क्या पेन या पेंसिल का बिज़नेस बहुत मुनाफे वाला है?

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क्या पेन या पेंसिल का बिज़नेस बहुत मुनाफे वाला है?

जानें कैसे शुरू करें ये व्यापार

आपने कई बार एक फेमस कोटेशन तो सुनी ही होगी कि कलम की ताकत तलवार से भी अधिक होती है और यह शब्द सच्चे मायनों में पेन और पेंसिल की ताकत को दिखाते हैं। इसका मतलब है कि एजुकेशन की सहायता से तलवार के द्वारा मारे जाने वाले लोगों की संख्या से भी ज्यादा लोगों को इंफ्लुएंस किया जा सकता है। इस बिजनेस की डिमांड आज के समय में भी काफी अधिक है और आने वाले समय में इससे भी अधिक होने की संभावना है।

वर्तमान में रेगुलर ह्यूमन लाइफ में फंडामेंटल यूज़ के रूप में पिछली एक शताब्दी से इस्तेमाल हो रहे पेन में नए इनोवेशन के साथ-साथ यूनिक और नई डिजाइनिंग आ गई है और बहुत ही बड़े स्केल पर पेन और पेंसिल बनाकर आज कई ग्लोबल मार्केट कंपनियां बिलियन डॉलर की कंपनी बन चुकी है।

आज हम आपको बताएंगे कि आप भी किस तरीके से नीचे बताए गए आइडिया की हेल्प लेते हुए अपना एक पेन और पेंसिल मैन्युफैक्चरिंग स्थापित कर सकते हैं, आइए जानते हैं :-

1. बनाए एक बिजनेस प्लान :-

किसी भी व्यवसाय की तरह पेन और पेंसिल बिजनेस को शुरू करने के लिए भी आपको एक यूनिट स्ट्रेटजी के साथ अपना बिजनेस प्लान बनाना होगा और पेन मैन्युफैक्चरिंग को एक बिजनेस के तौर पर लेते हुए रेवेन्यू का अच्छा सोर्स मानकर मैन्युफैक्चरिंग शुरू करनी होगी।

इस तरह के बिजनेस प्लान में आपको व्यवसाय को शुरू करने से पहले ही कुछ बातों को सोच कर रखना होगा, जैसे कि आप किस तरह के पेन और पेंसिल की मैन्युफैक्चरिंग करेंगे जैसे कि जेल पेन या फिर बॉल पॉइंट पेन, इसके अलावा पेंसिल में भी कलर पेंसिल या फिर साधारण ग्रेनाइट पेंसिल।

यह सब बातें निर्धारित करने के बाद आपको तय करना होगा कि इस व्यवसाय में कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट को आप किस तरीके से प्राप्त करेंगे और अपनी पेन मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री के लिए लोकेशन का निर्धारण कैसे करेंगे, इसके अलावा अपने बिजनेस प्लान में ही अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटजी और निवेश के बारे में ही पहले से ही सोच कर रखना होगा।

इस तरह बनाया हुआ एक प्रॉपर बिजनेस प्लान पेन और पेंसिल मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस में आपकी सफलता को बहुत अधिक बढ़ा देगा।

2. पेन और पेंसिल मैन्युफैक्चरिंग के लिए आवश्यक कच्चा माल :-

  • बैरल :-

बैरल का इस्तेमाल मुख्यतया पेन की बॉडी के रूप में किया जाता है, जिसमें इंक को भरा जाता है। वर्तमान समय के पेन रिफिल के साथ आते हैं इसलिए खाली बैरल का यूज किया जाता है, जिसमें अलग से रिफिल डाली जाती है।

वुडन स्टाइल पेंसिल प्रकार की पेंसिल बनाने के लिए आपको सुखी लकड़ी की आवश्यकता होगी। इसके अलावा मार्केट में पहले से ही पेंसिल मैन्युफैक्चरिंग के लिए इस्तेमाल में होने वाली ग्रेनाइट की पतली कटी हुई पट्टियां पेंसिल मैन्युफैक्चरिंग में आपकी मदद करेगी।

  • मेटल टिप :-

मेटल टिप पेन के आगे का हिस्सा होता है जहां से इंक निकलती है जिसका इस्तेमाल पेपर पर लिखने के लिए किया जाता है।

