लागत, मुनाफा व अन्य जानकारियां
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत के घर-घर में इस्तेमाल होने वाले डिटर्जेंट वाशिंग पाउडर की बहुत अधिक डिमांड है। इस सदाबहार बिजनेस की भारत में अपार संभावनाएं हैं। इस बिजनेस की खास बात यह है कि डिटर्जेंट बनाने वाली नेशनल व इंटरनेशल ब्रांड की कंपनियां चाहे जितना जोर लगा लें किसी भी मार्केट में लोकल लेबल पर छोटी कंपनियों को व्यापार करने से नहीं रोक सकतीं। इसका प्रमुख कारण यह है कि उनके प्रोडक्ट की क्वालिटी के समान लोकल कंपनियां प्रोडक्ट तैयार करके बहुत कम दाम पर बेचतीं हैं।
लोकल कंपनियों क्यों हो जातीं है कामयाब
इस बिजनेस के अनुभवी लोगों का कहना है कि नेशनल लेबल पर कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट को ब्रांड बन लेती है। उसको मार्केट में उतार देती है लेकिन उसका मार्केटिंग, प्रोडक्शन व ट्रांसपोर्टिंग पर इतना अधिक खर्चा हो जाता है कि वो प्रोडक्ट मार्केट में पहुंचत- पहुंचते इतना महंगा हो जाता है कि उसे कम आमदनी वाला व मध्यम वर्ग का व्यक्ति नहीं खरीद पाता है। इसके अलावा ब्रांडेड कंपनियों के प्रोडक्ट में दुकानदारों को मुनाफा भी बहुत कम मिलता है। इसलिये रिटेलर ब्रांडेड कंपनी के प्रोडक्ट को अपनी दुकान में बहुत कम ही मात्रा में रखता है। वो भी इसलिये रखता है ताकि उसका कोई ग्राहक एक वस्तु के न होने से वापस न लौट जाये।
कम पैसे में अच्छी क्वालिटी का प्रोडक्ट देतीं हैं छोटी कंपनियां
दूसरी ओर बड़ी कंपनियों की अपेक्षा लोकल लेबल की छोटी कंपनियां भी लगभग उसी क्वालिटी का डिटर्जेट पाउडर बहुत सस्ते दाम पर मार्केट में उपलब्ध करातीं हैं जिसे लोग उसको पसंद करने लगते हैं। जैसे एक कंपनी ने अपना स्लोगन ही दे रखा है कि पहले इस्तेमाल करें फिर विश्वास करें। वैसे भी लोग पहले इस्तेमाल करके लोकल डिटर्जेंट पाउडर को परख लेते हैं। यदि उन्हें उसकी क्वालिटी और रेट पसंद आता है तो वे फिर लोकल प्रोडक्ट को ही प्राथमिकता देते हैं क्योंकि उन्हें साफ-सफाई से काम, कंपनियों के नाम के लिए अधिक पैसे क्यों खर्च करें। इसलिये इस बिजनेस को लोकल लेबल पर शुरू करना फायदे का सौदा है।
वाशिंग मशीन के प्रचलन ने बढ़ा दी डिटर्जेंट पाउडर की मांग
आज के बदले जमाने में डिटर्जेंट पाउडर का ही ऐसा बिजनेस है जो अपने धुलाई-सफाई के क्षेत्र में सबसे अधिक फल-फूल रहा है। उसका कारण यह है कि आज के आधुनिक जमाने के परिवारों में वाशिंग मशीनों को बहुतायत से इस्तेमाल होता है। वाशिंग मशीन में डिटर्जेंट पाउडर का ही इस्तेमाल होता है। वाशिंग मशीन के चलते डिटर्जेंट केक व अन्य सफाई के साधनों के उत्पादन काफी कम हो गये हैं। डिटर्जेंट पाउडर की तुलना में साबुन आदि का मार्केट भी कम हो गया है। महानगर हो, नगर हो, कस्बा हो या गांव हो । आज हर जगह और हर घर में वाशिंग मशीन का प्रचलन है। इसलिये आज प्रत्येक जगह पर डिटर्जेंट पाउडर की अच्छी खासी मांग है। इसलिये यह बिजनेस आइडिया बहुत अच्छा है और इसको शुरू करने में अच्छी कमाई हो सकती है।
