आजकल अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए लोग तरह-तरह की मार्केटिंग करते हैं। मार्केटिंग का मतलब किसी प्रोडक्ट या सर्विस को अधिक से अधिक लोगों को परिचित कराने के लिये प्रचार-प्रसार करना होता है। ये मार्केटिंग ऑनलाइन व आफलाइन दोनों तरह से की जाती है। व्यापारी अपना प्रोडक्ट अधिक से अधिक ग्राहकों को बेच कर मुनाफा कमाना चाहता है। अपने फायदे के लिए व्यापारी तरह-तरह के लोगों को हायर करके अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंक यानी प्रचार प्रसार कराता है। प्रोडक्ट का प्रचार प्रसार करने अथवा किसी भी बिजनेस की तरक्की के लिए अनेक प्रकार के प्रचार माध्यम अपनाये जाते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-
1. समाचार पत्र में विज्ञापन
2. टीवी चैनल में विज्ञापन
3. एफएम रेडियो में विज्ञापन
4. पम्पलेट का वितरण
5. पोस्टर अभियान
6. वाल पेंटिंग
7. बैनर-होर्डिंग्स
8. ऑनलाइन वेबसाइट बनवाकर
9. सोशल मीडिया पर वीडियो व पोस्ट डालकर
10. सोशल मीडिया पर बिजनेस पेज
11. व्हाटसऐप पर ग्रुप बनाकर
12. इन्फ्लुएंशर का इस्तेमाल करके
13. सेलिब्रिटी से विज्ञापन करवाकर
14. कार्यक्रम की स्पांसरशिप लेकर
15. कैनोपी लगाकर
16. वर्कशॉप या विचार गोष्ठी का आयोजन करके
17. पीआर एजेंसी से प्रचार करवाकर
18. प्रचार वाहन को शहर में घुमवा कर
19. वाहनों में अपने प्रोडक्ट के बारे में पोस्टर चिपका कर
पीआर एजेंसी की भूमिका
पीआर एजेंसी का काम व्यापारी और उसके ग्राहकों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी की भूमिका निभाना होता है। यह एजेंसी अपने तरीके से किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पीआर एजेंसी का काम अपने तरीसे अधिक से अधिक लोगों को प्रभावित करना होता है। पीआर एजेंसी को इन्फ्लुएंशर का दूसरा रूप मानें तो कोई गलत नहीं होगा। बस इन्फ्लुएंशर और इसके काम करने के तरीके अलग-अलग होते हैं लेकिन इन दोनों का उद्देश्य एक ही होता है। इन दोनों का उद्देश्य अधिक से अधिक ग्राहकों तक प्रोडक्ट पहुंचाना और उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित करना होता है। विश्व विख्यात पत्रिका फोर्ब्स का कहना है कि पीआर एजेंसी का बिजनेस लोगों को मनाने का बिजनेस है। पीआर एजेंसी अपने शहर या उससे बाहर की खास ऑडियंस को प्रभावित करने की कोशिश करती है। कहने का मतलब यह है पीआर एजेंसी की जहां तक पकड़ होती है वहां के लोगों को अपनी बातों से प्रभावित करती है ताकि उन लोगों को किसी भी तरह का प्रोडक्ट या किसी भी तरह की सर्विस खरीदने के लिए मनाया जा सके।
पीआर प्रोफेशनल्स अपने क्लाइंट के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हैं और उनकी छवि को भी निखारते हैं। इस तरह का काम करने वालों को पैसा कमाने वाला मीडिया कहा जाता है। ये मीडिया पैसे लेकर विज्ञापन प्रकाशित करने वालों से अलग होता है। पीआर एजेंसी अपनी खबरों, आलेख से उपभोक्ताओं को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं।
पब्लिक रिलेशन्स प्रोफेशनल का काम अपने ग्राहकों के नजरिये को पेश करना होता है, उनका साक्षात्कार करना होता है और उनके बारे में ऐसी कहानियां लिखनी होती है, जिससे उन्हें लाभ मिले। पीआर एजेंसी उन लोगों को प्रभावित करने का काम करतीं हैं, जिन पर उनके क्लाइंट की नजर होती है।
