अमिताभ बच्चन और सोनी, दोनों में कोई तुलना नहीं पर एक समानता जरूर है। क्या है वह समानता? वह है मेहनत करते रहना, स्ट्रेटिजी बनाते रहना। सोनी ने पहला प्रोडक्ट 1946 में बनाया जो फेल कर गया। अमिताभ की पहली फिल्म 1969 में आई जो फ्लाप कर गई। चार साल के अंतराल में ही दोनों सक्सेस के पायदान पर चढ़ गए। अमिताभ और सोनी, दोनों। 1950 में सोनी का टेप रिकार्डर सुपरहिट हो गया तो 1973 में अमिताभ की फिल्म जंजीर। ये दोनों ऐसे सुपरहिट उदाहरण हैं जो कहीं और नहीं मिलते।
बच्चन ने हार न मानी, न Sony ने
साल 1969 में अमिताभ बच्चन की फिल्म आई थी, सात हिंदुस्तानी। यह फिल्म नहीं चली। अमिताभ को भी कम लोगों ने ही नोटिस किया। पर अमिताभ ने हार नहीं मानी। 4 साल बाद, 1973 में उनकी फिल्म आई जंजीर। इस फिल्म ने अमिताभ को अमिताभ बच्चन बना दिया।
प्रेशर कुकर नहीं चला
1946 में जापान के दो नौजवानों ने चावल पकाने के लिए प्रेशर कुकर का निर्माण किया। यह प्रोडक्ट फेल कर गया। चावल पूरी तरह पकते ही नहीं थे। लेकिन दोनों दोस्त मेहनत करते गए। हार नहीं मानी। नई स्ट्रेटजी बनाते रहे। फिर 1950 में इन लोगों ने टेप रिकार्डर का निर्माण किया। टेप रिकार्डर लांच करने के पहले उसकी पब्लिसिटी की गई। फिर टेप रिकार्डर की बिक्री रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई। जी हां, हम सोनी कारपोरेशन की ही बात कर रहे हैं। दुनिया की दिग्गज कंपनी, सोनी की।
जापान के ध्वस्त बाजार में Sony की स्थापना
दरअसल, सोनी कारपोरेशन की नींव उस वक्त पड़ी, जब पूरी दुनिया 1939 से 1945 तक के दूसरे विश्वयुद्ध से निजात पाने की कोशिश कर रही थी। मार्केट ध्वस्त था। जापान का काफी नुकसान हो चुका था, 1945 तक। अर्थव्यवस्था बेहद जर्जर हो चुकी थी। कर्ज मिलना भी मुश्किल था। ऐसे में दो दोस्त मिले। एक का नाम था एकीयो मोरिता, दूसरे का मासू इबुका। इन दोनों की एज में 13 साल का डिफरेंस था। लेकिन, इन दोनों का लक्ष्य एक ही थाः कुछ नया किया जाए। ये नया करना चाहते थे। इसी नया करने की चाहत में दोनों ने एक साहूकार से 500 डालर का कर्ज लिया और एक कंपनी बनाई। उस कंपनी का नाम था टोक्यो टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग कारपोरेशन (टीटीके)।
पहला प्रयोग सिरे नहीं चढ़ा
इस कंपनी के तहत दोनों ने सबसे पहला प्रोडक्ट बनाया राइस प्रेशर कुकर। कांसेप्ट यह था कि लोग प्रेशर कुकर में पानी डालें, चावल डालें, एक सीटी लगवाएं और चावल तैयार हो जाए। लेकिन, यह प्रोडक्ट अपने पहले प्रयास में फेल कर गया। चावल पक नहीं रहे थे। सीटी भी सही तरीके से नहीं लग रही थी। लेकिन, दोनों हतोत्साहित नहीं हुए। उन्होंने अपनी क्रिएटिविटी को कम नहीं होने दिया। वे लगातार रिसर्च करते रहे। रिसर्च करते-करते उन्होंने 1950 में ट्रांजिस्टर की आकृति देख कर टेप रिकार्डर बनाने की ठानी।
टेप के 9999 फायदे
