कॉटन यानी कपास सूती धागों का मुख्य स्रोत है। इन धागों का विभिन्न तरह के कपड़े बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। ये कपास हमें खेतों से गांठ वाली रुई के समान प्राप्त होता है। कपास के पौधे की खेती की जाती है। इस पौधे में फूल और फल के आकार में रुई प्राप्त होती है। इस रुई में उस पौधे का बीज भी होता है। इस बीज को आम वोलचाल की भाषा में कपास का बिनौला कहते हैं। रुई को बिनौला से अलग करते हैं तब उसे खाली रुई कहते हैं। इस खाली रुई को साफ करने के बाद उसे मशीनों के माध्यम से कताई की जाती है। रुई को कात करके धागा तैयार किया जाता है। इस धागे से तरह-तरह के कपड़े तैयार किये जाते हैं। जिनका इस्तेमाल प्रत्येक व्यक्ति करता है।
भारत में सबसे पहले हुई थी कपास की खोज
ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी में भारत में कपास की खेती का प्रचलन था। इतिहास गवाह है कि कपास की खोज सबसे पहले भारत में हुई थी। यहीं से इसके धागे बनाने का काम शुरू हुआ था। जब उद्योग क्रांति नहीं हुई थी तब भारत के लोक लकड़ी व लोहे के बने तकुवे से सूत काता करते थे। इस सूत से कपड़े तैयार किये जाते थे। आपने गांधी जी को तो चरखा चलाते हुए देखा ही होगा। वो सूत तैयार करने का भारतीय व देशी तरीका था। उद्योग क्रांति के बाद सम्पन्न ब्रिटेन और अमेरिका ने कपास की खेती को विस्तार रूप दिया और कपड़े बनाने की मशीने तैयार कीं। इसके बाद ही आधुनिक टेक्सटाइल उद्योग यानी कपड़ा उद्योग का स्वरूप सामने आया। आज दुनिया में चकाचौंध वाले कपड़े जो देखने को मिल रहे हैं, जिनसे फैशन उद्योग भी जगमगा रहा है, ये सब इसी कॉटन की ही देन हैं।
भारत सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश
भारत विश्व का सबसे बड़ा कॉटन उत्पादक देश है। इसके बाद चीन और अमेरिका नंबर आता है। देश के विभिन्न राज्यों में लगभग 133 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती की गयी और इससे 371 लाख गांठ का उत्पादन किया गया। कपास से संबंधित टेक्सटाइल उद्योग का भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। टेक्सटाइल उद्योग का भारत की जीडीपी में 5 प्रतिशत का अपना योगदान देता है। यह भारत के आईआईपी यानी इंडेक्स आफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन का 14 प्रतिशत है। कहने का मतलब यह है कि भारत में जितने औद्योगिक उत्पादों का उत्पादन होता है उसमें से टेक्सटाइल का हिस्सा 14 प्रतिशत का है। इस तरह से देखा जाये तो भारत में कॉटन से जुड़े व्यवसायों में टेक्सटाइल उद्योग ही सबसे अच्छा व्यवसाय है। इससे जुड़ा कोई भी कार्य किया जा सकता है।
दो तरह से किया जाता है कपास का औद्योगिक उपयोग
कॉटन औद्योगिक इस्तेमाल दो तरह से किया जा सकता है। एक तो कॉटन से मिलने वाली रुई का औद्योगिक उत्पादन एवं व्यवसाय किया जाता है। दूसरा कॉटन सीड यानी कपास के बिनौले से भी कॉमर्शियल प्रोडक्ट तैयार किये जाते हैं। अब चूंकि रुई से बनने वाले तरह-तरह के कपड़ों का व्यापार बहुत ही व्यापक है और इसकी डिमांड विश्व के प्रत्येक व्यक्ति की होती है। इसलिये कपड़ों का व्यवसाय कॉटन से जुड़ा सबसे अच्छा बिजनेस माना जाता है।
कॉटन सीड यानी बिनौला का व्यापारिक उपयोग एवं संभावनाएं