पीआर एजेंसियां अपने ग्राहकों और उनके ग्राहकों के बीच के सम्बन्ध बनाने और संबंधों को मजबूत करने के लिए अनेक तरह से सलाह देतीं हैं, जिसका अधिक से अधिक आडियंस पर प्रभाव पड़ सके। इस सम्बन्ध में ये पीआर एजेंसियां अपने ग्राहकों को काम करने के तरीके को बदलने या नई रणनीति अपनाने तक की सलाह देतीं हैं, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और बढ़ सके। यदि ये प्रयास किसी कारण नाकाम हो जाते हैं अथवा इनके परिणाम जल्दी नहीं आते हैं तो कुछ पीआर एजेंसियां ऐसी भी होतीं हैं, जो संकटकालीन परिस्थितियों से निपटने में माहिर होतीं हैं। वे अपने क्लाइंट को संकटपूर्ण स्थिति से निकाल लेतीं हैं। संकट का दौर गुजर जाने के बाद ये पीआर एजेंसियां अपने क्लाइंट को फिर से लाभ वाली स्थिति में ले आतीं हैं।
पीआर एजेंसी शुरू करने के खास टिप्स
कारोबार के हिसाब से पीआर एजेंसी का आइडिया बहुत अच्छा है। इस आइडिया में पूंजी कम और दिमाग ज्यादा लगता है। यह ऐसा बिजनेस है कि जिसमें फायदा ही फायदा होता है। इसका कारण यह है कि आप किसी भी बिजनेस मैन के प्रोडक्ट को उसके ग्राहकों को बेचने का काम करते हो, आपके यूनिक आइडिया व प्रयासों से ये ग्राहक जल्द ही प्रभाव में आ जाते हैं और आप पर विश्वास कर लेते हैं। इसके बाद आपके क्लाइंट को लाभ होने लगता है जब आपके क्लाइंट को लाभ होता है तो उसका हिस्सा पीआर एजेंसी को मिलता है, जो उसके हिस्से का लाभ होता है। अब जानते हैं कि पीआर एजेंसी के व्यवसाय को शुरू करने के लिए कौन-कौन से खास टिप्स अपनाने होते हैं:-
1. अपने बिजनेस की एक स्पष्ट योजना बनायें
पीआर एजेंसी शुरू करने से पहले आपको अपने बिजनेस की एक स्पष्ट योजना बनानी चाहिये। क्योंकि इसी योजना पर उसके बिजनेस की सफलता टिकी होती है। इससे आपको आपके बिजनेस की खास-खास बातों का पहले से ही पता चल जाता और उसके हिसाब से तैयारी कर लेंगे तो आपको सफलता मिलनी तय है। इसके अलावा आप इस प्लान से अपने बिजनेस में होने वाले कुछ अज्ञात हानिकारक कारणों से भी अवगत हो जाते हैं और समय रहते सतर्कता बरत कर उनसे बच जाते हैं। जिससे आपको अपने बिजनेस में अधिक लाभ होने की संभावना बनी रहती है। आपको योजना बनाते समय इन खास बातों का ध्यान रखना चाहिये
1. आपको अपनी पीआर एजेंसी का एक अच्छा सा नाम चुनना होगा, जिसे आप सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ कर ब्रांड बना सकते हैं क्योंकि आप जब दूसरे बिजनेस मैन के प्रोडक्ट को ब्रांड बना सकते हैं तो अपनी कंपनी को ब्रांड क्यों नहीं बना सकते हैं।
2. आपको यह भी तय करना होगा कि आप कितनी बड़ी पीआर एजेंसी की शुरुआत कर सकते हैं यानी आपके पास इस बिजनेस को शुरू करने के लिए कितनी इन्वेस्ट कैपेसिटी अर्थात पूंजी खर्च करने की क्षमता है। इसके लिए आपको पीआर एजेंसी पर होने वाले खर्च और अपनी क्षमता को देखना होगा और उसके बाद ही विचार करना होगा।
3. आपको बिजनेस शुरू करने से पहले यह तय करना होगा कि आपकी मार्केट कौन सी होगी यानी आपके ग्राहक कौन होंगे क्योंकि सारी दुनिया पर फोकस करने से आपको कुछ नहीं मिलने वाला है। इसलिये आप किसी खास सेक्टर का चुनाव करके ही फोकस करें। यह सेक्टर ऐसा होना चाहिये कि जिसमें आपको अच्छी जानकारी हो।
