Gold Jewellery ka hisab kaise kare? [अपने पैसे कैसे बचायें]

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Gold Jewellery ka hisab kaise kare? [अपने पैसे कैसे बचायें]

घर में शादी-ब्याह हो, जन्म दिन हो, शादी की सालगिरह हो, बच्चों के जन्म का मौका, होली-दिवाली, भैया दूज, करवाचौथ, रक्षाबंधन जैसे मौके हैं। इन मौकों पर क्षमता वाले व्यक्ति अपने करीबी लोगों को सोने की ज्वैलरी का तोहफा देते हैं। इसके अलावा आज के फैशन के जमाने में पुरानी डिजाइन को बदलने और नये डिजाइन वाले आभूषण खरीदने के शौक से लोग गोल्ड ज्वैलरी खरीदना पसंद करते हैं। ज्वैलरी की खरीद-फरोख्त करना आसान नहीं होता है। खरीदने के बाद में पछताना न पड़े । इसलिये हमें पहले से ही सावधानी बरतनी होगी और सतर्कता बरतनी होगी। इस तरह से हम गोल्ड ज्वैलरी की खरीद फरोख्त में होने वाले किसी भी तरह के नुकसान से आसानी से बच सकते हैं। हमें क्या क्या सावधानियां बरतनी होंगी, किन किन मोटी-मोटी बातों का ध्यान रखना होगा। इस पर यहां विस्तार से चर्चा की जा रही है।

How is the gold price calculated in Hindi | गोल्ड ज्वैलरी का हिसाब लगाना आसान नहीं होता

गोल्ड ज्वैलरी खरीदना और बेचना बहुत बड़ी कला है। इसका हिसाब-किताब जल्दी से आम आदमी के समझ में नहीं आता है। इसक प्रमुख कारण यह है कि कहीं पर ग्राम में सौदा किया जाता है तो कहीं पर तोले में हिसाब किताब जोड़ा जाता है। हालांकि दोनों का कैलकुलेट करने का तरीका भले ही अलग हो लेकिन दोनों का वजन एक ही होता है।

प्रत्येक ज्वैलर्स का बिजनेस करने का तरीका अलग-अलग होता है

गोल्ड ज्वेलरी के ग्राहक जिस तरह से अपने-अपने हिसाब से अपनी गोल्ड ज्वैलरी को खरीदते और बेचते हैं। उसी तरीके से मार्केट में बैठे ज्वैलरी का व्यापार करने वाले बिजनेस मैन भी अपने-अपने अलग-अलग तरीके से गोल्ड ज्वैलरी को खरीदते बेचते हैं। उनकी यह कोशिश यही होती है कि वे अपने ग्राहक को अपनी अलग शैली से प्रभावित करके व्यापार करना चाहते हैं। ये वाकपटु व्यापारी अपनी बिजनेस शैली को दूसरे बिजनेस मैन की बिजनेस शैली से अच्छा और अधिक भरोसेमंद बताने का प्रयास करते हैं। लेकिन इनकी बिजनेस शैली ऐसी होती है जो जल्दी से ग्राहकों को समझ में नहीं आती है।

How to calculate the price of Gold jewellery in Hindi | आप इस तरह से लगायें ज्वैलरी का हिसाब

अब आपको क्या करना है? कैसे गोल्ड ज्वैलरी का हिसाब करें कि आपको नुकसान कम से कम हो। आपको गोल्ड ज्वैलरी के बिजनेस और बिजनेस करने वालों की कार्यप्रणाली को बहुत ही सावधानी से जांचना-परखना होगा। बिजनेस मैन के इरादों को भांपने की कोशिश करनी होगी कि उसकी असली मंशा क्या है। इसके लिए आपको एक से अधिक गोल्ड ज्वैलर्स के यहां विजिट करना होगा। उनकी बातों को ध्यान से सुनना होगा और उनके यहां से मिली जानकारी का विश्लेषण करना होगा। उसके बात यह नतीजा निकालना होगा कि कौन सा ज्वैलर्स आपको सबसे उचित रेट पर ज्वैलरी दे रहा है।