1950 में जब उन्होंने मार्केट में टेप रिकार्डर उतारने का तय किया तो उसके पहले प्रचार किया कि आप टेप रिकार्डर सुन कर 9 हजार 999 तरीके से फायदेमंद हो सकते हैं। यह पब्लिसिटी ड्राइव हफ्तों चलीं। जब मार्केट से डिमांड शुरू हो गई तब उन्होंने टेप रिकार्डर को मार्केट में लांच किया। देखते ही देखते टेप रिकार्डर हिट आइटम बन गया। क्या मीडिया हाउस, क्या कारपोरेट हाउस, क्या आम शहरी...सभी ने जम कर आर्डर दिये। ये नया प्रोडक्ट था जो उस दौर में अलग स्टाइल में अमेरिका में तो था, जापान में नहीं था। लोगों ने इसे हाथों हाथ लिया। इस प्रोडक्ट के प्रोडक्शन के लिए कंपनी को एक दूसरे स्थान पर खुद को शिफ्ट करना पड़ा।
टेप के बाद ट्रांजिस्टर भी सुपरहिट
जब टेप रिकार्डर सुपरहिट हो गया तो ये दोनों पार्टनर (एकीयो मोरिता और मासू इबुका) हाथ पर हाथ रख कर बैठे नहीं रहे। ये लोग नए शोध में लगे थे। निरंतर शोध का ही यह परिणाम था कि 1952 में एकीयो मोरिता और मासू इबुका ने ट्रांजिस्टर लांच कर दिया। लांच करने के पहले इसकी जम कर पब्लिसिटी की गई। नतीजा यह हुआ कि यह प्रोडक्ट भी जबरदस्त हिट हो गया। विदेशों से डिमांड आने लगी।
टीटीके से Sony बनने की कहानी
अब विदेशों में माल भेजने की तो कोई समस्या थी ही नहीं। माल कापी था। टेंशन यह था कि टीटीके को कौन जानता है। जापान में तो ठीक, जापान के बाहर क्या। इस नाम से संकट पैदा हो रहा था। उसी वक्त दोनों मित्रों ने काफी कुछ विचार करने के बाद कंपनी का नाम बदल कर सोनी कर दिया। 1952 में कंपनी का नाम बदलने के बाद मानो सफलता की कहानी शुरू हो गई। सोनी के बैनर तले जो भी प्रोडक्ट बनते, सभी रिकार्ड तोड़ बिक्री करते। सोनी ब्रांड ने दुनिया भर में तहलका मचा दिया।
Sony के उत्पाद
आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, सोनी इन दिनों पूरी दुनिया में इलेक्ट्रानिक उपकरमों के अलावा फाइनेंस, ओटीटी आदि के बिजनेस में संलग्न है। इसका व्यापार 80 बिलयन डालर से ज्यादा का हो चुका है। यह दुनिया के प्रायः सभी देशों में है और जहां भी है, पूरी मजबूती के साथ है। सोनी आज की तारीख में दुनिया की टाप पांच बड़ी कंपनियों में एक है। यहां एक लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं और इन सभी लोगों की जिंदगी बेहद उम्दा शैली में बीत रही है। भारत में भी सोनी कारपोरेशन पूरी मजबूती के साथ है और सोनी पिक्चर्स भी लगातार अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ाता जा रहा है। भारत में हजारों लोग सोनी कारपोरेशन के बैनर तले काम कर रहे हैं।
आंख मूंद कर भरोसा
सोनी के तमाम प्रोडक्ट्स बेहतरीन ही होते हैं। आप इन पर आंखें मूंद कर भरोसा कर सकते हैं। हर प्रोडक्ट के पीछे शोध, एकाग्रता, टिकाऊपन और हाई क्वालिटी उच्च मानदंडों के साथ आकार लेती है। वर्तमान में साउंड सिस्टम, वीडिओ रिकार्डर, स्मार्ट फोन्स, टीवी, लैपटाप, प्ले स्टेशन के बिजनेस में सोनी बहुत आगे है।