4. आपको अपना बिजनेस शुरू करने से पहले बाजार के कंपटीशन को देखना होगा। कंपटीशन के बीच में बिजनेस शुरू कर रहे हैं तो आपको सबसे पहले चार्ज के बारे में सोचना होगा। आपके कंपटीटर तो वर्षों से जमे जमाये हैं उनकी अपनी अच्छी खासी रेपो भी है। आप उनके मुकाबले में नये-नये बिजनेस शुरू करने जा रहे हैं । आपको अपनी मार्केट भी बनानी है। इन सभी बातों को देखते हुए चार्ज तय करने होंगे। काम शुरू करने के लिए आप कम से कम चार्ज रख सकते हैं लेकिन इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप कंपटीशन के चक्कर में इतने कम चार्ज भी न रखें कि आपका खर्चा भी न निकल पाये। इस ओर सतर्कता बरतनी होगी।
2. पीआर एजेंसी शुरू करने में कौन-कौन से खर्च आते हैं
पीआर एजेंसी शुरू करने के लिए होने वाले अधिकांश खर्चे आपके दिमाग में योजना बनाते समय आ गये होंगे। शुरुआत में तो आप इन खर्चों में काफी बचत भी कर सकते हैं। क्योंकि पीआर एजेंसी शुरू करने के लिए बहुत सारे जरूरी उपकरण आपके पास पहले से ही मौजूद होंगे। घर का कमरा जहां से यह बिजनेस शुरू कर सकते हैं, टेलीफोन, कम्प्यूटर और इंटरनेट आदि घर में मौजूद रहते ही हैं। इसके बावजूद आपको कई तरह के खर्चे करने ही होंगे, जो इस प्रकार हैं:-
1. ग्राफिक डिजाइनर का खर्चा करना होगा क्योंकि आपको अपनी एजेंसी को शुरू करने और उसको आगे बढ़ाने के लिए अपनी एजेंसी का लोगो बनवाना होगा जिसमें खास फान्ट्स, खास कलर और कुल मिलाकर आपके द्वारा किये जाने वाले बिजनेस कम्युनिकेशन को आकर्षित बनाने वाला होना चाहिये। इसके अलावा आपको प्रिंटिंग कार्ड्स, लेटर हेड, लिफाफे के साथ सेल्स व मार्केटिंग मैटीरियल्स भी तैयार कराने होंगे।
2. आज का जमाना पूरी तरह से डिजिटली हो गया है तो आपको अपनी पीआर एजेंसी के प्रचार के लिए वेबसाइट बनवानी होगी और उसको ऑपरेट भी करना होगा। अपनी वेबसाइट को आपको ऑपरेट करना होगा क्योंकि आपको डिजिटल प्रोडक्शन के बारे में अच्छी नॉलेज होगी और इससे आपको अपने क्लाइंट से डील करने में भी सुविधा होगी।
3. कॉपी राइटर की भी जरूरत होगी क्योंकि आपको किसी प्रोडक्ट को प्रमोट करने के लिए उसके सेल्स और मार्केटिंग के राइटअप भी तैयार करने होंगे। आपके राइटअप इतने आकर्षक होने चाहिये कि मीडिया तुरन्त उनको अपने इस्तेमाल मे ले ले।
4. आपको अपने बिजनेस की पहचान दिलाने और क्लाइंट से सम्पर्क करने के लिए विभिन्न व्यापारिक संगठनों व नेटवर्क संगठनों से जुड़ना होगा और उनके द्वारा तय की गयी सदस्यता शुल्क भी देनी होगी।
इन सभी खर्चों को वहन करते-करते कम से कम छह महीने आपको बिना किसी लाभ के काम करना होगा। क्योंकि इतने समय में आपको अपनी पहचान बनाने में लग जायेंगे। उसके बाद आपको काम मिलना शुरू हो जायेगा। फिर आपको लाभ भी मिलना शुरू होगा। आपको इस दौरान कम से कम खर्चे में अधिक से अधिक परिणाम देने की रणनीति बनानी होगी। आपको अपने दैनिक खर्चे भी करने होंगे और उनसे कोई विशेष लाभ भी नहीं होगा। इसके लिए बेहतर यही होगा कि इसको पहले आप अपने घर से पार्ट टाइम या साइट जॉब के रूप में शुरू करें। जैसे-जैसे आपकी पीआर एजेंसी का काम जम जाये और उससे मुनाफा आने लगे और आपको एक स्थायी आमदनी मिलने लगे तब आप इसको फुल टाइम जॉब बना सकते हैं और इसके लिए बड़ी कंपनी भी स्थापित कर सकते हैंं।
3. पीआर एजेंसी चलाने के खर्च क्या-क्या हो सकते हैं?