अच्छी क्वालिटी स्टैंडर्ड की मेटल टिप लिखने वाले राइटर के लिए स्मूदनेस को काफी अधिक बढ़ा देती है और इससे उसकी हैंडराइटिंग भी अच्छी होती है, इसलिए अधिक लोगों तक पहुंच बनाने के लिए थोड़ा बहुत अधिक निवेश करके आपको अच्छी क्वालिटी की मेटल टिप खरीदनी चाहिए और इस टिप में किए गए निवेश का यूज़ अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटजी में भी करके लोगों को बताना चाहिए कि दूसरी कम्पनी के पेन की तुलना में आपका पेन काफी स्मूद है और इसे हैंडराइटिंग भी काफी अच्छी होती है।

  • प्लास्टिक एडॉप्टर :-

बैरल को मेटल टिप से कनेक्ट करने के लिए प्लास्टिक से बने हुए इस एडेप्टर का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि पेन के अगले हिस्से में लगाया जाता है।

  • कैप :-

किसी भी पेन में यूज़ में आने वाली इंक को कवर करने के लिए एक कैप का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे कि इंक लीकेज ना हो और मेटल टिप में आगे लगने वाली राउंड बॉल सिक्योर रहे।

कई बार आपने नोटिस किया होगा कि आपके पेन की टिप खराब हो जाने की वजह से उसका कोई इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

  • इंक :-

यदि आप पहले के स्टाइल वाले पैन ही बनाना चाहते हैं तो उसमें इंक रिफिल करने के लिए छोटे इंक के पैकेट बनाने होंगे, जिन्हें कांच की बोतल में पैक किया जाता है।

अपने निवेश को थोड़ा कम करने के लिए आप प्लास्टिक की छोटी बोतल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इसमें यूज़ होने वाली इंक भी स्टैंडर्ड क्वालिटी की होना जरूरी है। वर्तमान में मार्केट में ब्लू, ब्लैक, ग्रीन और रेड जैसी अलग-अलग इंक वाले पेन काफी अधिक बिकते हैं।

  • अलग-अलग कलर :-

कई बार आपने देखा होगा कि पेंसिल की हेल्प से ही लोग इतनी शानदार पिक्चर ड्रॉ कर देते हैं कि आप देखकर अचंभित हो जाते है।

इस तरह की पिक्चर को बनाने के लिए इस्तेमाल में ली जाने वाली पेंसिल को बनाते वक्त उसमें अलग-अलग तरह के रंग डाले जाते हैं जो कि अच्छी क्वालिटी के होने के साथ-साथ पेंसिल की स्मूथनेस को भी बढ़ाते हैं।

fountain pen on paper with ink text on the paper

3. पेन और पेंसिल बनाने के लिए आवश्यक मशीन :-

कच्चे माल के अलावा आपको कुछ यूनिक क्वालिटी की मशीनों की भी आवश्यकता होगी जिनकी हेल्प से बिना मेनपावर का यूज किए हुए ही आप आसानी से बड़े स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग कर पाएंगे :-

  • पंचिंग मशीन :-

इस तरह की मशीन का यूज प्लास्टिक एडेप्टर को बैरल से कनेक्ट करने के लिए किया जाता है, जोकि इलेक्ट्रिसिटी से चलती है और अपने आप ही बैरल को मेटल टिप से कनेक्ट करने का काम करती है।

  • स्टांपिंग मशीन :-

आपकी कंपनी का नाम ही आपकी ब्रांडिंग को बढ़ाएगा, इसलिए आपको एक स्टांपिंग मशीन की भी जरूरत होगी।

जो कि आपकी कंपनी के नाम को बैरल या फिर पैन की बॉडी पर स्टांप करने का काम करती है। यदि आपके पास अधिक निवेश नहीं है तो शुरुआत के दिनों में इस तरह की मशीन का इस्तेमाल से बच भी सकते हैं, क्योंकि शुरुआत में आप अपने व्यवसाय को स्थापित करने के बारे में सोचें, जब अच्छा खासा मुनाफा बना लेंगे तो इसकी ब्रांडिंग के लिए भी पैसे खर्च किए जा सकते है।

  • पैकिंग मशीन :-

इस मशीन का इस्तेमाल आप की दूसरी मशीनों की हेल्प से तैयार किए गए पेन और पेंसिल की पैकिंग करने के लिए किया जाता है।

