आज का जमाना अनसिक्योर्ड लोन का जमाना है। चाहे होम लोन लेना हो, कार लोन लेना हो, होम एप्लांयस लोन लेना हो, क्रेडिट कार्ड लेना हो। सभी बैंक अपने फायदे को देखते हुए आपको सभी तरह के लोन देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और इसके बदले में वो आपसे मोटा ब्याज वसूलते हैं। जब बैंक वाले लोन देते हैं तो ग्राहक से पूरी हमदर्दी दिखाते हुए उससे बहुत प्यार से बातें करते हैं और ग्राहक को खुश करते हैं। आज के जमाने में अच्छी जॉब करने वाले अधिकांश युवा बैंको से लोन और क्रेडिट कार्ड अवश्य लेते हैं। इससे बैंकों का अच्छा खासा बिजनेस इन युवाओं से चलता है। बैंक हमेशा अपने बिजनेस को प्रमोट करने के लिए तरह तरह की स्कीमें भी चलाते हैं ओर ऑफर भी देते रहते हैं। इससे युवावर्ग बैंक वालों की स्कीमों के लालच में फंस जाता है।
लोन सेटलमेंट की परिस्थिति उत्पन्न कैसे होती है
अचानक कोई बड़ी समस्या आ जाने के कारण आप बैंकों से लिये गये लोन की किश्त यानी ईएमआई नहीं चुका पाते हैं अथवा क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान नहीं कर पाते हैं। उस स्थिति में आपके समक्ष लोन सेटलमेंट की स्थिति आती है। उस समय आपको सोच समझ कर ही कदम उठाना चाहिये।
1. यह स्थितियां उस समय बनतीं हैं जब किसी लोन लेने वाले व्यक्ति की अच्छी खासी जॉब अचानक किसी कारण से चली जाती है, उसकी आमदनी का जरिया कुछ दिन के लिए बंद हो जाता है तो वह सबसे पहले अपने खाने कपड़े और परिवार के खर्चे को मेनटेन करेगा या बैंक लोन चुकायेगा।
2. इसी तरह यदि किसी व्यक्ति के शरीर में अचानक किसी बड़ी बीमारी का पता चलता है और जान बचाने के लिए उसे अपनी सारी जमा पूंजी महंगे इलाज में खर्च करनी पड़ जाती है तो उस परिस्थिति में वो लोन नहीं चुका पाने की स्थिति में रहता है।
3. यदि लोन लेने वाले व्यक्ति के साथ या उसके परिवार में किसी के साथ अचानक कोई बड़ी दुर्घटना हो जाती है , जिसमें उसका सारा पैसा लग जाता है तो वह लोन चुकाने की स्थिति में नहीं रहता है।
बैक वालों का रवैया हो जाता है सख्त
ऐसे ही कारणों से लोन लेने वाले व्यक्ति के समक्ष ऐसी मजबूरी आ जाती है वो अपना लोन या क्रेडिट कार्ड का बिल नहीं चुकाता है और आगे भी चुकाने की स्थिति में नहीं रहता है तब उसके समक्ष एक ही रास्ता लोन सेटलमेंट का बचता है। लेकिन शुरू-शुरू में बैंक वालों का रवैया बहुत सख्त होता है । और वह लोन लेने वाले व्यक्ति से लोन का मूल धन, उस पर अपना ब्याज और उस पर लगे लेट फाइन को वसूलने की कोशिश करता है। जबकि लोन लेने वाला मूल धन भी देने की स्थिति में नहीं रहता है। उस समय आपको पूरे दिमाग से काम करना होगा। वरना आपको लेने के देने पड़ जायेंगे।
रिकवरी एजेंट भेज कर धमकाया जाता है
बैंक या वित्तीय संस्थाओं को जब यह मालूम हो जाता है कि उसके फलां ग्राहक की स्थिति ऐसी हो गयी है तो वह उसे अपना पैसा डूबता हुआ दिखता है तो वह दबाव बनाना शुरू कर देता है। पहले तो कॉल करके तरह-तरह से परेशान करने की कोशिश की जाती है। उसके बाद भी आप जब उनका लोन नहीं चुकाते हो तों वे अपने कान्टेक्टेड रिकवरी एजेंट को आपके घर भेज कर तरह तरह से धमकाते और दबाव डालने की पूरी कोशिश करते हैं। अनेक लोग उन रिकवरी एजेंटों की धमकियों के दबाव में आ जाते हैं। उस समय बैंक आपके साथ कोई रियायत नही करता है क्योंकि उसे रिकवरी एजेंट की कंपनी को उनका कमीशन देना होता है।
क्या करना चाहिये और क्या नहीं करना चाहिये?
