क्या सोलर पॉवर प्लांट शुरू करने का आइडिया अच्छा है?
इलेक्ट्रिक पॉवर यानी विद्युत शक्ति आज की सबसे बड़ी जरूरत है। आज के जमाने में घर में इस्तेमाल होने वाले अनेक उपकरण बिजली यानी विद्युत शक्ति से ही चलते हैं। इसके अलावा व्यापारिक व औद्योगिक मशीनें भी बिजली से चलायी जातीं हैं। कहने का मतलब आज के आधुनिक जमाने बिजली लोगों की आवश्यक आवश्यकता बन गयी है। इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। घरेलू, व्यावसायिक व औद्योगिक उपकरणों को चलाने के लिए अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार बिजली की आवश्यकता होती है।
क्या होता है सोलर पॉवर प्लांट?
सोलर पॉवर प्लांट का काम आम तौर पर सूर्य की किरणों से ऊर्जा यानी पॉवर लेकर सौर पैनलों को भेजना होता है, जहां से फोटोवोल्टिक यानी पीवी द्वारा डीसी इलेक्ट्रिक पॉवर में कनवर्ट किया जाता है। इसके बाद इस डीसी इलेक्ट्रिक पॉवर को बैटरी में स्टोर किया जाता है। बाद में डीसी पॉवर को इन्वर्टर के माध्यम से एसी पॉवर में परिवर्तित किया जाता है। इस तरह से इन्वर्टर का एसी आउटपुट मेन को फीड करता है। जहां से विभिन्न प्रकार के ऐप अपनी क्षमतानुसार इलेक्ट्रिक पॉवर ले लेते हैं।
बिजली उत्पादन की हैं पुरानी तीन विधियां
वर्तमान समय में विद्युत उत्पादन की तीन ही पारम्परिक विधियां हैं, जिन्हें हाइड्रोपॉवर, थर्मल पॉवर और न्यूक्लियर पॉवर के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा वर्तमान समय में सोलर पॉवर और विंड पॉवर विधि से भी बिजली का उत्पादन किया जाने लगा है। पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में सहायक होने के कारण सोलर पॉवर यानी सौर ऊर्जा प्लांट और विंड पॉवर यानी कि पवन ऊर्जा प्लांट काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। इसलिये भारत में सोलर पॉवर प्लांट का बिजनेस शुरू करने का आइडिया बहुत अच्छा और फायदे वाला है।
क्यों है सोलर पॉवर प्लांट का बिजनेस फायदे वाला?
भारत में लगभग पूरे साल ही गर्मी का मौसम रहता है। इस तरह के मौसम में अधिक देर तक सूर्य की किरणों की रोशनी व तापमान मिलता रहता है। सूर्य की रोशनी का अधिक से अधिक इस्तेमाल करके सोलर पॉवर प्लांट को शुरू करके अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सकता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि आज भी आजादी के 74 साल बाद भी देश के 30 से 35 करोड़ लोग बिना बिजली के जीवन बिताने को मजबूर हैं। इसके अलावा व्यावसायिक स्तर पर बात की जाये तो 50 प्रतिशत लोग बिजली आपूर्ति से वंचित हैं। इसलिये यदि सोलर पॉवर प्लांट का बिजनेस आइडिया बहुत अच्छा है।
सोलर पॉवर प्लांट में भारत विश्व में पांचवां देश
भारत सोलर पॉवर प्लांट का उत्पादन करने वाला विश्व का सबसे बड़ा पांचवां देश है। इसलिये सोलर पॉवर प्लांट और सोलर प्रोडक्ट की एक अच्छी खासी मार्केट भारत में है। यहां सोलर बिजनेस की बहुत अच्छी संभावनाएं हैं। यदि आप सोलर पॉवर प्लांट लगाने की सोच रहे हैं तो यह आपके लिए बहुत अच्छा आइडिया है और इसका भविष्य बहुत ही उज्जवल है। इसे कैसे शुरू किया जाये और किन किन बातों पर विचार किया जाये।