यदि शुरुआत में आप इस मशीन की कीमत को अफोर्ड नहीं कर पाते हैं तो आप एक से दो लोगों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो कि अपने हाथों से मशीनों के द्वारा तैयार किए गए पैन को पैक करने का काम करते हो।

इसी मशीन की हेल्प से अलग-अलग कलर की पेंसिल को अलग-अलग डिब्बों में पैकिंग करने का काम भी किया जा सकता है।

कई बार मशीनों से होने वाली गड़बड़ की वजह से आपने नोटिस किया होगा कि जब आप किसी दुकान से अलग-अलग 12 रंग की पेंसिल खरीदते हैं तो उसमें एक ही रंग के दो या तीन पेंसिल मिल जाती है, यदि आप मेन पावर का इस्तेमाल करेंगे तो इस तरह की गलतियों को कम कर सकते है।

ऐसी गलतियां आपकी कंपनी के ऊपर लोगों के ट्रस्ट को कम करती है, जो कि आपके लिए घाटे का सौदा हो सकता है।

4. कैसे करें लोकेशन का चुनाव :-

यह बात आपको पता ही है कि पेन और पेंसिल मैन्युफैक्चरिंग के लिए आपको एक अच्छी स्पेस की आवश्यकता होगी, जहां से आप अपने मैन्युफैक्चरिंग काम को शुरू कर सकते हैं।

इस तरह की जगह को चुनते वक्त आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा जैसे कि वहां पर इलेक्ट्रिसिटी और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर के अलावा ट्रांसपोर्टेशन की पर्याप्त सुविधा है या नहीं, इसके अलावा आप अपने डिस्ट्रीब्यूटर से संपर्क बनाने के लिए मार्केट में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए कौनसे कदम उठा सकते हैं और अपनी जगह को चुनते वक्त थोड़ी अधिक जगह लेकर अपने मैन्युफैक्चरिंग को बड़े स्तर पर शुरू किया जा सकता है।

किसी भी बड़े शहर के इंडस्ट्रियल एरिया में इस तरह के मैन्युफैक्चरिंग व्यवसाय को शुरू करने के लिए आपको लगभग पचास हजार रुपए तक प्रति महीने किराए पर लोकेशन मिल सकती है, अलग-अलग स्थानों पर यह कीमत थोड़ी बहुत कम या अधिक हो सकती है।

5. कितनी होगी लागत :-

इस तरह के बिजनेस में मुनाफा कमाने की संभावना भी अधिक होती है, इसलिए शुरुआत में ही आपको अधिक निवेश की भी आवश्यकता होगी।

बड़े स्तर पर देखा जाए तो दस से पन्द्रह लाख रुपए तक के निवेश में इस व्यवसाय की शुरुआत की जा सकती है।

इस निवेश में कच्चे माल की कीमत और आपके यहां काम कर रहे कर्मचारियों की सैलरी, इंफ्रास्ट्रक्चर और लोकेशन का किराया, ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट जैसी चीजों के लिए निवेश को शामिल किया जा सकता है।

कम निवेश होने पर शुरुआत में आप अपने मुनाफे को कम करके अपनी कंपनी को बड़ा बनाने के लिए ज्यादा पैसा खर्च कर सकते हैं क्योंकि यह बात तो आप भी जानते हैं कि एक बार यदि आपकी कंपनी ने अधिक लोगों तक पहुंच बना ली तो मुनाफा अपने आप अधिक हो जाएगा।

6. कैसे करें निवेश की व्यवस्था :-

यदि आपके पास इतना अधिक निवेश नहीं है तो सरकार के द्वारा आत्मनिर्भर भारत स्कीम के तहत माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज इंडस्ट्रियल सेक्टर के लिए अलग से लोन देने की स्कीम चलाई गई है।

आप अपने आसपास के क्षेत्र में स्थित किसी बैंक में जाकर और अधिक जानकारी ले सकते हैं और सरकार की इंटरेस्ट सब्वेंशन स्कीम का भी फायदा उठा सकते हैं जिसके तहत आपको बैंक के द्वारा चार्ज किए जाने वाले ब्याज की तुलना में कम ब्याज चुकाना होगा।

