरी से जीएसटी रिटर्न भरना आदि शामिल हैं।

इन अपराधों की क्या है सज़ा और क्या हैं आपके हक़?

ऐसे अपराध करने वालों को जीएसटी के अंतर्गत पेनल्टी भरनी पड़ती है। जीएसटी अफसरों द्वारा अपराधियों की गिरफ्तारी भी की जा सकती है। हालाँकि अगर कोई व्यक्ति जीएसटी के अंतर्गत अपने खिलाफ जारी किये आर्डर से नाखुश है, तो वह ऐसे निर्णय के खिलाफ अपील कर सकता है या फिर वह 'एडवांस रूलिंग' के लिए अनुरोध कर, जीएसटी प्राधिकारियों से उसके खिलाफ हो रही कार्रवाई पर स्पष्टीकरण मांग सकता है। ऐसे प्रश्नों पर कर-प्राधिकरण द्वारा निवेदक को लिखित में निर्णय सौंपा जाता है। इस लिखित निर्णय को 'एडवांस रूलिंग' कहते हैं।

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