1. सोने की शुद्धता के हिसाब से सोने के रेट जानें

कैसे किया जाता है गोल्ड ज्वैलरी का हिसाब। सबसे पहले आपको बतायें कि गोल्ड मार्केट में कैरेट के हिसाब से बेचा जाता है। यही कैरेट सोने की शुद्धता यानी प्योरिटी की मात्रा को तय करता है। 24 कैरेट सोने को 100 प्रतिशत शुद्ध सोना माना जाता है। लेकिन इस 24 कैरेट सोने से आभूषण नहीं बनाये जा सकते हैं  क्योंकि यह सोना इतना नरम होता है उसको फोल्ड डिजाइन नहीं किया जा सकता है। इस सोने को मजबूती देने के लिए इसमें अन्य धातुएं मिलायी जातीं हैं। इसमें तांबा प्रमुख होता है। इस सोने में जितनी दूसरी धातुएं मिलायी जाती है उतना ही सोने की शुद्धता घटती जाती है। जितनी मात्रा में दूसरी धातुएं मिलायी जातीं हैं उसी के हिसाब से सोने का कैरेट कम होता जाता है। इसी कैरेट के हिसाब से ही उसके दाम तय होते हें।

2. सबसे पहले 24 कैरेट गोल्ड के रेट जानें

आपको गोल्ड ज्वैलरी खरीदते या अदला बदली करते समय सबसे पहले 24 कैरेट सोने के मूल्य पता  करने चाहिये क्योकि सोने के रेट रोजाना ही चढ़ते-उतरते रहते हैं यानी बदलते रहते हैं। इसके उस दिन के 24 कैरेट वाले सोने के दाम का एक प्रतिशत निकालना होगा।

3. आभूषण में सोने की शुद्धता और उसके रेट इस तरह से जानें

चूंकि 24 कैरेट सोने को 100 प्रतिशत माना जाता है। आपको इसके 24 वें हिस्से को जानना होगा जो एक कैरेट होगा। एक कैरेट 4.166 प्रतिशत के बराबर होता है। अब आपको जो आभूषण पसंद आया है और उसका सोना 22 कैरेट का है तो आपको 22 में 4.166 का गुणा करना चाहिये।  इस तरह से 22 कैरेट सोने में शुद्ध सोने की मात्रा 91.6 प्रतिशत होता है। इसी तरह 18 कैरेट वाले सोने में प्योर सोना 75 प्रतिशत होगा। इस तरह से आप अपने आभूषण में शामिल शुद्ध सोने की मात्रा और 24 कैरेट सोने के एक कैरेट सोने की कीमत का गुणा करने से सोने की असली कीमत मालूम हो जायेगी।  यह कीमत आपको अपने इसी आभूषण को बेचने के समय वापस मिलनी चाहिये।

4. इस तरह से ज्वैलर्स की बिजनेस शैली को पहचानें

अब आपको ज्वैलर्स जो दाम बताता है उसमें से आभूषण में शामिल शुद्ध सोने की कीमत को कैलकुलेट करके घटायेंगे तो आपको यह मालूम हो जायेगा कि बिजनेस मैन आपसे ज्वैलरी मेकिंग के बदले में कितना पैसा ले रहे हैं। इस धनराशि में कारीगर की मेहनत का पैसा, शोरूम का किराया, खर्चा, सोने को खरीदने और बेचने के लिए लगाये गये पैसे का इन्ट्रेस्ट, ज्वैलर्स का मुनाफा आदि शामिल होता है। आप  इस तरह से आभूषण की कीमत को जानने के बाद यह जान सकते हैं कि कौन सा ज्वैलर्स कितना सस्ती व महंगी ज्वैलरी आपको दे रहा है।

अब आपको यह मालूम हो गया है कि कौन सा बिजनेसमैन आपको सस्ती ज्वैलरी दे रहा है। सस्ती ज्वैलरी का मतलब कि ज्वैलरी की बनवाने की कीमत कितनी लगाई जा रही है। यह कीमत आपको वापस नहीं मिलने वाली। बाद बाकी गोल्ड की प्योरिटी का रेट तो एक ही होगा। उसमें किसी प्रकार की हेर फेर को आप आसानी से पकड़ सकते हैं। इस तरह से आप गोल्ड ज्वैलरी खरीदते समय उसका अच्छी तरह से हिसाब लगा सकते हैं।

