चाय की पत्ती का मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग का बिजनेस कैसे शुरू करें?

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चाय की पत्ती का मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग का बिजनेस कैसे शुरू करें?

भारतीयों के लिये चाय का नाम अब किसी परिचय का मोहताज नहीं रह गया है। प्रत्येक भारतीय चाय पीने का शौकीन है। एक सर्वे में यह बताया गया है कि आम भारतीय दिन में कम से कम दो बार तो चाय पीता ही है। इसके अलावा ऑफ़िस, व्यवसाय में लम्बी सिटिंग वाले बिजनेस व जॉब करने वाले व्यक्ति दिन में कम से कम चार से पांच बार तक चाय पी जाते हैं। चाय पीने-पिलाने में गांव और शहर तथा महानगर, मेट्रो सिटी का अब कोई विशेष अन्तर नहीं रह गया है। यदि सही मायने में पूछा जाये तो चाय हमारी सभ्यता व स्वागत का आवश्यक अंग बन गया है। प्रत्येक भारतीय अपने यहां आने वाले किसी प्रकार के मेहमान का स्वागत चाय से ही करता है। कभी-कभी ये चाय सिफारिश का भी काम करती है। कभी-कभी बड़े बड़े काम इस चाय का छोटा कप करवा देता है। इसलिये भारतीयों की हर तरह की सामाजिक गतिविधियों में चाय महत्वपूर्ण हिस्सा बन गयी है। कहने का मतलब यह है कि जिस चाय को भारत के 98 प्रतिशत लोग पीते हों तो उसका व्यवसाय करना बहुत ही अच्छा आइडिया है।

भारत में चाय की पत्ती खेती कहाँ-कहाँ होती है?

भारत में पहले चाय की पत्तियों की खेती केवल असम, पश्चिम बंगाल राज्य की पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती थी। लेकिन अब धीरे-धीरे देश के 18 राज्यों में इसकी खेती होने लगी है। ये राज्य हैं केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, सिक्किम, उड़ीसा और बिहार प्रमुख हैं। यह बात अलग है कि असम, प. बंगाल, केरल और कर्नाटक में अभी भी चाय की पत्ती का सबसे अधिक उत्पादन होता है। इनमें असम और पश्चिम बंगाल में देश के की चाय की पत्ती के कुल उत्पादन का आधे से ज्यादा प्रोडक्शन होता है। इसके बाद केरल, कर्नाटक में भी लगभग 30 प्रतिशत चाय की पत्ती का उत्पादन होता है। अन्य 20 प्रतिशत बाकी सारे राज्यों में चाय की पत्ती का उत्पादन होता है।

चाय की पत्ती का व्यवसायिक प्रारूप

चाय की पत्ती की अच्छी खासी डिमांड को देखते हुए इसका व्यापार करना अवश्य ही लाभदायक है। इसका व्यापार कई तरीके से किया जा सकता है, जिनमें प्रमुख इस प्रकार हैं:-

  1. खुद की अपनी फ़ैक्टरी लगाकर, उसमें चाय की पत्ती तैयार करवा कर तथा उसकी पैकिंग करवा कर मार्केट में उसे बेचना होता है।
  2. दूसरा चाय बागानों या नीलामी केन्द्रों से चाय की पत्ती को खरीद कर उसकी पैकिंग करके मार्केटिंग करनी होती हैं।
  3. तीसरा किसी बड़ी चाय कंपनी की फ्रेंचाइजी लेकर यानी उसकी ब्रांच खोलकर चाय की पत्ती का बिजनेस किया जा सकता है।
  4. चौथा डिस्ट्रीब्यूटर से थोक में माल लेकर रिटेलर्स या चाय की शॉप में बेच कर मुनाफा कमाया जा सकता है।

चाय की पत्ती की मैन्युफैक्चरिंग का बिजनेस कैसे शुरू किया जाए?

