हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। इसका जीता-जागता सबूत शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में परंपरागत उत्पाद हैं, जिनकी बड़े पैमाने पर मांग है लेकिन इन उत्पादों को व्यवस्थित उद्योग का रूप देने की कोई योजना नहीं थी। हालांकि इस बारे में सरकार ने सबसे पहले सन् 2005 में स्फूर्ति योजना बनायी। लेकिन सरकारी विभागों और विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह योजना ठंडे बस्ते में पड़ी रही। कहने का मतलब यह है कि इस योजना का महत्व किसी ने समझा ही नहीं केवल योजना बनाकर रख ली गयी। इसका लाभ उन लोगों को नहीं दिया गया, जो इसके असली हकदार थे।
कई तरह से हो रहा है देश व कारीगर का नुकसान
सरकार का यह मानना है कि पैसे और अवसर के अभाव में गांव की अनेक प्रतिभाएं शहरों में भटक कर मजदूरी करने को विवश हैं। इससे देश का दोहरा नुकसान हो रहा है। पहला तो उस कारीगर की प्रतिभा का नुकसान हो रहा है जो अपनी प्रतिभा के बल पर किसी उद्योग में अपनी सेवाएं देकर देश को कई तरह से आर्थिक क्षेत्र में अपना योगदान दे सकता है। दूसरा यह कि एक प्रतिभाशाली व्यक्ति उचित अवसर के अभाव में अपने कैरियर को चौपट करने को विवश हो रहा है,उसके बदले में उसे वो मेहनताना नहीं मिल पाता है जिसका वो असली हकदार है। इसका खामियाजा उसका पूरा परिवार उठाता है। इन सभी समस्याओं का निराकरण इस योजना में किया गया है।
14 साल तक ठंडे बस्ते में पड़ी रही ये योजना
इस योजना की सुधि 2019 को उस समय ली गयी जब उस समय की वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए इस योजना का जिक्र ही नहीं किया बल्कि प्रत्येक जनपद के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में लागू करने का प्रस्ताव किया। वित्त मंत्री ने इस योजना को जमीनी स्तर से लागू करने के पूरा विवरण देते हुए बताया किया कि सरकार का लक्ष्य पहले चरण में 50 हजार कारीगरों को रोजगार देना है। इसके बाद धीरे-धीरे इसे आगे बढ़ाया जायेगा।
लोकल फॉर वोकल के नारे से मिला फायदा
इस योजना को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने भाषण में स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए लोकल फॉर वोकल का नारा दिया था। इसके तहत प्रत्येक जनपद के पारंपरिक उद्योग को लोगों से बढ़ावा देने के लिए कहा गया था। उन्होंने विदेशी वस्तुओं की निर्भरता कम करने तथा देश की चीजों को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भर भारत का भी आहवान किया था।
खादी ग्रामोद्योग आयोग की है अहम भूमिका
एमएसएमई मंत्रालय ने क्लस्टर विकास के लिए स्फूर्ति योजना को शुरू किया था। इस योजना के तहत दो प्रकार के क्लस्टर होते हैं। इनमें से पहला नियमित क्लस्टर होता है। नियमित यानी रेगुलर क्लस्टर में 500 तक कारीगर होते हैं। दूसरी तरह के क्लस्टर को मेजर क्लस्टर कहते हैं। मेजर क्लस्टर में 500 से अधिक कारीगर होते हैं।
सीएफसी का है अहम रोल
स्फूर्ति योजना के तहत कॉमन फैसिलिटी सेन्टर्स (सीएफसी) के माध्यम से पारंपरिक उद्योगों की स्थापना करने से लेकर विपणन तक का कार्य देखा जाता है। इसके तहत बुनियादी ढांचे की स्थापना, नई मशीनरी की खरीद, कच्चे माल का स्टोरेज, डिजाइन में आवश्यक परिवर्तन , पैकेजिंग को और बेहतर बनाना, कारीगरों की प्रतिभा को निखारने के लिए बेहतर कौशल विकास करने के प्रयास करना और उनकी क्षमता को और अधिक विकसित करने का काम किया जाता है।