कॉटन सीड यानी बिनौला कपास का एक उत्पाद है। इस बिनौले का तेल निकाला जाता है। इस तेल से अनेक उपयोगी वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। मुख्यत: इस बिनौले के तेल का उपयोग साबुन, मेकअप और मोमबत्ती उद्योग में किया जाता है। इसका बिजनेस सीमित क्षेत्र में होने के कारण इसे कम ही लोग करते हैं।
टेक्सटाइल उद्योग की व्यापारिक संभावनाएं
टेक्सटाइल उद्योग यानी कपड़ा उद्योग की संभावनाएं मानव सभ्यता से जुड़ी हुर्इं हैं। जब तक मानव इस दुनिया में रहेगा तब तक यह व्यवसाय चलता रहेगा। कपड़ा ऐसी चीज है जो प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यक आवश्यकता की वस्तु है। मानव जीवन के लिए रोटी यानी खाना सबसे जरूरी है उसके बाद कपड़ा सबसे जरूरी होता है। इसलिये यह कहा जाता सकता है कि टेक्सटाइल उद्योग में पूरा संसार ही समाया हुआ है। इस उद्योग में इतनी सारी वैरायटी के प्रोडक्ट हैं कि जिनको आसानी से गिना नहीं जा सकता है। इन वैरायटियों की खास बात यह है कि सभी की इतनी जबर्दस्त मांग है कि उसको पूरा कर पाना आसान नहीं होता है। अब ये बिजनेस मैन पर निर्भर करता है कि वह कॉटन से जुड़े टेक्सटाइल बिजनेस के किस प्रोडक्ट का बिजनेस शुरू करे। टेक्सटाइल उद्योग के सभी प्रोडक्ट में अच्छा खासा मुनाफा भी मिलता है।
भारतीय निर्यात की आय 13 प्रतिशत टेक्सटाइल से होती है
टेक्सटाइल व गारमेंट उद्योग का भारतीय उद्योग के कुल औद्योगिक उत्पादन में 14 प्रतिशत का महत्वपूर्ण योगदान है। भारतीय निर्यात से होने वाली आय में 13 प्रतिशत इस उद्योग की हिस्सेदारी है। इसका मतलब यह है कि यह व्यवसाय भारत में बहुत ही अधिक आमदनी वाला है और इसकी मार्केट बहुत बड़ी है । इस सदाबहार बिजनेस की भारत में बहुत अधिक संभावनाएं हैं।
टेक्सटाइल उद्योग के प्रमुख प्रोडक्ट
- सूती धागा
- बुने हुए कपड़े भारी कपड़े
- पहनने वाले कपड़े
- बेडशीट्स, टॉवल्स, अंडरगारमेंट आदि
- घर को सजाने वाले परदे, कवर आदि का व्यवसाय
1. सूती धागा का व्यवसाय
सूती धागा का व्यवसाय किया जाता है। यह व्यवसाय बहुत बड़ा व्यवसाय है। सूती धागा का व्यवसाय टेक्सटाइल उद्योग की नींव के समान है। सूती धागे के व्यवसाय के बिना टेक्सटाइल इंडस्ट्री की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। सूती धागे की अनेक वैरायटियां हैं। जैसे मोटे तिरपाल, टेंट, बनाने के लिए कैनवास, दरी, कालीन आदि के काम आने वाला धागा, बेड शीट, रजाई, गद्दे के कवर, दरवाजे व खिड़कियों के पर्दे के काम आने वाला धागा, पहनने वाले कपड़े पैन्ट शर्ट, कुर्ता पाजामा, महिलाओं के वस्त्र सलवार सूट,साड़ी,ब्लाउज, पेटीकोट आदि को बनाने वाला धागा, अंडरगारमेंट बनाने वाला धागा आदि हैं, जिनका अलग-अलग व्यवसाय किया जाता है। इस व्यवसाय में मुनाफा एक सीमा तक ही रहता है। इसका कारण यह है कि धागा एक मिल में बिजनेस मैन द्वारा बनवाया जाता है और उसे दूसरे बिजनेस मैन यानी कपड़ा तैयार करने वाले को बेचा जाता है। इसलिये धागे का व्यवसाय काफी अच्छा और सदाबहार है।
2. बुने हुए कपड़े का व्यवसाय
हालांकि सभी तरह के कपड़े बुने ही जाते हैं लेकिन टेक्सटाइल उद्योग में बुने कपड़े की एक अलग वैरायटी बनायी गयी है। इन बुने हुए कपड़ों का मतलब मोटे कपड़ों से है। इस तरह के कपड़ों में कैनवास यानी टेन्ट, तिरपाल, दरी, कालीन आदि को रखा गया है। इनका उत्पादन व व्यवसाय करके अच्छी खासी कमायी की जा सकती है।
3. पहनने वाले कपड़े