चाय की पत्ती की मैन्यूफैक्चरिंग का बिजनेस शुरू करने के लिए बिजनेसमैन को इस कार्य का अनुभव होना चाहिये। इस काम में अच्छा खासा पैसा लगता है, इसलिये बिजनेस मैन के पास मोटी रकम इन्वेस्ट करने के लिए होनी चाहिये। यह भी सच है कि इस बिजनेस में जितना अधिक पैसा लगता है उतनी ही अधिक कमाई भी होती है। यह बिजनेस आइडिया बहुत ही अच्छा है। इसके लिए कुछ आवश्यक सरकारी नियम व शर्तें होतीं हैं जिनको पूरा करने के बाद ही कोई बिजनेस मैन चाय की पत्ती के मैन्युफैक्चरिंग का बिजनेस शुरू कर सकता है। इसके अलावा इस बिजनेस को शुरू करने के लिए अन्य बिजनेस की तरह फ़ैक्टरी लगाने के लिए बिल्डिंग, मशीन, अनुभवी कर्मचारी, मार्केटिंग, सरकारी लाइसेंस आदि की आवश्यकता होती है।

leaves of green tea

कैसे तैयार होती है चाय की पत्ती?

जो चाय की पत्ती हम अपने घरों में चाय बनाने में इस्तेमाल करते हैं। वो खेतों से ऐसी ही नहीं निकलती है बल्कि इसको तैयार करने में लम्बी चौड़ी प्रक्रिया अपनाई जाती है। कई मशीनों से गुजर कर बनने वाली इस चाय की पत्ती को तैयार होने में भी काफी समय लगता है। चाय के बागानों से तोड़ी जाने वाली चाय की पत्ती को छह तरह के प्रॉसेस गुजरना होता है उसके बाद यह मार्केट में बेचने के लिए तैयार होती है। ये सारी प्रक्रिया इस प्रकार है:-

1. सबसे पहले हरी चाय की पत्ती की नमी को दूर करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। इसको विदरिंग प्रॉसेस कहते हैं। इसमें दो तरह की प्रक्रिया होती है, पहली प्रक्रिया को फिजिकल विदरिंग यानी खुली हवा में सुखाया जाता है और दूसरी प्रक्रिया को केमिकल विदरिंग यानी केमिकल के जरिये उसकी नमी दूर की जाती हैं। पहले प्रॉसेस में 4 घंटे लगते हैं और दूसरे प्रॉसेस में 15-16 घंटे लगते हैं। दोनों प्रक्रिया को पूरा करने में लगभग 20 घंटे लग जाते हैं।

2. दूसरी प्रक्रिया रोलिंग की होती है। इसमें एक घुमावदार टेबिल होती है और उसमें बिना पेंदी का एक बॉक्स लगा होता है। उसमें पत्ती को डाल कर रोल किया जाता यानी उसे घुमाया या चलाया जाता है।

3. तीसरी प्रक्रिया सीटीसी मशीन यानी कटिंग, टियरिग और कर्लिंग मशीन में चाय की पत्ती को डाला जाता है। जहां पर उस पत्ती की कटाई, व उसे अन्य तरह का आकार दिया जाता है।

4. चौथी प्रक्रिया पत्ती के बैक्टीरिया आदि की सफाई के लिए उसका वाष्पीकरण किया जाता है। एक कमरे में एल्यूमिनियम की ट्रे में बिछा कर रखा जाता है और आवश्यक तापमान दिया जाता है। जब पत्ती का रंग तांबे के रंग के समान लाल हो जाता है तब उस प्रक्रिया को पूर्ण माना जाता है।

5. इसके बाद पांचवीं प्रक्रिया के तहत चाय की पत्ती को 90 डिग्री तापमान देकर सुखाया जाता है। इसके बाद पत्ती तैयार हो जाती है।

6. सबसे आखिरी में पत्ती की छंटाई की जाती है। इसमें से पत्ती में शामिल लकड़ी के टुकड़े, धूल, बालू आदि अवांछित चीजें निकाल कर उसे साफ किया जाता है। उसके बाद यह पत्ती बाजार में बिकने के लिये तैयार हो जाती है।

मार्केट का सर्वे करना जरूरी होता है

किसी भी प्रोडक्ट को तैयार करने के बाद उसे मार्केट में बेचना होता है। इसके लिए बिजनेस मैन को सबसे पहले होमवर्क कर लेना अच्छा होता है। इस लिए बिजनेस मैन को पहले अपना मार्केट तलाशना चाहिये और कौन सा प्रोडक्ट आपकी मार्केट में आसानी से बिक ही नहीं सकता बल्कि अधिक से अधिक मुनाफा भी दे सकता हो। उस पर फोकस करके बिजनेस करेंगे तो आप कभी मात नहीं खायेंगे। चाय की पत्ती की लगभग 1000 वैरायटियां हैं। सभी वैरायटियों का तो बिजनेस किया नहीं जा सकता है। इसलिये आपको अपनी क्षमता के अनुसार उन्हीं वैरायटियों में से कुछ प्रोडक्ट को चुनना चाहिये, जो आपकी मार्केट एरिया में बिक सकें। उसके बाद उनके प्रोडक्शन की तैयारी करनी चाहिये।