1. सोलर इनर्जी यानी सौर ऊर्जा का बिजनेस आइडिया केवल रुपये कमाने और अच्छा मॉडल बिजनेस नहीं हैं बल्कि इस बिजनेस को बढ़ावा देकर हम भारत को विश्व में सोलर पॉवर का सबसे बड़ा उत्पादक बनाने का काम कर सकते हैं। इसके अलावा हम अपने शहरों, गांवों, कस्बों को पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचायें प्राकृतिक संसाधनों से पर्याप्त मात्रा में बिजली पहुंचा सकते हैं। इससे हमारे देश में चहुओर तरक्की हो सकती है। देश की जीडीपी बढ़ सकती है और प्रति व्यक्ति आय बढ़ने से देश खुशहाल हो सकता है।
2. सोलर प्रोडक्ट्स की आजकल बाजार में काफी मांग है। लोग अपने उद्योगों से लेकर घरेलू इस्तेमाल में सोलर प्रोडक्ट को लगाने के लिए इुच्छुक हैं। सोलर प्रोडक्ट की मांग को देखते हुए आपको यह तय करना है कि आप सोलर पॉवर प्लांट या सोलर प्रोडक्ट जैसे सोलर पैनल, सोलर ग्रिड, सोलर पीवी सेट आदि में से किसका प्रोडक्शन करना चाहते हैं। इनमें से जिस प्रोडक्ट को अपने बिजनेस के लिये पसंद करेंगे। उसी के हिसाब से आपको जमीन, फैक्ट्री, मशीन, कर्मचारियों आदि की व्यवस्था करनी होगी।
3. अपने व्यवसाय शुरू करने से पहले आपको केन्द्र सरकार,राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। इसके अलावा सोलर पॉवर प्लांट की फैक्ट्री लगाने के लिए सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन को भी मानना होगा। आपको यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सोलर पॉवर प्लांट की फैक्ट्री के लिए सरकार ने किस क्षेत्र की जमीन आवटित कर रखी है। उसी क्षेत्र में आपको अपनी सोलर प्रोडक्ट की फैक्ट्री लगानी होगी। क्योंकि सरकार ने उस क्षेत्र में इस बिजनेस से जुड़ी अनेक सुविधाएं उपलब्ध करा रखीं हैं।
सोलर पॉवर प्लांट के प्रोजेक्ट की गंभीर बातें
सोलर पॉवर के व्यावसायिक उपयोग के लिए कुछ आवश्यक बातों पर विचार करना जरूरी होता है। इसके लिए बहुत ही सोच समझ कर भविष्य की जरूरतों को परखने के बाद ही सोलर पॉवर प्लांट को शुरू करने की योजना बनानी चाहिये। आपको सबसे पहले इस बात पर विचार करना चाहिये कि आप अपने सोलर पॉवर प्लांट पर जो पूंजी लगाने जा रहे हैं, वो किस तरह से वापस आयेगी। उसके लिए क्या क्या करना होगा। इस बारे में कुछ खास टिप्स इस प्रकार हैं:-
1. सोलर पॉवर प्लांट लगाने से पहले आपको सबसे पहले अपनी मार्केट या ग्राहक को तलाशना होगा और उनके पास आवश्यक मशीनों और उपकरणों को चलाने के लिए कितने वाट या किलोवाट बिजली की आवश्यकता होगी। उसके हिसाब से आप सोलर पैनल लगाने की व्यवस्था करें। उसमें भी ऐसी गुंजाइश बनाये रखें। ताकि भविष्य में यदि इलेक्ट्रिक पॉवर की डिमांड बढ़ जाये तो उसको भी पूरा किया जा सके।
