10 ऐसी मुश्किलें जो एक होलसेल व्यापारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अनुभव करता है, इससे उबरने के उपाय

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10 ऐसी मुश्किलें जो एक होलसेल व्यापारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अनुभव करता है, इससे उबरने के उपाय

होलसेल व्यापारी या डिस्ट्रीब्यूटर के गोदामों में ठसाठस भरे माल और काउंटर पर नोटों और चेकों के आवागमन को देखकर तो यही लगता है कि  वो अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहा है। इसको देखकर कई लोग इसके झांसे मे आ जाते हैं और बिना सोचे समझे इस काम में पंूजी लगा देते है। बिजनेस करने के बाद उन्हें इस बिजनेस की खामियां महसूस होतीं है। कहने के मतलब चाहे जितना बड़ा डिस्ट्रीब्यूटर हो या होलसेल व्यापारी हो वो ऐसा अकेला नहीं है जिसको किसी तरह की टेंशन ना होती हो। होलसेल व्यापारी के सामने अनेक मुश्किलें आतीं हैं, जिससे वो परेशान रहता है। ऐसे होलसेल व्यापारी की रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाली 10 ऐसी मुश्किलों के बारे में विचार करते हैं और उनसे उबरने के उपाय के बारे में जानने का भी प्रयास करते हैं।

1.निर्माताओं की मनमानी

2.सप्लाई के लिए टाइम का टाइट शिड्यूल

3. डीजल/पेट्रोल की बढ़ती कीमतें

4. इन्वेन्टरी मैनेजमेंट

5. ई कॉमर्स बिजनेस का पड़ता दुष्प्रभाव

6. कस्टमर्स की बढ़ती नई-नई मांग

7. रिटेलर्स और मैन्यूफैक्चरर्स का गठजोड़

8. बड़ी पूंजी पर कम मुनाफा

9. कर्मचारियों की सुरक्षा की चिंता

10 बड़े रिटेलर्स की मोनोपोली

1.निर्माताओं की मनमानी

होलसेलर या डिस्ट्रीब्यूटर का काम मैन्यूफैक्चरर्स यानी निर्माताओं से थोक सामान खरीद कर फुटकर विक्रेताओं को बेचना होता है। लेकिन आज के कंपटीशन के जमाने में निर्माताओं की बाढ़ सी आ गयी है। उनके बीच होने वाली गलाकाट कंपटीशन के चलते होलसेलर्स को काफी खींचतान करनी होती है। इसके अलावा मैन्यू फैक्चरर्स द्वारा होलसेलर्स या डिस्ट्रीब्यूटर्स की अनदेखी करके उसके क्षेत्र में फुटकर विक्रेताओं को सीधे माल की सप्लाई करने से भी होलसेल व्यापारी को रोजाना ही मुश्किलों का सामना करना होता है।

उपाय

होलसेल व्यापारी को मैन्यूफैक्चरर्स कंपनी से सामान खरीदने के समय एक कॉन्टेक्ट कर लेना चाहिये कि वो निर्धारित क्षेत्र में अपना सामान सीधे रिटेलर को नहीं बेच पायेंगे अथवा उनकी सहमति के बिना किसी दूसरे व्यक्ति को अपना डिस्ट्रीब्यूटर भी नही बना पायेंगे। साथ ही यह भी तय कर लें जिस रेट में थोक में सामान दे रहे हैं, उस रेट में किसी को सामान नहीं दे पायेंगे। इसके अलावा आप अपने फुटकर विक्रेताओं को अपने विश्वास में रखें और उन्हें उनकी डिमांड का सामान समय पर पहुंचाने का प्रयास करें। जब आपके द्वारा भेजा गया सामान उनके पास पर्याप्त मात्रा में होगा तो वह दूसरे से क्यों सामान खरीदेगा।

2.सप्लाई के लिए टाइम का टाइट शिड्यूल

होलसेल व्यापारी के सामने रिटेलरों की मनमानी मांग भी बहुत मुश्किलें पैदा करती है। भारी पैमाने पर सामान खरीदने वाले कुछ रिटलेर अपने सामान की सप्लाई के लिये बहुत  कम समय देते हैं। ऐसी समय सीमा तय कर देते हैं कि सामान उनके पास तक पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। देरी से सामान पहुंचने पर होलसेल व्यापारी पर जुर्माना लगा देते हैं। इसके अलावा प्रोडक्ट के बारे में पूरी जानकारी न दिये जाने पर भी होलसेल व्यापारी पर जुर्माना लगा दिया जाता है। इससे होलसेल व्यापारी को काफी टेंशन हो जाती है।

