जगह का चुनाव, लागत, मुनाफा आदि के बारे में पूरी जानकारी
किसी भी व्यवसाय को शुरू करने से पहले उस व्यवसाय का मार्केट पोटेंशियल और बिजनेस प्लान के बारे में पूरी डिटेल बनाकर ही उसे शुरू करना चाहिए इसके अलावा आप एक गहरा मार्केट रिसर्च करके इसकी वास्तविक क्षमता का पता लगा सकते हैं, साथ ही आपके स्थानीय मार्केट में सप्लाई और डिमांड के बारे में भी पता लगाकर आप उसी तरह के की मछलियां खरीद कर अपना फार्मिंग व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।
- कुछ लोग इसे बड़े स्तर पर शुरू कर भारत से बाहर के देशों में एक्सपोर्ट करने के लिए एक फर्म के रूप में काम में लेते हैं, इसके लिए आपको जानकारी होनी चाहिए कि भारत से बाहर किस प्रकार की मछली की अधिक डिमांड है।
- अलग-अलग तरह की प्रजाति चुनने के लिए वहां की पर्यावरणीय स्थिति, मार्केट की डिमांड तथा मछलियों पर होने वाला खर्चा इत्यादि चीजों को ध्यान में रखा जाता है।
- फिश फार्मिंग बिजनेस के बारे में जानकारी लेने के लिए भारतीय सरकार ने कई गवर्नमेंट फार्मिंग बिजनेस स्कूल शुरू किए हैं जहां से भी आप ज्ञान एकत्रित कर सकते हैं, जो कि आपको फार्म मैनेजमेंट, बीमारियों पर नियंत्रण, मार्केटिंग और दूसरी प्रकार की चीजों के बारे में सिखाते हैं।
- विश्व के कई देशों में मछली और समुद्र से मिलने वाले दूसरे प्रकार के जीवों को भोजन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, क्या आपको पता है जापान का सबसे बड़ा शहर टोक्यो पूरी तरीके से सीफूड से मिलने वाले भोजन पर ही निर्भर करता है, इसके अलावा अमेरिका भारत का दक्षिणी क्षेत्र, कनाडा, पुर्तगाल, ऑस्ट्रेलिया इत्यादि देश भी मछलियों को भारी मात्रा में प्रोटीन के स्रोत के रूप में इस्तेमाल करते है।
- मुख्यतया वर्तमान में भारत में लगभग सभी फार्मर जो की फिशरी फार्मिंग क्षेत्र में है, वह कमर्शियल फिश फार्मिंग का व्यवसाय ही करते हैं।
- इसमें अलग-अलग क्षेत्र आते हैं जैसे कि फिनफिश मछली को बच्चे को अपने यहां लाना और उसे अपने घर में या फिर ग्राउंड में बने पुल में रखते हुए बड़ा करना और फिर उसे बाहर के क्षेत्रों में एक्सपोर्ट करना।
आइए अब हम जानते हैं कि आप फिश फार्मिंग बिजनेस के लिए अपना एक बिजनेस प्लान कैसे बनाएं, आइए जानते हैं :-
अलग-अलग क्षेत्र की पर्यावरण कंडीशन के अनुसार वहां पर अलग-अलग प्रकार की कमर्शियल फिस फार्म की जाती है, जो कि निम्न प्रकार से है :-
1. कैट फिश कमर्शियल फार्मिंग
कैटफिश वर्तमान में सबसे उचित और मुनाफा देने वाली प्रजाति है।मार्केट में इसकी डिमांड भी बहुत अधिक है क्योंकि स्वास्थ्य की दृष्टि से इसके फायदे बहुत अधिक है।
लगभग 16 से 18 महीने का समय लेकर तैयार होने वाली यह मछली, एक छोटे से तालाब में भी तैयार की जा सकती है।इसकी अलग अलग वैरायटी होती है जैसे कि ब्लू केटफिश, येलो कैटफिश इत्यादि।
2. सेलमन फार्मिंग
सेलमन एक दूसरी पॉपुलर प्रजाति है, इनकी भी दो अलग-अलग वैरायटी है जोकि चीनूक और कोहो नाम से जाने जाते हैं।
इन मछलियों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि, इनमें बीमारियां बहुत अधिक होती है जिस कारण समय-समय पर इनको दवाई देने और वैक्सीन लगाने का खर्चा अलग से उठाना पड़ता है, परंतु इनका फायदा यह है कि यह किसी भी प्रकार की पर्यावरणीय स्थिति में आसानी से अपनी वृद्धि कर सकती हैं।
