ढाबा कैसे खोलें?

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ढाबा कैसे खोलें?

स्टेप्स, कैसे चुने बेस्ट लोकेशन, लागत, मुनाफा व अन्य जानकारियां

ढाबा यानी कुदरती संसाधनों वाला आराम दायक होटल खाने-पीने से जुड़ा व्यवसाय है। यह व्यवसाय हमेशा से ही चलता चला आया है और भविष्य में भी चलता रहेगा। इस व्यवसाय का सीजन हमेशा एक सा रहता है। बरसात या विपरीत मौसम में थोड़े समय के लिए यह व्यवसास भले ही थोड़ा सुस्त हो जाये । बाकी साल के 12 महीने यह बिजनेस सदाबहार अपनी रफ्तार से चलता रहता है। खास बात यह है कि यह बिजनेस पूरी तरह से अच्छी क्वालिटी और अच्छे स्वाद वाले खाने पर आधारित है। यदि आपके ढाबे के खाने का टेस्ट अच्छा है तो लोग 25 से 30 किलोमीटर दूर से भी आपके ढाबे में खाना खाने के लिए आ सकते हैं। ढाबा बिजनेस पूरी तरह से पर्यटकों, बस यात्रियों, ट्रक उद्योग से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा ढाबे के नजदीक स्थित शहरों व कस्बों के लोग शौकीन लोग भी ढाबे में खाना खाने को मनोरंजन के रूप में पसंद करते हैं। इसका प्रमुख कारण ढाबों का माहौल कुछ अलग होता है।

ढाबा संस्कृति में आया है तेजी से बड़ा बदलाव

पहले ढाबों में अधिकतर ट्रक ड्राइवर, या बस यात्री ही खाना खाते थे। इसका कारण यह था कि इस प्रकार के ढाबे शहर से काफी दूर हाईवे के किनारे होते थे और सुरक्षा की समस्या के चलते लोग परिवार के साथ इन ढाबों में जाना पसंद नहीं करते थे लेकिन अब ढाबा संस्कृति में काफी बदलाव आ गया है। ढाबा संचालकों ने खाने-पीने के शौकीन लोगो को बुलाने के लिए अपने ढाबे में डेकोरेटेड हट, या अलग तरह के आकर्षक केबिन बनाना शुरू कर दिये है। इससे ये ढाबे केवल ट्रक व बस ड्राइवरों के लिए नहीं रह गये हैं बल्कि इन ढाबों में अब बर्थडे व शादी की सालगिरह या कंपनियों की छोटी-मोटी पार्टियों के आकर्षक स्थल बनकर तेजी से उभर रहे हैं।

कहाँ-ंकहाँ मिलते हैं ढाबे ?

ढाबा उद्योग तेजी से अपने पांव पसार रहा है। इस व्यवसाय को शुरू करने में पहली बार ही अच्छी खासी लागत आती है। उसके बाद इस बिजनेस में बहुत कम पूंजी लगानी पड़ती है और उससे काफी अच्छी कमायी होती रहती है। यह बिजनेस शहर के अन्दर खुली जगह, शहर के पास पेट्रोल पम्प के नजदीक और शहर से बाहर हाईवे के किनारे भी किया जा सकता है।

हाइवे का बिजनेस किंग है ढाबा

वैसे ढाबे के बिजनेस को हाईवे का बिजनेस किंग कहा जाता है। हाईवे के किनारे और पेट्रोल पम्प के आसपास जहां ट्रकों का आना जाना बहुत होता है या बस स्टॉप हों, ऐसी जगहों के आसपास अधिक ढाबे मिल जायेंगे। ढाबे वैसे तो होटल की तरह ही होता लेकिन परम्परागत होटल, रेस्टोरेंट और ढाबे के खाने के स्वाद में जमीन-आसमान का अन्तर होता है। ट्रक ड्राइवरों व पर्यटकों के लिए विशेष रूप से बनाये जाने वाले ढाबे के खाने का स्वाद ही कुछ अलग होता है। ढाबे के खाने की सबसे अच्छी बात यह है कि यहां का भोजन काफी पौष्टिक भी होता है।