क्लस्टर के गवर्निंग सिस्टम को मजबूत बनाती है ये योजना
इसके अलावा स्फूर्ति योजना लाभ प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी के साथ क्लस्टर गवर्नेंस सिस्टम को और अधिक मजबूत बनाने का प्रयास करती है ताकि लाभार्थी अपने-अपने पारंपरिक उद्योगों में आने वाली नयी-नयी चुनौतियों और खास अवसरों को पहचानने और उनका मुकाबला करने और खास अवसरों से लाभ लेने में सक्षम बनें।
प्रत्येक जनपद को योजना का लाभ देने के प्रयास
सरकार ने स्फूर्ति योजना को लागू करने के लिए प्रत्येक जनपद में खादी एवं ग्रामोद्योग का कम से कम एक केन्द्र स्थापित करने के निर्देश दिये हैं। सरकार ने फिलहाल देश के 18 राज्यों को स्फूर्ति योजना के तहत कवर करने का लक्ष्य रखा है। इन सभी 18 राज्यों में वे राज्य शामिल हैं जहां पर हस्तकला, शिल्पकारी का कार्य बहुत अधिक होता है और वहां के उत्पाद दूर-दूर तक मशहूर हैं।
एमएसएमई मंत्रालय ने पारंपरिक उद्योगों और कारीगरों को समूहों में संगठित करने और उनकी आय बढ़ाने के लिए स्कीम ऑफ फंड फॉर रिजनरेशन ऑफ ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज यानी स्फूर्ति को लागू की है।
एमएसएमई मंत्रालय ने शुरू की है ये योजना
एमएसएमई यानी माइक्रो, स्माल एण्ड मीडियम मिनिस्ट्री द्वारा स्फूर्ति योजना को शुरुआत किया गया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के शहरी व ग्रामीण अंचलों में प्रचलित पारंपरिक उद्योगों का विकास करना और उससे जुड़े कारीगरों को कुशल बनाना है। स्फूर्ति योजना के तहत सभी पारंपरिक उद्योगों को आवश्यकतानुसार आर्थिक सहायता भी दी जाती है।
अधिक लाभ देने के लिए योजना को 2019 में किया गया है अपडेट
2005 से शुरू की गयी इस योजना को जब 2019 में अपडेट किया गया तो इसमें अनेक ऐसे उद्योगों को जोड़ा गया, जिनसे भारी संख्या में कुशल व अकुशल ग्रामीण श्रमिक जुड़े हुए थे। इन अकुशल श्रमिकों को कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर उनका आर्थिक विकास करना और गांव को आर्थिक का विकास करने का काम शुरू किया गया है। स्फूर्ति योजना-2021 के तहत इस योजना बांस, खादी और शहद से जुड़े ग्रामीण एमएसएमई उद्योगों का उत्थान करने की विशेष इंतजाम किया गया है।
स्फूर्ति योजना-2021 से किसको मिलता है लाभ
स्फूर्ति योजना-2021 को देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों व पिछड़े शहरी क्षेत्रों में लागू करने के लिए सरकार ने विशेष योजना बनायी। इस योजना से श्रमिक से लेकर कारोबारी तक को लाभ देने की व्यवस्था की गयी है। इस योजना से लाभ उठाने वाले संगठन व श्रमिक इस प्रकार हैं:-
- मानव श्रम: पारंपरिक उद्योगों से जुड़े अप्रशिक्षित कारीगर, अकुशल श्रमिक, सहायक, चालक आदि मानव श्रम करने वालों को इस योजना से विशेष लाभ मिलता है। इन अप्रशिक्षित कारीगरों, अकुशल श्रमिकों को उद्योगों से जुड़ा प्रशिक्षण देकर उनका कौशल विकास किया जाता है, जिससे उनकी प्रतिभा तो निखरती है और उनकी आय बढ़ती है। ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं।