5. गोल्ड ज्वैलरी के बिजनेस में कितना आ गया है बदलाव

गोल्ड ज्वैलरी रोज-रोज न तो खरीदी बेची जाती है और न ही इसको जल्दी जल्दी बदला ही जाता है। गोल्ड ज्वैलरी के बिजनेस में अब काफी बदलाव आ गया है। यदि आज से दो दशक पहले की बात करें  तो उस समय के ज्वैलर्स सोने के दाम पर ही ज्वैलरी बेचते थे। उस समय ग्राहक सोने के रेट पर ही ज्वैलरी खरीदते थे। उस समय बिजनेस मैन भी ग्राहकों की पसंद के अनुरूप ही बिजनेस करते थे लेकिन वे इसमें खेल करते थे। गोल्ड बिजनेस के अनुभवी लोगों का कहना है कि उस समय बिजनेस मैन अपने ग्राहक को जो सोना देता था, उसकी शुद्धता में मामूली हेरफेर करता था। वही से वो खर्चा निकालता था। यह उसकी मजबूरी होती थी। सोने के दाम तो मार्केट में एक ही होते थे। ज्वैलरी की बनवाई ग्राहक एक आभूषण के लिए 200 से 300 अधिकतम 500 रुपये देता था। इसी में बिजनेसमैन को कारीगर को पैसे देने होते थे, शोरूम का खर्चा भी निकालना होता था। इसलिये बिजनेस मैन 22 कैरेट वाले सोने की जगह उससे कम कैरेट का सोना देते थे। क्योंकि उस समय हॉल मार्क जैसी सुविधा तो थी नहीं। उसके बाद इस बिजनेस में एक बदलाव आया कि ज्वैलर्स अपनी ज्वैलरी को बेचते समय ही यह बता देते थे कि वो जब वापस करने आयेंगे तो आपको इतने दाम वापस मिल जायेंगे। यानी रिटर्न रेट की गारंटी देते थे।

6. मेकिंग चार्ज कम से कम देने की कोशिश करें

अब हाईटेक जमाने में गोल्ड ज्वैलरी के बिजनेस में फिर बदलाव आ गया है। अब नये जमाने में गोल्ड ज्वैलरी का बिजनेस हॉल मार्क पर होता है। अब सरकार की ओर सोने की शुद्धता का मानक तय करने के लिए हॉल मार्क की व्यवस्था की गयी है। अब इस व्यवस्था से बिजनेस मैन अपना बिजनेस करते हैं और ग्राहक भी हॉल मार्क के आधार पर सोने की ज्वैलरी खरीदते हैं। लेकिन गोल्ड की प्योरिटी के अलावा मेकिंग चार्ज के आधार पर बिजनेस किया जाता है। अब मेकिंग चार्ज काफी अधिक होता है। अब गोल्ड की प्योरिटी के रेट के अलावा जीएसटी ग्राहक से वसूली जाती है और इसके साथ मेकिंग चार्ज ग्राहक से जो वसूला जाता है। उसमें बिजनेस मैन का मुनाफा, कारीगर की फीस, शोरूम का खर्चा आदि सब कुछ शामिल होता है। इसलिये आपको यह कोशिश करना होगा कि मेकिंग चार्ज जितना कम होगा वही आपकी बचत होगी क्योंकि मेकिंग चार्ज आपको नहीं मिलने वाला। यानी आपको भविष्य में इसी मेकिंग चार्ज का ही नुकसान होने वाला है। इस बात का विशेष ध्यान देना होगा।

7. यदि आपको पुरानी ज्वैलरी बदलने से कितना होता है नुकसान

यदि आप अपने पुरानी ज्वैलरी को बेचकर नयी ज्वैलरी खरीदना चाहते हैं तो आपको इसमें भारी नुकसान होने वाला है। यदि आप फैशन या ट्रेंड की वजह से अपनी सही सलामत ज्वैलरी बेचना चाहते हैं तो आप बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हैं क्योकि आप अपनी ज्वैलरी बेचकर कम से कम 20 प्रतिशत नुकसान कर रहे हैं और नये आभूषण खरीदने में भी आप 20 प्रतिशत का ऐसा इन्वेस्ट करने जा रहे हैं जो वापस नहीं मिलने वाला। इस प्रकार से आप 40 प्रतिशत का नुकसान करने जा रहे हैं।