7. करवाएं अपने व्यवसाय का इंश्योरेंस :-

किसी भी दूसरे बिजनेस की तरह इस व्यवसाय में भी इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल होगा, इसलिए अकस्मात रूप से घटित होने वाली है घटनाओं की संभावनाएं भी अधिक हो सकती है।

इस तरह की मानसिक तनाव देने वाली घटनाओं से बचने के लिए आप किसी इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क करके अपने यहां काम कर रहे कर्मचारियों के अलावा अपने व्यवसाय का इंश्योरेंस करवा सकते हैं और मानसिक तनाव के साथ ही ऐसी घटनाओं से आने वाले फाइनेंशियल बर्डन से भी बच सकते हैं।

8. कैसे करें कर्मचारियों का चुनाव :-

जैसा कि हमने आपको पहले बताया इस तरह के बिजनेस में लगभग सभी काम मशीनों के द्वारा किया जाएगा लेकिन फिर भी आपको पांच से दस कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ सकती हैं, जो कि आपके व्यवसाय का मैनेजमेंट संभालने के अलावा सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए भी काम में आ सकते है।

इस तरह के कर्मचारियों को चुनने के लिए आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी क्योंकि इस व्यवसाय के लिए स्किल्ड कर्मचारियों की आवश्यकता नहीं होती है और आप पहले से इसी फील्ड में काम कर रहे किसी भी कर्मचारी से संपर्क करके उसे आपकी फैक्ट्री से जुड़ने के लिए इनफ्लुएंस कर सकते हैं।

two people working on laptop displaying marketing

9. करें अपने बिजनेस की मार्केटिंग :-

बिना मार्केटिंग के आज के समय में अपने प्रतिस्पर्धी को पीछे छोड़ना काफी मुश्किल हो गया है, इसलिए आप भी अपने निवेश में से थोड़ा बहुत पैसा बचा कर मार्केटिंग में खर्च कर सकते है।

जैसा कि आपको पता है इस तरह के व्यवसाय में टारगेट कस्टमर बेस के रूप में स्टूडेंट और टीचर आते हैं इसलिए आप भी डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपने एडवर्टाइजमेंट चला सकते है।

इसके अलावा ऑफलाइन मार्केटिंग के तौर पर आसपास के क्षेत्र में ही अपनी कंपनी के द्वारा बनाए जाने वाले प्रोडक्ट के बड़े होर्डिंग्स और बोर्ड तैयार करवा सकते हैं, इस प्रकार के बोर्ड में एक यूनिक मार्केटिंग स्ट्रेटजी भी अपना सकते हैं, जिसके तहत दूसरी कंपनी के द्वारा बनाए जाने वाले प्रोडक्ट को अपने प्रोडक्ट से तुलना करके दिखा सकते हैं और आपके प्रोडक्ट में उपलब्ध करवाई जाए वाली अच्छी सर्विस का प्रचार के रूप में इस्तेमाल कर सकते है।

10. निर्धारित करें रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट :-

किसी भी बिजनेस की कोई भी व्यवसायी मुनाफा कमाने के लिए ही शुरुआत करता है, आप भी अपना एक रिटर्न ओन इन्वेस्टमेंट निर्धारित कर सकते है।

इसका तात्पर्य होता है कि एक वर्ष में आपके द्वारा किए जाने वाले निवेश से आप कितना मुनाफा कमा पाते हैं उदाहरण के तौर पर यदि आप एक लाख रुपए का निवेश करते हैं और यदि एक साल में आपने एक लाख रुपए का मुनाफा कमा लिया तो उसे 100% रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट के तहत गिना जाएगा।

शुरुआत में आप भी अपने व्यवसाय के लिए 50 से 60% रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट निर्धारित कर सकते हैं क्योंकि इससे ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में आपके द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रोडक्ट क्वालिटी खराब हो सकती है, जिससे कि आपके प्रोडक्ट के प्रति लोगों का विश्वास भी कम हो सकता है।

इस प्रकार हमने जाना कि कैसे आप भी अपनी एक पेन और पेंसिल व्यवसाय की कंपनी खोल सकते हैं। ऊपर बताए गए जानकारी को देखकर अब तो आपको भी लग रहा होगा कि वाकई में यह व्यवसाय काफी मुनाफा देने वाला है और इसकी हेल्प से आने वाले समय में और अधिक टारगेट कस्टमर बेस तक पहुंच बनाई जा सकती है।

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