भारत में बकरी या भेड़ फ़ार्मिंग का बिजनेस कैसे शुरू करें?
बकरी को गरीबों की गाय कहा जाता है। बकरी ही ऐसा पशु है जो कम से कम पूंजी और कम सुविधाओं में पाली जा सकती है । बकरी पालन के व्यवसाय से कम समय में अधिक मुनाफा होता है। पहले इस व्यवसाय को छोटे किसान और भूमिहीन मजदूर गांवों में किया करते थे। इससे उनके परिवार का खर्चा अच्छी तरह से चलता था तथा इससे इनको अतिरिक्त आर्थिक सहायता भी प्राप्त हो जाती थी लेकिन बकरी पालन का व्यवसाय अपना रूप बदल रहा है। नये जमाने में इस व्यवसाय से लाभ की अनेक संभावनाओं को देखकर बड़ी बड़ी कंपनियां भी इसमें कूद पड़ीं हैं। यही नहीं अब इस बकरी पालन व्यवसाय में एमबीए और एमसीए जैसी उच्चस्तरीय पढ़ाई करने वाले जोशीले युवक भी तेजी से आ रहे हैं। ये युवक नये तरीके से उन्नत बकरी पालन का व्यवसाय शुरू करके यह साबित कर रहे हैं कि छोटी-मोटी नौकरी से कई गुना अधिक लाभकारी है बकरी पालन का व्यवसाय।
भारत के पशु पालन व्यवसाय में बकरियों का महत्व
भारत में कुल पशुधन लगभग 500 मिलियन है। इसमें से गौ पशुओं की संख्या लगभग 200 मिलियन है। भैंस पशुओं की संख्या 65 मिलियन है और बकरियों की संख्या लगभग 150 मिलियन है। हमारे देश में बकरियों की संख्या प्रतिवर्ष 3.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। सरकार द्वारा चलायी जा रही स्टार्ट अप योजना, स्किल इंडिया और रूरल इंटर्नप्रिन्योरशिप के तहत बकरी पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
सरकारी केन्द्र से लिया जा सकता है प्रशिक्षण
बकरी पालन का व्यवसाय अनुभवी लोगों के लिये हैं। लेकिन अब बदले जमाने में पढ़े लिखे लोग भी इस व्यवसाय को अपनाना चाहते हैं लेकिन उनके पास बकरी पालन का कोई अनुभव नहीं है और न ही उन्होंने कभी पहले पशु पालन के बारे में सोचा ही है। सरकार ने बकरी पालन के व्यवसाय को बढ़ाने तथा स्वरोजगार योजना के तहत ऐसे पढ़े लिखे युवकों को प्रशिक्षण की व्यवस्था की है जो युवा इस क्षेत्र में अपनी रुचि दिखा रहे हैं। केन्द्रीय बकरी अनुसंधान केन्द्र से कोई भी युवा बकरी पालन के व्यवसाय का प्रशिक्षण ले सकता है। उन्हें वहां पर प्रशिक्षण के दौरान बकरियों की नस्ल, उनके जीवन चक्र, खान-पान, रहन-सहन, खरीद-फरोख्त आदि सभी बातों की ट्रेनिंग दी जाती है।
कम पूंजी में अधिक मुनाफे वाला बिजनेस है बकरी पालन
भारत में बकरी पालन का व्यवसाय कम से कम पूंजी में अधिक से अधिक मुनाफा देने वाला है। बकरी पालन के इस बिजनेस को छोटे स्तर से शुरू करके अच्छी कमाई की जा सकती है और बड़े पैमाने पर भी उद्योग के रूप में स्थापित करके बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। बकरी से दूध, मांस, खाल, बाल आदि का व्यापारिक लाभ मिलता है। बकरी ऐसा जानवर है कि उसके लिए कोई बहुत बड़ी चीजें भी नहीं चाहिये। घर के एक कोने में उसे पाला जा सकता है और घर की रसोई से बचने वाले सामान से उसका पेट भी भरा जा सकता है। मात्र 14 महीने में दो बार गर्भवती होकर चार बच्चे भी दे सकती है। इसका कितना लाभ है, इसका अनुमान लगाना बहुत ही आसान है। साल में आठ महीने तो दूध देती है। चार बच्चों में यदि बकरियां हुर्इं तो दूध का व्यवसाय बढ़ेगा और यदि बकरे हुए तो मांस का व्यवसाय बढ़ेगा। बकरी के शरीर के बाल और उनकी खाल को कई अन्य तरह से व्यवसायिक इस्तेमाल किया जाता है। बकरियों की एक और खास बात यह है कि कुछ नस्ले दूध देने के लिए बहुत अच्छी हैं तो कुछ नस्लें मांस के लिए बहुत अच्छी हैं। इसलिये बिजनेसमैन को चाहिये कि वह अपने बिजनेस के मूल उद्देश्य को फार्म खोलने से पहले ही तय करके दूध उत्पादन वाली या मांस उत्पादन वाली बकरियों को चुने। इस तरह से बिजनेस मैन का यह व्यवसाय काफी तेजी से आगे बढ़ेगा।
बकरी और भेड़पालन में फायदेमंद बिजनेस किसका है?
