सीमेंट फैक्टरी की शुरुआत कैसे करें?

लागत, मुनाफा, सही जगह का चुनाव और अन्य जानकारियां

सीमेंट फैक्टरी लगाना थोड़ा सा मुश्किल काम है और यह कम बजट में भी शुरू नहीं किया जा सकता है। इसके लिए कम से कम एक निश्चित बजट की आवश्यकता होती है क्योंकि यह बहुत बड़ा बिजनेस है। सीमेंट फैक्ट्री खोलने में चूंकि कई तरह के खनन पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। उसके लिए सरकार के कई विभागों में जाकर अपनी फैक्ट्री के लिए परमिशन और एनओसी लानी पड़ती है। फैक्टरी खोलने का इरादा रखने वाले इन सारी झंझटों से निपटने के लिए भी तैयार होते हैं।

अब बात करते हैं कि सीमेंट की हमारे देश में क्या उपयोगिता है और हमारे देश में सीमेंंट का कितना उत्पादन होता है। तो चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक देश है। एक खासबात यह है कि भारत की जीडीपी सीमेंट पर बहुत अधिक डिपेंड करती है। इसका प्रमुख कारण है कि भारत में रियल एस्टेट और बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम बहुत तेजी से हो रहा है। देश के 98 जिलों में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम तेजी से चल रहा है। बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन की जान सीमंंट में है। यानी सीमेंट के बिना कोई भी कंस्ट्रक्शन पूरा नहीं होता है।

आइए अब जानते हैं कि सीमेंट कहां-कहां इस्तेमाल होता है।

भारत में कुल इस्तेमाल की जाने वाली सीमेंट का 67 परसेंट हिस्सा हाउसिंग सेक्टर में खपत होती है। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में 13 परसेंट सीमेंट यूज होती है। कमर्शियल सेक्टर का हिस्सा 11 परसेंट और इंडस्ट्रियल कंस्ट्रक्शन का हिस्सा 9 परसेंट है। इस सीमेंट से क्या क्या बनाया जाता है। बिल्डिंग सेक्टर में फर्श, बीम, कॉलम्स, ब्रिक्स, पैनल्स और प्लास्टम में सीमेंट यूज की जाती है। ट्रांसपोर्ट सेक्टर में कंक्रीट सड़कें, पाथवेज, क्रासिंग, ब्रिज, स्लीपर्स, टनल्स, रनवे, पार्किंग में सीमेंट का इस्तेमाल होता है। वाटर सेक्टर में सीमेंट के पाइप के अलावा  पुलिया, नहर, डैम, टैंक, पूल आदि बनाये जाते हैं। एग्रीकल्चर सेक्टर में बिल्डिंग्स, प्रोसेसिंग बिल्डिंग्स, सीड गोडाउन, सिंचाई के सभी साधनों ट्यूबवेल, नहर आदि में सीमेंट का इस्तेमाल किया जाता है।

सीमेंट फैक्ट्री खोलने के लिए सबसे पहले क्या करना होगा?

सबसे पहले सीमेंट फैक्ट्री खोलने के लिए सबसे पहले आपको अपनी कंपनी का नाम चयन करना होगा। उसके बााद उसक कंपनी को रजिस्टर्ड कराना होगा। एसके बाद लघु उद्योग व उद्योग विभाग में भी दर्ज कराना होगा। इसके लिए आवश्यक जीएसटी नंबर भी लेना होगा। कहने का मतलब सबसे पहले आपका अपनी कंपनी की प्राथमिक कानूनी कार्यवाही पूरी करनी होगी। ताकि आपको फैक्ट्री खोलने के लिए सरकारी विभागों में कोई जरूरी कार्यवाही करानी हो तो वहां पर कोई परेशानी न आवे। इसके साथ ही आपको  फैक्ट्री खोलने के लिए अपना बिजनेस प्लान भी बना लेना चाहिये। इससे आपको काफी सुविधाएं मिलेंगी।