- सरकारी व अर्द्धसरकारी संगठन: केन्द्र व राज्य सरकारों के अर्द्ध सरकारी संस्थान, पंचायती राज संस्थान, राज्य और केन्द्र सरकार के फील्ड अधिकारी आदि को लाभ मिलता है।
- संगठन एवं संघ: उद्यम संघ, सहकारी संघ, शिल्पकार संघ,स्वयं सहायता समूह, एनजीओ आदि को भी लाभ मिलता है।,
- व्यापारी व कारोबारी: निजी व्यवसाय विकास सेवा प्रदाता, संस्थागत विकास सेवा प्रदाता, उद्यमी, कच्चे माल प्रदाता, मशीनरी निर्माता आदि स्फूर्ति योजना से लाभान्वित होते हैं।
कितनी आर्थिक मदद मिलती है
स्फूर्ति योजना के तहत विभिन्न उद्योग समूहों और क्लस्टरों को आर्थिक सहायता दिये जाने का प्रावधान है। आइये जानते हैं कि किसको कितनी सहायता प्रदान की जाती है? ये विवरण इस प्रकार है:-
- एक हजार से 2500 कारीगरों वाले पुराने उद्योग समूह और हैरिटेज क्लस्टर को स्फूर्ति योजना का लाभ मिलता है। ऐसे संस्थानों को इस योजना के तहत 8 करोड़ रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाती है।
- पांच सौ से लेकर 1000 कारीगर वाले क्लस्टरों या संस्थानों को तीन करोड़ रुपये तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
- 500 कारीगरों वाली मिनी क्लस्टरों या छोटे संस्थानों को भी स्फूर्ति योजना के तहत एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज
स्फूर्ति योजना के लिए आवेदक के लिए कुछ पात्रता तय की गयी है तथा आवेदन करते समय जिन कागजातों की आवश्यकता होती है, वे इस प्रकार हैं:-
- आवेदक को भारत का स्थायी निवासी होना चाहिये। विदेश आकर बसने वाले व्यक्ति को इस योजना के तहत लाभ नहीं दिया जायेगा।
- आवेदक का अपना स्वयं का आधार कार्ड होना भी जरूरी है।
- आवेदक के पास अपने आवास का प्रमाण पत्र होना चाहिये। यदि अपना स्वयं का मकान हो तो भूमि एवं भवन का मालिकाना हक वाला सरकारी प्रमाण पत्र। यदि किराये का निवास है तो रेन्ट एग्रीमेंट यानी किरायेनामा और भवन का बिजली का बिल होना जरूरी है।
- आय प्रमाण पत्र, जनसेवा केन्द्रों से जारी होने वाले आय प्रमाण पत्र ही मान्य होते हैं।
- बैँक का खाता और उसकी पूर्ण जानकारी होनी जरूरी होती हे।
- आवेदक के पासपोर्ट साइज के फोटो
- आवेदक का मोबाइल नम्बर
ऑनलाइन आवेदन किस प्रकार से करें
स्फूर्ति योजना-2021 के तहत आवेदक को ऑनलाइन ही आवेदन करना होता है, आवेदन करने की प्रक्रिया स्टेप-बाई-स्टेप इस प्रकार है:-
- सबसे पहले आवेदक को स्फूर्ति योजना का आवेदन करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
- वेबसाइट पर जाते ही आपको होम पेज दिखाई देगा।
- अब आपको होम पेज पर दिख रहे अप्लाई नाव का बटन खोजना होगा और उसके बाद उसको क्लिक करना होगा।
- यह प्रक्रिया पूरी होते ही आपके सामने आवेदन फार्म नजर आयेगा।
- इस आवेदन फार्म को ध्यान से पढ़ना होगा और उसमें मांगी गयी सभी जानकारियों को ध्यान से पढ़ना होगा और उसमें मांगी गयी जानकारी को भी बहुत सावधानी से भरना होगा।
- इसके बाद आपको फार्म में दी गयी जानकारी से सम्बन्धित दस्तावेजों की स्कैनिंग कॉपी को अपलोड करना होगा।
