कितने प्रतिशत लोग भारत में बिज़नेस करते हैं (और किस प्रकार का)?
अपना खुद का बिज़नेस शुरू करने की आसान होती फॉर्मलिटीज के साथ ही लोगों में नौकरियों के प्रति रुझान घटा है। आज अधिकतर लोग अपने खुद के कारोबार के विषय में सोचने लगे हैं। यह भारत की इकनोमिक ग्रोथ के लिए काफी महत्वपूर्ण है। सारी दुनिया जानती है कि अमरीका ग्लोबल इकॉनमी में सबसे बड़ा नाम है। दूसरे पायदान की होड़ में हैं एशिया के दो बड़े देश -भारत और चीन। यह दोनों देश जनसंख्या के मामले में दुनिया का लगभग एक तिहाई हिस्सा कवर करते हैं। इनकी इकोनॉमी भी काफी बड़ी है।
चीन ने वैश्विक मंदी के दौर से खुद को बेहतरीन तरीके से उबारा और आज विश्व की दूसरी बड़ी इकॉनमी के रूप में स्थापित है। हालाँकि भारत भी समय के साथ निरन्तर अपनी अर्थव्यवस्था मज़बूत की है और आज यह उद्यमियों यानि एंटरप्रेंयूर्स (Entrepreneurs) का हब बनता जा रहा है।
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार; सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग भारत के जीडीपी में लगभग 8 प्रतिशत योगदान देते हैं। 45 प्रतिशत उत्पादन में और 40 प्रतिशत देश के कुल निर्यात में। ये छोटे बिज़नेस भारत में हर साल लोगों 1.3 मिलियन नौकरियाँ देते हैं। कृषि के बाद यह सबसे ज़्यादा नौकरियाँ देने वाला क्षेत्र है और भारत की जीडीपी में काफी महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं। आज भारत में 48 मिलियन से ज़्यादा छोटे-छोटे बिज़नेस हैं, यह अमरीका की छोटी कंपनियों (23 मिलियन) के दोगुने से भी ज़्यादा है।
बिज़नेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की टॉप इंडस्ट्रीज़ का विभाजन कुछ इस प्रकार है -
खुदरा (परिवहन साधन हटाकर): 40 % लोग यह बिज़नेस करते हैं।
भारतीय खुदरा उद्योग पिछले कुछ समय में काफी तेज़ी से बढ़ने वाले उद्योगों के रूप में उभरा है। 2017 में जहाँ कुल खपत व्यय 1,824 बिलियन अमरीकी डॉलर था, वहीँ अब 2020 में इसके लगभग 3,600 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इस इंडस्ट्री की जीडीपी में भागीदारी 10 प्रतिशत है और रोज़गार के मामले में यह लगभग ८ प्रतिशत लोगों को लाभान्वित करती है। दुनिया के लिए भारत रीटेल की दुनिया में पांचवी सबसे बड़ी पसंद है।
कपड़ा व्यवसाय: 8.75 % लोग यह बिज़नेस करते हैं।
इस इंडस्ट्री में रॉ मटेरियल जैसे जूट, ऊन, रेशम, कपास आदि बनाने से लेकर हाई वैल्यू प्रोडक्ट्स जैसी रेडीमेड गारमेंट्स आदि बनाए जाते हैं। यह इंडस्ट्री 45 मिलियन से भी ज़्यादा लोगों को रोज़गार प्रदान करती है। पिछले सालो में इस इंडस्ट्री ने जीडीपी का 2 प्रतिशत शेयर करते हुए भारत की इकॉनमी में बड़ा रोल निभाया है।
खान-पान: 7% लोग यह बिज़नेस करते हैं।
खान पान की इस इंडस्ट्री का भारत की इकनोमिक ग्रोथ में काफी अहम रोल है। सरकार की ओर से भी इस इंडस्ट्री को काफी प्रोत्साहन दिया जाता है। भारत का खान-पान और किराना मार्किट दुनिया का छठा सबसे बड़ा मार्किट है और सेल्स में इसकी भागीदारी 70% है। सबसे ज़रूरी बात है कि इस इंडस्ट्री में लगभग 1.85 मिलियन लोग काम करते हैं। 2025 तक यह आंकड़ा 37 मिलियन तक होने की संभावना है। उत्पाद जीडीपी में इसकी भागीदारी 14 % है।
ऑटो (बिक्री,रख-रखाव,रिपेयर ): 3.6 % लोग यह बिज़नेस करते हैं।
भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इंडस्ट्री है,वहीँ भारत की टू-व्हीलर इंडस्ट्री विश्व में सबसे बड़ी है। इस इंडस्ट्री का सालाना टर्नओवर 100 बिलियन अमरीकी डॉलर है। यह लगभग 32 मिलियन लोगों को रोज़गार देती है और भारत के जीडीपी में इसकी 7.1 प्रतिशत भागीदारी है।
फर्नीचर: 3.2 % लोग यह बिज़नेस करते हैं।
फिलहाल यह इंडस्ट्री भारत की जीडीपी में मामूली योगदान देती है, परन्तु इसमें अगले कुछ सालों में ग्रोथ के काफी स्कोप है।
यह भी पढ़ें:
कोई भी व्यक्ति इन 5 व्यवसायों को शुरू करके कर सकता है मोटी कमाई!
महिलाएँ घर बैठे बोर हो रही हैं तो शुरू करें ये घरेलू बिज़नेस, जिनसे होगी तगड़ी कमाई
कैसे भारत में डिजिटाइज़ेशन (digitisation) से हुई हैं चीज़ें आसान?