उपाय

सबसे पहले आप अपनी लॉजिस्टिक सर्विस को चेक करें। अपने बड़े-बड़े रिटेलरों की लिस्ट बनायें। उसकी डिमांड को भी चेक करें। इन सबका होमवर्क करके व्यापारी की मांग के अनुरूप पहले से ही तैयारी करके काम करें। यदि आप किसी लॉजिस्टिक सर्विस देने वालो ंको हायर करते हैं तो उसके खिलाफ सख्ती करें। यदि वो आपकी इच्छानुसार काम न कर सके उसे तुरन्त बदलें। इसके अलावा इस काम में किसी एक्सपर्ट की सलाह लें। वो आपकी समस्या का सही समाधान निकाल सकेगा। अपने प्रोडक्ट की पूरी जानकारी रखें और अपने ग्राहकों को समय पर उपलब्ध करायें।

the price of fuel rising up

3. डीजल/पेट्रोल की बढ़ती कीमतें

होलसेल का पूरा बिजनेस ट्रांसपोर्ट पर आधारित होता है। ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल होने वाले पेट्रोल और डीजल की कीमत होलसेल के व्यापार में मुनाफा तय करने मेंं महत्वपूर्ण भूमिका निभातीं हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें होलसेल का व्यापार में होने वाले खर्चे को घटातीं व बढ़ातीं हैं। बहुत से होलसेलर इसको फ्यूल सरचार्ज के रूप में जोड़ते हैं लेकन कई छोटी कंपनियां इसे नजरंदाज भी कर देतीं है। इससे होलसेल व्यापारी मुश्किल में आ जाता है।

उपाय

होलसेल व्यापारी को पहले ही अपने फ्यूल सरचार्ज को क्लियर कर देना चाहिये। होल सेल व्यापारी को एक सीमित दूरी के दायरे में ही फ्री डिलीवरी करनी चाहिये। इसके लिए खुद के वाहन रखकर सप्लाई करें तो बेहतर होगा। रिटेलर से यह पहले तय कर लेना चाहिये कि डीजल और पेट्रोल की घटती बढ़ती कीमतें से बढ़ने वाला खर्च भी साझा करना होगा।

4. इन्वेन्टरी मैनेजमेंट

इन्वेन्टरी मैनेजमेंट होलसेल व्यापारी के लिए कोई नई चीज नहीं है। लेकिन हमें इनके सम्पूर्ण समाधान के लिए सजग रहना होगा। इन्वेन्टरी मैनेजमेंट सही नहीं होने से बिजनेस को झटका लगता है। जो होलसेल व्यापारी के लिए बड़ा मुश्किल काम है।

उपाय

आप यदि होलसेल का काम करना चाहते हैं तो आपको सामान खरीदना, उसे स्टोर करना और समय पर ग्राहक तक पहुंचाना अच्छी तरह से आना चाहिये। साथ ही इन क्षेत्रों में रोजाना हो रहे बदलाव से भी परिचित होना चाहिये। अगर आप इन्वेन्टरी मैनेजमेंट पर ध्यान नहीं देंगे तो आपका होलसेल का बिजनेस डगमगा सकता है। इसलिए आपको सामान खरीदने, रिटेलर्स तक सही समय पर उसकी जानकारी देने और समय पर पहुंचाने के लिए अपने वर्कर समेत हर एक बारीक समस्या पर पूरा ध्यान देकरअपने बिजनेस को चमका सकते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए आजकल मार्केट में अनेक सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध हैं उनसे आप मदद ले सकते हैं।

5. ई कॉमर्स बिजनेस का पड़ता दुष्प्रभाव

आजकल तेजी से फैल रहा ई कॉमर्स बिजनेस भी होलसेल व्यापारी के लिए सबसे बड़ा चिंता का विषय बना हुआ है। बिजनेस टू बिजनेस ई कॉमर्स ट्रेन्ड होलसेल व्यापार को प्रभावित कर रहा है। यदि होलसेल व्यापारी आॅनलाइन बिजनेस से दूर हैं तो उनको काफी समस्याओं का सामना करना होता है।

