बड़े गांव में छोटा प्रोविजनल स्टोर कैसे खोलें?

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बड़े गांव में छोटा प्रोविजनल स्टोर कैसे खोलें?

भारत गांवों में बसता है। भारत की अर्थव्यवस्था गांवों से चलती है। इन सबके बावजूद भारत के गांवों में कई तरह की समस्याएं विद्यमान रहतीं हैं। आज भी कई गांवों में मुख्य सड़कें नहीं हैं या यूं कहें कि अनेक गांव ऐसे हैं जहां तक सड़कों की सुविधा नहींं हैं। वहां आज भी लोग पगडंडियों व कच्चे रास्ते से आते-जाते हैं। कई गांवों में बिजली नहीं भी पहुंची है। हालांकि ऐसे गांवों की संख्या बहुत ही कम है अथवा वे आदिवासी बहुल क्षेत्र हैं। जहां के लोग आज भी सदियों पुराना जीवन जीते हैं। उनका पूरा जीवन खेतों व जंगलों से मिलने वाली वस्तुओं से ही चल रहा है। उन्हें शहरों की चमक-दमक प्रभावित नहीं कर पाई है। वे अपने कुदरती माहौल में ही रहना पसंद करते हैं। इन सब बातों के बावजूद देश के कस्बों, नगरों, महानगरों और मेट्रो सिटी के साथ गांव भी तेजी से तरक्की कर रहे हैं। आज जिन्हें हम बड़े गांव कहते हैं। वहां के लोगों की जरूरत के मुताबिक प्रत्येक सुविधाएं मिलने लगीं हैं।

गांव की अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा

1.गांव की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खेती पर निर्भर करती है। गांव में कई तरह के लोग निवास करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अपने-अपने हिसाब से होती है। इसका मुख्य कारण है वहां पर खेती के अलावा कोई अन्य आर्थिक गतिविधि नहीं होती है, जिससे इंसान अतिरिक्त आय जुटा कर अपना जीवन स्तर ऊंचा उठा सके। इसके लिए या तो उसे शहर की ओर पलायन करना होता है अन्यथा मजबूरी में सीमित आय में ही अपना जीवन गुजारना होता है।

2.गांव में कुछ बड़ी काश्त की खेतिहर जमीन वाले काश्तकार होंते हैं, जिन्हें सम्पन्न वर्ग माना जाता है। उसके बाद मध्य वर्ग के किसान होते हैं, कुछ  निम्न वर्ग के भी किसान होते हैं। किसानों का यह वर्गीकरण उनके पास खेतिहर जमीन के क्षेत्रफल के आधार पर किया जाता है। इसके अलावा भूमिहीन मजदूर वर्ग भी होता है। जिसका मुख्य काम किसानों के खेतों में काम करके जीवन यापन करना होता है। इसके अलावा भूमिहीन किसान पशुपालन व बटाई पर खेती करने का भी काम करते हैं।

इस तरह करे प्रोविजनल स्टोर खोलने का विचार

अब गांवों में बेरोजगारी की समस्या दिनोंदिन विकट होती जा रही है।  समय के साथ ही गांव की जनसंख्या भी बढ़ती रहती है। इससे खेतों की जमीन घटने लगी है। इसका कारण यह है कि जब आबादी बढ़ेगी तो लोगों को रहने के लिए मकान आदि की जगह पहले चाहिये। यह जगह खेतों को काटकर ही दी जाती है। इससे खेती की जगह से कम होती जाती है। खेती की जगह कम होने के कारण किसानों की पैदावार कम होने लगी है, पैदावार कम होने से आमदनी भी घटने लगी है। ऐसी स्थिति में आमदनी बढ़ाने के लिए कौन-कौन से उपाय करने चाहिये। इस पर विचार विमर्श किया जाता है। तो सबसे अधिक फायदे वाला और सदाबहार बिजनेस किराना स्टोर या प्रोविजनल स्टोर का बिजनेस सामने नजरआता है। प्रोविजनल स्टोर की बड़ी-बड़ी दुकानों को देखकर तो ग्रामीणों का मन ही घबरा जाता है कि वो इतना पैसा कहां से लायें कि इतना बड़ा प्रोविजनल स्टोर खोल सकें। इस तरह से सोच विचार कर वो शांत होकर घर बैठ जाते हैं। उनकी हिम्मत ही नहीं पड़ती कि वह इस तरह के बिजनेस के बारे में सोच भी सकें। लेकिन ऐसा नहीं है यदि प्लानिंग के साथ काम करें तो वह न केवल प्रोविजनल स्टोर खोल सकते हैं बल्कि उससे बहुत अच्छी कमाई भी कर सकते हैं।