बिजनेस प्लान बनाना चाहिये

जब किसी छोटे बिजनेस के लिए बिजनेस प्लान की जरूरत होती है तो यह चाय की पत्ती की मैन्युफैक्चरिंग का बहुत बड़ा बिजनेस है। इसके लिए प्लान बनाने की परम आवश्यकता है। इस बिजनेस के लिए जमीन, बिल्डिंग, मशीनें, काम करने वाले कर्मचारी, कच्चा माल, बिजली पानी का खर्च, मार्केटिंग, ट्रांसपोर्टेशन आदि खर्चों को जोड़ने की आवश्यकता है। इसके अलावा प्रोडक्शन करने की पूरी प्रक्रिया एवं उसमें लगने वाले अन्य उपकरणों व अन्य खर्चों को भी जोड़ कर एक अच्छी सी प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनानी चाहिये। यदि आपको अपने बिजनेस के लिए फाइनेंस कराना है तो यह प्रोजेक्ट रिपोर्ट उसमें भी बहुत काम आयेगी।

लाइसेंस व परमीशन

1. कौन-कौन सी सरकारी प्रक्रिया को पूर्ण करना जरूरी होता है। चाय की पत्ती के मैन्युफैक्चरिंग के बिजनेस को शुरू करने के लिए सबसे पहले भारतीय चाय बोर्ड से परमीशन लेनी होती है। इसके बिना आप चाय पत्ती के बनाने का बिजनेस नहीं शुरू कर सकते हैं। हालांकि बोर्ड ने मिनी और माइक्रो यानी सूक्ष्म व छोटी फैक्ट्री लगाने की अनुमति प्रदान करना शुरू कर दिया है। माइक्रो चाय पत्ती की फैक्ट्री में 225 किलोग्राम चाय की पत्ती रोजाना तैयार करने की अनुमति दी जाती है जबकि मिनी चाय की पत्ती की फैक्ट्री में 450 से 500 किलोग्राम चाय की पत्ती रोजाना तैयार करने की परमीशन होती है। इस तरह की फैक्ट्री को टीएमसीओ के तहत रजिस्ट्रेशन से छूट मिलती है। साथ ही लघु उत्पादक विकास योजना के तहत सब्सिडी का भी प्रावधान है।

2. कंपनी का नाम रखना होता है, जिसको कंपनी रजिस्ट्रार के यहां शॉपिंग एक्ट के तहत रजिस्टर्ड कराना होता है।

3. कंपनी का आकार कैसा बनाना है, वन पर्सन कंपनी, पार्टनरशिप, एलएलपी, प्राइवेट कंपनी बनाना है उसकी तैयारी करनी होती है।

4. फैक्ट्री लगाने के लिए फैक्ट्री लाइसेंस लेना होता है, जिस राज्य में फैक्ट्री लगायें वहां के उद्योग विभाग के तहत कारखानाा विभाग की आवश्यक शर्तें व नियम का पालन करना होता है। फैक्ट्री चलाने के लिये लाइसेंस लाना होता है।

5. फूड सेफ्टी एण्ड स्टैण्डर्ड अथॉरिटी आफ इंडिया से भी लाइसेंस लाना होता है।

6. जीएसटी के लिए जीएसटी नंबर लाना होता है।

7. यदि विदेशों को निर्यात करना हो तो उसके लिए आईईसी कोड हासिल करना होता है

8. कंपनी या बिजनेस मैन के नाम एक पैन कार्ड जरूरी होता है

9. कंपनी के बिजनेस में लेन-देन के लिए एक करंट एकाउंट किसी बैंक में खोलना जरूरी होता है

10. इसके अलावा केन्द्र, राज्य सरकारों और स्थानी प्रशासन जैसे ग्राम पंचायत,नगर पालिका, टाउन एरिया आदि के अधिकारियों की भी परमीशन लेनी होती है।

11. अपने ब्रांड नेम की सुरक्षा के लिए आपको ट्रेड मार्क लेना होता है।

कौन-कौन सी मशीनों की आवश्यकता होती है?