उपाय

होलसेल व्यापारी को मार्केट में रहते हुए दस साल हो गये हों और वो ई कॉमर्स बिजनेस को समझ नहीं पाया हो तो यह उसके लिए सबसे बड़ी समस्या है। आपको सबसे पहले आॅनलाइन सिस्टम को स्वीकार करना होगा। वेबसाइट पर आपको अपने स्टोर के बारे में जानकारी देनी होगी। आज के जमाने पर लोग फोन पर बात नहीं करना चाहते हैं बल्कि आपकी वेबसाइट पर थोक  में पड़े कैटलॉग देखकर प्रोडक्ट की बारीक से बारीक जानकारी लेकर आॅर्डर देना चाहते हैं। इसके लिए आपको खुद को तैयार करें तो आपकी मुश्किल दूर हो सकती है।

6. कस्टमर्स की बढ़ती नई-नई मांग

होलसेल व्यापारी को आज के जमाने मेंं अपने कस्टमर्स की बढ़ती मांग की चुनौती का सामना करना पड़रहा है। हर साल कस्टमर्स की नई नई मांग सामने आतीं है, जिससे होलसेल व्यापारी को अपने स्टोर को बढ़ाने की आवश्यकता होती है। नई नई मांग के कारण पुरानी चीजों को कहां खपाये। यह भी समस्या होती है।

उपाय

ई कॉमर्स बिजनेस की जबर्दस्त होड़ के कारण ग्राहकों की मांग को पूरा करने के लिए रिटेलर्स को भी अलर्ट ही नहीं रहना पड़ता है बल्कि अपने ग्राहकों की मांग को पूरा करना भी पड़ता है। होलसेल व्यापारी को भी चाहिये बदलते जमाने के साथ चले वरना प्रगति की दौड़ में पीछे रह जायेगा। जहां तक नई और पुरानी मांगों का सवाल है।उसके लिए होलसेल व्यापारी को उन मार्केट को भी तलाशना होगा जहां पुरानी मांग वाले माल की आसानी से खपत हो सकती है। इसमें गुंजाइश रहती है। किसी माल की मांग कल तक महानगरों में थी, वो आज बड़े नगरों में भी हो सकती है। उसे बेचने के लिए आपको कुछ प्रयास करने होगे। मार्केटिंग टीम को इसमें ट्रेंड करना होगा।

7. रिटेलर्स और मैन्यूफैक्चरर्स का गठजोड़

होलसेल व्यापारी को बिजनेस से अलग करने के लिए मैन्युफैक्चरर्स के आपसी गठजोड़ से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अधिक मुनाफा कमाने के लिए मैन्यूफैक्चरर्स सीधे रिटेलरों को अपना प्रोडक्ट बेचने का प्रयास करते हैं। दूसरी ओर मैन्यूफैक्चरर्स रिटेलर को अधिक बचत का प्रलोभन देता है। जो प्रलोभन में आकर होलसेलर्स की जगह निर्माता से ही माल खरीदने लगता है। इस तरह से होलसेल व्यापारी का बिजनेस प्रभावित होता है।

उपाय

होलसेल व्यापारी को चाहिये कि वह बीच का रास्ता निकाले। वह अपने वेंडर को भेजकर रिटेलर से बिजनेस डील करवाये। मैन्यूफैक्चर अपने प्रोडक्ट की सप्लाई न तो उसके मनमुताबिक समय और मनमाफिक जगह पर कर पायेगा। मैन्यूफैक्चरर्स अपने यहां से रिटेलर्स को सामान खरीदने को कहेगा। होलसेल व्यापारी को चाहिये कि इस स्थिति का लाभ लेने के लिये वो सभी चुनिंदा मार्केट में अपने लोकल वेंडर की टीम बनाकर रिटेलर की डिमांड के अनुसार वहीं प्रोडक्ट टाइम पर पहुंचाये। इससे रिटेलर का समय और मेहनत बचेगी। समय पर माल मिलने से उनकी आय बढ़ेगी। तब उसका मैन्यूफैक्चरर्स से मोह भंग हो जायेगा। इसका लाभ होलसेल व्यापारी को मिल सकेगा।

A businessman holds a red arrow to down and the inscription profit

8. बड़ी पूंजी पर कम मुनाफा

होलसेल व्यापारी की सबसे बड़ी मुश्किल यह होती है कि उसे पूंजी तो अधिक लगानी पड़ती है और उसे मुनाफा कम ही मिल पाता है। उसका कारण यह है कि होलसेल व्यापारी फुटकर व्यापारी से ही अपना व्यापार करता है। उसे तमाम कंपटीशन के बाद रिटेलर्स की अपेक्षा आधा ही मुनाफा मिलता है। और उसे रिटेलर्स पर निर्भर रहना पड़ता है जो सीमित संख्या में ही होते हैंं। जबकि रिटेलर्स को उससे दुगुना मुनाफा होने के कारण उसके पास विकल्प होता है कि वह होलसेल व्यापारी की जगह सीधे मैन्यूफैक्चरर्स से सामान खरीद कर अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकता है।