8. ज्वेलरी का बदलाव घाटे का सौदा है

आप कोशिश करें कि आप अपने पुराने जेवर न बेचें और न ही उनको बदलने की कोशिश करें। ऐसा करने से आपको ही नुकसान होगा। इस नुकसान को बचाने के लिए आप अपने जेवरों को धरोहर या पूर्वजों की निशानी मानकर रख सकते हैं। ओल्ड इस गोल्ड की रणनीति पर चलकर अपने पुराने आकर्षक  आभूषणों का इस्तेमाल करना चाहिये।

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9. इमरजेंसी भी में गोल्ड ज्वैलरी को बेचने की जरूरत नहीं होती

गोल्ड ज्वैलरी को अपने शौक या फैशन के लिये तो नहीं बेचना चाहिये। यदि पुरानी ज्वैलरी टूट-फूट गयी हो तो अवश्य ही उसको बेचा जा सकता है। हालांकि हमारे समाज में गोल्ड को पुश्तैनी पूंजी माना जाता है। जब कोई आपत्ति विपत्ति आये तो उस समय ही गोल्ड ज्वैलरी को बेचने का ऑप्शन बताया गया है। उसमें भी अब बदलाव यह आया है कि ऐसे समय में आपको ज्वैलरी बेचने की जरूरत नहीं अब आपको अनेक बैंक व वित्तीय संस्थायें गोल्ड लोन उपलब्ध करा देतीं हैं।

10. गोल्ड ज्वैलरी को लेकर थी हमारी पुरानी परम्परा

हमारे समाज में गोल्ड ज्वैलरी को घर की पूंजी मानी जाती थी। अनेक घरों में यह परम्परा होती थी कि पहले सास अपनी बहू को सारी गोल्ड ज्वैलरी देती थी। वो बहू अपनी सास से मिली ज्वैलरी को अपनी बहू को देती थी। इस तरह से गोल्ड ज्वैलरी को परिवार की पूंजी के रूप में एक दूसरे को ट्रांसफर करने की परम्परा चली आ रही थी। उसका कारण यही माना जाता था कि गोल्ड ज्वैलरी को बदलाव कर नयी ज्वैलरी लाने से उसमें छीजन यानी घाटा होता है। दूसरा यह परिवारों की साख से जुड़ा होता था। इसलिये लोग पुराने जेवरों को बेचने से बचते थे।

11. मजबूरी में इस तरह से गोल्ड ज्वैलरी बेचेंगे तो होगा मुनाफा

अब यदि आपके समक्ष कोई मजबूरी पुरानी ज्वैलरी को बेचकर नयी ज्वैलरी लेने की है तो आपको थोड़ी सी सावधानी बरतनी होगी वरना आपको नुकसान अधिक हो सकता है। अब आपको सबसे पहले यह करना होगा कि आप सबसे पहले गोल्ड के 24 कैरेट के रेट बिजनेस मैन से पूछ कर नोट कर लें। उसके बाद आप अपनी पसंद की ज्वैलरी को सेलेक्ट कर लें। उसके बाद आप उस ज्वैलरी के रेट, जीएसटी, मेकिंग चार्ज आदि  पहले से ही तय कर लें और उसके बाद आप अपनी ज्वैलरी को ज्वैलर को दें। तब आप उससे सही रेट लगवा पायेंगे।

यदि गलती करेंगे तो भुगतना पड़ सकता है खामियाजा यदि आप अपनी पुरानी ज्वैलरी को पहले ही ज्वैलर को दे देंगे तो वो आपके द्वारा पसंद की गयी ज्वैलरी का मेकिंग चार्ज बढ़ा सकते हैं।  उस  समय आपका यह नहीं जान पायेंगे कि बिजनेसमैन मेकिंग चार्ज क्या लेने वाला था और पुरानी ज्वैलरी से बदलने के चक्कर में आपसे बढ़ा कर मेकिंग चार्ज ले रहा है। यदि आपने सावधानी बरती तो आप उसकी इस मेकिंग चार्ज वाली रणनीति से बच जायेंगे और आपका नुकसान होने से बच जायेगा।

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