पीआर एजेंसी चलाने का बिजनेस मान-मनुहार वाला बिजनेस है। आपको अपने क्लाइंट को खुश करने के लिए तरह तरह के तरीके अपनाने होंगे और उन तरीकों पर होने वाले खर्च भी आपको वहन करने होंगे। इसके लिए आपको बिजनेस शुरू करने के साथ ही तैयारियां करनी होगी। आइये जानते हैं कि आपके सामने कौन-कौन से खर्च आ सकते हैं?
- सबसे पहले आपको अपने ऑफिस मेनटेन करने खर्चा करना होगा। कम से कम तीन लोगों का स्टॉफ भी रखना होंगा, जैसे एक ग्राफिक डिजाइनर और एक रिसेप्शनिस्ट और एक सहायक भी जरूरी है। इनकी सैलरी देनी होगी, ऑफिस का बिजली, पानी, स्टेशनरी, इंटरनेट, मोबाइल रिचार्ज आदि का खर्चा करना होगा।
- क्लाइंट मीटिंग : क्लाइंट मीटिंग के खर्चे में आपको इंडस्ट्री के पब्लिकेशनों में विज्ञापन प्रकाशित करवाना होगा,उसका खर्चा और संभावित ग्राहकों के साथ मीटिंग के लिए यदि आपके पास जगह है तो ठीक है या आपका क्लाइंट उसकी व्यवस्था करता है तो भी ठीक है अन्यथा इस तरह की बिजनेस मीटिंग के लिए किसी होटल की व्यवस्था करनी पड़ सकती है। मीटिंग के दौरान जलपान या लंच आदि की भी व्यवस्था करनी पड़ सकती है। उसका भी खर्च करना होगा।
- क्लाइंट से सम्बन्ध मजबूत करने का खर्च: आपको अपने क्लाइंट से रिलेशन बनाने के लिए कई तरह के खर्चे करने पड़ सकते हैं। जैसे उनका मनोरंजन करने के कार्यक्रमों का आयोजन करना पड़ सकता है। विशेष अवसरों जैसे न्यू ईयर, होली, दीपावली, दहशहरा, ईद, बैसाखी व क्रिसमस डे आदि पर गिफ्ट कार्ड अथवा गिफ्ट भी देना होगा। इसके अलावा क्लाइंट से रिलेशन बनाने के लिए भागदौड़ करने व अन्य तरह के खर्चे भी उठाने पड़ सकते हैं।
- एक्सपर्ट स्टाफ का खर्च : इस तरह का खर्च शुरू-शुरू में तो बचाया जा सकता है लेकिन जैसे-जैसे आपकी एजेंसी की लोकप्रियता बढ़ेगी तो अनेक प्रकार के क्लाइंट आपके पास सेवायें लेने के लिए आयेंगे। उस समय आपको अधिक से अधिक ग्राहकों को सेवायें देनी भी होंगी। इसके लिए आपको विभिन्न सेक्टरों के अनुभवी एक्सपर्ट की सेवाएं लेनी होंगी। उसके लिए आपको पैसा खर्च करना होगा। इन एक्सपर्ट लोगों को हायर करते समय यह अवश्य तय करना होगा कि रिजल्ड ओरिएंटेड जॉब है, जितना अधिक लाभ दिलवाओगे उतना ही अधिक आपको हिस्सा मिलेगा।
- मीडिया हाउस से रिलेशन बनाने का खर्च : जिस तरह से आप अपने क्लाइंट पर खर्च करेंगे उसी तरह से आपको लोकल नेशनल, इंटरनेशनल मीडिया हाउस से भी रिलेशन बनाने होंगे। जो आपके बिजनेस प्रेस कांफ्रेंस को कवर करेंगे। आपके प्रोडक्ट या सर्विस से संबंधी लेख आदि प्रचार सामग्री प्रकाशित करेंगे। जिससे आपको भविष्य में लाभ मिलने वाला है। इस तरह के मीडिया हाउस को आपको इंटरटेन करना होगा। विशेष अवसरों पर गिफ्ट, लंच आदि की व्यवस्था करनी होगी।