8 प्रतिशत सालाना दर से बढ़ सकता है ये बिजनेस
डिटर्जेंट पाउडर पूरी दुनिया की फास्ट मूविंग कन्ज्यूमर गुड्स मार्केट की सबसे अधिक महत्वपूर्ण वाली उपभोक्ता वस्तु है। उपभोक्ता वस्तु होने के कारण प्रत्येक घर में कपड़े धोने, बर्तन धोने व अन्य तरह की साफ सफाई करने के लिए डिटर्जेंट का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। भारत में प्रति व्यक्ति डिटर्जेंट पाउडर उपयोग 2.7 किलो प्रतिमाह है । मलेशिया और फिलीपीन्स में डिटर्जेंट पाउडर की प्रति व्यक्ति खपत 3.7 किलो प्रतिमाह है जबकि अमेरिका में डिटर्जेंट पाउडर की प्रति व्यक्ति खपत 10 किलो प्रतिमाह की है। इस बारे में अनुभवी जानकारों का अनुमान है कि भारत में कॉमन एनुअल ग्रोथ रेट 8 प्रतिशत प्रतिवर्ष बढ़ने की संभावना है। इससे डिटर्जेट पाउडर इंडस्ट्री के तेजी से आगे बढ़ने का समय आ गया है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा कि आने वाला समय डिटर्जेंट उद्योग डिटर्जेंट निर्माण के बिजनेस में अच्छी चमक ला सकता है।
डिटर्जेंट पाउडर की तीन तरह की हैं मार्केट
भारत में डिटर्जेंट पाउडर मार्केट को तीन भागों में बांटा जा सकता है। इसमें सबसे छोटी मार्केट, मीडियम मार्केट और हाई मार्केट शामिल हैं। भारत में खाद्य तेल और बिस्कुट के बाद डिटर्जेंट पाउडर को सबसे बड़ी उपभोक्ता वस्तु माना जाता है। बढ़ते शहरीकरण के चलते जहां डिटर्जेंट पाउडर के बड़े पैकेट बिकते हैं वहीं छोटे पैकेट और सैशे भी भारी संख्या में बेचे जाते हैं। जीवन स्तर में आये सुधार और स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता के कारण पूरी दुनिया में डिटर्जेंट की व्यापारिक व घरेलू मांग काफी तेजी से बढ़ी है।
हर परिवार की डिटर्जेंट पाउडर की अलग तरह की जरूरत होती है
प्रत्येक परिवार को अपने घरों में रोजाना कपड़ों की साफ सफाई के लिए अलग-अलग तरह की जरूरत होती है। किसी घर में बच्चों की साफ सफाई की जरूरत होती है तो किसी परिवार में कुछ ऐसा कारोबार किया जाता है जहां पर कपड़े अधिक गंदे होते हैं, उनकी साफ सफाई के लिए डिटर्जेंट की जरूरत होती है तो किसी परिवार में लोग ऐसे कार्यालय में काम करने वाले होते हैं जहां का वातावरण काफी साफ सुथरा होता है तो वहां के स्तर को बनाये रखने के लिए अधिक साफ सफाई के लिए डिटर्जेट पाउडर की जरूरत कुछ ज्यादा ही होती है। बिजनेस मैन को इन जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिटर्जेंट पाउडर का निर्माण करना चाहिये। सही क्वालिटी और सही रेट पर आपने डिटर्जेंंट बेचने की रणनीति बना ली है तो आपके बिजनेस को कोई नाकाम नहीं कर सकता है। यहां पर डिटर्जेंट पाउडर की कुछ खास किस्में दी जा रहीं हैं जिनमें से व्यवसायी को अपने हिसाब से चुनना होगा। ये किस्में इस प्रकार हैं:-
1. हैवी ड्यूटी डिटर्जेंट
2. फॉस्फेट फ्री डिटर्जेंट पाउडर
3. लाइट ड्यूटी डिटर्जेंट पाउडर
4. फैब्रिक सॉफ्ट डिटर्जेंट पाउडर
कैसे शुरू करें बिजनेस?