पशु पालन का व्यवसाय करने वाले अनुभवी लोगों का कहना है कि बकरी पालना भेड़ के पालने से कई गुना अच्छा है। भेड़ हमेशा ठंडे मुल्क में रह सकती है। गर्म मुल्क में भेड़ का जीवन सुरक्षित नहीं रहता है जबकि बकरी दोनों ही तरह के मौसमी माहौल में पाली जा सकती है। बकरी जहां कश्मीर के बर्फीलें इलाके में पाली जा सकती है तो वहीं वह राजस्थान के लू लपट वाले गरम प्रदेश में भी पाली जाती है। भेड़ जबकि कश्मीर, हिमाचल,उत्तराखंड में ही पाली जातीं हैं। अनुभवी व्यवसायियों का कहना है कि भेड़ के मांस की अपेक्षा बकरी के मांस की मार्केट में अधिक डिमांड है।
बकरी पालन के व्यवसाय में किन-किन बातों का ध्यान रखना होता है
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान के वैज्ञानिकों का कहना है कि बकरी पालन करके किसान भाई अपनी आर्थिक उन्नति तो कर ही सकते हैं, साथ ही अपने परिवार का कुपोषण मिटा सकते हैं। इसके अलावा बकरी पालन का फार्म खोलकर उसे रोजगार का नया साधन बना सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि बकरी का व्यवसाय करने वाले किसान या अन्य किसी नौजवान भाई को बकरी के बारे में समस्त जानकारी होनी चाहिये। इन वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि बकरी पालन के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाये जाने चाहिये, जैसे:-
1. उन्नत बकरी प्रबंधन: इसमें हमें इस बात का ध्यान रखना है कि पूरे भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नस्ल की बकरियां पायीं जातीं हैं। बकरी पालन करने वाले व्यवसायियों को चाहिये कि आपका व्यवसाय करने का मुख्य उद्देय क्या है कि आप बकरी पालन, दुग्ध उत्पादन के लिये करना चाहते हो या मांस विक्रय के लिए करना चाहते हो। इन दोनों उद्देश्यों में से किसी एक को चुन कर ही अधिक फायदेमंद नस्ल वाली बकरी का चुनाव करें। इसका प्रमुख कारण यह है कि हमारे पूर्वजों ने मौसम व पर्यावरण के अनुकूल इन नस्लों की बकरियों का अनुसंधान किया है और उन्हें काफी प्रयोग करने के बाद वहां पाला है। ये बकरियां अपने-अपने अनुकूल मौसम, जलवायु व पर्यावरण में ही अच्छी तरह से उत्पादन दे सकतीं हैं। इसलिये उचित तो यही होगा कि अपने राज्य मेंं प्रचलित बकरी की नस्ल की फार्मिंग करें।
यदि आपको लगता है कि किसी खास नस्ल की बकरी की फार्मिग करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। तो आपको उस नस्ल की बकरी जहां पाली जाती है, वहां जाकर फार्म खोलना होगा। वरना किसी राज्य की बकरी की नस्ल को दूसरे राज्य में पालने की कोशिश की और दोनों राज्यों का मौसम, जलवायु और पर्यावरण विपरीत हुआ तो बिजनेस शुरू होने से पहले ही समाप्त हो जायेगा क्योंकि बदले मौसम में बकरी जीवित नहीं रह पाती।