2. इलेक्ट्रिक पॉवर की जरूरत को देखते हुए यह आंकलन करना जरूरी होता है कि आपको प्रतिदिन कितने वाट या किलोवाट पॉवर की जरूरत पड़ने वाली है, उसके लिए कितने सोलर पैनल लगाने जरूरी हैं। इसके अलावा आपको सिंगल फेज, थ्री फेज के पॉवर की जरूरत है अथवा आपको एसी या डीसी पॉवर की जरूरत है। इन सब बातों को बहुत गहराई से विचार किया जाना चाहिये।
3. इस बात को इस तरह से समझा जा सकता है कि मान लीजिये कि आपका एक सोलर पैनल एक घंटे की सूर्य की रोशनी से 300 वाट बिजली पैदा करता है और दिन में कम से कम आठ घंटे सूर्य की रोशनी मिलती है तो आपका उत्पादन 2400 वाट हो गया। इसका मतलब यह हुआ कि प्रतिदिन के आठ घंटे की सूर्य की रोशनी से आप 24 किलोवाट की बिजली सप्लाई कर सकते हैं। इस हिसाब से आप अनुमान लगा सकते हैं कि आपको कितने सौर पैनल लगाने होंगे।
4. कॉमर्शियल इलेक्ट्रिक प्लांट के लिए आपको इस तरह के कम से कम 100 प्लांट लगाने होंगे। तभी आपका काम चल पायेगा।
कितनी जगह चाहिये
कॉमर्शियल सोलर प्लांट के लिये सोलर पैनल लगाने हेतु कितनी जगह चाहिये। इसका भी अनुमान लगाया जा सकता है। एक सोलर पैनल लगाने के लिए 21 वर्ग फिट की आवश्यकता होती है तो आपको 100 सोलर पैनल लगाने के लिए कम से कम 2100 वर्ग फिट की जगह की आवश्यकता होगी। इतनी बड़ी जगह आपकी छत या घर के पीछे खेत या बाग या मैदान या कोई अन्य जगह हो सकती है। सोलर पैनलों को लेकर किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। क्योंकि ये सोलर पैनल पूरे प्लांट की जान होते हैं। इनमें पूरे प्लांट का 60 प्रतिशत से अधिक का खर्चा आता है। इसलिये इनकी सुरक्षा के लिए आपको ऐसी जगह देखनी होगी जो कम से कम दो टन के वजन को सहन कर सके।
बैटरी कैसी होनी चाहिये
सोलर पॉवर प्लांट में इस्तेमाल की जाने वाले बैटरी पर पूरा ध्यान देना होगा क्योंकि सोलर पैनलों से उत्पन्न होने वाली बिजली का उपयोग सिस्टम से जुड़ी बैटरी या अनेक बैटरियों को चार्ज करने के लिये किया जाता है। सोलर पॉवर प्लांट में अधिकतर लीड एसिड बैटरी का ही उपयोग किया जाता है।
इर्न्वटर पर दें ध्यान
इन्वर्टर : सोलर पॉवर प्लांट से इलेक्ट्रिक पॉवर के प्रोडक्शन से डीसी पॉवर मिलता है। इस डीसी पॉवर को एसी में परिवर्तित करने के लिए इर्न्वटर की आवश्यकता होती है क्योंकि बिजली की मशीनों और उपकरणों को चलाने के लिए एसी पॉवर की जरूरत होती है। इसके लिए आपको अच्छा इन्वर्टर लगाना जरूरी है। इससे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि किसी भी औद्योगिक इकाई को दी जाने वाली बिजली का वोल्टेज और फ्रीक्वेंसी उनकी मशीनों की अनुरूप होनी चाहिये जिसे इर्न्वटर अच्छी तरह से कंट्रोल करता है।
नेटवर्क अच्छा होना चाहिये
किसी भी सोलर पॉवर प्लांट से बिजली सप्लाई करने के लिए प्लांट से कई तरह के उपकरणों जैसे तारों, अनेक तरह के स्विचों, अनेक तरह के फ्यूजों, सुरक्षा उपकरणों और अर्थिंग केबल से जोड़ना होता है। इस तरह से सोलर पॉवर प्लांट से होने वाले पॉवर प्रोडक्शन को मेन में रखा जाता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर वहां से अपनी जरूरत की बिजली को लिया जा सके।
कितने प्रकार के होते हैं सोलर पॉवर प्लांट?