पहनने वाले कपड़े की वैरायटी से मतलब पुरुष, महिला, नवजात शिशू, किशोर, युवा लड़के व लड़कियां व बुजुर्ग के पहनने के काम आने वाले कपड़े से होता है। इस वैरायटी में पैंट,शर्ट, कमीज, कुर्ता, पाजामा, अंडर गारमेंट, रूमाल, साड़ी, ब्लाउज, पेटीकोट, सलवार सूट, बेबी सूट, बच्चों के कपड़े शामिल किये गये हैं। इस तरह के कपड़ों का आशय मार्केट में उपलब्ध कपड़ों को खरीद कर उनसे अपनी जरूरत के पहनने वाले वस्त्र टेलर के यहां सिलवाना होता है।
टेक्सटाइल उद्योग की इस शाखा में रेडीमेड गारमेंट का व्यवसाय भी जुड़ गया है। लगभग तीन दशकों से जुड़े इस व्यवसाय की सबसे अधिक मांग है। पूरे विश्व में रेडीमेड गारमेंट की बहुत बड़ी मार्केट बन गयी है। इस व्यवसाय में नवजात शिशु से लेकर बुजुर्ग व्यक्तियों तक की जरूरत वाले सारे प्रोडक्ट तैयार किये जाते हैं। ये रेडीमेड गारमेंट बिना किसी इंतजार के तुरन्त मिल जाते हैं। ये प्रोडक्ट कपड़ा लेकर सिलवा कर तैयार कराने से बहुत सस्ते भी पड़ते हैं। सिलाई कराकर तैयार कराने वाले परम्परागत कपड़ों की अपेक्षा रेडीमेड गारमेंट डिजाइनों और क्वालिटी में भी बहुत अच्छे रहते हैं। इन कपड़ों में समय समय पर तेजी से परिवर्तन भी आते रहते हैं। लेटेस्ट डिजाइन के कपड़े आने से इनकी डिमांड काफी अधिक है।
4. बेडशीट्स, टॉवल्स, अंडरगारमेंट आदि
प्रत्येक घर में आराम करने व सोने के लिए इस्तेमाल की जरूरत के लिए बेड शीट्स, ओढ़ने वाली चादरें, रजाइयां, टॉवल, गमछा व अंडरगारमेंट का व्यवसाय भी काफी अच्छा है। इस तरह के प्रोडक्ट की डिमांड मार्केट में हमेशा बनी रहती है। इस व्यवसाय से व्यापारी अच्छी कमाई कर सकता है।
5. घर को सजाने वाले परदे, कवर आदि का व्यवसाय
प्रत्येक घर में इस्तेमाल के लिए दरवाजों और खिड़कियों के परदे, सोफा सेट कवर, सहित कई अन्य ऐसे उत्पादों की जरूरत होती है। इन चीजों का भी व्यवसाय करके अच्छी कमाई की जा सकती है।
क्षमता, अनुभव के आधार पर बिजनेस के लिए प्रोडक्ट को चुनें
कुल मिलाकर यह निष्कर्ष निकला कि कॉटन से जुड़ा सबसे अच्छा व्यवसाय टैक्सटाइल बिजनेस का है। व्यवसायी चाहे तो इनमें से दी गयी वैरायटी में से सारे बिजनेस या कोई एक बिजनेस चुनकर आसानी से कर सकता है। इस सदाबहार बिजनेस करके व्यवसायी को कभी निराश नहीं होना पड़ेगा। यह व्यापारी की क्षमता व उसकी पसंद तथा अनुभव पर यह निर्भर करता है कि वह टेक्सटाइल इंडस्ट्री के किस प्रोडक्ट को अपने व्यवसाय के रूप में चुनता है।
1. यदि कपड़ा उद्योग में भी सबसे अच्छे व्यवसाय को चुनना हो तो उसके लिए व्यापारी को बहुत ही गम्भीरता से सोचना होगा। उसको इन व्यवसायों को शुरू करने से पहले अपनी पॉकेट देखनी होगी। यदि उसके पास अच्छी पूंजी है और चाहता है कि उसका व्यवसाय अधिक मेहनत किये बिना चलता रहे तो उसके लिए उसे धागा का उद्योग लगाना चाहिये। धागा का व्यवसाय एक सीमित आमदनी वाला बड़ा कारोबार है। यदि उसके बाद चाहे तो वह कपड़ा बनाने यानी मैन्युफैक्चर का काम कर सकता है। कपड़े बनाने में भी वह पहनने वाले कपड़े, घर को सजाने वाले कपड़े, घर के बेड्स से संबंधी कपड़े बनाकर भी व्यवसाय कर सकता है।
2. इसके बाद रेडीमेड के व्यवसाय में मैन्यूफैक्चर का काम कर सकता है। उसके बाद व्यवसायी के लिए होलसेल बिजनेस का विकल्प है। इसके बाद डीलरशिप या फ्रेंचाइजी लेकर भी बिजनेस शुरू करके अच्छी कमाई की जा सकती है। इसके अलावा ग्राहक को सीधे बेचने के लिए रिटेल का काम भी करके अच्छी आय हासिल की जा सकती है।
सबसे अच्छे व्यवसाय का चुनाव कैसे करें?