1. लो बजट से लेकर हाई बजट तक में खोली जा सकती है फैक्ट्री

सीमेंट फैक्ट्री का काम पांच तरह से शुरू किया जा सकता है। पहला इंट्रीग्रेटेड प्लांट लगा सकते हैं। इसमें भी दो टाइप हैं। एक है ग्रीन फील्ड प्लांट और एक है ब्राउनफील्ड प्लांट। ग्रीनफील्ड प्लांट के तहत आपको जीरों से प्लांट आपरेशन तक पूरी कार्रवाई शुरू करनी है। ब्राउनफील्ड प्लांट में आप पहले से चल रही फैक्ट्री का डेवलपमेंट करने के लिए काम करना यानी अपने प्लांट की प्रोडक्टक्शन लिमिट को बढ़ाना या नया प्लांट खोलना होगा। इसके बाद दूसरा नंबर आता है मिनी प्लांट की तो आप 100 से 400 टन प्रतिदिन प्रोडक्शन के लिए मिनी सीमेंट प्लांट वर्टिकल साफ्ट किल्न में खोलना होगा। कम पूंजी में यह प्लांट लगा सकते हैं। इसके बाद तीसरा नंबर उस प्लांट का आता है जहां से आप शुरू तो मिनी प्लांट से कर सकते हैं लेकिन आप बड़े उद्योग में कनवर्ट कर सकते है, उसे मिनी सीमेंट प्लांट रोटरी किल्न कहते हैं। इसमें आप सीमेंट का बेस बना सकते हैं जिसे क्लिंकर कहते हैं। इसके बाद मिनी ग्राइंड यूनिट यानी बाल मिल भी चला सकते हैं जहां पर आप क्लिंकर बनाकर सीमेंट बनाने वालों को सप्लाई कर सकते हैं। इसके बाद सीमेंट ग्राइंड यूनिट, जिसे रोल प्रेशर के साथ शुरू किया जा सकता है। इसके अलावा कम लागत में ब्लेंडिंग यूनिट लगाया जा सकता है। इस यूनिट में आप किसी प्लांट से क्लिंकर खरीद कर उसमें जिप्सम, फ्लाईऐश मिलाकर सीमेंट तैयार करके अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं।

2. माइन्स डिपार्टमेंट से लेना होगा एप्रूवल

आइये अब बात करते हैं कि सीमेंट बनाने में कच्चा माल यानी रॉ मैटेरियल कौन-कौन से लगते हैं और ये कितने महत्वपूर्ण हैं कि सरकार की सहायता के बिना इनका मिलना असंभव है। सीमेंट बनाने में हाईग्रेट लाइम स्टोन की मुख्य भूमिका होती है क्योंकि सीमेंट में 96 प्रतिशत तक मिलाया जा सकता है। इसके साथ ही जिप्सम, फ्लाईऐश, बाक्साइट, लेट्राइट, शेल रेड मड, पेटकोक, स्लैग सहित अनेक केमिकल की आवश्यकता होती है। इसमें लाइम स्टोन तो खदान से प्राप्त होता है। उसके लिए आपको खनन विभाग में एप्लीकेशन देना होगा। जहां से प्रास्पेक्टिंग कराना होगा। यानी पूरा डॉक्यूमेंटेशन के बाद इंडियन ब्यूरो माइन्स से एप्रूवल लेना होगा। इसके बाद आपको डाइरेक्टर जनरल आफ माइन्स सेफ्टी से सेफ्टी स्टडैंर्ड का एप्रूवल लेना होगा। क्योंकि लाइम स्टोन की खान में डायनामाइट का इस्तेमाल किया जाता है।

3. लाइम स्टोन का लीज कैसे मिलता है ?

आपको अब यह जानकारी हासिल करनी होगी कि लाइम स्टोन की खान लीज पर कैसे मिलेगी। माइन्स डिपार्टमेंट में जब आपके सारे डॉक्यूमेंट एप्रूव होे जाते हैं तो आपको खान की लीज के लिए सरकार के पास सिक्योरिटी जमा करनी होती है। यह राशि काफी मोटी रकम होती है। उदाहरण के लिए यदि आपको 100 एकड़ की खान 30 वर्षों के लिए मिलती है तो आपको लगभग 25-30 करोड़ रुपये सरकार के पास जमा करने होंगे या इतनी राशि की सिक्योरिटी देनी होगी। इसके अलावा लगभग प्रत्येक टन पर 105 रुपये की रॉयल्टी देनी होगी। फिर आपका काम शुरू हो सकता है।

4. अब कहां और कितनी जमीन फैक्ट्री के लिए चाहिये ?