4. कौन-कौन से लाइसेंस चाहिये
पीआर एजेंसी का बिजनेस शुरू करने के लिए कुछ जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होतीं हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-
1. आपको अपनी एजेंसी/कंपनी का अच्छा सा नाम चुनना होगा।
2. आपको अपनी एजेंसी/कंपनी का कंपनी रजिस्ट्रार कार्यालय से शॉप एक्ट के तहत रजिस्टर्ड कराना होगा। यदि आप ऑनलाइन भी काम करना चाहते हैं तो रजिस्ट्रेशन के समय आपको इसका उल्लेख करना होगा।
3. ऑनलाइन बिजनेस के लिए आपको अपनी कंपनी/एजेंसी के नाम का एक डोमेन भी लेना होगा।
4. कंपनी का प्रारूप तय करें, सोल प्रोप्राइटरशिप, ओपीसी, पार्टनरशिप, एलएलपी या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से एक को चुनना होगा और रजिस्ट्रार के यहां रजिस्ट्रेशन के समय इस बात का जिक्र करना होगा।
5. चूंकि आप सेवाएं देकर लाभ कमाने जा रहे हैं। इसके लिए आपको जीएसटी नंबर लेना होगा।
6. लोकल अथॉरिटी से बिजनेस लाइसेंस लेना होगा।
5. कितनी लागत आ सकती है
घर से शुरू की जाने वाली छोटे लेबल की पीआर एजेंसी के बिजनेस में अधिक लागत नहीं आती है। इस तरह की एजेंसी 50 हजार रुपये में शुरू की जा सकती है।
बड़े लेबल की कंपनी शुरू करने में अच्छी खासी लागत आती है। प्राइम लोकेशन पर एयरकंडीशन्ड ऑफिस बनाना होता है। बिजली पानी आदि का खर्चा आता है। कई कर्मचारी रखने पड़ते हैं और उनकी सैलरी देनी होती है। स्टेशनरी, क्लाइंट इंटरटेनमेंट, मीडिया इंटरटेनमेंट, एक्सपर्ट की सर्विस आदि पर खर्चा करना होता है। इस तरह के बिजनेस को शुरू करने में 5 से 7 लाख रुपये खर्चा आता है। इसमें शहर व ऑफिस के लोकेशन के आधार पर कम ज्यादा भी हो सकता है।
6. मुनाफा कितना तक हो जाता है
पीआर एजेंसी के मुनाफ के बारे में जैसे पहले ही बता दिया गया है कि छह माह तक कोई आमदनी की संभावना नहीं होती है। उसके बाद काम मिलना शुरू होता है जिसमें लागत अधिक होती है और चार्ज कम होते हैं। ऐसी स्थिति में पहले साल तो मुनाफा ना ही समझो। फिर भी कोई मुनाफा मिल जाये तो उसे आप बोनस ही समझ लीजिये। वैसे जानकार लोगों का मानना है कि शुरू-शुरू में यदि बिजनेसमैन अच्छे स्किल और अधिक बचत के साथ काम करता है तो उसे 20 से 25 प्रतिशत तक का लाभ हो सकता है। इसके जैसे जैसे समय बीतता जाता है और अनुभव बढ़ता जाता है वैसे वैसे मुनाफा भी बढ़ने लगता है। यह मुनाफा 40 से 50 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। पीआर एजेंसी के लिए आपको मार्केटिंग भी करनी होगी। उसके लिए आप सोशल मीडिया के अनेक प्लेटफामों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
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