भारत की आबादी में शामिल 70 प्रतिशत युवाओं की पसंद को देखते हुए बिजनेस करने में व्यापारी को अधिक लाभ मिल सकता है। वैसे भी भारत की जलवायु में काफी समय से परिवर्तन आने के बाद अब साल के 12 महीनों में से लगभग 10 महीने तक गर्मी या हल्की गर्मी का सीजन रहता है। इस सीजन में सूती कपड़ों की सबसे अधिक मांग होती है। इस मांग को देखते हुए व्यापारी को इस व्यवसाय को चुनना अधिक लाभ प्रद होगा। यह व्यवसाय ऐसा है कि भारत में कहीं भी यानी गांव, कस्बे, शहर, महानगर, मेट्रो सिटी में शुरू किया जा सकता है। इस व्यवसाय को ऑफ लाइन और ऑनलाइन किया जा सकता है। इस बिजनेस को छोटे से छोटे स्तर से लेकर बड़े पैमाने तक किया जा सकता है। इस बिजनेस की खास बात यह भी है कि कोई व्यवसायी चाहे तो कम से कम बजट में फेरी लगाकर, ठेली पर भी शुरू कर सकता है। यदि चाहे तो शॉपिंग माल में अच्छा सा शोरूम खोलकर बिजनेस शुरू कर सकता है। इसके अलावा थोक मार्केट व अन्य परम्परागत मार्केट में शॉप खोल कर बिजनेस तो किया ही जा सकता है।
क्या हैं इस बिजनेस की विशेषताएँ?
युवाओं की पसंद को देखते हुए रेडीमेड गारमेंट का व्यवसाय सबसे अच्छा माना जा सकता है। इस व्यवसाय के लिए व्यापारी को कम मेहनत व कम पूंजी में अधिक लाभ कमाने के काफी अवसर हैं। इस बिजनेस में प्रोडक्ट की इतनी वैरायटियां हैं कि चाहकर भी कोई एक व्यापारी सबका व्यवसाय नहीं कर सकता है। इसलिये इस बिजनेस में व्यापारियों की संख्या चाहे जितनी बढ़ जाये तब भी किसी खास प्रोडक्ट के विशेषज्ञ व्यापारी की जरूरत हमेशा ही बनी रहती है। इसलिये इस बिजनेस को चुनना घाटे का सौदा नहीं होगा। इसके लिए आपको केवल बिजनेस करना आता हो। यदि बिजनेस करना नहीं भी आता हो तो उसके लिए पहले आप किसी से ट्रेनिंग ले लें। यह आपके और आपके बिजनेस दोनों के लिए लाभप्रद होगा।
रेडीमेड गारमेंट का बिजनेस क्यों है सबसे अच्छा व्यवसाय
रेडीमेड गारमेंट को कॉटन से जुड़ा सबसे अच्छा व्यवसाय क्यों कहा जा सकता है। इसके अनेक कारण हैं, इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-
1. सबसे पहला कारण यह है कि देश में सबसे अधिक आबादी युवाओं की है। इन युवाओं में लगभग 100 प्रतिशत रेडीमेड गारमेंट को पसंद करते हैं। भारत की रेडीमेड गारमेंट की मार्केट विश्व की सबसे बड़ी मार्केट है। इसलिये देश के उत्पादकों के अलावा विदेशी कंपनियां अपना माल यहां बेच कर काफी मुनाफा कमा रहीं हैं।
2. रेडीमेड गारमेंट बिजनेस इसलिये सबसे अच्छा बिजनेस है क्योंकि इसके प्रोडक्ट की उपलब्धता बहुत ही आसान है। इस बिजनेस के मैन्यूफैक्चर इतने अधिक हैं कि उनका माल ही इस बिजनेस के लिए काफी है।