2. उन्नत पोषण प्रबंधन: बकरियों के रहने-खाने का भी अच्छा प्रबंधन करना चाहिये। छोटे बच्चों को कैसे रखा जाता है, उनसे बड़े बच्चों को किस प्रकार रखा जाता है, 6 से 9 माह की बकरियों को किस प्रकार रखा जाता है, गर्भित बकरियों को कैसे रखा जाता है, ब्याने वाली बकरियों व उनके बच्चों कोकैसे रखा जाता है। दूध देने वाली बकरियों को कैसे रखा जाता है, इन सबका ध्यान रखना होगा। इसी प्रकार इन श्रेणियों में बकरियों के विभिन्न वर्गों में विभाजित कर इनके खाने में पोषणयुक्त चारा घटाने बढ़ाने पर भी ध्यान देना होता है।
3. उन्नत प्रजनन प्रबंधन: उन्नत प्रजनन प्रबंधन में हमें अच्छी नस्ल का बकरा रखना चाहिये। इसके लिए हमें बकरे के बच्चे के मां-बाप का इतिहास देखना होेगा। दोनों ही शुद्ध नस्ल के होने चाहिये। इस नस्ल के बकरे को फार्म में रखने से बकरियों से दूध व मांस का अच्छा उत्पादन कर सकते हैं। जब बकरा डेढ़ वर्ष का हो जाये तो उससे प्रजनन का कार्य कराना चाहिये और डेढ़ वर्ष के बाद बकरा बदल लेना चाहिये। इसके साथ ही प्रजनन के लिए बकरियों की उम्र के हिसाब से उनका पालन-पोषण करना चाहिये। 9माह की बकरी का पूरा ध्यान रखना चाहिये। इसके बाद जब वह प्रजनन के लिए तैयार हो जाये तब उसका गर्भाधान कराना चाहिये। उसके बाद गर्भकाल में उसे अधिक पोषण आहार दिया जाना चाहिये। प्रजनन के लिए सारी व्यवस्थाये उच्च स्तर की होनी चाहिये। साथ ही साफ सफाई की भी व्यवस्था की जानी चाहिये।
4. उन्नत स्वास्थ्य प्रबंधन: बकरी बहुत ही नाजुक होती है। इस वजह से बकरियों के स्वास्थ्य के प्रति काफी सतर्क रहना चाहिये। बकरियों में होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए पशु चिकित्सकों से समय-समय पर सलाह लेते रहें और उनसे निरीक्षण कराते रहें। यही नहीं बकरी को लगने वाले टीके भी समय-समय पर लगवाते रहें
बिजनेस शुरू करने से पहले नस्ल पहचानें
दूध के लिए बकरी पालना है या मांस के लिए बकरी पालना है, बाल या खाल के लिए बकरियों को पालना है अथवा दूध और बच्चों को पैदा करने के लिए बकरी पालना है। क्योंकि इन तीनों कामों के लिए बकरियों की अलग-अलग नस्लें हैं। पहली बार बकरी पालन का व्यवसाय करने वाले के लिए सबसे जरूरी यही है कि वह इन तीनों कार्यों के लिए बकरियों की नस्लों सोच विचार कर का चयन करे तो उसको काफी लाभ होगा।
दूध उत्पादन के लिए बकरियों की नस्लें
1. जमनापारी बकरी: भारत की ये नस्ल दूध उत्पादन के लिए बहुत अच्छी नस्ल है। भारी शरीर वाली ये बकरी 3 से 4 किलो तक दूध देती है।
2. उस्मानाबादी बकरी: महाराष्टÑ और आंध्र प्रदेश में पायी जाने वाली उस्मानाबादी नस्ल की बकरी दूध के लिए बहुत अच्छी होती है।
दूध और मांस दोनों के लिए बकरियों की अच्छी नस्ल
1. बरबरी बकरी: बरबरी नस्ल की बकरी ऐसी होती है, जो दूध और मांस दोनो के लिए अच्छी होती है।
