ग्रीन मार्केटिंग क्या है? महत्व, लाभ और अन्य जानकारियां
पूरी दुनिया आज पर्यावरण प्रदूषण के बारूदी ढेर पर बैठी है। प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण प्रदूषण से होने वाली हानि को लेकर बहुत बड़ी चिंता है। प्रत्येक व्यक्ति की चिंता को देखते हुए व्यापारियों ने भी पर्यावरण प्रदूषण को लेकर अपनी चिंता हीं नहीं जतायी बल्कि अपने उत्पादों को इस तरह से बनाना शुरू किया कि उनसे पर्यावरण को किसी प्रकार की हानि न पहुंचे। इसके साथ ही अनेक उत्पादों की पैकिंग को भी ईको फ्रेंडली बनाने की कोशिश की। इसके साथ ही पर्यावरण प्रदूषण के खतरे से लोगों को जागरुक करने का प्रयास किया। अपनी मार्केटिंग में ग्रीनरी यानी ऐसी हरित वस्तुओं को जोड़ा जिससे लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित हो सके। इस तरह की मार्केटिंग को हरित विपणन, ग्रीन मार्केटिंग, ईको मार्केटिंग के रूप में पहचाना गया। इस तरह की मार्केटिंग से बहुत अच्छे नतीजे सामने आये। लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ी है। लोगों ने ग्रीन मार्केटिंग में रुचि लेना शुरू किया। अब यह ग्रीन मार्केटिंग बहुत ही लाभकारी साबित होने लगा है।
ईको फ्रेंडली सिस्टम से जुड़ी है ग्रीन मार्केटिंग
ग्रीन मार्केटिंग इस तरह की ईको फ्रेंडली मार्केटिंग है, जहां प्रोडक्ट और सर्विस को उनके पर्यावरणीय लाभ के आधार पर बढ़ावा दिया जाता है। ग्रीन मार्केटिंग को पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों यानी ईको फ्रेंडली प्रोडक्ट की मार्केटिंग के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। जो पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है और ईको फ्रेंडली प्रोडक्शन प्रक्रिया को इस्तेमाल करके उनका उत्पादन किया जाता है।
पर्यावरण के हित में किया जाता है प्रचार
ग्रीन मार्केटिंग अपने आप में एक अनूठी मार्केटिंग है। इस तरह की मार्केटिंग में प्रोडक्ट्स को उनके पर्यावरण लाभ के आधार पर लोगों के बीच प्रचारित किया जाता है। ग्रीन शब्द के इस्तेमाल का मुख्य उद्देश्य यह है कि प्रोडक्ट्स का प्रोडक्शन पर्यावरण को किसी तरह की हानि पहुंचाये बिना किया जाता है और उन प्रोडक्ट की सामग्री और पैकेजिंग भी पर्यावरण के अनुकूल ही होती है।
ग्रीन मार्केटिंग का इतिहास
इस ग्रीन मार्केटिंग का जन्म 1980 और 1990 के दशक के बीच में उस समय हुआ जब उद्योगों ने बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के प्रति अपनी चिंता जताना शुरू किया था। उसके बाद से लगातार आ रही पर्यावरण की स्थिति में गिरावट और उससे प्रभावित होकर जलवायु परिवर्तन की खराब स्थिति को देखकर आज ग्रीन मार्केट कारोबार के सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक बन गया है। ग्रीन मार्केटिंग के अभियान के साथ विभिन्न प्रोडक्ट की कंपनियां पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी रुचि दिखातीं हैं और पर्यावरण सुरक्षा के लिए अपने प्रयास को भी दर्शातीं हैं।