मान लीजिये कि आपके साथ हुए किसी हादसे के कारण आप लोन चुका पाने में असमर्थ हैं और आपने बैंक को शुरू में लोन सेटलमेंट करने की एप्लीकेशन दे दी। बैंक आप पर दबाव बनाने के लिए आपकी एप्लीकेशन को रिजेक्ट करके पूरा पेमेंट करने को कहते हें। तो आपको चुप हो जाना चाहिये और महीने-दो महीने के समय का इंतजार करना चाहिये। यदि इस समय में बैंक वाले आपसे दुबारा सम्पर्क करके आपसे सेटलमेंट करने की बात कहते हैं तो आप उनसे निगोशियेशन करके कम से कम पेमेंट पर फुल एण्ड फाइनल पेमेंट करके सेटलमेंट कर लेना चाहिये। उस समय बैंक वाले आपसे कम से कम मूल धन लेकर भी सेटलमेंट कर सकते हैं। सेटलमेंट के समय बैक लेट पेमेंट चार्ज और व्याज छोड़ सकते हैं।
आपको रखना होगा धैर्य और दिखानी होगी हिम्मत
अब आप इससे कम या कम से कम पेमेंट करना चाहते हैं तो आपको थोड़ी हिम्मत और धैर्य का परिचय देना होगा। जब आप बैंक वालों की बार-बार कॉल करने पर भी पेमेंट नहीं करते हैं तो वे रिकवरी टीम को भेजते हें। ये रिकवरी टीम भी आपको सामने आकर धमकाती है, आपको भड़काती है और आपको इस तरह से उकसाती है कि आप ताव में आकर पेमेंट कर दें। इसके लिए वो आपके स्टेटस खेलते है, आपकी सोसाइटी में बार बार आकर आपको एक तरह से जलील करने की कोशिश करते हैं। साथ ही जेल जाने का डर दिखाते हैं।
रिकवरी एजेंट की धमकियों से घबराने की जरूरत नहीं
वो आपको यह भी बताते हैं बैंक ने आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी है, पुलिस की ओर सम्मन आता ही होगा। यदि आपने सम्मन नहीं लिया तो आपके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हो सकता है। उसके बाद आपको जेल भी ले जाया जा सकता है। इस तरह से दबाव बनाकर आपको मजबूर करने का प्रयास करते हैं। कुछ लोग इनके दबाव में आ जाते हैं और बैंक की शर्तों पर सेटलमेंट करने को तैयार हो जाते हैं। उस समय भी बैंक वाले अपनी बात ऊपर रखते हैं।
उस समय आपको हिम्मत दिखते हुए उनकी किसी भी धमकियों में नहीं आना चाहिये और न ही आपको सेटलमेंट करना चाहिये। ये रिकवरी एजेंट दो तीन महीने आने के बाद अपके यहां आना बंद कर देंगे। आपको कुछ भी नहीं करना है आप शांत रहिये। इसके बाद जब कुछ दिनों के बाद बैंक से फिर कॉल आये तब उनसे बात करनी चाहिये।
सेटलमेंट से पहले क्या करें
सेटलमेंट से पहले आपको बैंक की चालाकी पकड़नी होगी। उसके बाद उनसे निगोशियेशन्स करना चाहिये और बात को जितना लम्बे समय तक खींच सकते हैं तब तक खीचिंये। जितना लम्बा समय गुजरेगा उतना ही अधिक फायदा आपको होने वाला है। बैंक वाले आपसे बात करते समय आपके बकाये की आउटस्टैंडिग बताकर आपका बिल लम्बा चौड़ा बतायेंगे और उसमें से थोड़ा बहुत छोड़ कर सेटलमेंट करने के लिए दबाव डालेंगे। अब आप ये जानिये कि आउट स्टैंडिंग में क्या क्या चीजें होतीं हैं। आउटस्टैंडिंग में तीन प्रमुख चीजें होतीं हैं, जो इस प्रकार हैं:-