अब बात करते हैं कि सीमेंट फैक्ट्री के लिए कितनी जमीन और कहां  चाहिये। इसके लिए आपको सरकार की सहायता से जमीन लाइम स्टोन की खान के पास ही मिल सकती है। यह आप पर निर्भर करता है कितनी बड़ी फैक्ट्री लगाना चाहते हैं। उदाहरण के लिए यदि आप 6000 टन प्रतिदिन वाला प्लांट लगाना चाहते हैं तो आपको कम से कम 100 एकड़ की जरूरत पड़ सकती है। यहां पर प्लांट की कई मशीनों को लगाने, रॉ मैटेरियल को स्टोर करने, बना-बनाया सीमेंट भी स्टोर करना होगा। आॅफिसेस, वर्कर्स रेजीडेंस कॉलोनी आदि बनवानी होगी।

5. अब आपको पॉल्यूशन डिपार्टमेंट से एनओसी चाहिये

आप सीमेंट फैक्ट्री ड्राई या वाटर यूज्ड मशीन लगाते हैं। दोनों मेंं ही पॉल्यूशन डिपार्टमेंट की एनओसी की जरूरत होगी। आपको पहले ही पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए नार्म्स बतायें जायेंगे और उनको पालन करने के लिए आपको कई तरह के उपकरण भी लगाने होंगे। यदि आप वाटर यूज्ड प्लांट लगाते हैं तो उसके लिए आपको पानी लेने के लिए आपको  सरकारी परमिशन लेनी होगी और साथ ही उसके लिए एसटीपी लगानी होगी ताकि आपकी फैक्ट्री का वेस्टेज उस रास्ते से  बाहर जा सके।

6. बिजली का है महत्वपूर्ण रोल

आपको अपने प्लांट के लिए बिजली का सबसे महत्वपूर्ण रोल होगा। इसके लिए आपको स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड से सहायता लेनी होगी और वहां अप्लीकेशन देकर अपने प्लांट के लिए कितने किलोवाट का पॉवर कनेक्शन चाहिये, बताना होगा। क्योंकि एक टन सीमेंट बनाने के लिए कम से कम 86 किलोवाट चाहिये। इसके साथ ही आपको अपने प्लांट में बिजली का यूज भी टेक्नीकली करना होगा। इससे आपके प्रोडक्शन का रेट कम हो सकता है। जैसे कि पीक आॅवर्स में बिजली के रेट सबसे ज्यादा होते हैं, उस समय हैवी लोड वाली मशीनों को नहीं चलाना होगा।

इन बातों का भी रखना होगा ध्यान

सीमेंट की फैक्ट्री में काफी संख्या में मानव श्रम की आवश्यकता होती है। फैक्ट्री की ओपनिंग में तो कंस्ट्रक्शन, डिजाइनिंग, इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में लगने वाले मानव श्रम की ही जरूरत होती है। कहने का मतलब यह है कि शुरू-शुरू में तो मानव श्रम की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन जब प्लांट का आॅपरेशन शुरू होता है तो भारी संख्या में मानव श्रम की आवश्यकता होती है। चूंकि फैक्ट्री खोलने जा रहे हैं तो अपने यहां मानव श्रम के इस्तेमाल रखने के लिए आपको सरकार के श्रम विभाग को पूरी जानकारी देनी होगी और मानव श्रम के बारे में सरकार की नीतियों का पालन करना होगा। इसके अलावा फैक्ट्री के लिए आपको फायर एंड सेफ्टी के नार्म्स का पालन करना होगा तथा फायर डिपार्टमेंट से भी आवश्यक परमीशन लेनी होगी।

अब करें मुनाफे की बात

सीमेंट के बिजनेस में एक बात बहुत ही महत्वपूर्ण है कि इसमें क्वालिटी से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। दूसरा आपको इस बिजनेस में तगड़ी मार्केटिँग टीम रखनी होगी। एडवरटाइजिंग को सभी तरह के बिजनेस में जरूरी होता है। मार्केटिँग पर डिपेंट करता है कि वो कंपटीशन के जमाने में आपके प्रोडक्ट को किस तरह से हिट कर सकती है और उसी पर प्रॉफिट डिपेंड करता है। इस बिजनेस में कोई मुनाफा फिक्स नहीं है बल्कि फैक्ट्री के साइज पर निर्भर करता है। एक्सपर्ट भी यही राय देते हैं कि इस बिजनेस में अच्छा खासा मुनाफा मिल सकता है।

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