ग्रीन मार्केटिंग केवल ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए विज्ञापन तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसमें बहुत सी महत्वपूर्ण वस्तुएं शामिल है जैसे पर्यावरण के अनुकूल प्रोडक्ट का प्रोडक्शन करना, स्थायी व्यावसायिक प्रणाली का उपयोग करना, पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग का प्रयोग करना और मार्केटिंग अभियान को बनाना जो पर्यावरण सुरक्षा को बढ़ावा देता हो। इन सभी बदलाव के कारण ग्रीन मार्केटिंग को महंगी मार्केटिंग बन जाती है। इसके बावजूद ग्रीन मार्केटिंग कंपनी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है और कंपटीटर्स के बीच प्रतिस्पर्धा में भी बढ़त प्रदान कर सकती है। इसका कारण यह है कि आज के जमाने में अधिकांश लोग पर्यावरण को लेकर काफी जागरूक हो गये हैं और वे पर्यावरण को होने वाले नुकसान के प्रति चिंतित होते जा रहे हैं। इसलिये ऐसे लोग ईको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स को खरीदना अधिक पसंद करते हैं। ईको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स को खरीदने के लिए कुछ अधिक भुगतान करने के लिए भी तैयार हैं। ग्रीन मार्केटिंग किसी आर्गेनाइजेशन के लिए मार्केटिंग के लिए सही चुनाव है और इसके कई फायदे भी हैं। आइये जानने की कोशिश करते हैं कि ग्रीन मार्केटिंग के क्या क्या लाभ हैं:-
1. बढ़ती है कंपनी की साख
ग्रीन मार्केटिंग से पहला और सबसे अधिक महत्वपूर्ण लाभ यही मिलता है कि कंपनी या आर्गेनाइजेशन की साख बढती है। किसी भी संगठन या कंपनी को लम्बे समय में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए अच्छी छवि की आवश्यकता होती है। एक कंपनी अपने सकारात्मक दÞष्टिकोण से न केवल मार्केट में अधिक से अधिक ग्राहक को ही आकर्षित करती है बल्कि अपनी बढ़ती साख से बिजनेस पार्टनर्स को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। यदि आप अपने संगठन या कंपनी की साख तेजी से बढ़ाना चाहते हैं तो उसके लिए ग्रीन मार्केटिंग से अच्छा दूसरा कोई विकल्प हो ही नही सकता है। दूसरे शब्दों में कहें कि यही आपके लिये सबसे अच्छा विकल्प है।
2. नया अवसर मिलता है
ग्रीन मार्केटिंग किसी भी संगठन या कंपनी के लिए नये मार्केट के द्वार खोलती है। ग्रीन प्रोडक्ट का प्रोडक्शन करने के लिए और उनको बेचने के लिए कंपनियों को अपने प्रोडक्ट की प्रोडक्शन प्रक्रिया बदलाव करना पड़ता है, प्रोडक्शन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए उसमें बदलाव करना पड़ता है। इसके अलावा उसकी पैकेजिंग भी पर्यावरण के अनुकूल ही बनानी पड़ती है। ग्रीन मार्केट कम प्रतिस्पर्धा वाला नया मार्केट है। जहां आपको ग्रीन मार्केटिंग का इस्तेमाल करके नये मार्केट में प्रवेश करने का अवसर मिलता है।
3. लम्बे समय तक फायदा मिलने की संभावना
ईको फ्रेंडली ग्रीन मार्केटिंग प्रणाली को चुनना शुरू-शुरू में अवश्य महंगा पड़ सकता है लेकिन यह लंबे समय तक लाभ दिलाने वाली मार्केटिंग हैं। इसका प्रमुख कारण यह है वर्तमान समय में अधिक से अधिक लोग पर्यावरण के अनुकूल वाले प्रोडक्ट को पसंद करते हैं और आने वाले समय में इस तरह के लोगों की संख्या दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ने की संभावनाएं हैं।
4. ग्रीन मार्केटिंग कंपटीशन में आगे रखता है
ग्रीन मार्केटिंग के महंगे होने के कारण प्रत्येक कंपनी इस मार्केटिंग को अपनाने का जोखिम नही उठा सकती है। इसलिये इसका लाभ उठाने के लिए आप अपनी कंपनी को ग्रीन मार्केटिंग के रास्ते आगे बढ़ा सकते हैं। क्योंकि इस रास्ते में आपके कंपटीटरों की संख्या काफी कम हो सकती है। इसलिये यदि आप अपनी कंपनी के लिए ग्रीन मार्केटिंग अपनाते हैं तो ये आपको हमेशा कंपटीशन में सबसे आगे बनाये रखने में मदद देगी। इसका व्यापारिक लाभ आपको अवश्य ही मिलेगा।