1. प्रिंसिपल एमाउंट: आपके लोन की आउट स्टैंडिंग में प्रिंसिपल एमाउंट होता है। प्रिंसपल एमाउंट को मूल धन भी कहते हैं। यदि साधारण भाषा में कहें कि आपने जितने रुपये का लोन लिया है उसे मूल धन या प्रिंसपल एमाउंट कहते हैं।
2. एलपीएफ यानी लेट पेमेंट फाइन: अब जब आपने अपनी ईएमआई देनी बंद कर दी होती है तब बैंक वाले आपको डिफाल्टर मानकर आपके खाते में लेट पेमेंट फाइन जोड़ने लगते हैं। वैसे तो ये लेट पेमेंट फाइन की कोई रेट फिक्स नहीं है। बैंक वाले अपने मनमाने तरीके से ये लेट पेमेंट फाइन जोड़ कर आपका बजट बढ़ा देते हैं।
3. ब्याज: तीसरा होता है ब्याज और कनवर्जन चार्ज तो ब्याज तो आपको मालूम ही है कि बैंक वाले ब्याज के बारे में गोलगोल घुमाकर छिपाने की बात करते हैं लेकिन जब सेटलमेंट की बात आती है तब आपको एग्रीमेंट दिखाकर उसमें छिपे सारे ब्याज और सरचार्ज दिखाते हैं।
4. इस तरह आउट स्टैंडिंग बनाकर आपके समक्ष लम्बा चौड़ा बिल बनाकर आपसे सेटलमेंट करने की बात करते हैं। आप चूंकि आउट स्टैंडिंग के बारे में नहीं जानते हैं तो बैंक वाले आपका घुमा फिरा सकते हैं।
5. अब आपको क्या करना है, ये जानिये। जब बैंक वालों की काल आपके पास सेटलमेंट के लिए आये तो आपको उनकी कॉल स्वीकार कर लेनी चाहिये। साथ ही आपको बैंक से सेटलमेंट के लिए थोड़ा समय जरूर ले लेना चाहिये। इस समय में आपको आउट स्टैंडिंग की सारी जानकारी जुटानी होगी।
6. यह जानकारी आप कैसे जुटायेंगे, ये हम बताते हैं। आपको बैंक कस्टमर केयर सेंटर या वेबसाइट पर सम्पर्क करके उनसे अपने बैंक लोन की सारी डिटेल मांगनी होगी। इसके बदले मेंं जो जवाब आयेगा। उसमें आपकी आउस्टैंडिंग भी दी होगी और उसमें प्रिंसिपल एमाउंट, लेट पेमेंट फाइन और इंट्रेस्ट सब कुछ अलग-अलग दिया होगा। अब आपको मालूम हो जायेगा कि मूल धन कितना है और उसी धनराशि को लेकर लोन सेटलमेंट करना होगा।
सेटलमेंट अब ऐसे करें
अब आप इसमें से प्रिंसिपल एमाउंट को अलग कर लीजिये और बाद बाकी सारी चीजें भूल जाइये। क्योंकि सेटलमेंट में केवल मूल धन पर ही बात होती है। इसे भी कम किया जा सकता है। ये आपके धैर्य की बात होती है। यदि आप लम्बा नहीं खींचना चाहते हैं तो आप प्रिंसिपल एमाउंट पर सेटलमेंट कर सकते हैं।