Set of grocery items flat lay on grey background

प्रोविजनल स्टोर के लिए जरूरी बातें

1. गांव में प्रोविजनल स्टोर खोलने के लिए सबसे पहले तो यह देखना चाहिये कि गांव में कम से कम 500 परिवार रहते हों।

2. ग्रामीणों की जरूरत का सामान उपलब्ध कराने के लिए गांव में कोई प्रोविजनल स्टोर नहीं हो।

3. गांव के लोगों को अपनी घर-गृहस्थी का सामान लाने के लिए दूसरे गांव या शहर जाना पड़ता हो।

4. गांवों में यह भी समस्या होती है कि सारे लोग को दूसरे गांव या शहर जाकर सामान ला नहीं सकते हैं। ऐसे लोग उन पड़ोसियों से सामान लाने के लिए खुशामद करते रहते हैं जो शहर किसी काम से या नौकरी करने के लिये जाया करते हैं।

5. इन समस्याओं को देख कर गांव में प्रोविजनल स्टोर खोलने के लिए विचार करना चाहिये।

गांवों में प्रोविजनल स्टोर खोलने का व्यवसाय दो तरीके से शुरू किया जा सकता है:-

पहला तरीका यह है कि यदि आपके पास अच्छी पूंजी है और उसे इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो आपको उस तरह की प्लानिंग करके शॉप खोलनी चाहिये। यदि आपके पास गांव में मेन रोड ,चौराहा व लोगों के अधिक आवागमन वाले स्थान पर शॉप के लिए जगह है तो सबसे बेहतर रहेगा। यदि नहीं है तो आप इन जगहों पर कोई शॉप किराये पर ले लें। थोक मार्केट से आम आदमी की जरूरत का सामान भर कर उसे बेचना शुरू कर दें। दुकान खोलने के बाद जिन-जिन चीजों की मांग आती जाये और वह दुकान में उपलब्ध न हो तो उसे नोट करें और बाजार जाकर वह सामान लेकर दुकान में भरें। ताकि ग्राहक दुकान से वापस लौट कर न जाये। यदि दो तीन बार ग्राहक वापस लौटा तो फिर दुकान में जाने की हिम्मत नहीं करता है। वह सोचता है कि उस दुकान में जाकर क्या करें वहां जरूरत का सामान तो मिलता ही नहीं है।

दूसरा तरीका यह है कि आपके पास पूंजी बहुत कम है और दुकान शुरू करना चाहते हैं तो अपने घर के एक कमरे को दुकान बना लें। जब पूंजी नहीं है तो आपको दुकान में वे खास-खास चीजें बेचनी शुरू करनी होंगी जो बहुत ही आवश्यक हैं और प्रत्येक व्यक्ति को जरूरी होती हैं। जैसे तेल, साबुन, शक्कर, चाय की पत्ती, मसाले, कुछ दालें आदि।

कुछ खास सावधानियां

दुकान खोलते समय एक बात का और ध्यान रखना होगा कि दुकान में से अपने घर के लिए जो सामान ले जायें उसका पैसा भी अपने दुकान की गोलक में अवश्य डालें। क्योंकि कम पूंजी में एक-एक पैसा बहुत कीमती होता है।