5. इन्नोवेशन के लिए अधिक मौके मिलेंगे
जब आप ग्रीन मार्केटिंग को अपनाने का फैसला करते हैं तो तब आपको अपने प्रोडक्शन की प्रक्रिया को नये सिरे से बनाने की आवश्यकता होती है और आप अपने प्रोडक्ट के कच्चे माल में पर्यावरण अनुकूल सामग्री के रूप में बदलाव करते हैं तो इससे आपको अपने प्रोडक्ट के इन्नोवेशन यानी कुछ अलग हटकर तैयार करने का अवसर मिलता है। इसके साथ ही आप अपने ग्राहकों को ईको फ्रेंडली लाभ देने के साथ ही आप उन्हें अन्य कई तरह के लाभ देते हैं, जो आपके बिजनेस के लिए सोने पर सुहागा साबित होगा।
6. अधिक मुनाफे की संभावना
इको फ्रेंडली प्रोडक्ट को तैयार करने में अधिक लागत आती है। इसके लिए बिजनेसमैन को अपने प्रोडक्ट के रेट अधिक रखने चाहिये। साथ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिये कि उसके प्रोडक्ट की क्वालिटी बहुत अच्छी होनी चाहिये। इससे वे लोग थोड़ा ज्यादा पैसा देने में परहेज नहीं करेंगे, जो पर्यावरण के अनुकूल वाली सामग्री खरीदना चाहते हैं। आपको शुरुआत में ईको फ्रेंडली प्रणाली से बनायी गयी वस्तुओं की अपनी लागत वसूलने में भले ही थोड़ा समय लगे लेकिन एक समय बाद आप अपने कंपटीटरों से काफी आगे निकल सकते हैं क्योकि लोगों को पर्यावरण प्रदूषण का खतरा सता रहा है और ईको फ्रेंडली प्रोडक्ट ही खरीदना पसंद करते हैं और ऐसे लोगों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।
7. पर्यावरण सुरक्षा का मिलेगा लाभ
ग्रीन मार्केटिंग से आपको केवल पैसा कमाने का ही लाभ नहीं मिलेगा बल्कि इससे आप पर्यावरण की सुरक्षा का भी लाभ अर्जित कर सकते हैं। आज आप पर्यावरण की सुरक्षा करके मानव सेवा तो कर ही रहे हैं और साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। इसका लाभ आपको अकेले नहीं मिलने वाला बल्कि मानव जाति और उसकी पीढ़ियों को स्वच्छ एवं स्वस्थ पर्यावरण का लाभ मिलेगा। आपका यह छोटा प्रयास बहुत बड़े लाभ का कारण बन सकता है। यदि आपने अभी ग्रीन मार्केटिंग करके लाभ उठाना नहीं शुरू किया है तो देर न करें। यही आपके लिए सुनहरा मौका है।
ग्रीन मार्केटिंग के महत्व
- ग्रीन मार्केटिंग से पर्यावरण और व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक यानी पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है।
- ग्रीन मार्केटिंग की वजह से लोग शुद्ध उत्पाद यानी प्योर प्रोडक्ट खरीदना पसंद करते हैं।
- ग्रीन मार्केटिंग से प्लास्टिक और प्लास्टिक से बने उत्पादों का इस्तेमाल कम से कम किया जा सकता है।
- ग्रीन मार्केटिंग की वजह से हर्बल प्रोडक्ट्स को बढ़ावा मिलता है और उनकी लोकप्रियता भी तेजी से बढ़ती है।
- ग्रीन मार्केटिंग का बाजार पर तो प्रभाव पड़ता ही है साथ ही खेती-किसानी पर भी प्रभाव पड़ सकता है। किसान खेतों में रासायनिक खादों की जगह पर जैविक खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- ग्रीन मार्केट में पैकिंग आदि में वस्तुओं का इस्तेमाल के बाद रिसाइकिल होने से पर्यावरण को किसी तरह की हानि नहीं होतो है।
- पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रण करने के उपायों को महत्व मिलता है।