उपाय

होलसेल व्यापारी मैन्यूफैक्चरर्स और रिटेलर्स के बीच की कड़ी होता है। उसे दोनों के बीच तालमेल बनाये रखने की कला आनी चाहिये। इसके लिए उसे ऐसी रणनीति बनानी चाहिये कि वह दोनों की जरूरतों को आसानी से पूरी कर सके। प्रत्येक बिजनेस में कोई न कोई समस्या सामने आती रहती है। ऐसा भी मौका आता है जब मैन्यूफैक्चरर्स और रिटेलर्स दोनों को मदद की सख्त जरूरत होती। होलसेल व्यापारी को इसी मौके को तलाशना होगा ।

9. कर्मचारियों की सुरक्षा की चिंता

होलसेल व्यापार पूरी तरह से ट्रांसपोर्ट पर निर्भर करता है। उसे यहां वहां से माल इकट्ठा करना पड़ता है। खास बात यह है कि इस ट्रांसपोर्ट के लिए उसे बहुत मामूली बचत होती है। दूसरे शब्दों में कहें कि बहुत ही किफायत से बहुत अच्छी सर्विस देनी होती है। होलसेल व्यापारी कम से कम वर्कर से काम चलाने की कोशिश करते हैं। इससे वर्कर बिना थके काम करना पड़ता है। इससे उनके साथ दुर्घटनाएं भी होतीं रहतीं है। इसका खामियाजा होलसेल व्यापारी को भुगतना पड़ता है।

उपाय

होलसेल व्यापारी भले ही अपने वर्कर होने वाले खर्चे को लिमिट में रखे लेकिन अपने कर्मचारी की सेहत का भी ख्याल रखे। होलसेल व्यापारी को ट्रेन्ड कर्मचारी के साथ सहायक कर्मियों को रखें और उन्हें काम सिखाकर उनकी जगह रख लें। इससे होलसेल व्यापारी का बजट भी वही रहेगा और कर्मचारियों की संख्या बढ़ जायेगी जिससे एक ही कर्मचारी पर निर्भर नहीं रहना होगा। जब कर्मचारी अधिक होंगे तो स्वाभाविक है कि उन पर लोड भी कम होगा और वो अपना काम फुर्ती से कर सकेंगे।

10. बड़े रिटेलर्स की मोनोपोली

होल सेल व्यापारियों का काम रिटेलर्स से ही चलता है और जो बड़े कस्टमर्स होते हैं वो यह सोचते हैं मेरे बिजनेस से होलसेलर्स का बिजनेस चल रहा है। इस तरह के सोच वाले रिटेलर्स होलसेलर्स के समक्ष नयी - नयी शर्तें रखकर उन्हें परेशान करते रहते हैं। इससे होलसेलर्स को काफी टेंशन रहती है।

उपाय

होलसेलर्स को चाहिये कि वह अपने बिजनेस को थोड़ा स्मार्ट लुुक दे। यानी आॅफलाइन माल सप्लाई करने के साथ ही आॅनलाइन होलसेल स्टोर का बिजनेस शुरू करे। इससे उसे नये-नय ग्राहक मिलने शुरू हो जायेंगे तो फिर जो नखरे दिखाने वाले ग्राहकों को झटका भी दिया जा सकता है। लेकिन यह काम बहुत ही होशियारी से करना होगा।आपको अपनी सेल का टारगेट का भी पूरा ध्यान रखना होगा। इसके बाद आपको अपना प्लान तैयार करना होगा जिसमें ज्यादा परेशान करने वाले और कम मुनाफा देने वाले बिजनेस मैन को छांट कर अलग करना होगा। एक सीमा के बाद उनकी सप्लाई कम करना शुरू कर दें। ताकि उन्हें इस बात का अहसास हो जाये कि उनके बिना काम चल सकता है। इसके बाद व्यवहार में परिवर्तन आये तो उस ग्राहक को सर्विस देते रहें अन्यथा उससे पीछा ही छुड़ा लें। क्योंकि एक टेंशन से दस काम बिगड़ते हैं।

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