3. इस बिजनेस की खास बात यह है कि गांव, कस्बा, शहर, महानगर, मेट्रो सिटी में यानी कहीं भी आसानी से चल सकता है। इन सभी जगहों में इस बिजनेस के प्रोडक्ट की अच्छी खासी मांग है। यह मांग हमेशा बनी रहती है।
4. सिलाई वाले कपड़ों से सस्ते और अच्छी डिजाइन के होने के कारण रेडीमेड गारमेंट की मांग काफी अधिक है। न कपड़े खरीदने का झंझट, न सिलाई का झंझट, न ही सिलने का इंतजार ही करना और न ही सिलाई में अनफिट कपड़ों को लेकर वाद विवाद की कोई संभावना। आप तुरन्त शोरूम या शॉप में जाइये।अपने मनपसंद कपड़े को छांटिये, चेंजिंग रूम में फिटनेस देखिये और इस्तेमाल करना शुरू कर दीजिये।
5. थोक मंडी में रेडीमेट कपड़ों के सस्ते दामों से आम उपभोक्ता परिचित नहीं होते हैं। इस स्थिति का व्यापारी लाभ उठा कर अपने हिसाब से मुनाफा कमा सकता है। लम्बे समय तक बिजनेस चलाने वाला बिजनेस मैन कम मुनाफे पर अधिक माल बेचने की रणनीति बनाता है। दूसरा बिजनेसमैन मौका देखकर अपने मुनाफे को घटाता बढ़ाता रहता है।
6. त्योहारों, पर्वों पर रेडीमेड गारमेंट की डिमांड बहुत अधिक बढ़ जाती है, उस समय तो बिजनेस मैन को ग्राहकों की डिमांड पूरी करनी मुश्किल हो जाती है। इन अवसरों पर भी व्यापारी को काफी अच्छा लाभ मिलता है।
7. आज के जन्मे शिशु के लिए बाबा सूट, जूते मोजे, थोड़े बच्चों के लिए बेबी सूट, जूते मोजे, उससे बड़े बच्चों के लिए हाफ पैंट, टीशर्ट, अंडर गारमेंट, स्कूली बच्चों के लिए ड्रेस, युवाओं के लिए जीन्स, टीशर्ट, ट्राउजर्स शर्ट आदि , लड़कियों के लिए सलवार सूट, लैगी, पाजामा, स्लैक्स, गाउन, टॉप आदि, पुरुषों के लिए जीन्स, पैन्ट, कुर्ता पाजामा, ट्राउजर्स, टीशर्ट अंडर गारमेंट कच्छा बनियान, रूमाल, मोजे, महिलाओं के लिए साड़ी, ब्लाउज, पेटीकोट, अंडर गारमेंट, बुजुर्ग महिलाओं व पुरुषों के लिए जरूरत वाले सारे कपड़े रेडीमेड गारमेंट उद्योग में आते हैं। इस कारण रेडीमेड गारमेंट का बिजनेस बहुत ही अच्छा और लाभकारी है।
8. देश के कोने-कोने में रेडीमेड गारमेंट के मैन्यूफैक्चर और थोक मार्केट के होने से यह व्यवसाय हर जगह करना बहुत ही आसान और फायदे वाला है। प्रत्येक क्षेत्र के मैन्यूफैक्चरर्स अपने स्थानीय ग्राहकों की पसंद और उनकी मांग के अनुरूप प्रोडक्ट तैयार करते हैं। ये प्रोडक्ट सस्ते इसलिये तैयार किये जाते हैं ताकि फैशन बदलने पर कपड़ों को आसानी से नया खरीदा जा सके।
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