बिजनेस करने का तरीका ही बदल गया है

भारत में खान-पान उद्योग तेजी से उभरता हुआ उद्योग है। इस उद्योग में जब से पढे-लिखे लोग आने लगे हैं, तब से इस उद्योग की कायाकल्प ही हो गयी है। पहले के चारपाई के पास गोलक रख कर ढाबे को चला रहे संचालक की जगह काउंटर बनने लगे हैं। किचन साफ सुथरी बनने लगी है। वहां काम करने वाले भी लोग पहले की अपेक्षा अब काफी अधिक साफ सुथरे दिखाई देने लगे हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि इन ढाबों की केबिनों और हटों में छुट्टियों के समय परिवार के साथ लोग ढाबे की अलग संस्कृति का आनंद लेने के लिए आने लगे हैं। आने वाले पर्यटकों की भी संख्या बढ़ने लगी है।

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ढाबा खोलने से पहले क्या-क्या कदम उठाने चाहिये

1. ढाबा खोलने से पहले बिजनेस मैन को किसी अच्छी तरह से चल रहे किसी ढाबे का बहुत ही गंभीरता से निरीक्षण करना चाहिये। ढाबा संचालक व वहां काम करने वालों से बातचीत करके ढाबा चलाने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करनी चाहिये।

2. एक सफल ढाबा व्यवसाय को स्थापित करने के लिए किन-किन खास बातों का विशेष ध्यान रखना होता है और ढाबा संचालन में कौन-कौन सी परेशानियां आतीं हैं, उन सबका निरीक्षण करना चाहिये।

3. ढाबे को किस रूप में स्थापित करें कि शुरू से ही यह व्यवसाय अधिक से अधिक कमाई करने वाला बिजनेस बन जाये।

4. ढाबे में खुले स्थान, शेड, हट व केबिन के अलावा और क्या किया जा सकता है जिससे ग्राहक आकर्षित हों।

5. बस ड्राइवरों व कंडक्टरों को अच्छा खाना मुफ्त में खिलाकर यात्रियों के खाने की घटिया क्वालिटी वाला खान खिलाकर ज्यादा पैसे वसूलना ढाबे के भविष्य के साथ घातक तो नहीं होगा, इसके लाभ व हानि को भी अच्छी तरह से समझें।

6. ढाबे वाल जगह पर्याप्त पानी, बिजली की सुविधा को भी देखना होगा।

7. बिजली के वैकल्पिक रूप जनरेटर आदि की भी व्यवस्था करनी चाहिये।

ढाबे को कहां-कहां खोलना लाभदायक हो सकता है

ढाबे को वहां खोलना चाहिये जहां पर खाने-पीने के लिए भारी संख्या में लोग आते जाते हों। इसमें से कुछ खास स्थान इस प्रकार हैं:-

1. हाईवे के किनारे

2. पेट्रोल पम्प के पास

3. इंडस्ट्रियल एरिया जहां भारी संख्या में काम करने के लिए लोग आते हों

4. पर्यटन स्थल के पास

5. शहर में होटलों से थोड़ी दूर खुले स्थान पर

6. भीड़भाड़ वाली मार्केट के आसपास

7. बस स्टाप के पास

8. रेलवे स्टेशन के पास

बिना प्लान के बिजनेस शुरू करना होता है हानिकारक

बिजनेस प्लान के बिना किये जाने वाला ढाबे का बिजनेस हड़बड़ी में किया जाता है। चूंकि कोई प्लान पहले से बनाया नही होता है तो जब जिसकी जरूरत होती उसी तरफ भागदौड़ की जाती है। पता चला कि एक काम अच्छे से पूरा हो नहीं पाया दो कामों की और डिमांड आ गयी। अब आपाधापी मच गयी। बिना किसी प्लान के बिजनेस शुरू करने का मुहूर्त तय कर लिया। ऐन वक्त पर काम पूरा नहीं हो पाया और अफरा-तफरी में काम शुरू कर दिया गया क्योंकि मुहूर्त पर तो काम शुरू करना ही था। जैसा हड़बड़ी वाला काम शुरू होता है वैसा ही परिणाम सामने आता है।भगदड़ में किया जाने वाला बिजनेस किस दिशा में जाएगा या डूबेगा पता नहीं होता है। अक्सर इस तरह के बिजनेस का भविष्य अंधकारमय होता है। इसलिये बिजनेस को ढाबे का बिजनेस शुरू करने से पहले बिजनेस प्लान बनाना आवश्यक होता है।