आम तौर पर कॉमर्शियल कार्य के लिए तीन प्रकार के सोलर पॉवर प्लांट होते हैं। विशेष तरह की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अलग-अलग सोलर पॉवर प्लांट तैयार किये जाते हैं। ये न ग्रिड, ऑफ ग्रिड और हाईब्रिड सोलर पॉवर प्लांट होते हैं।
1. ऑन ग्रिड सोलर पॉवर प्लांट: इस तरह के प्लांट एसी पॉवर के साथ ग्रिड सप्लाई करते हैं। इस तरह के सोलर पॉवर प्लांट से दिन के समय सीधे प्लांट से बिजली की सप्लाई होती है। इसके अलावा जब भी बिजली की मात्रा कम होती है तो उसको ग्रिड के माध्यम से पूरा किया जाता है। यह प्रणाली नेट मीटरिंग के माध्यम से ग्रिड को अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति करने में मददगार होती है।
2. ऑफ ग्रिड सिस्टम: इस तरह के सोलर पॉवर प्लांट की सप्लाई ग्रिड सिस्टम से पूरी तरह से अलग होते हैं। यह प्रणाली उस समय उपयोगी होती है जा ग्रिड सिस्टम से सप्लाई किसी कारण बाधित होती है या सप्लाई होती ही नहीं हैं।
3. हाईब्रिड सिस्टम: हाईब्रिड सिस्टम ऑन ग्रिड सिस्टम और ऑफ ग्रिड सिस्टम दोनों का ही कॉम्बिनेशन यानी संयोजन है। इससे कई तरह के लाभ मिलते हैं। यह सिस्टम स्टैण्डबाय के रूप में काम करता है। यह ग्रिड की जरूरत के हिसाब से अतिरिक्त पॉवर की सप्लाई भी करता है।
कितनी लागत आती है सोलर पॉवर प्लांट के बिजनेस में?
इस बिजनेस को शुरू करने में अच्छी खासी लागत आती है। यह बिजनेसमैन की क्षमता पर निर्भर करता है कि वो कितनी बड़ी फैक्ट्री लगाना चाहता है। इस बिजनेस को शुरू करने के लिए जमीन और मशीनों की भी जरूरत सोलर प्रोडक्ट के निर्माण अनुसार ही होती है। वैसे जानकार लोगों का मानना है कि इस बिजनेस को शुरू करने के लिए कम से कम 5 और अधिक से अधिक 10 लाख रुपये की जरूरत होती है।
कम बजट में कर सकते हैं ये काम
यदि आपके पास बजट कम है और फिर भी आर सोलर पॉवर प्लांट का बिजनेस करना चाहते हैं तो वो काम भी कर सकते हैं। इसमें आपको अपनी योजना में थोड़Þा संशोधन करना होगा। आपको सोलर प्रोडक्ट के प्रोडक्शन की जगह पर उन्हें बेचने का कारोबार शुरू करने की योजना बनानी होगी। इसके लिए आप अपनी क्षमता के अनुसार थोक या फुटकर व्यापार का काम चुन सकते हैं। छोटे व्यवसायियों के लिए यह बहुत अच्छा आइडिया है। आप सोलर पंप, सोलर लाइट, सोलर पीवी सेट, सोलर थर्मल सेट सहित सोलर उपकरणों तार, स्विच, सेफ्टी प्रोडक्ट आदि का कारोबार शुरू कर सकते हैं। आप अपनी क्षमता के अनुसार इन सोलर प्रोडक्ट की डीलरशिप ले सकते हैं। इस तरह से आप फुटकर विक्रेताओं को सोलर प्रोडक्ट की सप्लाई करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं। या फिर आप स्वयं फुटकर विक्रेता के रूप में अपना कारोबार शुरू कर सकते हैं। थोक व्यापार के लिए आपको कम से कम 5 लाख रुपये की आवश्यकता होगी। वहीं फुटकर विक्रेता के लिए आपको 1,00,000 से लेकर 2,00,000 रुपये तक की आवश्यकता होगी।
सोलर प्रोजेक्ट में निवेश और लाभ
1. सोलर पॉवर प्लांट की फैक्ट्री लगाने के लिए आपको जमीन किराये पर या खरीदनी होगी। इसके लिए आपको नवीनतम मशीनरी, इक्विपमेंट, इलेक्टिकल कम्पोनेंट, मेंटीनेंस का खर्च, और पूर्ण सोलर पॉवर प्लांट के बिजनेस को स्थापित करने के लिए आपको कई चरणों में तरह-तरह के खर्च की आवश्यकता होगी। इस तरह से आपको इस बिजनेस में भारी रकम का निवेश करना होगा।