इसके अलावा भी कई अन्य प्रकार की मछलियों की कमर्शियल फार्मिंग की जाती है, जिनमें टोना कमर्शियल फार्मिंग इत्यादि आती है। पिछले कुछ समय से एक मछली पिराना की डिमांड भी मार्केट में काफी बढ़ी है, जिसकी वजह से उसकी भी फार्मिंग की जा रही है आपको बता दें कि पिराना मछली साइज में बहुत छोटी होती है, परंतु बहुत ही घातक होती है।
यह हमेशा झुंड में एक साथ रहती है और बहुत तेजी से अपना शिकार ढूंढने में सक्षम होती है। इस मछली के बारे में और अधिक दिलचस्प बातें जानने के लिए आप इसी के नाम पर बनी कई हॉलीवुड मूवी देख सकते हैं।
3. जगह का चुनाव
आप जिस जगह को चुनते हैं, वहां पर आपको एक फिश पॉन्ड बनाना पड़ सकता है, फिशपॉन्ड की डिजाइन में पौंड का तल और स्लोप तथा उसके टॉप हिस्से की बनाने की डिजाइन को खास तौर पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
- साथ ही इसको पूरी तरीके से स्वच्छ भी रखना पड़ेगा। प्राचीन भारतीय काल से ही चला आ रहा यह व्यवसाय वर्तमान में लोगों के लिए विटामिन और प्रोटीन का भी एक बेहतरीन स्रोत बन कर उभरा है, जैसा कि आपको पता है कि इसे स्वच्छ पानी की सहायता से ही किया जाता है इसलिए आप अलग अलग वैरायटी की मछलियां उत्पादन कर सकते हैं।
- हालांकि एक फिश फार्मिंग पोंड बनाना मुश्किल कार्य है, परंतु इस व्यवसाय में एक बार मेहनत करने के बाद आप आसानी से अच्छा मुनाफा कमा पाएंगे।
- आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यदि आप पांचसौ स्क्वायर फीट तक का एक पोंड बनाते हैं तो उसमें आसानी से तीनसौ से पांचसौ मछलियां पाल सकते हैं।
- इस पोंड को बनाने के लिए आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा जैसे कि आपके द्वारा बनाया गया जगह पर समतल स्थान होना चाहिए और वह अपने पास के ग्राउंड से थोड़ा नीचे होना चाहिए।
- साथ ही इसे ऊपर से खुला रखना पड़ेगा,जिससे कि समय-समय पर इस में वर्षा के माध्यम से होने वाला प्राकृतिक पानी भी आ सके जोकि इस को स्वच्छ रखने में मदद करेगा।
इसके बाद आप इस पोंड को पानी की सहायता से भर कर वहां पर रहने वाली मछलियों को समुद्री वातावरण का एहसास दिलाने के लिए उसके तल में कुछ बड़े कंकर पत्थर भी डाल दें, साथ ही आप थोड़ी बहुत मिट्टी डाल कर वहां पर कोई वनस्पति भी उगा सकते हैं।
4. लागत
मुख्यतया इस व्यवसाय में आपको फिश पॉन्ड बनाने में ही अधिक लागत आएगी, इसके बाद के कार्य आप कम निवेश में भी कर पाएंगे।
- आपको एक पांचसौ स्क्वायर फिट का पोंड बनवाने के लिए लगभग दो से ढाई लाख रुपए तक का खर्चा आएगा।
- इसके अलावा वहां पर निरंतर सफाई और मछलियों का ध्यान रखने के लिए आपको एक मजदूर की भी आवश्यकता पड़ सकती है,यदि उसकी जगह आप खुद यह काम करते हैं तो आपको उसका खर्चा नहीं लगेगा।
- साथ ही पहली बार पोंड में पांचसौ तक मछलियां लाने पर आपको लगभग तीस हजार रुपये से चालीस हजार रुपये की राशि चुकानी होगी,हालांकि यह राशि निर्भर करेगी कि आप किस प्रकार की मछलियां अपने पोंड में ला रहे हैं।
- इसके अलावा मछलियों के भोजन की व्यवस्था अलग से करनी होगी।
