कचरे और रद्दी की मात्रा दिन-ब-तेज़ी से बढ़ती जा रही है। ऐसे में रीसायकल करने का बिज़नेस, एक काफी अच्छा आईडिया है। भारत में कम लागत में हो सकने वाले इस बिज़नेस में ग्रोथ के भी काफी अच्छे स्कोप हैं। मशीन, इक्विपमेंट, जमीन, बिजली, पानी, लेबर आदि का अरेंजमेंट 3 से 15 लाख रूपए में किया जा सकता है। कॉस्ट आपके बिज़नेस के स्तर पर भी निर्भर करती है।
यह बिज़नेस एसएमई के अंतर्गत आता है और एक लघु उद्योग कहलाता है। अच्छी लोकेशन और कबाड़ी वालों की अच्छी जानकारी के साथ इस बिज़नेस की शुरुआत की जा सकती है। कई तरह के मटेरियल रीसायकल हो सकते हैं। आप अपनी क्षमता अनुसार किसी को भी चुन सकते हैं।
प्लास्टिक रीसाइक्लिंग
प्लास्टिक भारत में एक बहुत बड़ा अवसर है। एक उचित आकार का प्लांट लगाने के लिए आपको 50 से 500 स्क्वायर फ़ीट की जमीन देखनी होगी। इसके साथ ही आपको कुछ हाई लेवल मशीनों जैसे ग्राइंडर, एंग्लो-मशीन, ग्रेन्युल मेकर, कटर, तौलने की मशीन आदि की ज़रूरत पड़ेगी।
मशीनों को चलाने के लिए बिजली की व्यवस्था भी बढ़िया होनी चाहिए। प्रदूषण कण्ट्रोल बोर्ड से अपेक्षित अनुमति लेने के लिए आपको एक फीस भी अदा करनी होगी।
जमीन की कीमत हटा भी दें तो मशीन, लेबर, प्लास्टिक कचरा खरीदना आदि जैसे सब काम मिलाकर आपका खर्च 20 लाख रूपए के लगभग हो जाएगा।
पेपर रीसाइक्लिंग
पेपर रीसाइक्लिंग का बिज़नेस दशकों से चला आ रहा है। यह सबसे सरल, परंपरागत और मशहूर बिज़नेस है। कागज़ काफी ज़्यादा मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है और रीसाइक्लिंग से इसका सप्लाई निरंतर बना रहता है। यह बिज़नेस मॉडल काफी सरल है। रद्दी की पर्याप्त उपलब्धता होने के कारण इस बिज़नेस में कच्चा माल भी आसानी से मिल जाता है।
आप 3 से 15 लाख के बीच इन्वेस्ट करके अपना पेपर रीसाइक्लिंग प्लांट स्थापित कर सकते हैं। इसके लिए आपको स्थानीय शासन प्रबंधकों और उनके सम्बंधित विभागों से अनुमति प्राप्त करने के साथ साथ बिजली, पानी आदि की व्यवस्था भी करनी होगी।
कागज़ की डिमांड पूरे विश्व में काफी अधिक है, इसलिए आप चाहें तो एक लेवल आगे बढ़कर अपने रीसायकल किये हुए कागज़ को एक्सपोर्ट कर अपना प्रॉफिट कई गुना बढ़ा सकते हैं। हालांकि घरेलु मार्किट में भी आप इस बिज़नेस में 11 से 16 प्रतिशत तक का प्रॉफिट कमा सकते हैं।
एल्युमीनियम वेस्ट रीसाइक्लिंग
एल्युमीनियम दुनिया का सबसे कम रिस्क में सबसे ज़्यादा रीसायकल किया जाने वाला मेटल है। इस धातु का उपयोग हर कोई किसी न किसी रूप में कर रहा है। एल्युमीनियम कैन्स सबसे ज़्यादा फेंके जाने वाले मटेरियल में से एक हैं। इन कैन्स या अन्य एल्युमीनियम प्रोडक्ट्स को आपको अलग-अलग तरीकों से इकठ्ठा कर अपने रीसायकल प्लांट में ले जाना होगा। यहाँ आप इसे नए प्रोडक्ट का रूप देकर 16 से 20 प्रतिशत तक का लाभ कमा सकते हैं।
500 स्क्वायर मीटर के स्टैंडर्ड एरिया में इस प्लांट को लगाने के लिए लगभग 40 लाख तक की लागत आती है। अपनी टीम में आपको एक इंजीनियर और 5 ऐसे टीम मेंबर्स की ज़रूरत होगी जिन्हें इसी फील्ड में काम करने का अनुभव हो।
यह कूड़ा इकठ्ठा करने के लिए आप डस्टबिन, रद्दी सेंटर आदि जा सकते हैं या फिर कबाड़ीवाले से भी खरीद सकते हैं। अपने रीसायकल किए हुए प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए आप इंडस्ट्रीज , एमएनसी , वेंडर्स आदि से सम्पर्क कर सकते हैं। मात्र तीन महीने में ही इस बिज़नेस से आप लाभ कमाना शुरू कर सकते हैं ।