2. भारी रकम का व्यवसाय होने के कारण सोलर पॉवर प्लांट के मालिक अक्सर निवेशकों की मदद मांगते हैं। साथ ही व्यक्तिगत निवेशक से भी सहायता लेते हैं अथवा इसके लिए इक्विटी शेयर भी जारी करते हैं।
3. सोलर प्रोजेक्ट में निवेश करना बहुत ही लाभदायक है क्योकि इस बिजनेस में किसी प्रकार का कोई जोखिम नहीं होता है। यदि इस बिजनेस को सही तरीके से व्यवस्थित रूप में स्थापित किया जाये और इसका सही तरह से व्यापार किया जाये तो यह बहुत बिजनेस अच्छा लाभ देता है।
4. यदि आपके पास किसी उद्यम को शुरू करने के लिए अच्छी खासी बचत है और आप उसे इन्वेस्ट करके कोई बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो आपके लिए सोलर पॉवर प्लांट से अच्छा कोई बिजनेस नहीं हो सकता है। क्योंकि एक समय के बाद इस बिजनेस में बिना लागत के अच्छी रिटर्न आनी शुरू हो जाती है।
5. इस तरह के उद्यम को शुरू करने के लिए लागत की कोई सीमा नहीं होती है बल्कि बिजनेसमैन द्वारा स्थापित किये जाने वाले कारखाने के आकार के अनुसार निवेश की जरूरत होती है।
सोलर कंसल्टेंसी भी है अच्छा बिजनेस
यदि आप सोलर पॉवर प्लांट या सोलर प्रोडक्ट का निर्माण या बिक्री नहीं करना चाहते हैं। तो आपके लिए सोलर कसंल्टेंसी बहुत ही अच्छा विकल्प है। आजकल घरों, उद्योंगों, ऑफिसों व अन्य संस्थानों में सोलर पॉवर प्लांट की अच्छी खासी डिमांड है। ये लोग अपने आवास, कार्यालय या उद्योग में सोलर पॉवर प्लांट लगवाना चाहते हैं। उससे पहले वो अपने यहां कम से कम दाम में अच्छे सोलर प्लांट को लगवाने की जानकारी भी प्राप्त करना चाहते हैं। ऐसे लोगों की भारी संख्या को देखते हुए सोलर कंसल्टेंसी का बिजनेस बहुत अच्छा साबित हो सकता है। इसके लिए आपको ज्यादा खर्च भी नहीं करना होगा। आपको एक कंसंल्टेंट ऑफिस बनाना होगा। उसको थोड़ा अच्छे से मेनटेन करने होंगे। आपको विभिन्न सोलर प्लांट की बारीक जानकारी रखनी होगी। साथ ही आपको सभी तरह की जरूरत वालों के लिए उपयोगी प्रोजेक्ट तैयार करने होंगे। ताकि उनको दिखाकर उन्हें उनकी जरूरत वाले सोलर प्लांट लगवाने के बारे में सही सलाह दे सकें। यह आपकी स्किल पर निर्भर करता है कि आप अपने ग्राहक को किस तरह से डील करते हैं। यदि आपकी डीलिंग अच्छी हुई तो आपको ग्राहकों को तलाशना नही पड़ेगा बल्कि ग्राहक आपको तलाशता हुआ आपके पास आयेगा।
सोलर कंसल्टेंसी का बिजनेस करने वाले व्यक्ति को एक और लाभ भी मिल सकता है। यदि उसकी स्किल से ग्राहक पूरी तरह से संतुष्ट हो और ग्राहक का पूरा विश्वास जीत सके तो कंसल्टेंसी के साथ ही वह सोलर पॉवर प्लांट लगवाने का काम भी यानी कमीशन पर सोलर प्रोडक्ट बेचने का भी काम कर सकता हैं । इससे उस व्यक्ति को कम लागत में दोहरा मुनाफा मिल सकता है।
रिपेयरिंग व मेंटीनेंस का बिजनेस
यदि आपके पास बिजनेस करने का बजट नहीं है या बहुत कम है और आप सोलर पॉवर बिजनेस से लाभ कमाना चाहते हैं। उसका भी एक सीधा-सादा सा रास्ता है कि आप ग्राहकों को वो सेवाएं दें जो कोई नहीं दे रहा है। कहने का मतलब यह है कि आप सोलर पॉवर प्लांट की मेंटीनेंस यानी देखरेख अथवा कोई खराबी आने पर उसकी मरम्मत यानी रिपेयरिंग के लिए सेवाएं दे सकते हैं। इस बिजनेस में आपको अधिक निवेश की जरूरत भी नही होगी और आपको आमदनी भी अच्छी खासी हो सकती है।
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