व्यापारी को सबसे पहले अपने प्रोडक्ट के लिए मार्केट खोजनी चाहिये। ब्रांडेंड डिटर्जेंट पाउडर के अलावा एक लोकल प्रोडक्ट अवश्य ही प्रत्येक मार्केट में बिकता है। लोकल प्रोडक्ट की रेंज 40 से 50 किलोमीटर का एरिया होता है। बिजनेस मैन को चाहिये कि वो उस क्षेत्र का चुनाव करे जहां 40 किमी के एरिया में डिटर्जेंट पाउडर की कोई लोकल कंपनी ना हो। इस तरह के प्लांट लगाने के लिए बिजनेसमैन को ऐसी जगह का चुनाव करना चाहिये, जहां पर प्लांट लगाने के लिए सड़क के किनारे की जमीन सस्ती हो, काम करने वाले कुशल व अकुशल श्रमिक आसानी से मिल सकते हों। कच्चा माल का मार्केट भी पास में हो तो सबसे अच्छा रहेगा, फैक्ट्री तक आने जाने के साधन भी हों। बिजनेस के लिए मार्केट भी पास हों। इन सारी बातों को देखने के बार ही बिजनेस को शुरू करने का विचार बनाना चाहिये।
डिटर्जेंट पाउडर बनाने और बेचने के काम का बिजनेस मैन के पास अनुभव है तो ठीक है वरना किसी भी फैक्ट्री आदि में कुछ दिन डिटर्जेट पाउडर के प्रोडक्शन का काम देख लेना चाहिये। उससे इस व्यवसाय की सारी कमियां और खूबियां दोनों ही अच्छी तरह से मालूम हो जायेंगी। साथ ही मार्केटिंग की भी जानकारी हो जायेगी। उसके बाद बिजनेस शुरू करने में नये बिजनेस मैन को कोई समस्या नहीं आयेगी।
डिटर्जेंट पाउडर के कारोबार के लिए बनायें बिजनेस प्लान
डिटर्जेंट पाउडर के निर्माण से लेकर प्रोडक्ट को मार्केट में बेचने तक की सारी योजनाओं को अंतिम रूप देने के लिए बिजनेस प्लान बनाना बहुत जरूरी होता है। इस बिजनेस के लिए लगभग 5-6 लाख रुपये की जरूरत होती है, उसके लिए पूंजी की व्यवस्था कहां से और कैसे होगी, 1000 से 1500 वर्ग फुट की जमीन की आवश्यकता होगी, उसमें आपको निर्माण कार्य भी कराना होगा। वहां लगने वाली मशीनों के चलाने के लिए थ्री फेज वाला बिजली का पॉवर कनेक्शन चाहिये, पानी चाहिये, जमीन सड़क के किनारे वाली होनी चाहिये, मशीनें चाहिये, काम करने वाले अनुभवी कुशल व अकुशल कर्मचारी, भी चाहिये, कच्चा माल खरीदना होगा, पैकिंग के लिए पैकेट की व्यवस्था करनी होगी, मार्केटिंग आदि पर होने वाले खर्च को बिजनेस प्लान में शामिल किया जाना चाहिये। किस तरह से जमीन ली जायेगी और कैसे-कैसे निर्माण करके प्रोडक्ट तैयार करके बाजार में बेचा जायेगा। इस कार्यवाही की एक रणनीति बनाकर बिजनेस प्लान में नोट कर लेना चाहिये। ताकि आपको भविष्य में जरूरत पड़े तो उसको पढ़ कर अपना काम सही तरीके से आगे बढ़ा सकते हैं। इससे आपका बिजनेस अच्छी तरह से चलेगा।
कौन-कौन से लाइसेंस चाहिये?