2. मालाबारी बकरी : मालाबारी नस्ल की बकरी भी दूध और मांस दोनों के लिए अच्छी नस्ल की होती है।
3. जाखराना बकरी: राजस्थान में पायी जाने वाली इस नस्ल की बकरी को मांस और खाल के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
मांस के लिए बकरियों की अच्छी नस्ल
1. बोएर गोट: दक्षिण अफ्रीका द्वारा विकसित की गयी बोएर गोट नस्ल की बकरी पूरी दुनिया में मांस के लिए प्रसिद्ध है।
2. सिरोही बकरी: उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पायी जाने वाली सिरोही नस्ल की बकरी मुख्यतया मांस उत्पादन के लिए जाना जाता है।
3. बीटल : बीटल नस्ल की बकरी को लाहौरी बकरी के नाम से भी जाना जाता है। बड़े शरीर और लम्बे कान वाली ये बकरी मांस उत्पादन के लिए अच्छी मानी जाती है।
बकरी फार्मिंग के लिए किन-किन चीजों का ध्यान रखना चाहिये
1. आम तौर पर बकरी गर्म और शुष्क वातावारण में पाली जा सकती है। इसके बावजूद बकरियों के लिए एक औसत तापमान और खुला एरिया चाहिये। बकरियां अकेले नहीं बल्कि झुंड में रहना पसंद करती हैं। इसलिये इनके स्वतंत्र रूप से घूमने-फिरने के लिए काफी अच्छी जगह की जरूरत होती है। इसके अलावा बकरियों को दूर-दूर रखने की आवश्यकता होती है क्योंकि किसी एक बकरी को किसी तरह की बीमारी या इन्फेक्शन हो जाये तो बाकी सारी बकरियों को बचाया जा सके।
2. बकरियां बहुत नाजुक भी होतीं हैं। इनको रात में खुले आसमान के नीचे नहीं छोड़ा जा सकता है। बकरियों के लिये शेड बनवाना बहुत जरूरी होता है। शेड बनवाने के समय काफी सावधानी बरतनी होती है। शेड की छत काफी ऊंची होनी चाहिये और उसके नीचे वेंटीलेशन भी होना चाहिये। शेड में बकरियों को रखने के लिए अलग-अलग सेल बनाने चाहिये जिसमें बकरे, बच्चे, गर्भवती बकरियों, दूध देने वाली बकरियों सभी को अलग-अलग रखा जाना चाहिये। गर्भवती बकरियों को सबसे ज्यादा पौष्टिक व कई बार चारा देना चाहिये।
3. बकरी फार्म के शेड और बाहर की लॉन में साफ सफाई रखनी चाहिये। गंदगीइंफेक्शन या बीमारी होने से बकरियों की मौत हो जाती है। बीमारी तेजी से फैलने से बकरियों के मरने का सिलसिला बढ़ जाता है।
4. बकरियों को बरसात व सर्दी के मौसम में अधिक बचाव की जरूरत होती है। मौसम का घातक असर बकरियों पर बहुत जल्दी पड़ता है।
5. बकरी जब बच्चा पैदा करे तो उसके लिए खास एकान्त जगह की व्यवस्था करें। तथा उस जगह को परदे आदि लगाकर बंद कर देना चाहिये। बच्च होने के बाद लगभग तीन-चार दिन तक ऐसे ही स्थान में बकरी और उनके बच्चों को रखा जाना चाहिये। ताकि बच्चे दूध पीकर स्वस्थ हो जायें। तीन चार दिन बाद बच्चों को धीरे-धीरे बकरी से अलग करना चाहिये।
बकरियों के आवास में क्या सावधानियां बरतें
1. बकरियों के आवास में फर्श पक्की नहीं होनी चाहिये, नमी और सीलन भी नहीं होनी चाहिये। इससे बकरियों में कई बीमारियां लगने की शंका बनी रहती है।