चाय की पत्ती के मैन्युफैक्चरिंग के लिए कई मशीनों की आवश्यकता होती है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-

  1. आठ इंच वाली एसएस रोटोरवेन मशीन
  2. आठ इंच के रोलर वाली सीटीसी मशीन
  3. ड्रायर पत्ती को सुखाने के लिए आवश्यक मशीन
  4. ह्यूमिडिफायर यानी पत्ती को जब वाष्पीकरण किया जाता है उसमें इस मशीन की जरूरत पड़ती है
  5. फाइबर एक्सट्रेक्टर मशीन
  6. मेडिल्टन सॉर्टर मशीन
  7. वाइब्रो सार्टर मशीन

चाय की मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री के लिए कितनी लागत चाहिये?

चाय की मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए बिजनेस मैन को अच्छी खासी रकम की जरूरत होती है। यदि उसके पास अपनी पूंजी है तो कोई बात नहीं अन्यथा लोन व प्रमोटर्स से इस पंूजी को इकट्ठा करने में मदद ले सकते हैं। औसत दर्जे की फैक्ट्री को लगाने में कम से कम 50 से 70 लाख रुपये की लागत आती है। इसमें 4000 वर्ग फिट एरिया में बिल्डिंग बनवानी होती है। इसमें 75 केवी का पॉवर कनेक्शन चाहिये। रोजाना 200 लीटर पानी भी चाहिये।

मशीनों पर कम से कम 40 लाख रुपये का खर्चा आ जायेगा। 6 लाख रुपये आपको रिजर्व मनी रखनी होगी। दो सप्ताह का कच्चा माल यानी हरी चाय की पत्ती के लिए आपको 3 लाख रुपये खर्च करने होंगे। चाय की पत्ती को तैयार करने में लगने वाले केमिकल पर प्रति सप्ताह 56 हजार रुपये खर्च करने होंगे। काम करने वाले कर्मचारी पर 30 हजार रुपये प्रतिमाह खर्च करने होंगे। इसके अलावा अन्य खर्चों पर भी एक लाख रुपये लगाने होंगे।

कितना मुनाफा यानी प्रॉफिट मिलता है?

1. चाय की पत्ती के मैन्युफैक्चरिंग के बिजनेस में बिजनेस मैन को कितना मुनाफा होता है। इसका अनुमान दूसरी तरह से लगाया जाता है। इसका कारण यह है कि चाय की पत्ती का सीजन साल में पूरे 365 दिन नहीं चलता है बल्कि केवल 200 दिन ही चलता है।

2. इस बिजनेस का मुनाफा इस बात पर निर्भर करता है कि फैक्ट्री पूरे सीजन के 200 दिन पूरा उत्पादन करती है तो उसी के हिसाब से ही मुनाफा मिलता है। यदि 500 किलोग्राम की क्षमता वाली फैक्ट्री लगातार 200 दिन तक काम करने के बाद एक लाख किलो चाय की पत्ती का उत्पादन करती है तो आपको एक लाख किलो माल बेच कर उस पर होने वाला लाभ मिलेगा, इससे अधिक नहीं।

3. यदि कोई फैक्ट्री चाय की पत्ती बनाकर नीलामी में उतर जाती है यानी अपना प्रोडक्ट सीधे मार्केट में नहीं बेचना चाहती है तो उसको कम लाभ प्राप्त होगा। इसलिये बिजनेसमैन को चाहिये कि जब फैक्ट्री लगाने की प्लानिंग करे तो साथ ही मार्केटिंग शाखा को भी बनाये ताकि माल तैयार होने के बार उसको मार्केट में सीधे बेचकर अधिक मुनाफा कमाया जा सके।

4. इस तरह दोहरा व्यवसाय करने से बिजनेस मैन को दोहरा मुनाफा मिल सकता है। पहला कि यह वह अपने प्रोडक्ट पर आये कुल लागत को मार्केट रेट पर बिक रहे प्रोडक्ट का हिसाब लगाये और उसमें से लागत को घटाये जो शेष बचेगा वह बिजनेस मैन को निर्माता के रूप में मुनाफा मिलेगा