ढाबे के लिए बिजनेस किस तरह बिजनेस प्लान बनायें

ढाबे का बिजनेस अधिक पूंजी वाला बिजनेस है। इसके लिए पूंजी की व्यवस्था, जमीन की व्यवस्था, इंटीरियर और आउटर डेकोरेशन का खर्च, कुक व तंदूर मैन, वेटर व सहायक आदि की सैलरी का खर्च, बिजली-पानी, साफ-सफाई का खर्च, चारपाई, कुर्सी मेज का खर्च, हट या केबिन बनवानी है तो उसका खर्च, गैस भट्टी, तंदूर, कच्चा माल सब्जी, मसाले, आटा, दाल,चावल, तेल, घी, दूध, दही, मक्खन, पनीर आदि का खर्च को जोड़ कर अनुमान लगाया जाना चाहिये कि कितनी पूंजी लगेगी। व्यापार कैसे किया जायेगा और उससे कैसे मुनाफा कमाया जायेगा। इन सभी चीजों का विवरण बिजनेस प्लान में दर्ज किया जाना चाहिये। इसके अलावा ढाबा को स्थापित करने से लेकर संचालन तक की सभी की एक खास योजना बनायी जानी चाहिये। ताकि आपका बिजनेस पूरी तरह से सुनियोजित हो और कोई भी सुनियोजित बिजनेस कभी भी नाकाम नहीं होता है।

कौन-कौन से लाइसेंस लेने आवश्यक होते हैं

ढाबा के बिजनेस को शुरू करने के लिए सबसे पहले स्थानीय प्रशासन से बिजनेस की परमीशन लेनी होती है। इसके लिए नगर निगम, नगर पालिका, टाउन एरिया, ग्राम पंचायत जो भी आपकी बिजनेस वाली जमीन के स्थानीय प्रशासक हों उनसे बिजनेस और खाद्य सुरक्षा विभाग से फूड लाइसेंस लेना होता है। खान-पान से जुड़ा व्यवसाय होने के कारण फूड सेफ्टी एण्ड स्टैडर्ण्ड अथारिटी आफ इंडिया (एफएसएसएआई) से भी लाइसेंस लेना होता है। ढाबे का अच्छा सा नाम रखकर उसे रजिस्ट्रेशन कराना होता है । इसको एमएसएमई से भी रजिस्टर्ड कराना होता है। पर्यावरण विभाग में भी रजिस्ट्रेशन कराना होता है। जीएसटी के दायरे में ढाबे का टर्नओवर आ जाये तो  जीएसटी नंबर भी लेना होता है। रजिस्ट्रेशन के समय इस बात के लिए ध्यान रखना होता है कि ढाबे के बिजनेस का रजिस्ट्रेशन ऑफ लाइन व ऑनाइन के रूप में कराया जाना चाहिये।

ढाबे के लिये कौन-कौन सी चीजें आवश्यक होती हैं

एक सफल ढाबा संचालन के लिए कौन-कौन सी मूलभूत चीजों की आवश्यकता होती है। इस पर विचार करने से यह मालूम हुआ कि एक ढाबे को चलाने के लिए खाना बनाने, से ग्राहक को खाना परोसने के कुछ खास चीजों की आवश्यकता होती है,इनमें से ये प्रमुख हैं:-

  1. गैस स्टोव
  2. तंदूर
  3. कुर्सी मेज
  4. चारपाइयां
  5. खाने की थालियां
  6. प्लेटें
  7. ग्लास
  8. चम्मच
  9. खाना बनाने के बर्तन
  10. फ्राई पैन
  11. दाल-सब्जी, चावल रखने के लिए भगोने
  12. करछल, झारा

कच्चा माल

  1. आटा
  2. चावल
  3. दालें
  4. सब्जियां
  5. दूध
  6. दही
  7. तेल
  8. घी,
  9. मसाले
  10. मक्खन
  11. पनीर आदि