- ग्रीन मार्केटिंग से हम अपने ग्रह पृथ्वी को स्वस्थ और सुंदर बना सकते हैं। यदि हम ग्रीन मार्केटिंग नहीं अपनायेंगे तो हम न तो अपने लिये और न ही आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित रहने का स्थान ही दे पायेंगे।
भारत में ग्रीन मार्केटिंग के लिए चुनौतियां
- भारत में ग्रीन मार्केटिंग नया विचार यानी नया कांसेप्ट है। इस कांसेप्ट को लोग जल्दी से समझ नहीं पा रहे हैं। इसको समझने और समझाने में थोड़ा वक्त लगेगा। जब लोग इस ग्रीन मार्केटिंग के फायदे और पर्यावरण के होने वाले लाभ के बारे में जान जायेंगे तब यह कांसेंप्ट लोगों के बीच लोकप्रिय होने लगेगा और उसके बाद ही ग्रीन मार्केटिंग का लाभ मिलने लगेगा।
- ग्रीन प्रोडक्ट को जिस तरह की रिसाइक्लेबल और रिन्यूएबल सामग्री की आवश्यकता होती है, वह बहुत महंगी है। इसका इस्तेमाल हर कंपनी या प्रोडक्ट निर्माता नहीं कर पाते हैं।
- ग्रीन मार्केटिंग के शोध और विकास यानी रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट में भारी इन्वेस्टमेंट की आवश्यकता होती है।
- जल शोधन तकनीक यानी वॉटर ट्रीटमेंट टेक्नोलॉजी भी महंगी है।
- लोगों द्वारा ग्रीन मार्केटिंग को नजरंदाज करने की बड़ी समस्या है।
- लोग ग्रीन मार्केटिंग पर होने वाले अधिक खर्च की कीमत देने को तैयार नहीं हैं।
- स्थापित उद्योगों द्वारा ग्रीनमार्केटिंग को पूर्ण सहयोग नहीं मिल पा रहा है।
- भारत के अधिकांश लोग विदेशी प्रोडक्ट के प्रति अधिक आकर्षित रहते हैं।
- अधिकांश कंपनियों द्वारा हर्बल प्रोडक्ट के प्रोडक्शन को महत्व नहीं दिया जाता है।
- भारत में लोग ग्रीन मार्केटिंग के महत्व से अनभिज्ञ हैं और लोग इस बारे में जानना भी नहीं चाहते हैं क्योंकि उन्हें पर्यावरण प्रदूषण की परवाह नहीं है।
ग्रीन मार्केटिंग को बढ़ावा दिये जाने वाले खास टिप्स
1. अधिक से अधिक लोगों को पर्यावरण प्रदूषण के खतरों से आगाह किया जाये और उन्हें ग्रीन मार्केटिंग के कुदरती लाभ के प्रति जागरुक किया जाये।
2. मानव जीवन में ग्रीन मार्केटिंग को आवश्यक बना दिया जाये। सुबह से शाम तक प्रत्येक कार्य को ईको फ्रेंडली बना दिया जाये। इससे लोगों को ग्रीन मार्केटिंग की आदत सी पड़ जाये तो पर्यावरण अपने आप स्वच्छ हो जायेगा।
3. कंपनी को चाहिये कि अपने कस्टमर यानी ग्राहक को ग्रीन मार्केटिंग के बारे में कारण बता कर उन्हें प्रभावित करें ताकि वे ग्रीन मार्केटिँग के प्रति के प्रति आकर्षित हो सकें।
4. पर्यावरण प्रदूषण विरोधी अभियान में अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जाये तथा उन्हें मानसिक रूप से पर्यावरण संरक्षण के लिए तैयार किया जा सके।
5. कंपनियों को चाहिये कि वे अपने ग्राहकों को पर्यावरण संरक्षण के लिए अनेक तरह से प्रभावित करें। इससे जहां ग्राहकों को लाभ होगा। जब ग्राहकों को लाभ होगा तो वे अधिक से अधिक इको फ्रेंडली वस्तुएं खरीदना पसंद करेंगे। इससे इस बिजनेस कर रहे लोगों को भी फायदा होगा।
6. ग्रीन मार्केटिंग से सबसे बड़ा लाभ पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में मिलेगा।
7. ग्रीन मार्केटिंग से कंपनियों को उनके प्रोडक्ट की लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
ग्रीन मार्केटिंग की रणनीति ऐसे बनाएं