5. इसके बाद मार्केट में बेचने का जो लाभ मिलेगा वह लाभ उसे डिस्ट्रीब्यूटर के रूप में मिलेगा।

6. वैसे अनुभवी लोगों का मानना है कि चाय की पत्ती को तैयार करने में उसकी लागत 150 रुपये प्रतिकिलो आती है। मार्केट में अच्छी क्वालिटी की चाय की पत्ती कम से कम 300 रुपये किलो बिकती है। इसी को पैकेजिंग व मार्केटिंग करके बाजार में 450 रुपये से 500 रुपये किलो तक बेची जाती है। इससे आप सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि बिजनेस मैन को कितना फायदा होता होगा।

7. यदि 150 रुपये किलो की चाय पत्ती खरीद कर यदि आप उसकी मार्केटिंग पर औसतन 100 रुपये किलो तक खर्च कर देते हैं और 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से पैकिंग व ट्रांसपोर्टेशन पर खर्चा होता है तो आपको चाय की पत्ती की लागत 370 रुपये प्रति किलो आती है और मार्केट में वह यदि 450 रुपये किलो आती है तो आपको एक किलो पर 80 रुपये की बचत होती है। इस तरह से एक लाख किलो पर आपको 80 लाख रुपये तक की बचत हो सकती है।

Dry tea in bowl on wooden table. Antique spoon as scoop dried tea

चाय की पत्ती की मार्केटिंग कैसे करें?

1. चाय की अच्छी खासी डिमांड को देखते हुए इसका ग्राहक को बेचना बहुत आसान होता है। इसमें दो तरह का बिजनेस किया जाता है कि पहला कि आप दो तरह के प्रोडक्ट मार्केट में लायें। पहला प्रोडक्ट सम्पन्न ग्राहकों के लिए लायें जो कीमत की परवाह नहीं करते हैं। उन्हें अच्छी क्वालिटी का प्रोडक्ट देकर उनसे आप थोड़ा अधिक मुनाफा ले सकते हैं।

2. चूंकि भारतीय आबादी में गरीबों की संख्या सबसे अधिक है और उन्हें टारगेट करके भी अपना प्रोडक्ट बनायें। उनके लिए उचित क्वालिटी वाला प्रोडक्ट तैयार करके उनकी सुविधा के अनुसार छोटी पैकिंग तैयार करने से आपका माल भी अधिक बिकेगा और मुनाफा भी अधिक मिलेगा। आज के इस महंगाई के जमाने में आप यदि 5 रुपये या 10 रुपये की पैकिंग निकालते हैं तो आपका माल बहुत अधिक बिकेगा और उस पर मार्जिन भी अच्छा मिलेगा।

3. आपको अपनी पैकिंग बहुत ही आकर्षक रखनी होगी। दूर से देखकर ग्राहक आपका प्रोडक्ट खरीदने को तैयार हो जाये। आपके प्रोडक्ट की क्वालिटी भी ऐसी होनी चाहिये कि एक बार इस्तेमाल करने के बाद कोई ग्राहक उसे छोड़ न पाये।

4. मार्केटिंग के लिए आप मार्केट टीम का सहारा ले सकते हैं। इसके अलावा पम्पलेट, पोस्टर, बैनर, होर्डिंग्स व लोकल मीडिया में विज्ञापन देकर भी प्रचार कर सकते हैं। ऑनलाइन प्रचार में भी आप सोशल मीडिया के अनेक प्लेटफार्मों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

5. पहले कोशिश करें कि सोशल मीडिया के फ्री प्लेटफार्म फेसबुक, व्हाट्सऐप ग्रुप, इंस्टाग्राम, गूगल माई बिजनेस आदि को यूज करें। जब इनसे बात बनती न दिखे तो आप पेड सर्विस की भी मदद ले सकते हैं। इसके अलावा अपने प्रोडक्ट को ब्रांड बनाने के लिये और आनलाइन बिजनेस के लिए एक अच्छी सी वेबसाइट बनवायें जहां पर आप अपने प्रोडक्ट की तस्वीर व उनकी खूबियों की जानकारी देंगे तो ग्राहक आपके प्रोडक्ट की ओर आकर्षित होंगे।

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