कर्मचारी

  • एक कुक, दाल, सब्जी, कढ़ी आदि रेसिपी बनाने वाला
  • एक तंदूर मैन नॉन मिस्सी रोटी बनाने वाला
  • दो वेटर ग्राहकों को खाना परोसने के लिए
  • एक सफाई कर्मी

ढाबे के लिए कितनी जगह चाहिये

ढाबे के लिए जगह की जरूरत बिजनेस मैन के ढाबे खोलने की योजना पर निर्भर करती है। बिजनेस मैन शहर के अन्दर या शहर से बाहर, या हाइवे के किनारे  ढाबा खोलना चाहता है। कम पूंजी में या अधिक पूंजी लगाकर ढाबा खोलना चाहता है। यदि शहर के अंदर ढाबा खोलना चाहता है तो उसे कम जमीन से ही काम चलाना होगा। यहां पर ढाबे के रूप में एक होटल ही खोलना होगा। जहां पर ढाबे का उद्देश्य स्वाद वाला खाना उपलब्ध कराना होता है। वहां लोग खाने भी आते हैं। वहां से पैकिंग कराकर घर ले जाते हैं और ऑनलाइन आर्डर देकर अपने घर में खाना मंगाते हैं। इस तरह के ढाबे के लिए 100 से 200 वर्ग फुट की जगह होनी चाहिये।

यदि प्रॉपर तरीके से बड़ा ढाबा खोलना है तो वह शहर की हलचल से दूर हाईवे के किनारे खोला जाता है। जहां पर सस्ती जमीन मिल जाती है। किराये पर यदि लेनी होती है तो हाईवे के किनारे की जमीन का किराया काफी कम होता है। इसके बाद उसे ढाबे को शक्ल देनी होती है। पूरा पक्का फर्श बनवाना होता है। उसमें किचन, तंदूर की व्यवस्था करनी होती है। कैश काउंटर होता है। साथ ही कच्चा माल रखने की जगह बनवानी होती है। इसके अलावा आधे भाग में शेड या पक्का  निर्माण कराना होता है। जहां पर बरसात व सर्दियों में अंदर बैठाकर ग्राहकों को खाना खिलाया जा सके। एक चौथाई भाग खुला खाने के लिए रखना होता है। एक बड़ा सा भाग पार्किंग के लिए छोड़ना होता है जहां पर ट्रक, बस, कार, बाइक आदि वाहन खड़े किये जा सकें। इस तरह के बड़े ढाबे के लिए कम से कम एक एकड़ जमीन चाहिये।

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लागत कितनी आती है

ढाबे का सौदा महंगा सौदा माना जाता है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका जमीन की होती है। यदि जमीन की कीमत छोड़ दी जाये तो ढाबे के काम आने वाले किचेन का सामान गैस, तंदूर, बर्तन, कच्चा माल  आटा, दाल, चावल, सब्जियां, घी, तेल, दूध, दही, मक्खन, पनीर, काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी आदि को जोड़ा जाये तो कम से कम 4 से 5 लाख की लागत आयेगी।  इसके अलावा हट व केबिन आदि बनवानी है तो उसकी लागत अलग से लगेगी जो काफी महंगा पड़ सकता है। ये ढाबे हाईवे वाले के लिए होते हैं।

हाइवे वाले ढाबे में बाजार दूर होने के कारण सब्जियों को छोडकर बाकी सारा कच्चा माल इकट्ठा रखा जाता है। इसलिये हाईवे वाले ढाबे में अधिक लागत आती है। शहरी ढाबों की कीमत में बिजनेस मैन पर निर्भर करता है क्योंकि यहां पर बाजार आसपास होने के कारण कच्चा माल कम ही लिया जाता है। इसलिये कम लागत आ सकती है। लेकिन यहां के ढाबों की जमीन या बिल्डिंग हाइवे की अपेक्षा अधिक महंगी होती है। इसलिये शहरी ढाबा कम से कम जगह में बनाया जाता है।