76 साल की कंपनी
सोनी कारपोरेशन का मुख्यालय जापान के मिनाटो (टोक्यो) में है। 7 मई 1946 को इसकी स्थापना हुई थी। यह कंपनी मोटे तौर पर 76 साल की हो चुकी है।
सोनी कंपनी इलेक्ट्रानिक प्रोडक्ट के अलावे होम एंटरटेनमेंट और साउंड, म्यूजिक, पिक्चर, मोबाइल कम्युनिकेशन, सेमी कंडक्टर जैसे क्षेत्रों में भी पर्याप्त तौर पर सक्रिय है। अब यह फाइनांस के क्षेत्र में भी आ गई है। मसारू इबुका का निधन 1997 में जबकि अकियो मोरिटा का निधन 1999 में हो चुका है।
भरोसे की बात
आप सोनी के किसी भी प्रोडक्ट को उठा लें, उसके बारे में बताने के लिए आपको सैकड़ों लोग मिल जाएंगे। वे मानते हैं कि सोनी के सभी प्रोडक्ट भरोसेमंद होते हैं।
ज्यादा कीमत
चूंकि सोनी के प्रोडक्ट लोगों द्वारा खूब सराहे जाते हैं, बिक्री भी खूब होती है पर ये चीनी प्रोडक्ट की तरह सस्ते नहीं होते। सोनी के सभी प्रोडक्ट महंगे होते हैं। चाहे आप टीवी की बात करें या फ्रिज की, प्ले स्टेशन्स की बात करें या मोबाइल हैंडसेट्स की, टीवी की बात करें या फिर माइक्रोवेन ओवन की। ये सभी उत्पाद काफी महंगे होते हैं। महंगे होने के बाद भी ये इसलिए बिक जाते हैं क्योंकि एक तो प्रोडक्ट बेहतर होते हैं, दूसरे इनकी सर्विसिंग शानदार होती है। इसलिए लोग इस ब्रांड को तवज्जो देते हैं।
भारत में Sony Corporation
भारत में सोनी की मजबूत पैठ है। यहां मोबाइल के साथ ही अनेक इलेक्ट्रानिक उपकरणों का निर्माण, बिक्री आदि तो होता ही है, फिल्म और टीवी सीरियल के क्षेत्र में भी यह कंपनी बेहद आगे है। मशहूर कामेडियन द कपिल शर्मा शो भी सोनी पर ही चलता रहा। आज भी कपिल शर्मा शो सोनी पर ही आता है। तो कुल मिलाकर भारत में सोनी की पैठ जबरदस्त है। अभी दो साल पहले सोनी ने प्रयास किया था कि वह नेटवर्क 18 का कुछ हिस्सा खरीद ले। इस पर कोई 10 महीने तक बातचीत भी हुई। अब दोबारा इस पर बातचीत शुरू की गई है।
माना जा रहा है कि सोनी भारतीय मीडिया की दिग्गज कंपनी बनना चाहती है। जब से एफडीआई 100 परसेंट किया गया है, सोनी ने अनेक भारतीय इलेक्ट्रानिक कंपनियों का अधिग्रहण किया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सोनी मीडिया क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में मौजूद रहेगा। भारत में सोनी के 22000 डीलर्स हैं, देश भर में। इसके 26 लोकेशन्स पर 300 से ज्यादा शोरुम्स हैं। भारत में कंपनी के सर्वेसर्वा सुनील नैय्यर हैं। नैय्यर, कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। सोनी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, भारत में कंपनी का कारोबार 5,54,00,00,00 रुपये का है। करीब 900 कर्मचारी हैं देश भर में। चारों महानगरों के अलावा कुल 26 लोकेशंस पर कंपनी के कार्यालय हैं।
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