दूसरा यह है कि आपको दूकान चलाने के साथ कम से कम एक साल तक दूकान से एक भी पैसा नहीं लेना है बल्कि दूकान को बढ़ाते रहना है।

पहली बार में कुछ खास-खास चीजें लायें तो दुकान खुलने के बाद ग्राहक आयेंगे और वो आपसे अपनी जरूरत का सामान मांगेंगे तो आपको पहले दिन तो यह जवाब देना होगा कि लाना भूल गये। कुछ दिनों के बाद यह कहना होगा कि खत्म हो गयी है कल या परसो ला देंगे। लेकिन इस तरह का वादा सोच समझ कर ही करना होगा। वरना ग्राहक आप पर भरोसा नहीं करेंगे।

एक साल में आपकी पूंजी घूमते-घूमते तीन से चार गुनी हो जायेगी और आप अपनी दुकान को बढ़ा भी सकते हैं और सजा सकते हैं। इसके बाद आप उससे आप सीमित मुनाफा भी ले सकते हैं।

मेहनत भी करनी है और मुनाफा भी कम लेना है

गांव में प्रोविजनल स्टोर खोलना बहुत मेहनत का काम है। पहले तो दुकान का मेंटीनेंस करना। ग्राहकों को डील करना और सबसे ज्यादा मेहनत का काम थोक बाजार से सामान लाना। रोज कोई न कोई सामान अवश्य ही कम होता है। शुरू-शुरू में सप्लायर तो आयेगा नहीं। इसलिये दुकानदार को ही थोक बाजार जाकर अपनी जरूरत का सामान लाना होगा।

इसके अलावा दुकानदार अपनी मेहनत भी नहीं वसूल सकता है। गांव के ग्राहकों में दुकानदार के प्रति मन में शंका रहती है कि वो अनाप-शनाप दाम वसूल रहा है।

इसलिये वो दुकानदार के रेटों को चेक  करने के लिए शहरों में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से रेट पूछता हैं। इस तरह की पूछताछ में यदि गांव के दुकानदार के बराबर ही पैसे लिये तो वो न तो तारीफ ही करेगा  और न ही बुराई करेगा। यदि गांव के दुकानदार ने अधिक पैसे ले लिये तो उसे ठग, डंडीमार कह कर अपशब्द कहेंगे। यदि कम पैसे लिये तो उसकी तारीफ करते नहीं थकेंगे। साथ यही कहेंगे कि तुम्हारे शहर से अच्छा तो हमारे गांव वाला दुकानदार है जो इतनी दूर से सामान लाने के बाद भी इतने कम पैसे में वो सामान देता है। तुम्हारे शहर का दुकानदार ठग है,तुमसे ज्यादा पैसे ले रहा है।

इसलिये काफी भागदौड़ करने के बाद अपने हिस्से का मुनाफा कम करके मार्केट रेट से डाउन माल बेच कर अपनी छबि भी बनानी पड़ती है।

किस तरह से शुरू किया जाये प्रोविजनल स्टोर का बिजनेस

यह बिजनेसमैन की क्षमता व उसके बजट पर निर्भर करता है वह किस तरह से अपना प्रोविजनल स्टोर शुरू करे। साथ ही गांव की मांग की वस्तुओं को कम से कम कितने बजट में पूरी की जा सकती है। उस पर विचार करे एक प्लान बनाना होगा। इस प्लान में सबसे पहले दुकान का ध्यान रखना होगा। अपनी दुकान है तो ठीक वरना सस्ते से सस्ते किराये की दूकान लेनी होगी। साथ ही दुकान को किराये पर लेने के साथ ही कम से कम पांच साल का कॉन्ट्रेक्ट भी करना होगा। क्योंकि प्रोविजनल स्टोर का बिजनेस ऐसा है जिसमें बिजनेस को स्थापित करने में काफी समय लगता है। ऐसा न हो जब आपकी शॉप स्थापित हो जाये और ग्राहकों का आना शुरू हो तभी दुकान मालिक आपसे दुकान खाली कराने के लिए आ जाये।