मुनाफा कितना तक मिल जाता है

ढाबे में मुनाफा काफी अच्छा मिलता है। ढाबे का बिजनेस स्वाद और क्वालिटी पर टिका होता है। जिस ढाबे का अच्छा स्वाद वाला खाना होता है ग्राहक उसे थोड़े अधिक दाम में खरीदने से परहेज नहीं करता है। इसलिये ढाबा मालिक को अच्छे से अच्छा कुक रखना चाहिये। अच्छी क्वालिटी का कच्चा माल इस्तेमाल करना चाहिये। जब खाना स्वादिष्ट होगा तो उसके ग्राहक भी अधिक होंगे। जब ग्राहक अधिक संख्या में आयेंगे तो उनसे अच्छे दाम भी लिये जा सकते हैं। अच्छे दाम लेने से अच्छा मुनाफा अपने आप ही मिलेगा। जानकार लोगों का कहना है कि इस बिजनेस में 50 प्रतिशत तक मुनाफा मिल सकता है।

ढाबा चलाने के कुछ खास टिप्स

1. यह तो सभी लोग जानते हैं कि ढाबा अपने खाने के स्वाद से मशहूर होता है। कभी कभी तो कोई-कोई ढाबा अपने स्वाद व क्वालिटी के लिए लोकल ब्रांड बन जाता है। दूर-दूर तक लोग उस ढाबे पर खाना खाने आते हैं या पैक करा कर ले जाते हैं अथवा ऑनलाइन आर्डर से खाना मंगाते हैं।

2. ढाबे पर स्वादिष्ट खाना वहां पर काम करने वाला कुक ही बनाता है। ढाबा संचालक को चाहिये कि किसी कुक को काम पर रखने से पहले उसके समक्ष यह शर्त रखे कि उसके हाथ का बना खाना लोगों को पसंद आयेगा तभी उसे नौकरी पर रखा जायेगा अन्यथा उसे हटाया भी जा सकता है।

3. ट्रायल में कुक का खाना यदि ग्राहकों को पसंद न आ रहा हो तो ऐसे कुक को तत्काल बदल कर दूसरा अच्छा कुक रखना चाहिये।

4. वेटर अच्छे व स्मार्ट होने चाहिये, जो ग्राहकों के साथ अच्छी तरह व्यवहार कर सकें और एक साथ कई ग्राहकों को अच्छी तरह से खाने की सर्विस भी दे सकें।

5. ढाबे को मशहूर करने के लिए ढाबा संचालक को चाहिये कि वह अपने ढाबे को अंदर और बाहर अच्छी तरह से सजाना चाहिये। बाहर खूब रोशनी देने वाली झालर व अन्य रोशनी करनी चाहिये। ताकि हाईवे से गुजरने वाले वाहनों के चालकों को दूर से ही ढाबा दिखाई दे जाये। जिससे वह ढाबे पर आ सकें।

6. ढाबे पर साफ सफाई की विशेष व्यवस्था होनी चाहिये। पीने का पानी एकदम शुद्ध होना चाहिये और पीने के पानी वाला कैम्पर आदि काफी आकर्षक होना चाहिये।

7. ढाबे पर बस यात्रियों व पर्यटकों में महिलाएं व युवतियां भी आती हैं। उनको ध्यान में रखते हुए उनके लिए टॉयलट की विशेष व्यवस्था करनी चाहिये ताकि उन्हें किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो। क्योंकि लम्बी दूरी की बसों के ड्राइवर काफी समय के बाद बसों को ढाबे पर रोकते हैं।

मार्केटिंग कैसे करें ?

मार्केटिंग तो सभी तरह के बिजनेस को जरूरत होती है। ढाबे की भी मार्केटिँग करनी चाहिये। नजदीकी शहर में ढाबे में जगह-जगह पोस्टर चिपकवाने चाहिये तथा पम्पलेट बंटवाने चाहिये।

ढाबे का उद्घाटन शानदार तरीके से करना चाहिये। धार्मिक, सामजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करके यदि ढाबे का उद्घाटन किया जाये तो स्थानीय स्तर पर उसका काफी प्रचार हो सकता है। जिसका लाभ मिल सकता है।

उद्घाटन के अवसर पर लोगों को आकर्षित करने के लिए कुछ दिनों के लिए विशेष ऑफर भी दिये जाने चाहिये। जिसका लाभ ढाबा संचालक को मिल सकता है।

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