फ़ूड वेस्ट रीसाइक्लिंग
यह सबसे ज़्यादा प्रॉफिट देने वाली ऐसी इंडस्ट्री है जिसमे भारी मात्रा में कचरा उत्पादित होता है। फ़ूड वेस्ट को एनर्जी और पावर में बदला जा सकता है। बचे हुए खाने-पीने के आइटम को खाद में बदलकर आप अपना फ़र्टिलाइज़र ब्रांड बना सकते हैं। मार्किट में फ़ूड वेस्ट आसानी से मिल जाता है।
देखा जाए तो काफी कम इन्वेस्टमेंट में आपको इस बिज़नेस में लगभग 15 प्रतिशत का ठीक-ठाक प्रॉफिट हो जाएगा। इसलिए यह ऑप्शन काफी बेहतर है।
इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट रीसाइक्लिंग
कैडमियम, फॉस्फोरस, लीड आदि युक्त इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट काफी अधिक मूल्यवान और लाभदायक होता है। परन्तु इलेक्ट्रॉनिक कचरे में कुछ खतरनाक मेटल होने के कारण, आपको सावधानियां बरतनी चाहिए। इसी कारण आपकी टीम में एक्सपर्ट्स का होना भी बहुत ज़रूरी है।
आपको सरकार द्वारा दिए गए मानदंडों के मुताबिक़ ज़रूरी अनुमतियाँ लेनी होंगी और अपने दस्तावेज तैयार करवाने होंगे। ऐसा करने से आप अपने बिज़नेस में धरती और पर्यावरण को भी साथ लेकर चल पाएंगे।
बस थोड़े एहतियातों को बरतकर आप इस बिज़नेस में अपनी इन्वेस्टमेंट पर एक अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।
कृमि खाद रीसाइक्लिंग
अगर आप किसी ग्रामीण इलाके में रहते हैं तो यह आईडिया अच्छे प्रॉफ़िट्स देकर आपकी ज़िंदगी बदल सकता है। इसके लिए आपको जानवरों के अपशिष्ट, खाना, फल सब्जियों आदि के बचे हुए वेस्ट या किसी भी बायोडिग्रेडेबल पदार्थ को कलेक्ट करना है और एक एरिया में उसे जमा करना है। ऐसा कचरा आपको मंडी जैसी जगहों पर आसानी से मिल जाएगा।
इसके बाद आपको 5 लाख रूपए मशीन के लिए खर्च करने होंगे। यह मशीन बायोडिग्रेडेबल कचरे को तेज़ी से खाद में तब्दील कर देती है। डंप करने के बाद लगभग 3 महीने मशीन में प्रोसेसिंग होती है, फिर जो फ़र्टिलाइज़र बनता है उसे आप इसकी उत्पादन लागत के 6 गुना दामों में बेच सकते हैं।
धीरे धीरे प्रोडक्शन बढ़ा कर आप अपना खुद का फ़र्टिलाइज़र ब्रांड भी खोल सकते हैं। वर्मीकम्पोस्ट यानि कृमि खाद बनाने का सबसे बड़ा फायदा यह है इसके दाम हर तीन महीने में इसकी उपजाऊ क्षमता बढ़ने के कारण बढ़ते रहते हैं।
अगर नहीं है रीसायकल प्लांट लगाने की पूंजी तो न हारें उम्मीद
अगर आपके पास रीसायकल प्लांट लगाने के लिए पैसा नहीं है ,तो आप अपना वेस्ट कलेक्शन सेंटर खोल सकते हैं जहाँ नगर निगम या अन्य लोग अपना रद्दी जैसे प्लास्टिक, एल्युमीनियम कैन, फ़ूड वेस्ट, पेपर आदि डाल पाएं।जमा किये गए कचरे को छांट कर आप सम्बंधित उद्योग या अन्य बड़े रीसाइक्लिंग सेंटर को बेच सकते हैं। इसमें आप अपना 9 से 12 प्रतिशत तक का मार्जिन रख सकते हैं। इसके लिए आपको बस अपना सेंटर खोलने, और अपनी कचरा उठाने वाली गाड़ी के आने जाने के लिए सम्बंधित अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी। समय के साथ, आप बढ़ेंगे और बिज़नेस में स्थिरता आएगी। बिज़नेस के जमने और अच्छी कमाई करने के बाद आप अपना खुद का रीसाइक्लिंग प्लांट शुरू कर सकते हैं।
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