वैसे तो गांव में सभी का एकदूसरे से अच्छा सम्पर्क होता है और आपस में व्यवहार भी होता है लेकिन यदि आपको अपनी दुकान चलानी हो तो दुकान खोलने से एक महीने पहले से ही गांव के लोगों से अपना सम्पर्क बढ़ाना होगा। बुजुर्गों को सादर अभिवादन करके उन्हें पर्याप्त सम्मान देना होगा। उम्र में अपने से बड़े लोगों का भी सादर सत्कार करना होगा। अपने से छोटे लोगों को भी पूरा मान-सम्मान देना होगा। बच्चों को अपने बच्चों के समान प्यार व दुलार करना होगा।

इस तरह के व्यवहार से आपको लोग चाहने लगेंगे। आप सभी लोगों से पहले ही अपने व्यवसाय के बारे में बता देंगे तो लोग आपको अधिक सम्मान देंगे। यदि आपने मेहनत करके लोगों से सम्पर्क भी किया और उन्हें बिना बताये दुकान खोल दी तो लोग कहेंगे इसीलिये फलां व्यक्ति ज्यादा जीहुजूरी करता था। अब मामला सामने आया है। पूरा स्वार्थी है।

एक भरोसेमंद दुकान की खोज के बाद आपको थोक मार्केट में जाकर थोक व्यापारी की तलाश करनी होगी। यदि आपको काम आता है और सर्वे करके आपने यह जान लिया हो कि दूकान में सबसे पहले कौन सा सामान कितना चाहिये जिससे आपकी दुकान चल सके और पैसे भी कम लगें। यदि नहीं जानते हों तो शहर की थोक मार्केट में थोक व्यापारी से सम्पर्क करें और अपने व्यवसाय को शुरू करने का इरादा बताते हुए उसे अपने बजट मेंं सभी आवश्यक सामान देने को कहेंगे तो वो आपकी मदद करेगा और उचित रेट पर आपकी जरूरत का पूरा सामान दे देगा।

चूंकि आपको गांव में छोटा प्रोविजनल स्टोर खोलना है तो शुरू-शुरू में आपको अपनी दुकान में कम सामान लाना है । ऐसी परिस्थिति में सामान से अधिक अपना व्यवहार बेचना है। लोगों के बीच ईमानदार व मेहनती दुकानदार की छवि बनानी है। इसके बाद जैसे-जैसे दुकान चलती जाये, आमदनी बढ़ती जाये वैसे-वैसे अपनी दुकान का स्टैण्डर्ड बढ़ाते चले जायें।

आपने कम पूंजी में अपनी शॉप शुरू की है तो वाजिब है कि आपकी दूकान में पूरा सामान भी न हो। इसलिये जब पहली बार सामान लेने जायें तो जितनी पूंजी आपके पास है पूरी पूंजी का सामान न लायें बल्कि अपनी पूंजी के 60 प्रतिशत हिस्से का सामान लायें । 40 प्रतिशत पूंजी को रिजर्व रखें।

पूंजी बढ़ाने का एक और तरीका यह है कि आप शुरू-शुरू में थोक व्यापारी से तो नकद में माल लायें। कुछ दिनों बाद जरूरत पड़ने पर कुछ नकद और कुछ उधार माल लायें। उधार के रुपये चुकाने के लिए जो समय दें। कोशिश करें कि उससे पहले ही भुगतान कर दें । यदि संभव न हो पाये तो उसे समय पर तो अवश्य ही भुगतान कर दें। इस तरह से कई बार भुगतान करने के बाद थोक व्यापारी का आप पर विश्वास हो जायेगा। वो आपको माल उधार देने लगेगा। इससे अधिक माल मिलने लगेगा और आपका व्यापार तेजी से बढ़ जायेगा। दुकान में माल ज्यादा होगा तो ग्राहक भी ज्यादा आयेंगे और उनसे मुनाफा भी अधिक मिलेगा।