डिटर्जेट पाउडर बनाने के लिए फैक्ट्री स्थापित करनी होगी। फैक्ट्री का नाम यानी फर्म का नाम कंपनी रजिस्ट्रार के यहां रजिस्टर्ड कराना होगा। यदि आपको सरकारी सुविधाओं का लाभ लेना होगा तो उसके लिए आपको एमएसएमई/एसएसआई में रजिस्ट्रेशन कराकर उद्योग आधार लेना होगा। केन्द्र, राज्य व स्थानीय प्रशासन के नियमों व शर्तों का पालन करना होगा। बिजनेस यदि आपका जीएसटी के दायरे में आता है तो उसके लिए आपको जीएसटी नंबर लेना होगा। श्रमिकों को नियुक्त करने के कारण आपको श्रम विभाग, ईपीएफ और ईएसआई में भी फर्म का रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
इसके अलावा आपको अपने प्रोडक्ट का नाम कंपनी के नाम से अलग रखना है तो आपको उसके लिए अलग से कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। आपको अपने प्रोडक्ट का नाम रखना होगा। उसको भी कंपनी रजिस्ट्रार के अलावा उद्योग विभाग से रजिस्टर्ड कराना होगा। यदि आप अपने प्रोडक्ट के ब्रांड बनने के बाद यह चाहते हों कि आपके ब्रांड का नाम का कोई दूसरा व्यक्ति इस्तेमाल करके नाजायज लाभ न उठा सके तो उसके लिए आपको ट्रेड मार्क लेना होगा।
कौन-कौन सी मशीनें चाहिये
डिटर्जेंट पाउडर बनाने के लिए कोई लम्बी चौड़ी मशीनों की लिस्ट की जरूरत नहीं होती है। इसके लिए गिनी चुनीं चार मशीनों की जरूरत होती है।
1. पहली मिक्सर मशीन: जिससे कच्चे माल को आपस में मिक्स करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है
2. दूसरी स्क्रेमिंग मशीन : इस मशीन से डिटर्जेंट पाउडर को बारीक किया जाता है तथा सुखाया भी जाता है
3. तीसरी मशीन: यह मशीन डिटर्जेंट पाउडर को छान कर दाना एक जैसा तैयार किया जाता है
4. पैकिंग मशीन: इस मशीन से पैकेटों की पैकिंग होती है। यह मशीन दो तरीके की होती है । एक सेमी आटोमेटिक मशीन व दूसरी आटोमेटिक मशीन।
क) सेमी आटो मेटिक मशीन में पैकेट का वजन करने के बाद सीलिंग का काम हाथों से ही करना पड़ता है।
ख) आटो मेटिक मशीन में विभिन्न वजन वाले पाउच को लगा दिया जाता है। उतने वजन का पाउडर पैकेट में अपने आप ही मशीन के जरिये भर जाता है और पैक भी हो जाता है।
डिटर्जेंट बनाने के लिए कच्चा माल
डिटर्जेंट बनाने के लिए अनेक तरह के केमिकल्स की जरूरत होती है। इसमें प्रमुख इस प्रकार हैं:-
- सोडा ऐश
- डोलोमाइट
- कार्बोक्सी मिथाइल सेल्यूलोस
- ट्राइसोडियम फास्फेट
- एसिड स्लरी
- ग्लोबेर साल्ट
- सीबीएक्स
- डोलोमाइट
- ट्राइपोली फास्फेट
- परफ्यूम
- डी कोल
- रंगीन पाउडर
कम से कम कितनी लागत आती है बिजनेस शुरू करने में?
डिटेर्जेट पाउडर का बिजनेस शुरू करने के लिए बिजनेस मैन को कम से कम 5-6 लाख रुपये की जरूरत होती है। रिमोट ऐरिया में 1000 से 1500 वर्ग फुट की जमीन और उस पर निर्माण कराने में कम से कम एक लाख रुपये का खर्च आयेगा अथवा किसी इंडस्ट्रियल एरिया में इस तरह की फैक्ट्री को किराये पर लेने में भी लगभग इतना ही खर्च आयेगा। तीन लाख रुपये में मशीनें आ जायेंगी। एक लाख रुपये का कच्चा माल आ जायेगा। इसके अलावा बिजली, पानी, कर्मचारी, पैकिंग, मार्केटिंग पर एक लाख रुपये तक का खर्चा होगा। इस तरह से डिटर्जेंट पाउडर की छोटी यूनिट स्थापित करने में 6 लाख रुपये की लागत लगेगी।
किस तरह शुरू करें अपने माल की बिक्री?