2. जहां बकरियां पाली जानीं हैं वहां पर चूहे, जुएं, कीड़ मकोड़े आदि कतई नहीं होने चाहिये
3. बकरियों के आवास खुला हवादार होना चाहिये। शेड के अंदर साफ सफाई और पानी के निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिये। साफ सफाई के लिए पानी की निकासी होना अति आवश्यक है।
बकरियों के खाने-पीने का सबसे अच्छा प्रबंध होना चाहिये
बकरी फार्म के मालिक को चाहिये कि बकरियों के खाने-पीने का अच्छा प्रबंध करे। बकरियों को दिन में तीन बार पर्याप्त पौष्टिक आहार दिया जाना चाहिये। इसके अलावा बकरियों को बाहर हरी घास आदि चराने के लिये ले जाना चाहिये। जिनसे उनकी पाचन शक्ति बढ़ती है और उनके पैर भी मजबूत होते हैं।
बेहतर तो यही होगा कि बकरियों के लिए तैयार पशु चारा खरीदना होगा। यदि यह चारा आपको महंगा लग रहा है और उसका खर्च आप वहन नहीं कर पा रहे हैं तो कच्चा माल लेकर पौष्टिक चारा खुद ही तैयार करायें।
गेहूं, चने की भूसी, बिनौला, खली, मक्के का दर्रा, बादाम खरी, चोर, नमक, खनिज पदार्थ का मिश्रण आदि मिलाकर पौष्टिक आहार तैयार करवा कर उसे भूसे में मिला कर खिलाया जाये। समय-समय पर हरा चारा व पत्तियां भी बकरियों को खिलायी जायें।
लागत कितनी आती है इस व्यवसाय में
बकरी पालन व्यवसाय के बारे में कहा जाता है कि कम बकरियों के पालने से आय अच्छी नहीं मिलती है। इसके लिए कम से कम 100 बकरियों को पाला जाये। एक सौ बकरियों को पालने के लिए कम से कम एक या डेढ़ एकड़ की जगह चाहिये। इसमें भूसा व दाना,चारा स्टोर तथा आधे से कम हिस्से में शेड डाला जाता है और बाकी भाग खुला रखा जाता है। 100 बकरियां और 4 बकरे खरीदने में लगभग 7 लाख के आसपास लागत आती है। एक साल में 5 लाख रुपये का खर्चा भी आता है। इस तरह से जमीन की कीमत छोड़ दें तो 12 लाख रुपये सालाना का खर्चा आता है। हम इसे ही इस व्यवसाय की लागत मान लेते हैं।
मुनाफा कितना मिलता है
पशु पालन से जुड़े वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रति बकरी से एक वर्ष में 6 से सात हजार रुपये कमाये जा सकते हैं। एक साल में दो बार बच्चे पैदा होने से बकरी पालकों को अच्छी आय होती है। यदि हम वैज्ञानिकों की बात का आधार मानें तो 100 बकरी वाले फार्म में संचालक को प्रतिवर्ष 7 लाख रुपये का मुनाफा हो सकता है। किन्तु इसमें संभावित नुकसान व क्षरण को ध्यान में रखें तो हमें यह मुनाफा लगभग 5-6 लाख के बीच आता है। हम हिसाब लगायें कि 12 लाख रुपये नगद लगाकर हमने एक साल में 5-6 लाख रुपये कमाया तो यह औसत 40 से 50 प्रतिशत का आता है लेकिन यह मुनाफा आपको पहले साल मिलेगा भी या नहीं यह निश्चित नहीं है लेकिन दूसरे साल से आपको यह मुनाफा अवश्य मिलने लगेगा।
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