1. आप जब अपना ग्रीन मार्केटिंग का अभियान चलायें तो लोगों को यह महसूस हो कि आप उनके सहयोगी और उनके शुभचिंतक हैं और उनका फायदा कराने वाले हैं। लोगों से अभियान का हिस्सा बनने का अनुरोध करें।
2. ग्रीन मार्केटिंग को जमाने में समय लगता है। जब शुरू करें और जो लोग आपसे जुड़ते जायें तो उनसे अपनी मार्केटिंग की प्रोग्रेस के बारे में लगातार जानकारी देते रहे। इससे लोग आपसे सम्पर्क में रहेंगे और आपकी जानकारी से प्रभावित भी होंगे। इससे आपको अपनी मार्केट भी मिल जायेगी और लोगों को यह सुविधा होगी कि आपके द्वारा तैयार किये गये प्रोडक्ट को पसंद कर सकेंगे।
3. रिसाइकिलिंग ग्रीन मार्केटिंग की लागत को प्रभावित करने की सबसे अच्छी रणनीतियों में से एक है। अनेक बड़ी-बड़ी कंपनियां इस रणनीति को अपनातीं हैं और वे आज कामयाब हैं। यहीं नहीं इन कंपनियों की ग्राहकों के बीच में अच्छी खासी साख भी है।
4. रिसाइकिल के लिए कंपनियां अपने ग्राहकों से टूटे हुए या इस्तेमाल किये अपने प्रोडक्ट को वापस मंगा लेतीं हैं और उन्हें फिर से तैयार करके दे देतीं हैं या उनके बदले में नया प्रोडक्ट दे देतीं हैं। इससे ग्राहकों के बीच कंपनी अधिक लोकप्रिय बन जाती हैं।
5. ग्रीन मार्केटिंग के लिए कंपनी अपनी पैकेजिंग पर विशेष ध्यान देना चाहिये। आज के समय में जब अधिकांश लोग ऑनलाइन सामान मंगाते हैं। इसमें कंपनियों को ईको फ्रेंडली पैकेजिंग का इस्तेमाल करना चाहिये। इससे कार्बन उत्सर्जन वाली प्लास्टिक व प्लास्टिक से बनी पैकेजिग का इस्तेमाल कम हो सकेगा और लोगों की नजर में आपकी कंपनी पर्यावरण बचाने वाली कंपनी बनेगी। इससे लोग आपके प्रति अधिक आकर्षित होंगे।
ग्राहकों का विश्वास जीतने का प्रयास करें
ग्रीन मार्केटिंग करने वालों को अन्य बिजनेस करने वालों से अलग हटकर प्रयास करने होंगे। उन्हें ग्राहकों के बीच कुछ जोखिम भी उठाने होंगे। उनके बीच हर तरह की जानकारी देनी होगी। साथ ही अपनी साख बनाने के लिएपूरी तरह से ईमानदारी बरतनी होगी और अपनी प्रत्येक रणनीति के लिए पारदर्शिता भी अपनानी होगी।
ग्रीन मार्केटिंग अपनाने से आपके प्रोडक्ट की कीमत बढ़ती है। इसके लिए आप ग्राहकों को पूरी जानकारी दें। उन्हें यह बताने की कोशिश करें कि आप ये बिजनेस पूरी तरह से पैसा कमाने के लिए ही नहीं कर रहे हैं बल्कि आपको भी उनकी तरह पर्यावरण संरक्षण की चिंता है।
आपको अपने प्रोडक्ट की कीमत तय करते समय ग्राहकों को विश्वास में लें और उन्हें बतायें कि जो उनसे अतिरिक्त पैसा लिया जा रहा है। उसका पर्यावरण संरक्षण में कहां और किस प्रकार से खर्चा किया जा रहा है, वो सारी जानकारी अपने ग्राहकों को देंगे तो आपके प्रति उनका विश्वास बढ़ेगा।
आपके ग्रीन प्रोडक्ट की कीमत अन्य साधारण प्रोडक्ट से अधिक होगी तो आपको अपने ग्राहकों को सारी बातें बता कर उनका विश्वास जीतना होगा। साथ ही आपको अपने प्रोडक्ट के बारे में वहीं जानकारी देनी होगी जो वास्तविक हो। इसमें जरा सी हेरफेर होने पर आपकी कंपनी की साख खराब हो जायेगी। साथ ही आपकी तरह अन्य ग्रीन मार्केट से जुड़ी कंपनियों पर भी लोग शक करने लगेंगे।कंपनियों को ग्राहक तक पहुंचने व उन्हें समझाने के लिए समाज के बीच में एक्टिव समाजसेवी संस्थाओं, एनजीओ का भी सहारा लेना चाहिये। माउथ पब्लिसिटी का सहारा लेना भी उत्तम रहेगा।
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