आपने अपना प्रोडक्ट तैयार कर लिया और उसके लिए मार्केटिंग पहले से कर रखी है तो ठीक है वरना आपको अपना माल ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए अनेक तरकीबें इस्तेमाल में लानी होंगी। चूंकि आपका प्रोडक्ट लोकल लेबल पर बिकना है तो सबसे अच्छा यही रहेगा कि आप अपने प्रोडक्ट का ऑफ लाइन प्रचार करें। यानी अपने आसपास की मार्केट में माल की सप्लाई रिटेलर को करें। शुरू-शुरू में तो कोई दुकानदार आपका माल लेना नहीं चाहेगा क्योंकि उसकी कोई डिमांड नहीं होगी।
डिमांड बनाने के लिए आपको एक काम करना होगा। पहले आप यह अनुमान लगायें कि आप अपने प्रोडक्ट का विभिन्न चैनलों से प्रचार कराते हैं तो आपका कितना खर्च आता है। उस खर्च का आधा बजट बनायें और उस बजट से अपनी फैक्ट्री में गिफ्ट पाउच बनवायें और अपनी नजदीकी मार्केट के आसपास की कुछ अच्छी कॉलोनियों को छांटे और उन लोगों को प्रचार के दौरा यह गिफ्ट पाउच मुफ्त में दें। इसका लाभ यह होगा कि आपके प्रोडक्ट की क्वालिटी यदि अच्छी हुई और रेट कम हुए तो निश्चित रूप से आपके प्रोडक्ट की डिमांड एक बार में ही बढ़ जायेगी। लोकल प्रोडक्ट का प्रचार माउथ पब्लिसिटी से ही होता है। इसके बाद आप किसी दूकानदार को अपना प्रोडक्ट देंगे तो वह उसको आसानी से उसे ले लेगा क्योंकि आपके प्रोडक्ट की डिमांड बन गयी होगी।
दूसरा रास्ता यह है कि आप अपनी नजदीकी मार्केट के थोक व्यापारी से बात कर उन्हें पहली बार ज्यादा कमीशन देने की बात करें ताकि वह आपके प्रोडक्ट को बाजार में बेच कर आपकी मार्केट बना सके हैं। क्योंकि थोक व्यापारियों के रिटेलरों से अच्छे सम्बन्ध होते हैं। थोक व्यापारियों के कहने पर रिटेलर आपके प्रोडक्ट को बेचने को तैयार हो जायेंगे। बशर्ते आपकी क्वालिटी ब्रांडेड डिटर्जेंट पाउडर जैसी ही होनी चाहिये और उसके रेट काफी कम होने चाहिये।
मुनाफा कैसे और कितना मिलता है?
डिटर्जेंट पाउडर के बिजनेस में अच्छा खासा मुनाफा हो सकता है। लेकिन लोकल प्रोडक्ट होने के कारण इसकी मार्केट बहुत सीमित होती है। आपने अपना प्रोडक्ट अपने छोटे कस्बे व शहर से शुरू किया है तो आप प्रतिमाह 25 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह आसानी से कमा सकते हैं। यदि आपने अपने व्यापार क्षेत्र को आगे बढ़ा लिया तो आपकी लागत बढ़ेगी, आपका कारोबार भी बढ़ेगा और उससे आपका मुनाफा भी बढ़ेगा। इस बिजनेस के अनुभवी जानकार लोगों का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति अपने प्रोडक्ट को 40 से 50 किलोमीटर के दायरे में आने वाली सभी मार्केट में बेचने में कामयाब हो जाता है। तो बिजनेस शुरू करने के कुछ दिनों बाद ही उसको डेढ़ लाख रुपये से लेकर दो लाख रुपये तक प्रतिमाह का मुनाफा हो सकता है। यह मुनाफा व्यापारी की कौशल क्षमता पर निर्भर करता है। अनुभवी लोगों का यह भी मानना है कि यदि बिजनेस मैन सही तरीके से अपने प्रोडक्ट को तैयार करके बिजनेस करता है तो ईमानदारी से उसको 25 से 30 प्रतिशत तक मुनाफा अवश्य ही मिल सकता है।
मार्केटिंग कैसे करें?
डिटर्जेंट पाउडर के व्यवसाय में बिक्री बढ़ाने के लिए मार्केटिंग करनी बहुत जरूरी है। लोकल प्रोडक्ट होने के कारण आपको लोकल में ही ऑफलाइन प्रचार करना बहुत आवश्यक है। इसके लिए आपको सबसे पहले अपने आसपास के एरिया में पम्पलेट बटवांने होंगे। मेन लोकेशन वाली जगह पर पोस्टर, बैनर और होर्डिंग्स आदि लगवानी होगी। साथ ही आस-पास के क्षेत्र में होने वाले सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेकर वहां पर अपने प्रोडक्ट का प्रचार करना होगा। बजट होने पर लोकल न्यूज पेपर व लोकल टीवी चैनल पर विज्ञापन देकर अपने प्रोडक्ट का प्रचार कराना होगा। इसका लाभ आपको मिलेगा।
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