जब आपका फार्म भर जाये और सभी दस्तावेज पूर्ण रूप से अपलोड हो जायें तो उसके बाद आपको उस पेज में दिख रहे सबमिट बटन को खोजना होगा और उस पर क्लिक करके फार्म को सबमिट करना होगा। इस तरह से आपके द्वारा आवेदन की प्रक्रिया पूर्ण हो जायेगी।
स्फूर्ति योजना की खास-खास बातें
स्फूर्ति योजना-2021 से गांव, ग्रामीण का विकास करना तथा बेरोजगारी को दूर करना प्रमुख उद्देश्य है। गांव के मजबूत होने के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। इस योजना की कुछ खास-खास बातें इस प्रकार हैं:-
- स्फूर्ति योजना-2021 से विशेष कर ग्रामीण अंचलों के पारंपरिक उद्योगों का व्यवस्थित रूप से कौशल विकास करना है।
- स्फूर्ति योजना से पारंपरिक उद्योगों में स्थिरता लाने का काम किया जायेगा।
- उद्योगों में आसानी से काम करने के लिए स्फूर्ति योजना के तहत कारीगरों के लिए पर्याप्त उपकरण और मशीनों की व्यवस्था किये जाने की व्यवस्था की गयी है।
- ग्रामीण अंचलों में पारंपरिक उद्योगों के समक्ष उत्पन्न होने वाली समस्याओं का सामना करने और उनके निदान करने के लिए स्फूर्ति योजना को प्रभावी बनाया गया है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए स्फूर्ति योजना-2021 के तहत ग्रामीण उद्योगों के लिए क्लस्टर बनाये जायेंगे। ताकि ग्रामीण क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर मिल सकें।
कौन-कौन से उद्योग आते है स्फूर्ति योजना में
स्फूर्ति योजना में ग्रामीण एवं क्षेत्रीय पारंपरिक उद्योगों को शामिल किया गया है। इसके अलावा हस्तकला, शिल्पकला और दस्तकारी को बढ़ावा देने और उनके घरेलू उत्पाद को औद्योगिक उत्पाद में परिवर्तित करने का प्रावधान किया गया है। इसलिये ग्रामीण अंचलों से जुड़े सभी कार्यों को स्फूर्ति योजना की उद्योग सूची में जोड़ा गया है। इन कामों को करने वाले कारोबारियों से लेकर कारीगरों तक को लाभ पहुंचाने की व्यवस्था इस स्फूर्ति योजना में की गयी है। साथ ही इन ग्रामीण कारीगरों को इस योजना से लाभ उठाने की भी बात कही गयी है। स्फूर्ति योजना में सरकार की ओर से बनायी सूची में शामिल उद्योग इस प्रकार हैं:-
- केन और बांस उद्योग
- सूती वस्त्र उद्योग
- मधुमक्खी पालन उद्योग
- बढ़ईगिरी व लकड़ी का कार्य
- रेशमी वस्त्र व रेशन का कीड़ा पालन उद्योग
- ऊन उत्पादन और ऊनी वस्त्र निर्माण उद्योग
- खाद्य प्रसंस्करण एवं स्वास्थ्य पेय उद्योग
- हस्त निर्मित कागज और रेशा उद्योग
- अगरबत्ती, धूप बत्ती और हवन सामग्री
- धातु और मिट्टी के वर्तनों का निर्माण
- सींग व हड्डी से जुड़ा कार्य
- पारंपरिक आभूषण
- आयुर्वेद
- रिवर शैल बटन और लाख
- हाथ से बुने कालीन
- पॉटरी उद्योग
- फल एवं सब्जी प्रसंस्करण
- लोहार और कृषि उपकरण
- स्टील व लकड़ी के फर्नीचर
- खादी वस्त्र उद्योग
इसके अलावा क्षेत्रीय स्तर के उन उत्पादों को भी स्फूर्ति योजना में शामिल किया गया है जो पूरे देश और विदेशों में लोगों के बीच लोकप्रिय हैं। सरकार का उद्देश्य लोकल प्रोडक्ट को प्रचार करके अंतरराष्ट्रीय उत्पाद बनाना है। इसका पूरा लाभ इस उद्योग से जुड़े ग्रामीण अंचल के लोगों को दिलाना है। ग्रामीण अंचल के लोगों को स्फूर्ति योजना से लाभ उठाकर ग्रामीण क्षेत्र का विकास करने का सुनहरा अवसर प्रदान किया जा रहा है।
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