दुकान शुरू होने के साथ ही आप अपने ग्राहकों पर नजर रखें । देखें कि किस तरह का ग्राहक आपकी शॉप पर आता है। कौन-कौन सी चीजों की डिमांड करता है जो आपके पास नहीं होतीं हैं। उन सभी चीजों को एक डायरी व रजिस्टर में नोट कर लें।

जब आप दुकान शुरू कर देंगे तो जल्द ही आपको यह पता चल जायेगा कि किस समय अधिक ग्राहक आता है और किस समय कम ग्राहक आता है। आप अपने बाजार जाने का समय तय कर लें। यदि इस दौरान आपके परिवार में कोई सहायक है जो आपके पीछे दुकानदारी कर सकता है तो ठीक है वरना एक भरोसेमंद सहायक रखना होगा जो आपकी अनुपस्थिति में दुकानदारी कर सके ताकि आपकी दुकान से कोई भी ग्राहक वापस नहीं लौटना चाहिये। यदि भरोसेमंद सहायक न मिल सके तो कोई बात नहीं अनुभवी व्यक्ति भी काम कर सकता है। और उस समय के लिए अपने परिवार के व्यक्ति को पैसे के लेन-देन के लिए बैठा दें। इससे आपका काम भी नहीं रुकेगा और आप बाजार से जाकर दुकान की जरूरत का सामान ला सकेंगे।

कौन-कौन से लाइसेंस की जरूरत होगी

गांव में छोटा प्रोविजनल स्टोर खोलने के लिए शुरू-शुरू में तो वैसे तो कोई विशेष लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है। ग्राम पंचायत से बिजनेस लाइसेंस की औपचारिकता पूरी करनी होती है। व्यवसाय बढ़ने पर दुकान का नाम रखकर उसका शॉपिंग एक्ट में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। साथ ही जब आपके व्यवसाय का टर्नओवर जीएसटी के दायरे में आ जाये तो आपको उस समय जीएसटी नंबर लेना होगा।

set of grocery essentials

कितनी लागत से शुरू हो सकता है यह बिजनेस

छोटे प्रोविजनल स्टोर को खोलने के लिए लागत की बात बिजनेस मैन की क्षमता पर निर्भर करती है। यदि वह बहुत कम पूंजी से बिजनेस शुरू करना चाहता है और शॉप उसके पास अपनी खुद की है तो उसे कम से कम 30 हजार रुपये का इंतजाम करना होगा। इसमें से पहली किश्त में 20 हजार रुपये का सामान दुकान में भरना होगा। उसके बाद दस हजार रुपये को भी दो भागों में बांटना होगा। पहली किश्त में दुकान में कम पड़ने वाली चीजों को कम मात्रा में लाना होगा। उसके बाद दूसरे पांच हजार रुपये बहुत ही जरूरत पड़ने पर ही खर्च करने होंगे। इस तरह से पूंजी का टर्नओवर घुमाते रहना होगा। यही पूंजी धीरे-धीरे बढ़ जायेगी और आपकी दुकान में सामान भी अधिक भर जायेगा।

मुनाफा कितना और कब मिलेगा

किसी भी बिजनेस के बारे में कहा जाता है कि कम से कम तीन साल में व्यापार चलता है। पहले साल में आपको अपनी मार्केट बनानी होती है उस समय आपको मुनाफा के बारे में सोचना ही नहीं चाहिये। यदि आपको थोड़ा बहुत मुनाफा मिल जाता है तो उसे आप बोनस मानकर चलिये। दूसरे साल मे आपके द्वारा किये गये इन्वेस्टमेंट की रिकवरी हो जाती है। तीसरे साल में आपको मुनाफा मिलने लगता है। यह मुनाफा कितना मिलेगा यह आपकी स्किल पर निर्भर करता है कि आप कहां से कितना सस्ता माल खरीदकर लाते हैं ओर उसको अपने ग्राहकों को किस कीमत पर बेच पाते हैं। फिर भी जानकार लोगों का मानना है कि इस बिजनेस में 20 से 30 प्रतिशत तक का मुनाफा मिल जाता है।

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