यदि आपको प्रिंसिपल एमाउंट से भी कम पेमेंट करना है तो आप बैंक वालों की पेशकश को दो तीन बार ठुकरायें तो बैंक वाले इस राशि को कम करते जायेंगे। पहली बार में वो आपसे 80 प्रतिशत का प्रस्ताव रखेंगे। आप उसे नहीं मानेंगे तो वो आपसे 70 प्रतिशत करेंगे। इसी तरह वो गिरते-गिरते 50 प्रतिशत तक आ सकते हैं। उस समय आप वनटाइम सेटलमेंट की बात कह कर 40 प्रतिशत देने की बात करेंगे तो खींचतान के बाद आपकी बात बन सकती है। यदि नहीं बनती है तब भी आप 50 प्रतिशत पर सेटलमेंट कर सकते हैं। इस तरह से आपका बहुत सा पैसा बच सकता है।
अब आपको एक और सावधानी बरतनी होगी
लोन सेटलमेंट के समय आपको बैंक से एक स्टेटमेंट और एनओसी लेनी होगी वरना पेमेंट लेने के बाद वो दुबारा आपसे फिर सेटलमेंट की बात करने लगेंगे।
जब आपका और बैंक के बीच लोन सेटलमेंट का फाइनल हो जाये और फाइनल पेमेंट से पहले आप बैंक से यह कह सकते हैं कि हम आपके द्वारा मांगी गयी पूरी पेमेंट एक बार में आपके द्वारा तय समय में कर देंगे लेकिन आपको मेरी एक बात माननी होगी। आपको कौन सी बात मनवानी है , यदि नहीं जानते हैं तो हम आपको बताये देते हैं। आपको बैंक वालों से यह कहना है कि आप हमें अपने लेटरपैड पर यह लिखकर देंगे कि हमारा लोन का आवेदन संख्या, दिनांक और एमाउंट का जो लिया था उसके बदले में लोन सेटलमेंट के माध्यम से फुल एंड फाइनल पेमेंट कर दिया है और इसके बाद अब इस लोन के बदले में कोई लेन देन बाकी नहीं रह गया है। अर्थात हिसाब चुकता हो गया है। वो कागज आप संभाल कर रखिये और निश्चिंत हो जाइये।
सिबिल स्कोर की चिंता कतई न करें
जब आपने अपनी समस्या के चलते ईएमआई देना बंद कर दिया और बैंक वालों की बार बार कॉल आने पर पेमेंट नहीं किया तो उसी समय बैक वालो आपके नाम को सिबिल स्कोर वालों को भेज देते हैं और आपके खिलाफ सबूत देकर आपका सिबिल स्कोर खराब करा चुके होते हैं। इस तरह से आपका सिबिल स्कोर तो खराब हो ही चुका होता है। लेकिनआपको इसकी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
सिबिल स्कोर ठीक करने के लिए क्या करेंजिस बैंक से आपने लोन सेटलमेंट किया है वो बैंक आपको आपको कभी भी लोन नहीं देगा। लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है। यदि आपके पास दूसरे बैंक का क्रेडिट कार्ड है तो आप उसे इस्तेमाल करें। उसका पेमेंट सही समय पर करेंगे तो आपका वहां से सिबिल स्कोर ठीक हो जायेगा। यदि नहीं है तो आपको एक कोशिश यह करनी होगी कि आप ऑनलाइन लोन देने वाली अनेक प्राइवेट कंपनियों को तलाशें उनमें से जो कंपनी आपको छोटे से छोटा देने को तैयार हो, उससे लोन ले लीजिये और उसका समय पर भुगतान कर दीजिये। ऐसा कई बार करने से आपका सिबिल स्कोर पहले जैसा ही हो जायेगा। आप फिर कहीं से भी लोन ले सकते हैं।
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