इस प्रकार आप शुरुआत में लगभग पांच लाख रुपये तक के निवेश के साथ फिश फार्मिंग व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, इसके अलावा और अधिक लागत आपकी जरूरतों के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है।
5. मुनाफा
हालांकि दक्षिण भारत के क्षेत्रों में यदि आप अपना पोंड लगाते हैं, तो वहां पर आपको इतनी अधिक कीमत नहीं मिलेगी परंतु वर्तमान में उतरी भारतीय क्षेत्र में मछलियों की मांग काफी ज्यादा बढ़ी है और यहां के लोग समुद्र तट से दूर होने पर दैनिक दिनचर्या में मछलियां नहीं खा पाते हैं, इस कारण अभी के समय में प्रोटीन की आपूर्ति के लिए युवा वर्ग इनकी तरफ आकर्षित हो रहा है।
- एक मछली के सीजन को तैयार होने में एक साल से दो साल के बीच का वक्त लगता है।
- यह समय अलग-अलग मछलियों पर निर्भर करता है कुछ मछलियां सात से आठ महीने में ही बिकने को तैयार हो जाती है, जबकि कुछ को दो साल से अधिक का वक्त लगता है, आप अपनी जरूरत और धैर्य के हिसाब से इसके बारे में सोच सकते हैं।
- एक साल के समय में आप आसानी से पांच लाख रुपए से छह लाख रुपए तक का मुनाफा कमा पाएंगे, जो कि आपके निवेश के लगभग बराबर है और एक वर्ष में ही 100% रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट देने वाले व्यवसाय एक बेहतरीन मुनाफा देने वाला व्यवसाय माना जाता है।
इस प्रकार हमने समझा फिश फार्मिंग व्यवसाय करने की पूरी प्रक्रिया तथा इसमें आने वाली कुल लागत और किस तरह से कम लागत की सहायता से ही आप अधिक मुनाफा कर पाएंगे, अब हम जानते हैं आपके मन में चल रहे कुछ दूसरे सवालों के जवाब.
यह भी पढ़ें :
1) क्या जीएसटी सॉफ़्टवेअर की बिज़नेस में आवश्यकता होती है? क्या हैं इसके फ़ायदे/नुक़सान?
2) रियल एस्टेट कंसल्टिंग फर्म का बिज़नेस कैसे शुरू करें?
3) रीसाइक्लिंग (Recycling) का बिज़नेस कैसे शुरू करें?
4) मोबाइल शॉप कैसे खोलें? जानिए कुछ टिप्स और ट्रिक्स
5) OK Credit क्या है? कैसे ये आपका बिजनेस बढ़ाने में सहायक है?
FAQ- अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न. क्या मछलियों की वृद्धि वातावरण पर निर्भर करती है ?
उत्तर. जी हां ! आप जिस भी स्थान स्थान पर अपना पोंड बनाकर व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं,वहां के वातावरण के बारे में अच्छे से जान लेना होगा और साथ ही आपको मछलियों का भी अच्छे तरीके से ख्याल रखना होगा, जैसा कि आपको पता होगा कि समुद्र का तापमान लगभग 20 डिग्री से 25 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच में होता है इसी के आसपास का तापमान आपको अपने पोंड का भी बना कर रखना होगा, इसी स्थिति में मछली की वृद्धि दर तेजी से हो पाएगी।
प्रश्न. क्या इसके लिए सरकार से कोई लाइसेंस लेने की आवश्यकता होगी ?
उत्तर. यह बात आप पर निर्भर करती है कि आप किस राज्य से संबंधित हैं, हालांकि यदि आप अपनी व्यवसायीक कंपनी को एक फर्म के तौर पर रजिस्टर करवाते हैं तो आपको जीएसटी पोर्टल पर रजिस्टर करवा कर एक जीएसटी नंबर लेना होगा।
साथ ही कुछ स्थानीय राज्य सरकारों ने भी इसके लिए अपने अलग-अलग कानून बनाए हैं, जिनके बारे में आप स्थानीय सरकार की वेबसाइट पर जाकर जानकारी ले सकते हैं।